Akshat
Author:
Pushpita AwasthiPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Poetry0 Reviews
Price: ₹ 316
₹
395
Available
style="line-height: 10px;">तुम</p>
<p style="line-height: 10px;">मेरी एकमात्र पुस्तक हो</p>
<p style="line-height: 10px;">मेरे मन का धर्मग्रन्थ तुम</p>
<p style="line-height: 10px;">मेरी एकमात्र कविता हो</p>
<p style="line-height: 10px;">मेरे सृजन के सच्चे दस्तावेज़</p>
<p style="line-height: 10px;">तुम मेरा एकमात्र विश्वास हो</p>
<p style="line-height: 10px;">मेरी आत्मा के वास्तविक सहचर</p>
<p>प्रेम का यही अकुंठ भाव इन कविताओं का मूल स्वर है। यह प्रेम-कविताओं का संग्रह है जिनकी कमी इधर आकर बहुत खलने लगी है। कविता के केन्द्र से प्रेम का हटना बेशक जीवन का अनुगमन ही है, क्योंकि जीवन का केन्द्र भी आज प्रेम नहीं है, लेकिन इसीलिए प्रेम अपनी तमाम पारदर्शिताओं, स्वच्छताओं और उदात्तताओं के साथ और भी ज़रूरी हो जाता है। वह एक अमूर्त भाव है लेकिन दुनिया में उसका अभाव हमें किसी चीज़ की तरह कचोटता है, जिसे इतनी तमाम चीज़ों की उपस्थिति भी पूर नहीं पाती।</p>
<p>ये कविताएँ हमें प्रेम की याद दिलाती हैं, उसकी उस ताक़त की याद दिलाती हैं जो हमें देह में देह को और आत्मा में आत्मा को अनुभव करने की क्षमता देता है, हमें ज़्यादा सहनशील, सहिष्णु और संसार को ज़्यादा रहने लायक़ बनाता है।</p>
<p style="line-height: 10px;">तुम</p>
<p style="line-height: 10px;">मेरे पास</p>
<p style="line-height: 10px;">सुख की तरह हो</p>
<p style="line-height: 10px;">जैसे जड़ों के पास ज़मीन</p>
<p style="line-height: 10px;">तुम्हारा स्पर्श मुझे छूता है</p>
<p style="line-height: 10px;">जैसे सूरज छूता है पृथ्वी।</p>
<p>
ISBN: 9788171197422
Pages: 130
Avg Reading Time: 4 hrs
Age : 18+
Country of Origin: India
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1990 के बाद कुमार अंबुज की कविता भाषा, शैली और विषय-वस्तु के स्तर पर इतना लम्बा डग भरती है कि उसे ‘क्वांटम जम्प’ ही कहा जा सकता है। उनकी कविताओं में इस देश की राजनीति, समाज और उसके करोड़ों मज़लूम नागरिकों के संकटग्रस्त अस्तित्व की अभिव्यक्ति है। वे सच्चे अर्थों में जनपक्ष, जनवाद और जन-प्रतिबद्धता की रचनाएँ हैं। जनधर्मिता की वेदी पर वे ब्रह्मांड और मानव-अस्तित्व के कई अप्रमेय आयामों और शंकाओं की संकीर्ण बलि भी नहीं देतीं। यह वह कविता है जिसका दृष्टि-सम्पन्न कला-शिल्प हर स्थावर-जंगम को कविता में बदल देने का सामर्थ्य रखता है।
कुमार अंबुज हिन्दी के उन विरले कवियों में से हैं जो स्वयं पर एक वस्तुनिष्ठ संयम और अपनी निर्मिति और अन्तिम परिणाम पर एक ज़िम्मेदार गुणवत्ता-दृष्टि रखते हैं। उनकी रचनाओं में एक नैनो-सघनता, एक ठोसपन है। अभिव्यक्ति और भाषा को लेकर ऐसा आत्मानुशासन जो दरअसल एक बहुआयामी नैतिकता और प्रतिबद्धता से उपजता है और आज सर्वव्याप्त हर तरह की नैतिक, बौद्धिक तथा सृजनपरक काहिली, कुपात्रता तथा दलिद्दर के विरुद्ध है, हिन्दी कविता में ही नहीं, अन्य सारी विधाओं में दुष्प्राप्य होता जा रहा है। अंबुज की उपस्थिति मात्र एक उत्कृष्ट सृजनशीलता की नहीं, सख़्त पारसाई की भी है।
