
Ant Anant
Author:
Suryakant Tripathi 'Nirala'Publisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Poetry0 Reviews
Price: ₹ 200
₹
250
Unavailable
यह संकलन सम्पूर्ण निराला-काव्य का परिचय देने के लिए नहीं, बल्कि इस उद्देश्य से तैयार किया गया है कि इससे पाठकों को उसकी मनोहर तथा उदात्त झाँकी-भर प्राप्त हो, जिससे वे उसकी ओर आकृष्ट हों और आगे बढ़ें।</p>
<p>निराला की ख़ासियत क्या है? वे प्रचंड रूमानी होते हुए भी क्लासिकी हैं, भावुक होते हुए भी बौद्धिक, क्रान्तिकारी होते हुए भी परम्परावादी तथा जहाँ सरल हैं, वहाँ भी एक हद तक कठिन। उनकी अपनी शैली है, अपनी काव्य-भाषा। अभिव्यक्ति की अपनी भंगिमाएँ और मुद्राएँ।</p>
<p>यह सर्वथा स्वाभाविक है कि उनके निकट जानेवाले पाठकों से यह अपेक्षा की जाए कि उनका काव्यानुभव बच्चन, दिनकर या मैथिलीशरण गुप्त तक ही सीमित न हो। जब वे किंचित् प्रयासपूर्वक उक्त कवियों से हटकर उनके काव्य-लोक में प्रवेश करेंगे, तो पाएँगे कि उनकी तुलना में वे उनके ज़्यादा आत्मीय हैं।</p>
<p>निराला के प्रसंग में सरलता का यह मतलब क़तई नहीं है कि उनकी कविताएँ पाठकों के मन में बेरोक-टोक उतर जाएँ। कारण यह है कि उनके लिए काव्य-राचन सशक्त भावनाओं का मात्र अनायास विस्फोट नहीं था, बल्कि वे अपनी प्रत्येक कविता को किंचित् आयासपूर्वक पूरी बौद्धिक सजगता के साथ गढ़ते थे। स्वभावतः उनकी सम्पूर्ण अभिव्यकि कलात्मक अवरोध से युक्त है, जिसे ग्रहण करने के लिए थोड़ा धैर्य और श्रम आवश्यक है।</p>
<p>इस पुस्तक में निराला के काव्य-विकास की तीनों अवस्थाओं—पूर्ववर्ती, मध्यवर्ती और परवर्ती—की सौ चुनी हुई सरल कविताएँ संकलित की गई हैं, प्राय रचना-क्रम से। आरम्भिक दोनों अवस्थाओं में सृजन के कई-कई दौर रहे हैं, कविता और गीत के, जिसकी सूचना अनुक्रम से लेकर पुस्तक के भीतर सामग्री-संयोजन तक में दी गई है।</p>
<p>पाठक मानेंगे कि यह कविता की एक नई दुनिया है, अधिक आत्मीय और प्रत्यक्ष, जिसे भाषा सजाती नहीं बल्कि अपनी भीतरी शक्ति से खड़ी करती है।
ISBN: 9788126725939
Pages: 148
Avg Reading Time: 5 hrs
Age : 18+
Country of Origin: India
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उर्दू की मशहूर शायरा मोहतरमा फ़हमीदा रियाज ने कहा : तारीख़ ने ख़िलक़त को तो क़ातिल ही दिए, ख़िलक़त ने दिया है उसे ‘जालिब’ सा जवाब। और इस शे’र के साथ एक ऐसे शायर की तस्वीर हमारे सामने आती है जिसने अपनी सारी ज़िन्दगी समाज के दबे-कुचले लोगों के नाम कर दी थी। यहाँ हमें ऐसा शायर नज़र आता है जो बार-बार सलाख़ों के पीछे डाला गया, जिसकी एक क्या, तीन-तीन किताबें ज़ब्त की गईं, पासपोर्ट ज़ब्त किया गया, जिस पर झूठा आरोप लगाकर एक साज़िश के तहत मुक़दमे में फँसाया गया, जिसका एक बच्चा दवा-दारू के बिना मरा, और फिर भी जब वह जेल जाता है तो अपनी बीमार बच्ची के नाम सन्देश देकर जाता है कि आनेवाला दौर नई
