Khamosh! Nange Hamam Mein Hain
Author:
Gyan ChaturvediPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Satire0 Reviews
Price: ₹ 120
₹
150
Available
परसाई, शरद जोशी, रवीन्द्रनाथ त्यागी और श्रीलाल शुक्ल की पीढ़ी के बाद यदि हिन्दी-विश्व को कोई एक व्यंग्यकार सर्वाधिक आश्वस्त करता है तो वह ज्ञान चतुर्वेदी हैं। वे क्या ‘नया लिख रहे हैं’—इसको लेकर जितनी उत्सुकता उनके पाठकों को रहती है, उतनी ही आलोचकों को भी। विशेष तौर पर, राजकमल द्वारा ही प्रकाशित अपने दो उपन्यासों—‘नरक यात्रा’ और ‘बारामासी’ के बाद तो ज्ञान चतुर्वेदी इस पीढ़ी के व्यंग्यकारों के बीच सर्वाधिक पठनीय, प्रतिभावान, लीक तोड़नेवाले और हिन्दी-व्यंग्य को वहाँ से नई ऊँचाइयों पर ले जानेवाले माने जा रहे हैं, जहाँ परसाई ने उसे पहुँचाया था।</p>
<p>ज्ञान चतुर्वेदी में परसाई जैसा प्रखर चिन्तन, शरद जोशी जैसा विट, त्यागी जैसी हास्य-क्षमता तथा श्रीलाल शुक्ल जैसी विलक्षण भाषा का अद्भुत मेल है, जो उन्हें हिन्दी-व्यंग्य के इतिहास में अलग ही खड़ा करता है। ज्ञान को आप जितना पढ़ते हैं, उतना ही उनके लेखन के विषय-वैविध्य, शैली की प्रयोगधर्मिता और भाषा की धूप-छाँव से चमत्कृत होते हैं। वे जितने सहज कौशल से छोटी-छोटी व्यंग्य-कथाएँ और व्यंग्य-टिप्पणियाँ रचते हैं, उतने ही जतन से लम्बी व्यंग्य रचनाएँ भी बुनते हैं। ‘नरक यात्रा’ और ‘बारामासी’ जैसे बड़े उपन्यासों में उनके व्यंग्य-तेवर देखते ही बनते हैं। ज्ञान चतुर्वेदी विशुद्ध व्यंग्य लिखने में उतने ही सिद्धहस्त हैं, जितना ‘निर्मल हास्य’ रचने में।</p>
<p>वास्तव में ज्ञान की रचनाओं में हास्य और व्यंग्य का ऐसा नपा-तुला तालमेल मिलता है, जहाँ ‘दोनों ही’ एक-दूसरे की ताक़त बन जाते हैं। और तब हिन्दी की यह ‘बहस’ ज्ञान को पढ़ते हुए बड़ी बेमानी मालूम होने लगती है कि हास्य के (तथाकथित) घालमेल से व्यंग्य का पैनापन कितना कम हो जाता है? सही मायनों में तो ज्ञान चतुर्वेदी के लेखन से गुज़रना एक ‘सम्पूर्ण व्यंग्य-रचना’ के तेवरों से परिचय पाने के अद्वितीय अनुभव से गुज़रना है।
ISBN: 9788126728558
Pages: 115
Avg Reading Time: 4 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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Ram Badan Ray
- Book Type:

- Description: Satire
White House Mein Ramleela
- Author Name:
Alok Puranik
- Book Type:

-
Description:
आलोक पुराणिक ने अपनी रचनाओं से व्यंग्य विधा को एक नया शिल्प और सौन्दर्य प्रदान कर विशिष्ट पहचान दी है। ‘व्हाइट हाउस में रामलीला’ उनका महत्त्वपूर्ण संग्रह है। इस व्यंग्य-संग्रह में उनकी आकार में छोटी दिखनेवाली टिप्पणियाँ विचार का एक
बड़ा कैनवस रचती हैं। आम आदमी की रोज़मर्रा की पीड़ा से लेकर व विश्व फ़लक पर होनेवाली घटनाओं तक सबको उन्होंने इसमें समेटा है।
आज की सामाजिक, राजनीतिक, धार्मिक, सांस्कृतिक व आर्थिक विडम्बनाओं का परत-दर-परत खोलते हुए व्यंग्यकार ने उन कारणों की ओर भी संकेत किया है जो इन स्थितियों के मूल में हैं।
कुछ लेखों में धार्मिक आडम्बरों और ढोंगों पर भी व्यंग्य किया गया है जो लोगों की भावनाओं का लाभ उठाकर अपनी जेब भरते हैं।
समसामयिक जीवन और समाज के विभिन्न पक्षों पर तीखी निगाह से दृष्टिपात करते ये व्यंग्य-लेख निश्चय ही पाठकों को लम्बे समय तक याद रहेंगे।
Pagdandiyon Ka Zamana
- Author Name:
Harishankar Parsai
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
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