Tajmahal Ka Udghatan
Author:
Ajay ShuklaPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Plays0 Reviews
Price: ₹ 159.2
₹
199
Available
ताजमहल का टेंडर तो जारी हो चुका था। चीफ़ इंजीनियर गुप्ता जी की देखरेख में उनके विश्वस्त ठेकेदार भइया जी को ठेका मिलना ही था। ठेका मिला भी और घोटाले के आरोपों के बीच काम भी शुरू हो गया। किन्तु मुग़ल शासन की समस्या का अन्त नहीं। इधर औरंगजेब ने सत्ता सँभाली और उधर दारा शिकोह उसके पीछे पड़ गया। अदालत ने हस्तक्षेप किया तो औरंगजेब की ताजपोशी ही ख़तरे में पड़ गई। अब क्या औरंगजेब को भी चुनाव लड़ना पड़ेगा? ऐसी परिस्थिति में ताजमहल का उद्घाटन कैसे होगा?
ISBN: 9788126729180
Pages: 96
Avg Reading Time: 3 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
Recommended For You
Barff
- Author Name:
Saurabh Shukla
- Book Type:

-
Description:
सही और ग़लत के बीच किसी राह की तलाश की तरह है–सौरभ शुक्ला का ‘बर्फ़’।
–‘द हिन्दू’
‘बर्फ़’ नाटक जैसा देखने में है, जितना दिखता है, उससे कहीं ज़्यादा अनुभव के स्तर पर नाटक है।
–‘टाइम्स ऑफ़ इंडिया’
सच की बेहतरीन नाट्य-प्रस्तुति।
–‘सन्डे गार्डियन’
‘बर्फ़’ जितना भयानक है उतना ही मानवीय भी है। सौरभ ने एक पतली रस्सी पर चलने जैसा ख़तरनाक काम किया है, जिसमे वे पूरी तरह सफल हुए हैं। रंगमंच की दुनिया का यह चकित करनेवाला काम है।
–सुधीर मिश्रा
Dharamguru
- Author Name:
Swarajbir
- Book Type:

- Description: यह नाटक उच्चस्तरीय बौद्धिक रचना का प्रमाण देता है। नाटककार ने पूरे धार्मिक व्यवहार पर जो कटाक्ष किया है, वह अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है। संवादों, घटनाओं तथा कार्यव्यापार के माध्यम से उभारा गया नाटकीय टकराव शिखर को छूता है। इस नाटक ‘धर्मगुरु’ की प्रस्तुति से पंजाबी नाटक नए क्षितिजों के द्वार खोलता है...। —गुरुशरण सिंह (नाटककार एवं निर्देशक) स्वराजबीर के नाटक पहली बार पंजाबी नाटक को उस नाट्य विधिविधान के साथ जोड़ते हैं जो भारतीय नाट्य रूप से जुड़ा हुआ है। यही वजह है कि ये नाटक अग्रदूत बनकर पंजाबी नाटक में पैदा हुई जड़ता को तोड़ते हैं। नाट्य-विधि के रूप में ही इनमें कविता और गद्य अन्तर्सम्बन्धित हैं। —डॉ. सुतिंदर सिंह नूर स्वराजबीर का नाटक ‘धर्मगुरु’ वर्तमान समय पर एक बड़ी टिप्पणी है जो धर्म और राजनीति की साँठ-गाँठ के माध्यम से समाज के समूचे अस्तित्व को अपनी गिरफ़्त में लेने के लिए सक्रिय है। इस समय इसकी प्रस्तुति एक साहसिक क़दम है। —‘नवांजमाना’ (दैनिक, जालंधर) यह नाटक ‘धर्मगुरु’ आज के दौर में फैले धार्मिक कठमुल्लापन और सामाजिक आपाधापी पर तीखा व्यंग्य है। तथाकथित धार्मिक नेताओं की मनमानियों और समाज की बेबसी की त्रासदी के दौर में इस नाटक का मंचन बुद्धिजीवियों और कलाकारों की बुलन्द आवाज़ और सच्चाई का प्रतीक है। —‘अजीत’ (दैनिक, जालंधर)
Teen Bahanein
- Author Name:
Anton Chekhav
- Book Type:

