Amrit Manthan
Author:
Ramdhari Singh DinkarPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Poetry0 Reviews
Price: ₹ 200
₹
250
Unavailable
‘अमृत मंथन’ राष्ट्रकवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की ओजस्वी कविताओं का संकलन है।</p>
<p>इस पुस्तक में दिनकर जी की कुछ कविताएँ 1945 से 1948 के बीच लिखी गई थीं, जो तत्कालीन परिस्थितियों की दस्तावेज़ हैं तथा राष्ट्रकवि की जनहित के प्रति प्रतिबद्ध मानसिकता को हमारे सामने लाती हैं।</p>
<p>इन कविताओं में जहाँ देश के विराट व्यक्तित्वों के प्रति कवि का श्रद्धा-निवेदन है, वहीं कुछ कविताओं में उत्कट देश-प्रेम की ओजस्वी अभिव्यक्ति है। कुछ कविताएँ देशी एवं विदेशी कवियों की उत्कृष्ट रचनाओं का सरस अनुवाद हैं तो कुछ कविताओं में निसर्ग का सुन्दर चित्रण है।</p>
<p>इन कविताओं की विशेषता है—इनकी प्रांजल, प्रवाहमयी भाषा, उच्चकोटि का छंद-विधान और सहज भाव-सम्प्रेषण।</p>
<p>हिन्दी काव्य के स्वर्ण-युग की यात्रा करने के लिए यह पुस्तक उत्तम साधन है।
ISBN: 9788180313363
Pages: 192
Avg Reading Time: 6 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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कहीं मुझमें ही हो तुम
शारदीय नदी के जल में
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किताबों के पन्नों में
छिपी सार्थक बातों की तरह
कहीं मुझमें ही हो तुम।
सूने कैनवास पर
उभरने वाले रंगों की तरह
कहीं मुझमें ही हो तुम।
इस तरह कवि अपने काव्य-कौशल के सहारे बड़ी सटीक और सूक्ष्म अन्तर्वृत्तियों का चित्रांकन करता है। प्रस्तुत संकलन का महत्त्व इस दृष्टि से भी है कि इसके द्वारा पाठक को भावनात्मक पोषण प्राप्त होता है। वह बुद्धि तथा भावना के सन्तुलन को साधता है। इस संकलन की भाषा अपनी अभिव्यंजना में बेहद सटीक और परिपक्व है। इसमें किसी तरह का छद्म नहीं है। वह अपनी सहजता से भी पाठक को मुग्ध करती है। —पुरोवाक् से
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- Description: 1945 में जापान के आधिपत्य से मुक्ति के बाद आधुनिक कोरियाई समाज देश विभाजन तथा सैनिक सत्ता द्वारा जनतांत्रिक अधिकारों के हनन से उत्पन्न संकटों से लगातार जूझता रहा है। इसलिए आज की कोरियाई कविता मूलत: प्रतिरोध की कविता है लेकिन अपनी संस्कृति और जड़ों से गहरे लगाव के चलते इसने प्रतिरोध को अपनी परम्परा के बीच अनोखे ढंग से विकसित किया है। हिन्दी में प्रकाशित समकालीन कोरियाई कविता का यह पहला ऐसा संकलन है, जिससे गुज़रते हुए पाठक न केवल एशियाई कविता के एक विशिष्ट स्वरूप से परिचित होते हैं, बल्कि एक महान राष्ट्र की जातीय, सामाजिक तथा सांस्कृतिक अस्मिता की झलक भी पाते हैं।
Kahin Door Jakar Dam Todne Ka Man Hota Hai
- Author Name:
Saumitr
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