Kaise Chand Lafzon Mein Saara Pyaar Likhun
Author:
Dinesh GuptaPublisher:
Author'S Ink PublicationsLanguage:
HindiCategory:
Poetry0 Reviews
Price: ₹ 127.5
₹
150
Available
"कैसे चंद लफ्ज़ों में सारा प्यार लिखूँ" एक कविता-संग्रह है, जिसमें प्यार मुहब्बत विषय पर कविता, शायरी, गीत और ग़ज़लें सम्मिलित है |
ISBN: 9788192955537
Pages: 120
Avg Reading Time: 2 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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सूर के कृष्ण-प्रेम तथा भक्ति के सागर ‘सूरसागर’ का सबसे मूल्यवान मोती है ‘भ्रमरगीत’ जिसमें सूरदास के हृदय से निकली अपूर्व रसधारा बही है। ‘भ्रमरगीत सार’ के संकलन-सम्पादन का कार्य आचार्य शुक्ल ने 1920 में शुरू किया था, लेकिन ठीक से पूरा होने में इसे कुछ समय लगा। लगभग चार सौ पदों के इस संचयन में उस समय कुछ पुनरुक्ति दोष भी रह गया था जिसे पुस्तक की लोकप्रियता और लगातार बढ़ती माँग के चलते, ठीक करने का समय आचार्य नहीं जुटा पाए थे।
प्रस्तुत संस्करण वरिष्ठ आलोचक और आचार्य शुक्ल के समीप रहे विश्वनाथ प्रसाद मिश्र द्वारा सम्पादित है। सो इसमें नए पाठकों की सुविधा के लिए कुछ और टिप्पणियाँ भी जोड़ दी गई हैं, जिन्हें हम ‘चूर्णिका’ शीर्षक से पुस्तक के अन्त में पाएँगे।
आचार्य शुक्ल के शब्दों में सूरदास का प्रेम-पथ ‘लोक से न्यारा’ है। गोपियों के प्रेम-भाव की गम्भीरता उद्धव के ज्ञान-गर्व को मिटाती हुई दिखाई पड़ती है। वह भक्ति की एकान्त साधना का आदर्श प्रतिष्ठित करती जान पड़ती है, लोकधर्म के किसी अंग का नहीं। सूरदास सच्चे प्रेम-मार्ग के त्याग और पवित्रता को ज्ञान-मार्ग के त्याग और पवित्रता के समकक्ष खड़ा करने में सफल रहे हैं। साथ ही, उन्होंने उस त्याग को रागात्मिका वृत्ति द्वारा प्रेरित दिखाकर भक्ति या प्रेम-मार्ग की सुगमता भी प्रतिपादित की है।
पदों के प्रामाणिक पाठ के साथ आचार्य शुक्ल की सुदीर्घ व्याख्या इस पुस्तक को सूर के प्रेम-पक्ष की मूल्यवान विवेचना का रूप देती है, जो मध्यकालीन काव्य, विशेषकर भक्तिधारा के अध्येताओं के साथ ही भाव-प्रेमी पाठकों के लिए भी आनन्द का स्रोत सिद्ध होती है।
Praan Mere
- Author Name:
Anil Kumar Pathak
- Book Type:

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अनिल कुमार पाठक की नवीनतम काव्य-कृति ‘प्राण मेरे’ उनकी पूर्व काव्य-कृतियों ‘गीत, मीत के नाम’ तथा ‘अप्रतिम’ की परम्परा में मोहक प्रेम-गीतों का एक विलक्षण संग्रह है। पूर्ववर्ती गीत-संग्रहों की ही भाँति इस संग्रह के गीतों में भी प्रेम, संकुचित स्वरूप का परित्याग कर विस्तार के उद्दीप्त शाश्वत भाव के साथ विभिन्न अर्थ-संकेतों तथा अर्थ-सन्दर्भों के रूप में उपस्थित है। भावनाओं की व्यापकता एवं उसमें निहित चेतना-तत्त्व से युक्त प्रेम के स्निग्ध स्वरूप को कवि ने इस सुकृति की भूमिका में अनन्य भाव से परिभाषित किया है।
उन्होंने समाज में व्याप्त प्रेम विषयक विभिन्न भ्रान्तियों, जो प्रेम के शाश्वत स्वरूप को सीमित करती हैं, के सम्बन्ध में निराकरण प्रस्तुत करते हुए अपनी दृष्टि से इनकी गहन व्याख्या भी की है। कवि की यही दृष्टि इस संग्रह के गीतों में प्रतिध्वनित होती है।
Kuchh Aur Nazmein
- Author Name:
Gulzar
- Book Type:

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गुलज़ार के गीत हिन्दी फ़िल्मों की गीत परम्परा में अपनी पहचान ख़ुद हैं, प्रवृत्ति के साथ उनके कवि का जैसा अनौपचारिक और घरेलू रिश्ता है, वैसा और कहीं नहीं मिलता। जितने अधिकार से गुलज़ार क़ुदरत से अपने कथ्य और मन्तव्य के सम्प्रेषण का काम लेते रहे हैं, वैसा भी और कोई रचनाकार नहीं कर पाया है। न फ़िल्मों में और न ही साहित्य में।
इस किताब में वे नज़्में शामिल हैं जिनमें से ज़्यादातर को आप इस किताब में ही पढ़ सकते हैं, यानी कि ये गीतों के रूप में फ़िल्मों के मार्फ़त आप तक कभी नहीं पहुँचीं। इसमें गुलज़ार की कुछ लम्बी नज़्में भी शामिल हैं, कुछ छोटी और कुछ बहुत छोटी जिन्हें उन्होंने ‘त्रिवेणी’ नाम दिया है। इनको पढ़ना एक अलग ही तजुर्बा है।
Pani Bheetar Aag
- Author Name:
Rajesh Pal
- Book Type:

- Description: poetry
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