- Description: "तुम कहते हो, जीवन सुन्दर है...ठीक है, लेकिन उसके सुन्दर लगने से ही क्या होता है। हम तीनों बहनों के लिए अभी तक के जीवन में क्या सुन्दर है? जैसे पौधे को दीमक खा जाती है, उसी तरह हम तीनों जीवन के हाथों में घुटती रही हैं...अरे लो, मैं तो रोने भी लगी—मुझे रोना नहीं चाहिए..." "मुझे लगता है कि मनुष्य के पास एक आस्था होनी चाहिए, या और कुछ नहीं तो उसे कोई विश्वास और आस्था खोज लेनी चाहिए, वर्ना उसकी जिंदगी सूनी और खोखली हो जाएगी।...आदमी को मालूम तो होना चाहिए कि उसकी जिंदगी का अर्थ क्या है..." "प्यारी बहनों, हमारे जीवन का अन्त यहीं नहीं हो जाएगा। हम लोग जीवित रहेंगी, यह संगीत कैसा आनन्ददायक, कैसा सुखद है कि मन होता है, थोड़ी देर और चलता रहे, ताकि हम जान लें कि हम किसलिए ज़िन्दा हैं, हमें पता चल जाए कि हम दु:ख क्यों भोग रही हैं।" "काश, जो कुछ हमने जिया है, वह सिर्फ़ ज़िन्दगी का रफ़-ड्राफ़्ट होता और इसे फ़ेयर करने का एक अवसर हमें और मिलता।" चेख़व की रचनाओं की आत्मीयता, करुणा और ख़ास क़िस्म की निराश उदासी (लगभग आत्मदया जैसी) मुझे बहुत छूती है। मैं उसके प्रभाव से लगभग मोहाच्छन्न था। उसी श्रद्धा से मैंने इन नाटकों को हाथ लगाया था। रूसी भाषा नहीं जनता था, मगर अधिक से अधिक ईमानदारी से उसके नाटकों की मौलिक शक्ति तक पहुँचाना चाहता था। इसलिए तीन अंग्रेज़ी अनुवादों को सामने रखकर एक-एक वाक्य पढ़ता और मूल को पकड़ने कि कोशिश करता। आधार बनाया मॉस्को के अनुवाद को। बाद में सुना, अनुवादों को पाठकों ने पसन्द किया, अनेक रंग-संस्थानों और रेडियो इत्यादि ने इन्हें अपनाया, पाठ्यक्रम में भी उन्हें लिया गया। —राजेन्द्र यादव
Chaturbhani
- Author Name:
Motichandra +1
- Book Type:

-
Description:
'चतुर्भाणी’ एक विलक्षण क्लैसिक है : मूल में बोलचाल की संस्कृत और लोक-जीवन की छटाओं का रोचक और नाटकीय इज़हार है और अनुवाद में बनारसी बोली का चटपटा रस-भाव। बरसों पहले ब.व. कारन्त ने उज्जैन के कालिदास समारोह के लिए 'चतुर्भाणी’ की रंग-प्रस्तुति की थी। डॉ. मोतीचन्द्र द्वारा अनूदित और डॉ. वासुदेवशरण अग्रवाल द्वारा विस्तार से समझाई गई इस कृति को नए संस्करण में प्रस्तुत करते हुए हमें गहरा सन्तोष है। भारतीय परम्परा की दुर्व्याख्या के इस अभागे समय में यह कृति याद दिलाती है कि हमारी परम्परा में कैसी रसिकता और लोक-जीवन का उन्मुक्त रचाव रहा है जो कहीं से भी किसी संकीर्णता में बाँधा नहीं जा सकता।
—अशोक वाजपेयी
Jab Shahar Hamara Sota Hai
- Author Name:
Piyush Mishra
- Book Type:

-
Description:
राबर्ट वाइज़ द्वारा निर्देशित, आर्थर लॉरेंट्ज द्वारा लिखित, जेरोम डी. रॉबिंस द्वारा नृत्य-संयोजित, नियोनिद बार्नस्टीन द्वारा संगीत और स्टीवन सोंघीम द्वारा लिखे गए गीतों से सुसज्जित फ़िल्म ‘वेस्ट साइड स्टोरी’ सिर्फ़ अपने दस ऑस्कर अवाडर्स की भीड़ की वजह से ही प्रसिद्ध नहीं है, बल्कि विलियम शेक्सपियर के ‘रोमियो एंड जूलियट’ से प्रेरित यह ब्राडवे म्यूजिकल क्लासिक कई मायनों में दुनिया के आधुनिक थिएटर इतिहास में मील का पत्थर मानी जाती है। ‘एक्ट-वन’ ने अपना अगला नाटक चुन लिया था जिसे नाटक से अधिक दुस्साहस कहना उचित होगा। ‘वेस्ट साइड स्टोरी’ का नया नामकरण हुआ...‘जब शहर हमारा सोता है’।
नाटक पढ़ा गया। फ़िल्म देखी गई। और गद्गद होने की प्रक्रिया से उबरने के बाद सर्वसम्मति से फ़ैसला हुआ कि अब इस स्क्रिप्ट को एक तरफ़ रख दिया जाए। हमारी स्क्रिप्ट हमारी होगी जिसमें हमारे चरित्र होंगे, हमारी सिचुएशंस होंगी, हमारे दृश्य होंगे, हमारे गीत और संगीत के साथ हमारा अपना हिन्दुस्तान होगा।
आज से चार सौ साल पहले ईस्ट इंडिया कम्पनी के आगमन के परिणामों को भोगता हुआ हमारा ख़ूबसूरत मुल्क 1947 और 1984 को छूता हुआ आज जब गोधरा से एक क़दम आगे जाने की छटपटाहट से गुज़र रहा है, तो ‘शहर...’ के ज़िन्दा होने का अहसास पहले से भी ज़्यादा मुखर और प्रखर हो जाता है।
Yahudi Ki Ladki
- Author Name:
Agha Hashra Kashmiri
- Book Type:

- Description: जब-जब पारसी थिएटर का ज़िक्र होता है, आगा हश्र कश्मीरी का नाम अपने आप ज़बान पर आ जाता है। आगा हश्र कश्मीरी उर्दू और हिन्दी—दोनों ही रंगमंचों पर समान रूप से छाए रहे हैं और अब वे नाटक की दुनिया में क्लासिक बन चुके हैं। ‘यहूदी की लड़की’ आगा हश्र का एक बहुचर्चित नाटक है। एक पुरानी फ़िल्म ‘यहूदी’ की पटकथा इसी नाटक पर आधारित है। इस नाटक के माध्यम से आगा हश्र कश्मीरी ने यहूदियों पर होनेवाले रोमनों के अत्याचार को उभारकर धर्मान्धतावाद, सत्ता के अहंकार तथा मानवीय भावनाओं की विजय का मनोरम आख्यान प्रस्तुत किया है। आज जबकि साम्प्रदायिकता अपनी चरम सीमा पर पहुँच गई है और सत्ता का दमन-चक्र तीव्र से तीव्रतर होता जा रहा है, इस नाटक की प्रासंगिकता और बढ़ गई है।
Madhavi
- Author Name:
Bhisham Sahni
- Book Type:

-
Description:
प्रख्यात लेखक भीष्म साहनी का यह तीसरा नाटक ‘माधवी’ महाभारत की एक कथा पर आधारित है। ऋषि विश्वामित्र का शिष्य गालव अपनी शिक्षा समाप्ति के समय गुरु-दक्षिणा देने की हठ करता है और विश्वामित्र उसके हठी स्वभाव से क्रुद्ध होकर आठ सौ अश्वमेधी घोड़े माँग लेते हैं। अश्वमेधी घोड़ों की खोज में भटकता हुआ गालव अन्त में दानवीर राजा ययाति के आश्रम में पहुँचता है। राज-पाट से निवृत्त राजा ययाति गालव की प्रतिज्ञा सुनकर असमंजस में पड़ जाते हैं, किन्तु वे दैवी गुणों से युक्त अपनी एकमात्र पुत्री माधवी को, यह कहकर उसे सौंप देते हैं कि जहाँ कहीं किसी भी राजा के पास आठ सौ अश्वमेधी घोड़े मिलें, उनके बदले वह माधवी को राजा के पास छोड़ दें। माधवी के बारे में कहा गया है कि उसके गर्भ से उत्पन्न बालक चक्रवर्ती राजा बनेगा।
यहीं से माधवी की कथा आरम्भ होती है। अनूठे और मर्मस्पर्शी घटना-चक्र में गुज़रते हुए, इस नाटक के प्रधान पात्र—माधवी, गालव, ययाति, विश्वामित्र और अनेक राजागण अपनी-अपनी भूमिका निभाते हैं, और एक विकट, हृदयग्राही मानवीय स्थिति के परिप्रेक्ष्य में, ये चरित्र नए-नए आयाम ग्रहण करते हैं। इनके केन्द्र में ययाति-कन्या माधवी है, जो लगभग एक अलौकिक मिथकीय परिवेश में रहते-बसते हुए भी अत्यधिक सजीव, सर्वथा प्रासंगिक और आकर्षक बनकर उभरती है।
Bhagwaticharan Verma : Sampurna Natak
- Author Name:
Bhagwaticharan Verma
- Book Type:

