Dhoop Ka Tukara Tera Hai
Author:
Shikha GuptaPublisher:
Prabhat PrakashanLanguage:
HindiCategory:
Poetry0 Reviews
Price: ₹ 200
₹
250
Unavailable
कविता वही है, जो अपने सारे अर्थ खोले और फिर एक मौके पर कवि चुप हो जाए और पाठक बोले। कवयित्री आत्ममुग्धा चंचल नदी की तरह लिखती हैं। वह हमारे रास्ते में आनेवाली ऐसी मुश्किलों से घबराते हुए लोगों को संबल देती हैं, जो हर मोड़ पर घबराते हुए सौ-सौ बल खाने लगते हैं। हमारे जीवन की रातें कैसे हवा के परों पर सवार होकर पँखुडि़यों की सरगम पर राग-अनुराग सुनाती हैं और फिर सोचती हैं कि किस विधि मन की बात लिखूँ! सामाजिक सरोकारों से उपजे आवेगों का कवितांतरण करने में कवयित्री देर नहीं लगातीं। गली के मोड़ पर लहराता इश्तहार देखकर वह बाजार और विज्ञापन के जहर को रोकना चाहती हैं। आधुनिक समाज में वृद्धों की उपेक्षा और अपमान देखकर उनका मन भीगता है और आँखें रिसने लगती हैं।
कविता को उस अवसान के द्वार पर भी देखा जाए। शब्दों की आग को परखा जाए और उस कैनवस में इरादों की कालिख हटाकर आँखों की लाली से कुछ और ऐसा कहा जाए, जो कुंठाओं के मकड़जाल से मुक्त करे। इतिहास, पुराण, प्रकृति, हवा, प्रतीक्षा और कहना है, उसी लक्ष्मण रेखा के अंदर, जिसको हम कहते हैं—रचना-प्रक्रिया।
शिखाजी की कविताओं में संबंधों के ऐसे बुने-अधबुने नाजुक रेशे हैं, जो शायद पाठकों के पास भी हों, फिर भी कवयित्री आपको आपकी ही सौगात सौंप रही है। ऐसी कविताएँ, जो पाठकों के मन-प्राण को आह्लादित करेंगी।
ISBN: 9789352660469
Pages: 128
Avg Reading Time: 4 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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