—विष्णु खरे (भूमिका से)
Kalam Aaj Unki Jai Bol
- Author Name:
Vinamra Sen Singh
- Book Type:

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भारत का युवा जो साहित्य का विद्यार्थी है उसे भी या जो नहीं है वह भी ऐसे महान रचनाकारों के जीवन और सृजन से परिचित कराना पुस्तक का उद्देश्य है जिन्होंने भारत की स्वाधीनता में अपना तन-मन-धन सब कुछ समर्पित तो किया ही परन्तु अपनी लेखनी से ऐसा व्यापक जन जागरण किया कि सारा देश उस स्वाधीनता संग्राम में कूद पड़ा और अन्ततः अंग्रेजों को भारत छोड़कर जाना ही पड़ा। इस दृष्टि से इस पुस्तक में आधुनिक हिन्दी साहित्य के ऐसे 14 रचनाकारों के जीवन और सृजन पर प्रकाश डालने का प्रयत्न किया गया है जिन्होंने अपनी लेखनी के द्वारा स्वाधीनता संग्राम में हिस्सा लिया, जिनकी रचनाएँ भारतीय समाज को उसके स्वाभिमान, गौरव और स्वतन्त्रता के महत्त्व का बोध कराती हैं। ऐसे रचनाकारों के बारे में देश के प्रत्येक व्यक्ति को जानना आवश्यक है जिनके प्रति हम सभी भारतवासियों का कृतज्ञता भाव रखना कर्तव्य है। ऐसा नहीं कि यह विशेषता केवल इन 14 कवियों में ही थी। परन्तु पुस्तक की एक सीमा है। इसीलिए मेरी दृष्टि से जो सर्वाधिक महत्वपूर्ण थे उन्हें इस पुस्तक में सम्मिलित किया गया।
पुस्तक में इन कवियों के जीवन और सृजन के साथ ही उनकी तीन-तीन ऐसी प्रमुख रचनाएँ भी संकलित की गई हैं जो राष्ट्रीय चेतना की दृष्टि से अत्यन्त महत्त्वपूर्ण हैं।
Samay Ke Pass Samay
- Author Name:
Ashok Vajpeyi
- Book Type:

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प्रेम, मृत्यु और आसक्ति के कवि अशोक वाजपेयी ने इधर अपनी जिजीविषा का भूगोल एकबारगी बदल दिया है : वे कहेंगे बदला नहीं, सिर्फ़ उसमें शामिल कुछ ऐसे अहाते रौशन भर कर दिए हैं जो पहले भी थे पर लोगों को नज़र नहीं आते थे। अपनी निजता को छोड़े बिना उनकी कविता की दुनिया अब कुछ अधिक पारदर्शी और सार्वजनिक है। उसमें अब एक नए क़िस्म की बेचैनी और प्रश्नाकुलता विन्यस्त हो रही है।
समय, इतिहास, सच्चाई आदि को लेकर बीसवीं शताब्दी के अन्त में जो दृश्य हाशिये पर से दीखता है, उसे अशोक वाजपेयी अपनी कविता के केन्द्र में ले आए हैं। जुड़ाव-उलझाव के कुछ बिलकुल अछूते प्रसंग उनकी पहली लम्बी कविता में कुम्हार, लुहार, बढ़ई, मछुआरा, कबाड़ी और कुंजड़े जैसे चरित्रों के मर्मकथनों से अपनी पूरी ऐन्द्रियता और चारित्रिकता के साथ प्रगट हुए हैं। उनका पुराना पारिवारिक सरोकार अपने पोते के लिए लिखी गई दो कविताओं में दृष्टि और अनुभव के अनूठे रसायन में चरितार्थ होता है।