-
Description:
भगवतीचरण वर्मा बहुमुखी प्रतिभा के धनी रचनाकार थे। अपने विचारों और जीवनानुभवों को उन्होंने उपन्यास, कहानी, कविता और नाटक आदि अनेक सर्जनात्मक विधाओं में अभिव्यक्त किया।
इस पुस्तक में भगवती बाबू के सभी गद्य और पद्य नाटकों को शामिल किया गया है। उनके प्रसिद्ध नाटक ‘रुपया तुम्हें खा गया’ के अलावा रेडियो के लिए लिखे हुए पद्य नाटक ‘कर्ण’, ‘द्रौपदी’, ‘महाकाल’ और ‘तारा’ भी इस संकलन में प्रस्तुत हैं।
स्वयं भगवती बाबू के शब्दों में—‘जहाँ तक गद्य में लिखे नाटक हैं, वे सब के सब मंच पर प्रस्तुत हो चुके हैं और किए जा सकते हैं। पद्य नाटक मैंने रेडियो के लिए लिखे थे। उनमें नाटकीयता के साथ कवित्व है और रंगमंच पर प्रस्तुत करने के लिए उनमें थोड़ा-बहुत हेर-फेर किया जा सकता है।’
इस संग्रह में शामिल गद्य नाटक जहाँ भगवती बाबू की रंगमंच की समझ और सामर्थ्य का पता देते हैं, वहीं पद्य नाटकों से हमें उनकी काव्य-प्रतिभा का नए सिरे से लोहा मान लेना पड़ता है।
Mahabhoj 'Natak'
- Author Name:
Mannu Bhandari
- Book Type:

-
Description:
मन्नू भंडारी को इसका श्रेय जाना चाहिए कि उन्होंने अतिपरिचित परिस्थितियों के, इतने व्यापक फलक को, बिना किसी प्रचलित मुहावरे का शिकार हुए, समेट लिया है। इसी नाम से उनके चर्चित उपन्यास का यह नौ दृश्यीय नट्यान्तरण अत्यन्त यथार्थपरक और तर्कसंगत है। इस नाटक में हम समाज में सक्रिय अनेक ताक़तों और ग़रीबों के जीवन पर उनके प्रभाव की परिणतियों को दृश्य-दर-दृश्य खुलते देखते हैं।
...(मोहन) राकेश के बाद पहली बार हम इस नाटक में सुगठित संवादों का श्रवण-सुख भी पाते हैं।
—राजेंद्र पॉल; ‘फ़ाइनेंशियल एक्सप्रेस’।
‘महाभोज’ सामाजिक यथार्थ का रूखा अंकन मात्र नहीं है, यह बहुत सोचे-समझे, रचनात्मक डिज़ाइन की उत्पत्ति है, साथ ही बहुत सघन भी। इस नाटक को उन राजनीतिक नाट्य-रचनाओं में गिना जाएगा जो सिर्फ़ दर्शकों की भावनाओं और आक्रोश का दोहन मात्र नहीं करतीं, बल्कि यथार्थ की क्रूर और विचलित करनेवाली छवि के शक्तिशाली प्रक्षेपण के द्वारा दर्शक की नैतिक संवेदना को चुनौती देती हैं और उन्हें अपने विवेक की खोज में प्रवृत्त करती हैं।
—अग्नेश्का सोनी; ‘पेट्रियट’।
और सबसे ज़्यादा यह उपन्यास/नाटक मन्नू भंडारी की संवेदनशील जागरूकता की एक देन है और नाटककारों की श्रेणी में उनके चिर-अभीप्सित आगमन का प्रमाण भी।
—कविता नागपाल; ‘द हिन्दुस्तान टाइम्स’।
Yayati
- Author Name:
Girish Karnad
- Book Type:

-
Description:
हर व्यक्ति जैसे दुःख और द्वन्द्व का एक भँवर है और फिर वह भँवर एक नदी का हिस्सा भी है; और यह हिस्सा होना भी पुनः एक दुःख और द्वन्द्व को जन्म देता है। इसी तरह एक शृंखला बनती जाती है जिसका अन्त व्यक्ति की उस आर्त्त पुकार पर होता है कि ‘भगवान, इसका अर्थ क्या है?’ ‘ययाति’ नाटक के सारे पात्र इस शृंखला को अपने-अपने स्थान से गति देते हैं, जैसे जीवन में हम सब। अपनी इच्छाओं-आकांक्षाओं से प्रेरित-पीड़ित इस तरह हम जीवन का निर्माण करते हैं।
राजा ययाति की यौवन-लिप्सा, देवयानी और चित्रलेखा की प्रेमाकांक्षा, असुरकन्या शर्मिष्ठा का आत्मपीड़न और दमित इच्छाएँ, और पुरु का सत्ता और शक्ति-विरोधी अकिंचन भाव—ये सब मिलकर जीवन की ही तरह इस नाटक को बनाते हैं, जो जीवन की ही तरह हमें अपनी अकुंठ प्रवहमयता से छूता है।
अपने अन्य नाटकों की तरह गिरीश करनाड इस नाटक में भी पौराणिक कथाभूमि के माध्यम से जीवन की शाश्वत छटपटाहट को संकेतित करते हुए अपने सिद्ध शिल्प में एक अविस्मरणीय नाट्यानुभव की रचना करते हैं।
Sampurna Natak : Bhishm Sahani : Vols. : 1-2
- Author Name:
Bhisham Sahni
- Book Type:

