Mera Dawa Hai
Author:
Sudha Om DhingraPublisher:
Shivna PrakashanLanguage:
HindiCategory:
Poetry0 Reviews
Price: ₹ 200
₹
250
Available
Book
ISBN: 9789387310551
Pages: 120
Avg Reading Time: 4 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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- Description: हिन्दी कविता ने पिछले सौ वर्षों में जो त्वरित विकास किया है, ये कविताएँ उसी का विस्तार हैं। हिन्दी कविता के विकास की जो वक्र गति है, आज सन् 2004 में इन कविताओं के शिल्प और कथ्य में अनजाने ही वह विकास झलक मारता है। पिछले दिनों, यानी सन् ’90 के दशक से कविता भारतीय जीवन के हाशिए पर काम कर रही है। कवि अपने व्यक्तिगत अनुभवों को बार-बार केन्द्र का अनुभव बताने की कोशिश करते हैं। वे हाशिए को केन्द्र में खींच लाने का प्रयत्न अपने छोटे-छोटे व्यक्तिगत अनुभवों के माध्यम से करते हैं। इसमें घर-परिवार, राजनीति-समाज-संस्कृति- सारी बातों को समेटकर एक नया राग रचने की कोशिश होती है। विवेक निराला ने भी अपनी कविताओं से यह काम सफलतापूर्वक किया है। कविताओं में एक व्यंग्य और भावुकता का मिला-जुला संगम है। अक्सर भावुकता में भी व्यंग्य है और व्यंग्य भी भावुकता है। इसकी वजह से कविताओं में एक ख़ास क़िस्म की बहिर्मुख मुखरता अधिक गुंजायमान हो उठी है। ‘सलीका’, ‘निराला का तख़्त’, ‘चिन्तन के लिए’, ‘प्रतीक’, ‘एक अनन्तिम प्रेमकथा’ और संग्रह की बहुत सारी कविताएँ मेरे इस कथन का प्रमाण हैं। ये सारी कविताएँ मिलकर उपर्युक्त बिम्ब रचती हैं। अलग से बिम्ब-रचना का प्रयत्न इस कवि में कम है, जो इधर चलन में है। इसी से यह कवि अपना अलग व्यक्तित्व भी रचता है। बिम्ब-रचना के कारण कविता में जो गहरे इशारे होते हैं और जो शब्द-संक्षिप्ति आती है, विवेक निराला उस तरह के कवि नहीं हैं। कहें, तो यह कह सकते हैं कि वे अभिधा के कवि हैं और मैथिलीशरण गुप्त, माखनलाल चतुर्वेदी,नवीन, भवानी प्रसाद मिश्र और कुछ-कुछ रघुवीर सहाय की परम्परा में आते हैं। उनमें परम्परा से विचलन नहीं उसी की सम्पुष्टि और बढ़ोतरी है। उम्मीद करता हूँ कि वे अपने कवि का विकास अपनी ही तरह करने में सफल होंगे। - दूधनाथ सिंह
Neem Ka Shahad
- Author Name:
Rajvardhan Azad
- Book Type:

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Description:
हिन्दी कविता के क्षेत्र में राजवर्धन आज़ाद का प्रवेश एक सुखद संयोग है। एक कुशल नेत्र चिकित्सक यहाँ समर्थ कवि के रूप में प्रकट हुआ है। कवि कर्म का सम्बन्ध हृदय से भी है। जो व्यक्ति मनुष्य की आँखों की रोशनी लौटाता है, वह हृदय से कितना संवेदनशील होगा इसका प्रमाण यह कविता-संग्रह है।
‘नीम का शहद’ कवि डॉ. राजवर्धन आज़ाद के अनुसार एक नवीन प्रयोगधर्मिता का उदाहरण है। अपनी भावनाओं को सूत्रों में अभिव्यक्त करना या यूँ कहें कि कम शब्दों में अधिक भावों को व्यक्त करना है—‘ज़िन्दगी है उल्फ़त/जिनकी है क़िस्मत/जिनके हैं ख़ादिम/उनकी है जन्नत।’