नस्ल का ही होगा : मेरी बच्ची, मैं आऊँ न आऊँ, आनेवाला ज़माना है तेरा। इतना ही नहीं, जब-जब उसे सत्ता की ओर से प्रलोभन दिए गए, उसने उन्हें ठुकराने में एक पल की देर नहीं की।
हबीब जालिब की शायरी के बारे में कुछ कहना गोया सूरज को चिराग़ दिखाने के बराबर होगा। हम तो इतना ही जानते हैं कि ‘मज़ाज’ ने 1952 में ही भविष्यवाणी कर दी थी कि ‘जालिब अपने अहद का एक बड़ा शायर होगा’, ‘फ़िराक़’ ने साफ़ तौर पर कहा कि ‘सूरदास का नग़्मा और मीराबाई का खोज अगर यकजा हो जाएँ तो हबीब जालिब बनना है,’ और सिब्ते-हसन, इन्तज़ार हुसैन समेत बहुत सारे अदीबों और जनसाधारण को जालिब ‘नज़ीर’ अकबराबादी के बाद उर्दू के अकेले जनकवि नज़र आते हैं। फिर हज़रत ‘जिगर’ मुरादाबादी ने जो दाद दी, वह खुद ही दाद के क़ाबिल है। फ़रमाया, “हमारा ज़मान-ए-मैनोशी होता तो हम जालिब की ग़ज़ल पर सरे-महफ़िल ख़रा कराते।”
ऐसे ही शायर का यह एक भरा-पूरा प्रतिनिधि संकलन है, जिसे पाठक सँजोकर रखना चाहेंगे।
Thoda-Thoda Punna Thoda-Thoda Paap
- Author Name:
Kedar
- Book Type:
-
Description:
परिपक्व जीवन-अनुभवों और भाषा की गहरी समझ के साथ लिखी गई ये कविताएँ लोकजीवन की आत्मीय छवियों और सामाजिक सरोकारों से उपजी ज़िम्मेदार दृष्टि की परिचायक हैं।
केदार जानते हैं कि ‘एक पूरी ज़िन्दगी लिखना नहीं ठट्ठा-हँसी है / खीर है टेढ़ी’—ये कविताएँ ज़िन्दगी को लिखने के इसी कठिन उद्यम से निर्मित हुई हैं। इन कविताओं का कवि किसी धारा से बाँधा हुआ नहीं है। अनुभूति की प्रामाणिकता और परिवेश की पुनर्रचना केदार के काव्यात्म को एक सघन आयाम देते हैं। बचपन से लेकर जीवन के विभिन्न चरणों के विशिष्ट अनुभव इन कविताओं में उतरे हैं तो बतौर मनुष्य स्वयं से साक्षात्कार से लेकर समाज की स्थूल परिधियों और वहाँ मौजूद विसंगतियों तक उनकी दृष्टि जाती है।
‘सर्कस’, ‘होमवर्क’ और ‘कक्षा’ जैसी पारदर्शी कविताएँ जो बचपन का उत्सव मनाती हुईं हमें अपने सहज छन्द-प्रवाह से निर्भार करती हैं तो ‘नसीहत’ और ‘चिट्ठीरसैन’ जैसी कविताएँ हमें सोच के एक भिन्न और गम्भीर स्तर पर ले जाती हैं।
‘एक-एक शब्द की / चुकानी पड़ती क़ीमत / बहुत जलता लहू / हाथ, उस दिन ख़ाली हो जाता / शब्दों में जिस दिन कुछ / उतरता’—कहने वाले केदार अभिव्यक्ति का दायित्व भी जानते हैं और मूल्य भी।
Kavita Abhi Zinda Hai
- Author Name:
Rameshraaj
- Book Type:
- Description: रमेशराज की मुक्तछंद कविताएँ
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