-
Description:
(खंड - 1) भीष्म साहनी का रंगमंच से रिश्ता सिर्फ़ नाटककार का नहीं था। वे उसके हर पहलू से जुड़े थे। उन्होंने अभिनय भी किया, निर्देशन में भी हाथ आज़माया और लगभग आधा दर्जन मौलिक नाटकों की रचना करके नाटककार के रूप में प्रतिष्ठित तो हुए ही।
इस पुस्तक में भीष्म जी के उन्हीं नाटकों को रखा गया है। मंचानुकूल शिल्प व सम्प्रेषणीयता से समृद्ध ये नाटक अपने कथ्य में भी रचनात्मक और हस्तक्षेपकारी रहे हैं। ‘हानूश’ जिसका मूल मंतव्य सत्ता के दमनकारी चरित्र को रेखांकित करना और रचनाकार की स्वाधीनता का आह्वान करना है, उस वक़्त सामने आया जब देश इमरजेंसी के दौर से गुज़र रहा था। ‘मुआवज़े’ की कहानी साम्प्रदायिक दंगे से ग्रस्त शहर के सामाजिक और प्रशासनिक विद्रूप को दिखाती है। ‘कबिरा खड़ा बजार में’, ‘आलमगीर’, ‘रंग दे बसन्ती चोला’ और महाभारत की एक कथा पर आधारित ‘माधवी’ में भी भीष्म जी ने अपने समय की ज़रूरतों और चुनौतियों को नज़रअन्दाज़ नहीं किया है।
इस संकलन में शामिल सभी नाटक सार्थकता और मंचीयता, दोनों का सन्तुलन साधते हुए समकालीन नाटककार के सामने एक मानक प्रस्तुत करते हैं। पुस्तक में शामिल भीष्म जी का प्रसिद्ध आलेख ‘रंगमंच और मैं’ इस पुस्तक का विशेष आकर्षण है।
(खंड - 2) ‘दावत’, ‘अहं ब्रह्मास्मि’, ‘ख़ून का रिश्ता’ और ‘साग-मीट’—ऐसी अनेक कहानियाँ हैं जो हिन्दी कथा-साहित्य को भीष्म साहनी की अप्रतिम देन हैं। मध्यवर्गीय जीवन और मानसिकता की विडम्बनाओं पर तीखी प्रगतिशील दृष्टि से लिखी गई उनकी कहानियों ने अपना एक अलग संवेदना-संसार निर्मित किया।
भीष्म साहनी के सम्पूर्ण नाटकों के इस आयोजन में यह दूसरा खंड उनकी कुछ प्रसिद्ध कहानियों के नाट्य-रूपान्तरणों पर केन्द्रित है। ये रूपान्तरण उन्होंने स्वयं ही रेडियो के लिए किए थे। कुछ टीवी के लिए भी। रेडियो के लिए किए गए कुछ रूपान्तरण बाद में टीवी पर भी प्रसारित किए गए।
आज जब ‘कहानी का रंगमंच’ समकालीन हिन्दी थिएटर की अहम गतिविधि बन चुका है, इन रूपान्तरणों को मंच की दृष्टि से पढ़ना एक अलग अनुभव है। कहानी में निहित नाटकीयता को किस कोण पर कैसे पकड़ा जाए और कैसे उसको एक जीते-जागते नाटक में तब्दील कर दिया जाए, यह कथाकार-नाटककार भीष्म साहनी ने स्वयं ही इन रूपान्तरणों में स्पष्ट कर दिया है।
जिन कहानियों के नाट्य-रूपान्तरण इस खंड में शामिल हैं, वे हैं—‘दावत’, ‘साग-मीट’, ‘अहं ब्रह्मास्मि’, ‘निमित्त’, ‘खिलौने’, ‘आवाज़ें’, ‘झूमर’, ‘झुटपुटा’, ‘मक़बरा शाह शेर अली’, ‘गंगो का जाया’, ‘ख़ून का रिश्ता’, ‘समाधि भाई रामसिंह’, ‘तद्गति’ और ‘कंठहार’।
उम्मीद है कि अपनी परिचित कहानियों का स्वयं कथाकार द्वारा प्रस्तुत यह नाट्य-रूप पाठकों को उपयोगी और उत्कृष्ट लगेगा।
Umang
- Author Name:
Ashok Vajpeyi
- Book Type:

