Pani Ko Sab Yaad Tha
Author:
AnamikaPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Poetry0 Reviews
Price: ₹ 200
₹
250
Available
मिका की ये कविताएँ सगेपन की घनी बातचीत-सी कविताएँ हैं। स्त्रियों का अपना समय इनमें मद्धम लेकिन स्थिर स्वर में अपने दु:ख-दर्द, उम्मीदें बोलता है। इनमें किसी भी तरह का काव्य-चमत्कार पैदा करने का न आग्रह है, न लगता है कि अपने होने का उद्देश्य ये कविताएँ उसे मानती हैं; उनका सीधा-सरल अभिप्राय उन पीड़ाओं को सम्बोधित करना है जो स्त्रियों और उन्हीं जैसी भीतरी-बाहरी यंत्रणाओं से गुज़रे लोगों के जीवन में इस पार से उस पार तक फैली हैं।
बड़ी-बूढ़ी स्त्रियों, दादियों-नानियों, माँओं की बातों, मुहावरों, कहावतों में छिपे काल-सिद्ध सत्य का अन्वेषण अनामिका हमेशा ही करती हैं, सो ये कविताएँ भी लोक और जन-श्रुतियों की अनुभव-वृद्ध नाड़ियों में जीवन-सत्य की, आत्म-सत्य की अनेक धाराओं से अपने मंतव्य को सींचती, पुष्ट करती चलती हैं।
इस संग्रह में विशेष रूप से जो कविता पाठकों का ध्यान खींचनेवाली है वह कुछ साल पहले दिल्ली की एक ठंडी रात में घटित निर्भया-कांड के सन्दर्भ में है। कई उप-खंडों में विभाजित यह कविता विस्थापन बस्तियों में रहनेवाली कई स्त्रियों के जीवन-मन से गुज़रती हुई निर्भया तक पहुँचती है, और अपने ढंग से इस घटना और इसके निहितार्थों की व्याख्या करती है।
स्त्री अनामिका के लिए कोई जाति नहीं है, एक तत्त्व है, जो प्राणि-मात्र के अस्तित्व में मौजूद होता है। वह पुरुष में भी है, पेड़ में भी है, पानी में भी है। वही जीव को जन्म और जीवन देता है, उसे सार्थक करता है। ये कविताएँ उसी तत्त्व को केन्द्र में लाने का उद्यम है
ISBN: 9789388753883
Pages: 167
Avg Reading Time: 6 hrs
Age : 18+
Country of Origin: India
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- Description: कविता लेखन वास्तव में एक कठिन कार्य है। कविता को लिखते समय भाषा, भावाभिव्यक्ति, प्रतीकों एवं बिंबों आदि के प्रस्तुतीकरण में सर्वथा नियंत्रण रखना आवश्यक होता है। कविता की कोई सीमा नहीं होती, वह सर्वत्र अपनी सुगंध फैलाती है। कविता की कभी उम्र नहीं ढलती, उसे जब भी पढ़ो, वह हमेशा ताजगी भरी होती है। कवि तो जन-मानस का चितेरा होता है। कोई भी कविता लिखने के लिए उसे कितने नीचे धरातल पर उतरना पड़ता है, ये वही जानता है। कवि की यही विवशता कविता के सृजन के महत्त्व को प्रकट करती है। इस संग्रह में संकलित कविताओं को मोटे तौर पर दो कोटियों में रखा जा सकता है। प्रथम कोटि की कविताएँ, जिनमें प्रकृति, संस्कृति, मनोरंजन की वस्तुएँ तथा आश्चर्यजनक, आख्यानों से संबंधित तथा द्वितीय कोटि में मानवीय उदात्त गुणों का समावेश है, जो राष्ट्रीय भावना, सच्चरित्रता, ईमानदारी एवं सत्यप्रेम आदि मानव गुणों को विकसित कर मानव को सत्यमार्ग पर चलने की प्रेरणा प्रदान करने में सर्वथा समर्थ हैं। प्रस्तुत संग्रह यदि अपने उद्देश्यों की पूर्ति में तनिक भी सफल रहा, तो मैं अपने प्रयास को सफल समझूँगी तथा निकट भविष्य में अन्य उपयोगी कृतियाँ पाठकों को भेंट करने की चेष्टा करूँगी।
Bagdad Se Ek Khat
- Author Name:
Mahendra Mishra
- Book Type:

