Tum Se Mein Tak
Author:
Abha JhaPublisher:
Author'S Ink PublicationsLanguage:
HindiCategory:
Poetry0 Reviews
Price: ₹ 255
₹
300
Available
तुम' से 'मैं' तक an eternal jeurney 'तुम' से 'मैं' तक- An eternal journey by Abha Jha is a bilingual compilation of her spontaneous understanding from her own experiences of life in the form of quotes and short poems which can pave path for others to understand themselves better. It's a journey which anyone who is set on embarking the journey of self will resonate with and get motivated from. Her writing style denotes a sense of freedom depicted through the free verse she writes in, without the use of any punctuation mark in her poetry.
ISBN: 9789392665813
Pages: 178
Avg Reading Time: 6 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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- Description: संतोष कुमार चतुर्वेदी के इस संग्रह की कविताएँ भूलने के खिलाफ रचनाधर्मी विपक्ष के अस्तित्ववान होने का गवाह बनती हैं। अपनी समस्त रचनाधर्मिता के साथ जहाँ विपक्ष हो, वहाँ विचारों के चौराहे अनिवार्यत: होंगे ही। सुकरात और बुद्ध से ले कर मुक्तिबोध, धूमिल और आगे भी विपक्ष की रचनाधर्मिता ने इन चौराहों को बनाते हुए और इन्हीं चौराहों पर स्वयं को बनते हुए देखा है, विकल्पहीनता के हर दौर में विकल्पों को सृजित कर सता के नशे में चूर गढ़ों और मठों को ध्वस्त किया है। कविता के पास चीजों को ‘हटकर देखने’ की आँख होती है । इस संग्रह की ज्यादातर कविताएँ इसका उदाहरण हैं। कील-कब्जे, कूड़ा करकट, पोस्टमॉर्टम, पासंग जैसी कविताएँ ‘दृश्य’ के दबाव में ‘अदृश्य’ रह गयी श्रमशीलता की महत्ता को पूरी संवेदना के साथ उजागर करती हैं। एक समूचा ‘अदृश्य’ परिवेश हमारे सामने कौंध उठता है जो ‘दृश्यता’ के भारी-भरकम तामझाम को अपने श्रम के बूते थामे हुए है। कविता के असुविधाजनक और संघर्ष भरे पथ पर हर कोई नही चल सकता। ग़ालिब नें यों ही नहीं कहा था कि ‘जब आँख ही से न टपका तो फिर लहू क्या है।’ हर ‘छोटे’ और ‘बड़े’ कवि को हर दौर में हर कदम पर अपना आत्मविश्वास अर्जित करना पड़ता है, दुनियादारी के सर्वग्रासी खोल से बाहर निकल कर दुनिया का सामना करने के लिए। संतोष के कवि के पास यह आत्मविश्वास फिलवक्त है जो हिन्दी कविता के लिए आश्वस्ति की तरह है। —प्रियम अंकित
Pattiyon Par Kanpta Komal Gandhar
- Author Name:
Pallavi Trivedi
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- Description: पल्लवी त्रिवेदी के कविता संग्रह ' पत्तियों पर काँपता कोमल गांधार ' की कविताएं पाठक के मन को हौले से छूकर गुजरती हैं । ये कविताएं बहुत खूबसूरत हैं । जो पाठकों के दिल को शुरुआत से ही बांध लेती हैं। पल्लवी की अपनी अलहदा शैली इस संग्रह को बेहद मोहक बनाती है। इस कविता संग्रह के तीन खण्ड हैं । प्रथम खण्ड में प्रकृति की कविताएं हैं जिसमें जंगल, पहाड़, नदियां ,समंदर और तमाम जीव जंतु अपनी आमद दर्ज कराते हैं । दूसरा खण्ड प्रेम कविताओं का है जिसमें पल्लवी प्रेम को अपने अनूठी और कोमल अभिव्यक्ति देती हैं । तीसरे खण्ड में जीवन के तमाम पहलू सुख और दुख के रूप में अलग अलग तरह से कविताओं में सामने आते हैं। इस संग्रह की कविताएं भाव, कहन, उपमाओं और रूपकों के विशिष्ट प्रयोग के कारण साहित्य जगत में एक अलग स्थान रखती हैं । जिसे हर पाठक अपनी लाइब्रेरी में ज़रूर रखना चाहेगा। पल्लवी त्रिवेदी एक जानी-मानी लेखक हैं और साहित्य की अनेक विधाओं में लिखती हैं। यह उनकी पांचवी पुस्तक और दूसरा कविता संग्रह है । इसके पूर्व पल्लवी की चार किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं । 1- ' अंजाम ए गुलिस्ताँ क्या होगा ' ( व्यंग्य संग्रह ) 2- तुम जहाँ भी हो ( कविता संग्रह) 3- खुशदेश का सफ़र ( यात्रा वृत्तांत) 4- ज़िक्रे यार चले- लवनोट्स ( प्रेम कथा संग्रह