-
Description:
यह शायद पहली बार हो रहा है कि हिन्दी के कई पीढ़ियों के मूर्धन्य और महत्त्पूर्ण लेखकों में बच्चों के लिए कुछ लिखने का उत्साह जागा है। उनमें हिन्दी के कथाकार, कवि, नाटककार—कृष्णा सोबती, श्रीलाल शुक्ल, कमलेश्वर, रमेशचन्द्र शाह, मृदुला गर्ग, गिरिराज किशोर, राजेश जोशी, उदय प्रकाश, सुधा अरोड़ा, दिविक रमेश, राजेश जैन तथा रंगकर्मी कमल वसिष्ठ जैसे लेखक शामिल हैं।
दिल्ली में पिछले कई वर्षों से सक्रीय बालरंग संस्था 'उमंग' के रजतपर्व पर विशेष रूप से प्रकाशित इस संकलन में नाटक, कहानियाँ और एक पटकथा हैं : जैसे बच्चों की दुनिया रंगारंग और विविध होती है, वैसे ही यह संकलन किसी एक विधा तक महदूद नहीं है। इसमें उल्लास, उमंग, खेल के साथ-साथ समझ और आनन्द का मेल है। हमें उम्मीद है कि हिन्दी में अपने ढंग का यह प्रकाशन बच्चों के लिए हमारे बड़े और महत्त्पूर्ण लेखकों द्वारा आगे भी लिखने की उत्साहजनक शुरुआत है।
बच्चे इन नाटकों को खेलकर, इन कहानियों का पाठ कर उन्हें अपने लिए जीवन्त बनाएँगे। वे खेल-खेल में इन इबारतों में मनचाहे परिवर्द्धन और संशोधन भी करते चलेंगे। उनकी सृजनात्मकता को यह सामग्री उकसाए और सक्रीय करे, इसी में इस प्रयत्न की सच्ची सार्थकता होगी।
Chandragupt
- Author Name:
Jaishankar Prasad
- Book Type:

-
Description:
हिन्दी के कालजयी रचनाकार जयशंकर प्रसाद का यह नाटक भारत के पहले साम्राज्य-निर्माता चन्द्रगुप्त मौर्य और उसके मार्गदर्शक तथा महान कूटनीतिज्ञ आचार्य चाणक्य को केन्द्र में रखकर लिखा गया है। भारत के इतिहास में यह वह कालखंड है जब एक तरफ़ तो लगातार विदेशी आक्रमण हो रहे थे और दूसरी तरफ़ देशी राजा अपने झूठे अभिमान और क्षुद्र स्वार्थों के लिए आपस में ही लड़ रहे थे। देश की सबसे बड़ी राजशक्ति मगध के सम्राट भोग-विलास में डूबे हुए थे। उन्हें न अपने राज्य की सुरक्षा की चिन्ता थी और न अपनी प्रजा के हितों की। ऐसे समय में आचार्य चाणक्य ने चन्द्रगुप्त को साथ लेकर सीमावर्ती राज्यों को संगठित किया और यूनानी आक्रमणकारी सिकन्दर को मुँहतोड़ जवाब दिया। साथ ही, उन्होंने लोगों में ऐसी भावना का संचार किया कि वे मालव और मागध होने के प्रान्तीय अभिमान को भूलकर भारतवासी कहलाने में गौरव का अनुभव करें। इस प्रकार आचार्य चाणक्य और चन्द्रगुप्त ने पहली बार, खंड-खंड विभाजित भारत को एक सूत्र में पिरोकर, एक विशाल साम्राज्य का निर्माण किया।
‘चन्द्रगुप्त' नाटक में चित्रित स्थितियों की प्रासंगिकता भारत के वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में स्पष्ट देखी जा सकती है।
He Ram
- Author Name:
Ramdhari Singh Dinkar
- Book Type:

-
Description:
राष्ट्रकवि रामधारी सिंह 'दिनकर' का साहित्य के विभिन्न विधाओं में अपना एक महत्त्वपूर्ण योगदान है। रेडियो-रूपकों का यह संग्रह 'हे राम' उन्हीं में से एक है। दिनकर जी की इस पुस्तक में स्वामी विवेकानन्द, महर्षि रमण एवं महात्मा गाँधी जैसे महापुरुषों के जीवन को आधार बनाकर रूपक लिखे गए हैं। गाँधी जी पर जो रूपक दिया गया है, वह उनके जीवन के अन्तिम चार वर्षों की झाँकी प्रस्तुत करता है। वहीं स्वामी विवेकानन्द और महर्षि रमण वाले रूपक दोनों महात्माओं के सम्पूर्ण जीवन पर प्रकाश डालते हैं। इस तरह पुस्तक में इन तीनों महापुरुषों के प्रेरक जीवन की झलकियाँ तो मिलती ही हैं, उनके जीवन-दर्शन से भी हम गहरे परिचित होते हैं।
रेडियो-रूपक अँधेरे में मंचित कला का ही एक अदृश्य रूप होता है जिसे भाषा, संवाद, ध्वनि, संगीत आदि उपकरणों के ज़रिए ही सुना-समझा जा सकता है और उनके उद्देश्यों से जुड़ा जा सकता है। ऐसे में ये रेडियो-रूपक श्रवणीय तो हैं ही, अपनी पठनीयता में भी एक मिसाल हैं।
सामान्य पाठक के अतिरिक्त दिनकर-साहित्य के शोधार्थियों के लिए भी एक महत्त्वपूर्ण कृति है 'हे राम'।
Rangayan
- Author Name:
Kunal
- Book Type:

