Anjam-e-Gulistan Kya Hoga
Author:
Pallavi TrivediPublisher:
Shivna PrakashanLanguage:
HindiCategory:
Satire0 Reviews
Price: ₹ 240
₹
300
Available
Description Awaited
ISBN: shivna20254
Pages: 176
Avg Reading Time: 6 hrs
Age : 11-18
Country of Origin: India
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- Description: हरिशंकर परसाई ने अपनी एक पुस्तक के लेखकीय वक्तव्य में कहा था–‘व्यंग्य’ अब ‘शूद्र’ से ‘क्षत्रिय’ मान लिया गया है। विचारणीय है कि वह शूद्र से क्षत्रिय हुआ है, ब्राह्मण नहीं, क्योंकि ब्राह्मण ‘कीर्तन’ करता है। निस्सन्देह व्यंग्य कीर्तन करना नहीं जानता, पर कीर्तन को और कीर्तन करनेवालों को खूब पहचानता है। कैसे-कैसे अवसर, कैसे-कैसे वाद्य और कैसी-कैसी तानें–जरा-सा ध्यान देंगे तो अचीन्हा नहीं रहेगा विकलांग श्रद्धा का (यह) दौर। विकलांग श्रद्धा का दौर के व्यंग्य अपनी कथात्मक सहजता और पैनेपन में अविस्मरणीय हैं, ऐसे कि एक बार पढक़र इनका मौखिक पाठ किया जा सके। आए दिन आसपास घट रही सामान्य-सी घटनाओं से असामान्य समय-सन्दर्भों और व्यापक मानव-मूल्यों की उद्भावना न सिर्फ रचनाकार को मूल्यवान बनाती है बल्कि व्यंग्य-विधा को भी नई ऊँचाइयाँ सौंपती है। इस दृष्टि से प्रस्तुत कृति का महत्त्व और भी ज्यादा है।
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