Fiza Ke Samandar Mein

Fiza Ke Samandar Mein

Authors(s):

Ramswaroop Kisan

Language:

Hindi

Pages:

136

Country of Origin:

India

Age Range:

18-100

Average Reading Time

272 mins

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Book Description

ग्रामीण जीवन के अनूठे चित्र और मनुष्य के संसार के ऐसे बिम्ब जिन पर सामान्यतः हमारी निगाह कम ही ठहरती है, रामस्वरूप किसान की कविताओं में बहुतायत से मिलते हैं।</p> <p>म‌िसाल के तौर पर इस संग्रह की पहली ही कविता-शृंखला ‘पीठ’ को लिया जा सकता है जिसमें कुल सोलह कविताएँ शामिल हैं। ‘पीठ एक कारुणिक क्षेत्र’ है जिसे देखकर कवि-मन बार-बार कभी अपने भीतर और कभी बाहर की ओर एक प्रश्नाकुल चिन्तन-यात्रा पर निकल जाता है।</p> <p>‘फ़िज़ा के समन्दर में’ शीर्षक कविता-शृंखला की ग्यारह कविताएँ पुनः कवि की विशिष्ट दृष्टि का पता देती हैं जिसमें प्रेम के लिए घर से भागती हुई लड़की हमें और हमारे समाज को पुनः पुनः सवालों के घेरे में खड़ा कर देती है—</p> <p><em>यह रहा/तुम्हारा दूल्हा/साथ-साथ रहोगे तो/प्यार हो जाएगा/पापा ने कहा।...नहीं</em><em>, ऐसा कहो पापा/यह रहा तुम्हारा प्यार/सा‌थ-साथ रहोगे/तो दूल्हा हो जाएगा।</em></p> <p>संग्रह में शामिल अधिकांश कविताएँ इसी तरह पाठक को सहसा चौंका देती हैं और हमारी देखी जानी चीज़ों को नये ढंग से हमारे सामने ला देती हैं।</p> <p><em>आम जन-जीवन के दैनन्दिन दुखों</em><em>, व्यवस्था-जनित असहायताओं और मनुष्य की आन्तरिक और बाह्य पीड़ाओं के साथ इन कविताओं की राजनैतिक चेतना भी मुखर रूप में सामने आती है—</em></p> <p><em>पब्लिक लड़ती है चुनाव—पैसों से/बातों से/लातों से/भालों-बन्दूक़ों-तलवारों से/ख़ून के फ़व्वारों से/और लड़ा-लड़ाया चुनाव/उनके गले में डाल देती है.../वे चुनाव नहीं लड़ते/वे तो पहनते हैं चुनाव। </em>

hindi kavitaye
Ramswaroop Kisan

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