- Description: पिछला चारि दशक सँ निरंतरताक संग प्रखरतापूर्वक मैथिली रंगमंच मे प्राण फुकनिहार समर्थ नाट्य निर्देशक कुणालक नव पोथी 'रंगायन' मैथिली नाटक एवं रंगमंचक साफ-सुथरा दर्पण अछि। एहन दर्पण जाहि मे मैथिली नाटक एवं रंगमंच अपन चेहरा संपूर्ण सामथ्र्य आ सीमाक संग निहारि सकैत अछि। कोनो भाषा मे नाटक पर नीक पोथीक अकाल। एहि अकाल बेला मे कुणाल अपन पोथी 'रंगायन' सँ मैथिली रंगमंचक लगभग सब कपाट (आयाम) खोलैत छथि। नाट्यालोचन मे नाट्येतर व्यक्तिक प्रवेश आ सामान्य आलोचनाक टूल्स सँ रंग समीक्षा, एहि विधाक विडंबना। कुणाल अनुभविये टा नहि अपितु सधल आ दक्ष निर्देशक रहलाहए। ई अकारण नहि जे ओ रंगशास्त्रक औजार सँ मैथिली नाटक आ रंगमंचक गंभीर सुधि लेब' मे पूर्ण समर्थ भेलाहए। कुणाल अपन रंग-आलोचना मे रंगपरंपरा, रंगशिल्प, रंगपीठ आ रंगभाषा आदि केँ सघन रूपें सम्पूर्ण रंगकर्म सँ जोडि़ दैत छथि। मैथिली नाट्यालोचन मे बहुत रास बात विस्तृत रूपें पहिल बेर कुणालजीक माध्यम सँ आबि रहल अछि जे स्वागतेय। समकालीन मैथिली रंगमंच, नाटक आ लोकनाट्य, रंगायन आ वातायन शीर्षक सँ चारि खंड मे विभाजित ई पोथी लगभग सम्पूर्ण मैथिली रंगमंचक खाका खींचैत अछि, संगहि एकर दशा, दिशा आ संभावनाक टोह लैत बेलाग, बेबाक मंतव्य सेहो दैत अछि। मैथिली रंगमंचक संग अन्य भारतीय भाषाक रंगमंच आ किछु वैश्विक रंगमंच सँ संवाद सेहो। रंग-अध्येताक संगहि छात्र सभक लेल सेहो बहुत उपयोगी पुस्तक। कुणालक संपूर्ण व्यक्तित्व रंगमय रहल अछि। आपादमस्तक रंगकर्मी। जाहि निष्ठा, ईमानदारी आ तत्परता संग कुणाल अपन जीवन मैथिली रंगमंचक नाम कयलनि, तकर निचोड़-अभिव्यक्तिक नाम अछि— 'रंगायन'। —कमलानन्द झा
Char Natak
- Author Name:
Rabindranath Thakur
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Ghasiram Kotwal
- Author Name:
Vijay Tendulkar
- Book Type:

-
Description:
इस नाटक में घासीराम और नाना फड़नवीस का व्यक्ति-संघर्ष प्रमुख है, लेकिन तेन्दुलकर ने इस संघर्ष के साथ अपनी विशिष्ट शैली में तत्कालीन सामाजिक एवं राजनैतिक स्थिति का मार्मिक चित्रण भी किया है। सत्ताधारी वर्ग और जनसाधारण की सम्पूर्ण स्थिति पर समय और स्थान के अन्तर से कोई वास्तविक अन्तर नहीं पड़ता। घासीराम हर काल और समाज में होते हैं और हर उस काल और समाज में उसे वैसा बनानेवाले और मौक़ा देखकर उसकी हत्या करनेवाले नाना फड़नवीस भी होते हैं—यह बात तेन्दुलकर ने अपने ढंग से प्रतिपादित की है।
घासीराम एक प्रकार से एक प्रसंग मात्र है जिसे तेन्दुलकर ने अपने वक्तव्य की अभिव्यक्ति का एक निमित्त, एक साधन बनाया है। नाटक में नाटककार का उद्देश्य नाना फड़नवीस और तत्कालीन पतनोन्मुख समाज के चित्रण द्वारा शाश्वत सच्चाइयों को उजागर करना है और उसमें वह पूरी तरह सफल हुआ है।
यह नाटक एक विशिष्ट समाज-स्थिति की ओर संकेत करता है जो न पुरानी है और न नई। न वह किसी भौगोलिक सीमा-रेखा में बँधी है, न समय से ही। वह स्थान-कालातीत है, इसलिए ‘घासीराम’ और ‘नाना फड़नवीस’ भी स्थान-कालातीत हैं। समाज की स्थितियाँ उन्हें जन्म देती हैं, और वही उनका अन्त भी करती हैं।
राजिन्दरनाथ, बृजमोहन शाह, ब.व. कारंत, अलोपी वर्मा, अरविन्द गौड़ तथा कमल वशिष्ठ आदि विभिन्न ख्यातनामा निर्देशक इसके अनेक सफल मंचन कर चुके हैं।
Natya Manjari
- Author Name:
Jagdish Prasad Singh
- Book Type:

- Description: महाराज, आपने जिस तरह दर्जनों शत्रुओं पर विजय प्राप्त की, वह इस देश के इतिहास में स्वर्णाक्षरों में लिखा जाएगा। आपने पिछले कुछ महीनों में पूरे दक्षिणी हिन्दुस्तान पर अधिकार कर लिया और मराठा राज्य को हर तरह समृद्ध किया। हैदराबाद में आपका प्रवेश उस नगर के लोग हमेशा याद रखेंगे। आपके स्वागत के लिए नगर को पूरी तरह सजाया गया था और सभी सड़कों और गलियों में कुमकुम की एक पर्त बिछायी गई थी। नगर में स्थान-स्थान पर विजय द्वार बनाए गए थे और सड़क की दोनों तरफ लाखों नगरवासी रंग-बिरंगे परिधानों में खड़े थे। मकानों की छतों पर और बालकनियों में महिलाओं ने आपके और सैनिकों के स्वागत के लिए भीड़ लगा रखी थी। मराठी सेना ने इस अवसर के लिए अपने वस्त्रों की सादगी का त्याग कर दिया था और नए, भड़कीले वस्त्र पहन लिये थे। सेनाधिकारियों और चुने हुए सिपाहियों ने अपने शिरस्त्राण में मोतियों की माला लगा रखी थी, और उनकी बाँहों में सोने के बाजूबंद चमक रहे थे। उनकी वर्दी नई थी जिस पर सोने के तार का काम किया हुआ था और उनके हथियार नए और चमचमाते हुए थे ।
Greece Ke Trasad Natak
- Author Name:
Kamal Naseem
- Book Type:

- Description: पाँचवीं शताब्दी ई.पू. ग्रीस के 31 क्लासिकल त्रासद नाटकों का संक्षिप्त हिन्दी कथा-रूपान्तरण केवल उन रचनाओं का संक्षिप्त रूपान्तर नहीं, ये छोटी-छोटी खिड़कियाँ और झरोखे हैं जो आपको आज से दो हज़ार पाँच सौ वर्ष पहले की ग्रीक सभ्यता और संस्कृति के ऐसे भव्य संसार में ले जाएँगे, जहाँ देश और काल की सीमाएँ अपने आप ही तिरोहित हो जाती हैं। कास्ट्यूम और मुखौटे अपनी सादगी और रंगीनी में एक ऐसे ‘लार्जर दैन लाइफ़’ पात्रों का संसार रच देते हैं, जहाँ बिना किसी दृश्य और श्रव्य तकनीक के वायुमंडल में बहती आवाज़ें आपके अस्तित्व को अभिभूत कर लेती हैं...। आप सम्मोहित से आगे बढ़ते जाते हैं...एक-एक कर वितान खुलते जाते हैं...और आप देखते हैं ग्रीक महानायकों की बृहद् कर्मभूमि, आकाश को छूती महत्त्वाकांक्षाएँ, मन को छूती करुणा; दिव्य तेज और साहस के कारनामे, दैन्य की पराकाष्ठा; युद्ध का भयावह रक्तपात और नरसंहार, माँओं, बहनों और दासियों का दिल दहलानेवाला चीत्कार; अनैतिकता के गर्हित कर्म और कर्तव्य के लिए प्राण निछावर करने का आत्मबल और धर्म; अहम् और स्वार्थ का कुचक्र, संवेगों का संघर्ष; कोमल आत्मीयता का क्रूर मर्दन और सम्बन्धों पर मर मिटने को तत्पर जीवन—सभी कुछ तो है यहाँ। किन्तु ये केवल झलकियाँ हैं जो निश्चय ही आपको ग्रीक पुराकथाओं और नाटक के समग्र संसार की ओर जाने को अभिप्रेरित करेंगी।
Woh Ab Bhi Pukarata Hai
- Author Name:
Piyush Mishra
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Customer Reviews
0 out of 5
Book
Be the first to write a review...