Prasad Kavya Mein Bimb Yojana
- Author Name:
Ramkrishna Agrawal
- Book Type:

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Description:
बिम्ब भावों और विचारों के सम्प्रेषण का विशेष सहायक तत्त्व है। वह पाठक को काव्यवस्तु के मूल तक पहुँचाने और कवि के मानस का साक्षात्कार करानेवाला सीधा मार्ग है।
पहले अध्याय में बिम्ब के स्वरूप पर पाश्चात्य दृष्टि से विचार करने के उपरान्त भारतीय काव्यशास्त्र के विभिन्न सिद्धान्तों से उसकी तुलना की गई है। तत्पश्चात् बिम्ब के आधारभूत तत्त्वों, उसकी उपयोगिता एवं कार्यों और उसके वर्गीकरण पर विचार किया गया है। अन्त में कल्पना और भाषा से बिम्ब का सम्बन्ध दिखाया गया है।
दूसरे अध्याय में प्रसाद-काव्य के बिम्बों का विस्तृत वर्गीकृत अध्ययन किया गया है। उपात्त वस्तु के आधार पर प्रकृति और मानव के क्षेत्र से गृहीत वस्तुओं की विविधता का विस्तृत विवेचन हुआ है। तत्पश्चात् क्रमशः संवेदनाओं, प्रेरक अनुभूतियों और मूर्तता के आधार पर प्रसाद जी के बिम्बों का वर्गीकरण किया गया है।
तीसरे अध्याय में प्रसाद जी के बिम्बों के विकास पर विचार करते हुए उसके तीन चरण निर्धारित किए गए हैं—आरम्भिक काव्य, मध्यवर्ती काव्य और प्रौढ़ काव्य। इनकी व्यावर्तक विशेषताओं को स्पष्ट करने के लिए अध्याय के अन्त में कुछ पुनरावृत्त बिम्बों का विकासात्मक अध्ययन भी प्रस्तुत किया गया है।
चौथे अध्याय में बिम्बगत गुणों के आधार पर प्रसाद जी के बिम्बों की सफलता और असफलता पर विचार किया गया है। तदनन्तर प्रसाद-काव्य के परम्परागत और नवीन बिम्बों का अध्ययन हुआ है।
पाँचवें अध्याय में बिम्ब के माध्यम से अभिव्यक्त होनेवाले प्रसाद जी के दार्शनिक तथा अन्य विचारों का विवेचन किया गया है। साथ ही ‘कामायनी’ के रूपक-तत्त्व के निर्वाह में बिम्ब-विधान का कितना योगदान रहा है, इस पर भी विचार हुआ है।
छठे अध्याय में छायावादी काव्य-बिम्बों की उपात्त वस्तु, बिम्बगत संवेदना, मूर्त और अमूर्त बिम्ब-विधान एवं बिम्बगत गुणों का संक्षिप्त विवेचन करते हुए उसमें प्रसाद जी का स्थान निर्धारित किया गया है। तत्पश्चात् बिम्बों में व्यक्त प्रसाद जी के व्यक्तित्व पर विचार किया गया है।
सातवाँ अध्याय प्रबन्ध का उपसंहार है।
प्रस्तुत ग्रन्थ में लेखक ने बिम्ब के माध्यम से प्रसाद के कविमानस का साक्षात्कार कराया है। हिन्दी में सम्भवतः पहली बार समग्र प्रसाद-काव्य की बिम्ब-योजना के विशद विश्लेषण एवं विवेचन के साथ-साथ बिम्ब के आधार पर कवि की विकास-यात्रा का निकट से अध्ययन किया गया है।
Madhumas Utar Aya
- Author Name:
Kashiram Soni
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- Description: poetry-and-plays
Kavita Mein Sab Kuchh Sambhav
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Shailendra Shail
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- Description: collection of poems
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