Jhukna Kisi Ko Ropna Hai

Jhukna Kisi Ko Ropna Hai

Language:

Hindi

Category:

Poetry

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नब्बे के बाद की हिन्दी कविता को कवियों की जिस पीढ़ी ने अपने सरोकारी एवं सतत लेखन से सँवारा-बनाया है उनमें श्रीप्रकाश शुक्ल एक महत्त्वपूर्ण कवि हैं। उनकी कविताई का विस्तार तीन दशकों में फैला हुआ है, लेकिन इसकी खासियत है इसका सातत्य। 1999 में श्रीप्रकाश शुक्ल का पहला संग्रह ‘अपनी तरह के लोग’ के आने से लेकर 2022 में सातवें संग्रह ‘वाया नई सदी’ तक की यात्रा में एक निरन्तरता है। ये कृतियाँ क्रमशः संस्कृति, दर्शन और राजनीतिक चेतना की धुरी पर अपने समय को कातती हैं। इनके पूरे परिस्पन्द के बीच एक चीज सर्वनिष्ठ है और वह है लोकभाषा और जनपदीयता।
बनारस अंचल श्रीप्रकाश शुक्ल की कविताओं की शिराओं में रक्त बनकर दौड़ रहा है। सोनभद्र, मिर्जापुर, प्रयाग और गाजीपुर का ‘लोकेल’ उनकी कविता में बुनियाद की तरह बिछा हुआ है। उनकी कविताओं पर इस क्षेत्र की लोककथाओं, लोक धुनों और गीतों का गहरा असर है। आख्यान-परम्परा का तो सबसे गहरा और व्यापक। श्रीप्रकाश शुक्ल की आख्यान शैली में लोक और शास्त्र दोनों में मौजूद दन्तकथाओं, किंवदन्तियों और मिथकीयता के आधुनिक सन्दर्भों का काव्यमय सन्धान अद्भुत और व्यापक है।
लोककथाओं व मिथकीय पृष्ठभूमि के साथ श्रीप्रकाश शुक्ल ने बहुत साभिप्राय लोक देवों-देवियों, लोकनायकों और अति साधारण किरदारों के साथ मामूली जगहों, पेशों, रिवाजों व चीजों को अपनी कविताओं का विषय बनाया है।

प्रशस्त इतिहासबोध और जनपदीयता के भीतर से कविता में इतिवृत्त और प्रकृति के संश्लेष के कारण श्रीप्रकाश शुक्ल इस प्रवृत्ति के प्रतिनिधि कवि हैं।

ISBN: 9789349159815

Pages: 208

Avg Reading Time: 7 hrs

Age : 18+

Country of Origin: India

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