मुक्त छंद के कवि डॉ. आज़ाद की भावनाएँ सूक्ष्म हैं। कविता के केन्द्र में मनुष्य का जीवन है। विभिन्न भाव-भंगिमाओं से परिपूर्ण डॉ. आज़ाद की कविताएँ पृथ्वी से जन्नत तक की उड़ान भरती हैं। व्यक्ति, परिवार, समाज, राज्य, देश-विदेश की गतिविधियाँ कविता के मुख्य सरोकारों में शामिल हैं। प्रकृति, प्रवृत्ति, परछाईं, पीढ़ियाँ, परिवार, परमेश्वर के साथ स्व से शिखर तक डॉ. आज़ाद की कविताओं में उपस्थित हैं। देश एवं देश की परिस्थितियों को लेकर डॉ. आज़ाद चिन्तित रहते हैं। उनकी चिन्ता यह भी है कि जिनके कंधों पर देश को विकसित करने की जिम्मेवारी है, वे स्वयं बीमार हैं। अर्थात अयोग्य हैं। ‘बीमार है मुल्क’ कविता में वे लिखते हैं—‘बीमार है मुल्क/बीमार हैं कुर्सियाँ/बीमार हकीम से/हम दवा पूछ रहे हैं।’
उनकी कविता दुनिया में हो रहे पल-पल बदलाव की ख़बर रखती है। साथ ही संस्कृति के अवमूल्यन के प्रति सचेत भी करती है। एक कवि संवेदनशील संस्कृतिकर्मी भी होता है, इसलिए संस्कृति के अवमूल्यन से उनका चिन्तित होना स्वाभाविक है। संस्कृति के विभिन्न केन्द्रों का विपरीत व्यवहार डॉ. आज़ाद जैसे संवेदनशील एवं कर्मशील कवि को सोचने पर विवश कर देता है। उन्हीं के अनुसार—‘रक्षक बने भक्षक/मित्र बने तक्षक/संस्कृति हुई तार-तार/तस्कर बने परीक्षक।’
डॉ. राजवर्धन आज़ाद हिन्दी के अतिरिक्त अंग्रेज़ी में भी कविता लिखते हैं। इनकी संवेदनशीलता तमाम विधाओं में मानवीयता के अत्यंत क़रीब है। ‘नीम का शहद’ कवि हृदय व्यक्तियों के लिए ‘नीम’ और ‘शहद’ के गुणों से परिपूर्ण फलदायी सिद्ध होगा।
—डॉ. कल्याण कुमार झा
Pratinidhi Kavitayen : Amrita Pritam
- Author Name:
Amrita Preetam
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- Description: पंजाबी की शीर्षस्थ रचनाकार अमृता प्रीतम की कविताओं ने न केवल हिन्दी, बल्कि अन्य भारतीय और विदेशी भाषाओं के पाठकों के बीच पर्याप्त लोकप्रियता अर्जित की है। उनकी कविताओं में जीवन के छोटे-छोटे अनुभवों को जितनी आत्मीयता और लगाव के साथ ग्रहण किया गया है, वह निश्चय ही उनके रचनाकार की महती उपलब्धि है। समुद्र के समान हिलोरें खाती विराट जिजीविषा ने अमृता प्रीतम की कविताओं को गहरे लौकिक सन्दर्भ प्रदान किए हैं, रंग-बिरंगी प्रकृति और मानवीय भावनाओं के रागात्मक टकराव से उद् भुत उनकी कल्पनाशक्ति ने रचनात्मकता की नई ऊँचाइयाँ हासिल की हैं। स्मृतियों के नीले आकाश में घुमड़ते बादलों-सी इन कविताओं में नारी की मुक्ति-आकांक्षा और उसके संघर्ष की बड़ी मार्मिक अभिव्यक्ति हुई है। अमृता प्रीतम की प्रतिनिधि कविताओं का यह संग्रह पंजाबी और हिन्दी कविता के बीच रचनात्मक संवाद का जीवन्त वाहक सिद्ध होगा।
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