Swapn Marte Naheen
Author:
Rajni MalhotraPublisher:
Shivna PrakashanLanguage:
HindiCategory:
Poetry0 Reviews
Price: ₹ 100
₹
125
Available
Book
ISBN: 9788190973458
Pages: 120
Avg Reading Time: 4 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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- Description: नब्बे के बाद की हिन्दी कविता को कवियों की जिस पीढ़ी ने अपने सरोकारी एवं सतत लेखन से सँवारा-बनाया है उनमें श्रीप्रकाश शुक्ल एक महत्त्वपूर्ण कवि हैं। उनकी कविताई का विस्तार तीन दशकों में फैला हुआ है, लेकिन इसकी खासियत है इसका सातत्य। 1999 में श्रीप्रकाश शुक्ल का पहला संग्रह ‘अपनी तरह के लोग’ के आने से लेकर 2022 में सातवें संग्रह ‘वाया नई सदी’ तक की यात्रा में एक निरन्तरता है। ये कृतियाँ क्रमशः संस्कृति, दर्शन और राजनीतिक चेतना की धुरी पर अपने समय को कातती हैं। इनके पूरे परिस्पन्द के बीच एक चीज सर्वनिष्ठ है और वह है लोकभाषा और जनपदीयता। बनारस अंचल श्रीप्रकाश शुक्ल की कविताओं की शिराओं में रक्त बनकर दौड़ रहा है। सोनभद्र, मिर्जापुर, प्रयाग और गाजीपुर का ‘लोकेल’ उनकी कविता में बुनियाद की तरह बिछा हुआ है। उनकी कविताओं पर इस क्षेत्र की लोककथाओं, लोक धुनों और गीतों का गहरा असर है। आख्यान-परम्परा का तो सबसे गहरा और व्यापक। श्रीप्रकाश शुक्ल की आख्यान शैली में लोक और शास्त्र दोनों में मौजूद दन्तकथाओं, किंवदन्तियों और मिथकीयता के आधुनिक सन्दर्भों का काव्यमय सन्धान अद्भुत और व्यापक है। लोककथाओं व मिथकीय पृष्ठभूमि के साथ श्रीप्रकाश शुक्ल ने बहुत साभिप्राय लोक देवों-देवियों, लोकनायकों और अति साधारण किरदारों के साथ मामूली जगहों, पेशों, रिवाजों व चीजों को अपनी कविताओं का विषय बनाया है। प्रशस्त इतिहासबोध और जनपदीयता के भीतर से कविता में इतिवृत्त और प्रकृति के संश्लेष के कारण श्रीप्रकाश शुक्ल इस प्रवृत्ति के प्रतिनिधि कवि हैं।
Aawazon Ke Ghere
- Author Name:
Dushyant Kumar
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Description:
अपने आप से, अपने परिवेश और व्यवस्था से नाराज़ कवि के रूप में दुष्यन्त कुमार की कविताएँ हिन्दी का एक आवश्यक हिस्सा बन चुकी हैं। आठवें दशक के मध्य और उत्तरार्ध में अपनी धारदार रचनाओं के लिए बहुचर्चित दुष्यन्त जिस आग में होम हुए, उसे उनकी रचनाओं में लम्बे समय तक महसूस किया जाता रहेगा।
‘आवाज़ों के घेरे’ दुष्यन्त कुमार का एक ज़रूरी कविता-संग्रह है। इसमें धुआँ-धुआँ होती उस शख़्सियत को साफ़ तौर पर पहचाना जा सकता है, जिसे दुष्यन्त कहा जाता है। समग्रत: ये विरोध की कविताएँ हैं लेकिन रचनात्मक स्तर पर कवि का यह विरोध व्यवस्था से अधिक अपने आप से है, जहाँ व्यक्ति न होकर वह एक वर्ग है—मुट्ठियों को बाँधता और खोलता। बाँधना, जो उसकी ज़रूरत है और खोलना, मजबूरी। एक प्रकार की निरर्थकता और ठहराव का जो बोध इन कविताओं में है, वह सार्थक और गतिशील होने की गहरी छटपटाहट से भरा हुआ है। स्पष्टत: कवि का यही द्वन्द्व और छटपटाहट इन कविताओं का रचनाधाय है, जिसे सहज और सार्थक अभिव्यक्ति मिली है।
दुष्यन्त लय के कवि हैं, इसलिए मुक्तछन्द होकर भी ये कविताएँ छन्दमुक्त नहीं हैं। साथ ही यहाँ उनके कुछ गीत भी हैं और बाद में सामने आई बेहतरीन ग़ज़लों की आहटें भी। संक्षेप में, यह संग्रह दुष्यन्त की असमय समाप्त हो गई काव्य-यात्रा का एक महत्त्वपूर्ण पड़ाव है।
Yah Mera Hi Ansh Hai
- Author Name:
Ravindra Bharti
- Book Type:

- Description: रवीन्द्र भारती की कविताओं में चारों ओर की वास्तविकताओं से मनुष्य के लिए रचनात्मक संस्कार खोजने की शक्ति दीखती है। अपनापे का यह अनुभव छायावादोत्तर रोमानी मिठास का नहीं, एक संघर्षरत मनुष्य के लौकिक-भौतिक प्रेम का अनुभव है। सबसे बड़ी बात तो यह है कि उनकी कविता उन दृश्यों को भी साकार कर देती है, जो उसमें लिखे नहीं गए, परन्तु छाया की भाँति इसके तथ्यों से निसृत हैं। कई आयामों को एक में समाहित कर सकने की यह सामर्थ्य आज की कविता में दुर्लभ ही है। रवीन्द्र भारती की कविताएँ गाँव, घर, खेत, लोग आदि सबके दृश्यमान यथार्थ के पीछे करुणा के आयामों को खोलती और सम्पूर्ण अनुभव के आयामों को गहरा करती हैं। आज के दौर में जहाँ सरल भाषा में दुरूह कविता खुलेआम स्वीकृत की जा रही है, वहाँ यह कवि सरल भाषा में गहराई का अन्वेषण कर रहा है और भावुकता को आत्मदया बनाने से बचता हुआ सहानुभूति को व्यापक अर्थ देकर काव्य-भाषा को समृद्ध कर रहा है। रघुवीर सहाय; ‘रविवार’, 15-21 नवम्बर, 1987 रवीन्द्र भारती ने इतनी तीव्र और मर्मान्तक संवेदना से अपने अनुभवों को जो काव्यात्मक अभिव्यक्ति दी है, उसने मुझे बराबर प्रभावित किया है। गाँव के अनुभवों की जो सम्पदा आप अपने भीतर समोए हैं, वह अथाह जान पड़ती हैं—और जब उनमें से कुछ को चुनकर अभिव्यक्त करते हैं—बिलकुल अपने निजी मुहावरे में तो लोग, लैंडस्केप और चारों तरफ़ की पीड़ा का प्रदेश आलोकित हो उठता है। —निर्मल वर्मा; पत्रांश, 10.5.1981
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