Arey...O’Henry
Author:
GulzarPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Plays0 Reviews
Price: ₹ 399.2
₹
499
Available
आकार में छोटी लेकिन असर में गहरी ओ’ हेनरी की कहानियों में हमें वे ही लोग मिलते हैं, जिन्हें हम रोज़ अपने आसपास देखते हैं; अपनी उम्मीदों, नाउम्मीदियों, सपनों, हादसों और रहस्यों की पोटलियों को सँभाले फिरते आम लोग। लेकिन उनकी जिन्दगी में भी कुछ होता है जो कहानी बन जाता है; कुछ हैरान करनेवाला, कुछ ऐसा जो हमें गुदगुदा देता है, कुछ सिखा जाता है।
अमेरिकी पृष्ठभूमि में लिखी ओ’ हेनरी की ऐसी ही कुछ कहानियों को चुनकर गुलज़ार ने ड्रामों की शक्ल दी और जब ये ड्रामे मंच पर आए तो देखनेवालों ने कुछ नया-सा महसूस किया। नाटक में ढालते हुए उन्होंने कहानी को नहीं बदला, सिर्फ़ परिवेश को बदला, पात्रों को हिन्दुस्तानी पहचान दी; और उन्हें हमारे भारतीय ईथॉस से जोड़ा।
नतीजा ये कि ‘अरे ओ’ हेनरी’ पुस्तक के इन छोटे-छोटे ड्रामों में जितने ओ’ हेनरी हैं, उतने ही गुलज़ार भी हैं, जितनी कहानी है, उतना ड्रामा भी है, लेकिन जितना हिन्दुस्तान है, उतना अमेरिका नहीं, यह कमाल गुलज़ार का है जिसे देखनेवालों ने जितना जाना, उतना पढ़नेवाले भी महसूस करेंगे।
ISBN: 9789348157423
Pages: 192
Avg Reading Time: 6 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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एम.ए. की डिग्री से लैस होकर महीपत नौकरी की जिस खोज-यात्रा से गुज़रता है, वह शिक्षा की वर्तमान दशा, समाज के विभिन्न शैक्षिक स्तरों के परस्पर संघर्ष और स्थानीय स्तर पर सत्ता के विभिन्न केन्द्रों के टकराव की अनेक परतों को खोलती जाती है।
इस नाटक को पढ़ते-देखते हुए हमें स्वातंत्र्योत्तर भारत की कई ऐसी छवियों का साक्षात्कार होता है जो धीरे-धीरे हमारे सामाजिक और व्यक्तिगत जीवन का हिस्सा हो चुकी हैं। वे हमें स्वीकार्य लगती हैं लेकिन उन्हीं के चलते धीरे-धीरे हमारा सामूहिक चरित्र खोखला होता जा रहा है।
अपने दो-टूकपन, सामाजिक सरोकार और व्यंग्य की तीव्रता के कारण अनेक निर्देशकों, अभिनेताओं और असंख्य दर्शकों की पसन्द रहे इस नाटक के दिल्ली में ही शताधिक मंचन हो चुके हैं। मूल मराठी से वसन्त देव द्वारा किए गए इस अनुवाद की गुणवत्ता तो इसी तथ्य से साबित हो जाती है कि पुस्तक रूप में इस नाटक के पाठ और मंच पर उसके प्रदर्शन में कोई बिन्दु ऐसा नहीं आता, जहाँ हिन्दी पाठक किसी अभिव्यक्ति या व्यंजना को अपने लिए अपरिचित महसूस करता हो।
Agin Tiriya
- Author Name:
Ravindra Bharti
- Book Type:

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Description:
रवीन्द्र भारती की नाट्य-कृतियाँ हिन्दी रंगमंच में विगत बीस वर्षों से अपनी अनूठी अभिव्यक्ति एवं लोकप्रिय प्रस्तुतियों के लिए विख्यात हैं। ‘कम्पनी उस्ताद’, ‘फूकन का सुथन्ना’, ‘जनवासा’ जैसे नाटकों में आंचलिक सरलीकृत लोक-व्यवहार अपनी सघन और व्यापक अर्थवत्ता में जिस तरह सुलक्षित हुआ है, वह दुर्लभ है।
उनकी यह नाट्य-कृति ‘अगिन तिरिया’ कुछ अलग ही भावजगत की है। उनके सभी नाटकों से भिन्न। भाषा, कथ्य, शिल्प—सभी स्तरों पर भिन्न। अद्भुत अजाना संसार न जाने कहाँ पैठकर रचा उन्होंने। नाटक के पात्र प्रचलित लोक जगत के नहीं लगते। कैसे-कैसे नाम रखे हैं पात्रों के—मात्या, सुआ, बेली, चेची आदि अनसुने नाम...प्रवृत्ति, प्रकृति, व्यवसाय, मनुष्येतर प्राणी, जीवन-नियोजन, अलंकार, दोगली घातक संस्कृति और उसके रक्षक तो लगते हैं पर सांसारिक नहीं लगते।
ये पात्र नाट्यधर्मी हैं। शब्द से परे संवेदना के अन्तस्थल में निहित सांकेतिक बिम्ब हैं। भारती ने अपने पात्रों के ज़रिए ऐसी जीवनधारा का स्रोत बहाया है जिसमें एक नई वोल्गा से गंगा समाहित है। उसकी धारा में सृष्टि का इतिहास-बोध बह रहा है। सभ्यता के आरम्भिक काल से लेकर उत्तर-आधुनिक भविष्योन्मुख रचना है ‘अगिन तिरिया’ जिसमें अनवरत संघर्ष की नारी-गाथा संयोजित है।
सनातन संघर्ष के विजय-उल्लास का ऐसा सुन्दर दृश्य भारती की यायावरी और हाशिये पर जी रहे आदि-वनवासी और जनजातीय समुदाय की लोकगाथा शैली और विन्यास से रोमांचित होकर सहज ही उपजा है, जहाँ परिकल्पना की ऐसी ऊँचाई है जो गाथा में आकांक्षा की विजय का बिम्ब सँवारती है।
Julius Caesar
- Author Name:
William Shakespeare +1
- Book Type:

- Description: महाकवि विलियम शैक्सपीयर कृत जूलियस सीज़र मूल अँगरेजी टैक्स्ट और हिंदी काव्यानुवाद शैक्सपीयर की भाषा ऐलिज़ाबेथ कालीन अँगरेज़ी है। वह आज के अँगरेज़ों के लिए भी सहज नहीं है। जब मैंने पहली बार उसे पढ़ा था, तो पूरी तरह उस का मज़ा नहीं ले पाता था। बार-बार कोश देखने से और अँगरेज़ी के नोट पढ़ने से तो मज़ा और भी किरकिरा हो जाता था। जो हिंदीभाषी इस नाटक का अँगरेज़ी पाठ ही पढ़ना चाहते हैं, उनके लिए उसके सामने दिया गया हिंदी पाठ सहायक ग्रंथ का काम करेगा। कई विश्वविद्यालयों में जूलियस सीजर अँगरेज़ी कोर्स में भी है। उस के छात्रों के लिए तो यह वरदान सिद्ध हो सकता है। शैक्सपीयर के नाटक अभिनय कला के प्रदर्शन का पूरा अवसर देते हैं। जूलियस सीज़र में हमारे भारतीय उपमहाद्वीप में पिछले अनेक दशकों से जो राजनीतिक घटनाक्रम चलता आ रहा है, उस की झलक भी दिखाई देती है। अनेक विद्यालयों के छात्रों के नाट्य मंडल और शहर-शहर की उत्साही नाट्य मंडलियाँ अँगरेज़ी में जूलियस सीज़र का मंचन करते हैं। लेकिन उनके दर्शक शैक्सपीयर के भावों का पूरा आस्वादन नहीं कर पाते। इस अनुवाद के मंचन से ऐसे नाट्य मंडल शैक्सपीयर की भावभूमि को जन साधारण तक पहुँचा पाएँगे।
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