एक बार फिर अशोक वाजपेयी की आवाज़ नए प्रश्न पूछती, नई बेचैनी व्यक्त करती और कविता को वहाँ ले जाने की कोशिश करती है जहाँ वह अक्सर नहीं जाती है। अब उनका काव्यदृश्य सयानी समझ और उदासी से, सयानी आत्मालोचना से आलोकित है, उसमें किसी तरह अपसरण नहीं है—कवि अपनी दुनिया में अपनी सारी अपर्याप्तताओं और निष्ठा के साथ शामिल है। कविता उसके इस अटूट उलझाव का साक्ष्य है।
Asankalit Kavitayen
- Author Name:
Suryakant Tripathi 'Nirala'
- Book Type:

- Description: हिन्दी कविता में युगान्तर उपस्थित करनेवाले कवि महाप्राण निराला के उस काव्य-संसार से गुज़रना जो अब तक अजाना और प्राय: अपठित रहा है, पाठकों के लिए कुछ कम महत्त्वपूर्ण और मुग्धकारी नहीं है—कहीं-कहीं विस्मय की हद तक। अपनी कविताओं के जो संग्रह उन्होंने तैयार किए, अनेक कविताएँ उनमें इसलिए शामिल नहीं कीं कि या तो वे प्रारम्भिक थीं या फिर कमज़ोर। कुछ कविताएँ पत्र-पत्रिकाओं में छपने के बावबूद गुम गईं और कुछ उनके ही काग़ज़ों के ढेर में गुमनाम बनी रहीं। पर अब ऐसी सभी कविताएँ इस संग्रह में हैं। इनके अतिरिक्त इस संकलन में जहाँ निराला की पहली प्रकाशित कविता ‘जन्मभूमि’ है, वहीं आचार्य रामचन्द शुक्ल और बापू के प्रति लिखी गई व्यंग्य रचनाएँ भी हैं। परिशिष्ट में उनकी बहुचर्चित कविता ‘जुही की कली’ का आदि-रूप सुरक्षित किया गया है, जिससे उनकी रचना-प्रक्रिया को समझने में भी मदद मिलती है। इसलिए निराला की कविताओं का यह संकलन कई दृष्टियों से महत्त्वपूर्ण है—ख़ासकर, संकलनकर्ता डॉ. नन्दकिशोर नवल के शब्दों में कहें तो, ‘इसमें संकलित कविताएँ निराला के कवि-जीवन के आरम्भ और विकास दोनों को ही समझने की दृष्टि से अत्यन्त उपयोगी हैं’ और ‘इन कविताओं में से अनेक में हमें उनकी उत्कृष्ट काव्य-कला के दर्शन होते हैं।’
Apna Sa Koi Naam
- Author Name:
Vinod Kumar Chaudhary
- Book Type:

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साम्प्रदायिक सद्भाव, अध्यात्म, प्रकृति, धर्म, दर्शन के विभिन्न रूपों-रंगों को बिखेरती ये कविताएँ एक इन्द्रधनुष बनाती हैं।
सामान्य-सी दिखनेवाली ये कविताएँ गहन, गूढ़ अर्थ रखती हैं और पाठक को संवेदना, चिन्तन का दोहरा आस्वाद देती हैं।
कवि विनोद कुमार चौधरी ने इन कविताओं को लोकभाषा का सौन्दर्य प्रदान कर उस गौरवशाली परम्परा और काव्य-शैली को प्रतिष्ठापित किया है। जिसमें हर शब्द के बहुआयामी अर्थ होते हैं और जो लोगों के साथ वस्तुओं और वनस्पतियों को भी गरिमा, गौरव और सम्मान प्रदान करती है।
कवि नदी की ‘आत्मा’ के प्रति समर्पण भावना प्रदर्शित करते हुए प्रार्थना कर उसका अभिवादन करता है। उसकी श्रेष्ठता हमारे मानस में जगाता है और जन्म-भूमि की स्मृतियों को आभा-दीप्त करते हुए बताता है कि स्मृतियाँ हमारी धरोहर हैं, जो मन-आत्मा को सन्तोष प्रदान कर जीवन को प्रवहमान बनाती हैं।
अतीत और वर्तमान के बीच गहन रिश्ता बनाती ये कविताएँ हर वर्ग, हर आयु के पाठकों का ध्यान आकर्षित करने में सक्षम हैं।
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