- Description: अपने समय से संवाद करती ये कविताएँ कवि महेन्द्र मिश्र के लम्बे प्रशासकीय मौन के बाद सामने आ रही हैं। आज से कोई चौबीस वर्ष पहले उनका पहला काव्य-संकलन आया था—‘अनायास वर्षा’। तब से बहुत कुछ घटित हो चुका है दुनिया में और काव्य का परिदृश्य भी वही नहीं है, जो उस समय था। इन कविताओं से गुज़रते हुए मैंने अनुभव किया कि इस संग्रह के रचयिता ने इस बीच के लगभग सारे सामाजिक-राजनीतिक परिवर्तनों को अपनी चेतना में जज़्ब करने के बाद वह वस्तु-फ़लक तैयार किया है, जिससे इस कृति को आकार मिलता है। यह बौद्धिक रूप से एक अत्यन्त सजग रचनाकार की रचना है—जिसे अपने से की गई एक लम्बी बहस भी कहा जा सकता है। वस्तुतः इस किताब का नाम ‘बग़दाद से एक ख़त’ वह संकेतक है, जो इन कविताओं के ‘टोन’ का निर्धारण करता है। मुझे अच्छा लगा कि वैचारिक आवेग वाली लम्बी कविताओं के साथ-साथ यहाँ कुछ अपेक्षाकृत छोटी कविताएँ भी हैं—जैसे ‘वह लड़का’ और ‘नदी’ जो अलग ढंग की कविताएँ हैं और पाठक से सीधे संवाद करती हैं। यह भरा-पूरा संग्रह प्रमाण है कि अपनी प्रशासकीय उलझनों में चाहे इस कवि ने कविता का साथ—अस्थायी रूप से—छोड़ दिया हो, पर कविता ने अपने इस ‘पुराने प्रेमी’ का साथ कभी नहीं छोड़ा। — केदारनाथ सिंह
Parchaiyaan
- Author Name:
Dr. Priyanka Sinha
- Book Type:

- Description: Collection of poems by Dr. Priyanka Sinha
Mere Garbh Mein Chand
- Author Name:
Shephali
- Book Type:

-
Description:
शेफाली का रचना-कर्म उसके काव्य-आत्म से एकमेक हो जाने को उन्मुख है। वह कविता रचती है और वह स्वयं कविता हो जाने को उत्सुक है।...एक तरह से देखें तो यह सिर्फ साहित्यिक यात्रा नहीं, आध्यात्मिक यात्रा भी है।...
शेफाली की साहित्यिक कल्पना उसकी आध्यात्मिक पिपासा से एकमेक है। और इस कारण, उसकी कविताएँ अक्षय वैभव का गीत हैं। प्रकृति उसके कानों में अपना रहस्य खोलती है और उसका ध्यानधीर आत्म हमें उन क्षणों के दर्शन को प्रेरित करता है।
—अभिजीत पाठक
AAO BACHCHO TUMHEN BATAYEN
- Author Name:
Ram Badan Ray
- Book Type:

- Description: Children's poems and Short-stories
Chaurahe Par Khade Ham
- Author Name:
Milan Sinha
- Book Type:

- Description: poetry
Sab Itna Asamapt
- Author Name:
Kunwar Narain
- Book Type:

-
Description:
‘सब इतना असमाप्त’ अपने शीर्षक से ही संग्रह की अन्तर्वस्तु का आभास देता है। इसकी अधिकांश कविताएँ वर्ष 2010 के बाद लिखी गई हैं। यहाँ कुछ अन्य काव्य-प्रयोग भी शामिल हैं जो कविता और उसकी एक बड़ी दुनिया में कवि की निरन्तर आवाजाही के प्रमाण हैं। कुँवर नारायण ने किसी भी क़ीमत पर कविता की भूमिका को सीमित करके नहीं देखा। उन्होंने अपनी एक कविता में प्रतीकात्मक लहजे़ में कहा है कि मैं कभी भी अपनी कविताओं का अन्त नहीं लाना चाहता। उस जीवन्त नाते को बनाए रखना चाहता हूँ जिसे अन्त समाप्त कर देता है। वे हमेशा अनन्तिम कविताएँ लिखना चाहते थे, इसलिए अन्तहीन भी। प्रस्तुत संग्रह की कविताएँ अपने आप में उनकी इस चिन्ता को मूर्त करती हैं और इस तरह अन्त और आरम्भ की एक व्यापक और परस्पर अभिन्न परिकल्पना हमारे सामने रखती हैं।
संग्रह की कविताएँ बहुत अनोखे ढंग से बेचैन करती हैं और आश्वस्त भी। इनमें एक बड़े कवि के समस्त अनुभवों की काव्यात्मक फलश्रुति है और अक्सर एक भव्य उदासी का गूँजता हुआ स्वर। यहाँ कुछ भूली-बिसरी यादों का कोलाज है और अप्रत्याशित विडम्बनाओं की ओर लुढ़कते हुए समाज की चिन्ता भी। पूरे संग्रह में सागर के दो तटों की तरह जीवन और मृत्यु के विविध अनुभवों-आहटों की कविताएँ एक सायुज्य में हैं।
हिन्दी के शीर्षस्थ कवि कुँवर नारायण ने अपनी कृतियों के माध्यम से एक पूरा अलग 'पैराडाइम’ रचा है। इसी क्रम में प्रस्तुत संग्रह की कविताएँ एक नए रूप में उनकी उपस्थिति को सम्भव बनाती हैं। इसमें उनकी काव्य-यात्रा भौतिक-अभौतिक, नैतिक-अनैतिक, लौटना-जाना, अन्त और आरम्भ, जिजीविषा और मुमुक्षा की परस्पर यात्रा रही है। पूरे संग्रह में यह संवेदनशीलता क्रमश: बहुआयामी विस्तार पाती गई है और कुँवर नारायण का एक बेहद सघन और अनुभव-समृद्ध काव्य-संसार पाठकों के सामने खुलता चला जाता है।
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