Rang Hasi Ke
Author:
Mahesh Garg "Bedhadak"Publisher:
Prabhat PrakashanLanguage:
HindiCategory:
Poetry0 Reviews
Price: ₹ 240
₹
300
Available
हम जब भी घर गए
हम जब भी घर गए
अक्सर उधर गए
पर छत पर चाँद को
बरसों गुज़र गए
उनको पता भी है कि नहीं
किसको पता है
बुढ़ापे का सच
सर ऊपर चाँदी उगी,
याददाश्त कमज़ोर
पीठ धनुष जैसी हुई,
कच्ची उम्र की डोर
कच्ची उम्र की डोर,
दाँत ले रहे हिलोरें
छू-मंतर मुस्कान,
नज़र हुई कमज़ोर नज़र गड़ाए
बीवी कहती—हाय!
अभी से तुम सठियाए।
ISBN: 9789390372690
Pages: 144
Avg Reading Time: 5 hrs
Age : 18+
Country of Origin: India
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मैं उसे फिर वापस ले आना चाहता हूँ, उसके पाँव में काँटे चुभ जाते हैं, उसकी आँखों में अश्रु झिलमिलाने लगते हैं। यह दूरी, साथ ही यह आलिंगन की निकटता, नीरा के साथ यह खेल चलता ही रहा है जीवन-भर।”
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