Sonasha
Author:
Bittu SandhuPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Poetry0 Reviews
Price: ₹ 399.2
₹
499
Available
ये ज़िन्दगी!</p>
<p>सिर्फ़ एक कहानी कहाँ है?</p>
<p>हादसों की, मुस्कुराहटों की,</p>
<p>कितनी शाखाएँ हैं...</p>
<p>कितने खुले और बन्द दरवाज़े हैं</p>
<p>कुछ भूले बिसरे से, पुराने मखमल में लिपटे,</p>
<p>उम्रों से बन्द पड़े, दराज़ों में मिले गहने हैं।</p>
<p>ये कभी-कभी कुछ ख़ुशबुएँ भी हैं,</p>
<p>जो जाने कौन-सी दिशा से किस सरहद के पार,</p>
<p>किस ज़हन में घुलीं, एक बेपरवाह बादल पर सवार हम तक पहुँच जाती हैं।</p>
<p>सिर्फ़ एक कहानी कहाँ है?</p>
<p>ये लम्हों की झालर है और इस बार</p>
<p>बिट्टु सफ़ीना संधू की इस झालर को नाम मिला है—‘सोनाशा’।</p>
<p>सोनाशा एक अहसास है ज़रा धीमे</p>
<p>ये उतरना इसके पन्नों की दहलीज़ पर</p>
<p>सोनाशा मुस्कुराहट तो ओढ़ती है</p>
<p>ज़रा सा कुरेदो तो ख़ामोश कुछ चीख़ें भी हैं</p>
<p>जो रूह की गुफा से ज़ुबान तक का सफ़र</p>
<p>तय नहीं कर पाती आँखों में तैर ज़रूर जाती है</p>
<p>कुछ अहसास हैं जो मुहब्बत को इश्क़ और इश्क़</p>
<p>को ख़ुदा बना देने का जिगर रखते हैं पर क्या हो</p>
<p>जब कोई ख़ुदा बनने से डर जाये?</p>
<p>जहाँ ख़ुदा से सजदा भी है, शिकवा भी है</p>
<p>सब कुछ समेट कर कुछ कविताएँ हैं</p>
<p>ये बिट्टु सफ़ीना संधू से जन्मी है भी और नहीं भी...क्योंकि अब जो इसे पाल पोसकर बड़ा किया है, क्या पता कौन सी ‘सोनाशा’ आप में से किस में समा जाए।</p>
<p>—बलप्रीत
ISBN: 9788119028160
Pages: 108
Avg Reading Time: 4 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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