2014 CHUNAV : JISNE BHARAT KO BADAL DIYA
Author:
Rajdeep SardesaiPublisher:
Prabhat PrakashanLanguage:
HindiCategory:
History-and-politics0 Reviews
Price: ₹ 480
₹
600
Available
भारत के 2014 के आम चुनावों को 1977 के बाद भारतीय इतिहास का सबसे महत्त्वपूर्ण पड़ाव माना जा रहा है। इस चुनाव में देश ने सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी को समेटते हुए, भारतीय जनता पार्टी को शानदार जीत दिलाई। साथ ही, चुनाव प्रचार की एकदम नई तरह की शैली देखी गई, जिसने राजनीतिक खेल के सारे नियम तोड़ डाले। लेकिन यह कैसे और क्यों मुमकिन हुआ?
इस दिलचस्प पुस्तक में प्रसिद्ध पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने राजनीति के सभी प्रमुख खिलाडि़यों और बड़ी खबरों के जरिए चुनावी कहानी पर नजर रखने का प्रयास किया है। इसकी शुरुआत 2012 से होती है, जब नरेंद्र मोदी ने तीसरी बार गुजरात में राज्य विधानसभा के चुनाव में विजय हासिल की, लेकिन साथ ही एक बड़े मिशन पर अपनी निगाहें गड़ाईं। मनमोहन सिंह और संप्रग-दो के घोटालों, टीम मोदी की परदे के पीछे की रणनीतियों, राहुल गांधी की अभूतपूर्व चूकों और चुनाव वर्ष के राजनीतिक ड्रामे से होते हुए वे साल 2014 की उस शानदार जीत को रेखांकित कर रहे हैं, जिसने भारत को बदल दिया।
ISBN: 9789351864202
Pages: 390
Avg Reading Time: 13 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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- Description: जम्मू-कश्मीर सदा सर्वदा से भारतीय साहित्य में केंद्रीय स्थान रखता रहा है। जम्मू-कश्मीर, कश्मीर मंडल, शारदा क्षेत्र, सप्त सिंधु प्रदेश आदि विविध नामों से इतिहास, पुराण, नाटक, उपन्यास, कविता, कथा, कहानी; सर्वत्र संस्कृत सहित सभी आधुनिक भारतीय भाषाओं में स्थान प्राप्त करता रहा है। स्वतंत्रता के पूर्व, स्वतंत्रता के बाद और 1990 के बाद; ये तीन ऐसे विशिष्ट कालखंड हैं जिनके बीच समस्त भारतीय साहित्य में कश्मीर संबंधी विमर्श और प्रस्तुतियां अलग-अलग रूपों में दिखाई देती हैं। प्राकृतिक सुषमा से लेकर मानव निर्मित आपदाओं तक व्यक्ति और समाज के जीवन का कोई ऐसा रंग नहीं है जो कश्मीर में न हो और कश्मीर में जो कुछ होता रहा है, वह समकाल में ही भारतीय साहित्य में प्रतिध्वनित भी होता रहा है। उन सब को एक स्थान पर एकत्रित करना लगभग असंभव है, पर कश्मीर को ले करके विविध भारतीय भाषाओं में, सामासिक रूप से कहा जाए तो भारतीय साहित्य में जो कुछ भी लिखा गया है, रचा गया है, उन सबको प्रवृत्तिररक अनुशीलन के द्वारा प्रस्तुत करने के यत्न करने के रूप में यह पुस्तक उपादेय है।
Shakespeare Ki Lokpriya Kahaniyan
- Author Name:
William Shakespeare
- Book Type:

- Description: "विलियम शेक्सपियर—शेक्सपियर सदी के महान् नाटककार विलियम शेक्सपीयर का जन्म 26 अप्रैल, 1564 को इंग्लैंड में हुआ। कुछ लोग मानते हैं किसान का बेटा किसान होता है, डॉक्टर का डॉक्टर और सैनिक का सैनिक आदि-आदि। लेकिन शेक्सपीयर के खानदान का लेखन से दूर-दूर तक कोई लेना-देना नहीं था। उनके पिता पेशे से किसान थे, लेकिन शेक्सपीयर को खेती-किसानी नहीं भाई; बल्कि बचपन में उन्होंने एक नाटक देखा और शायद तभी फैसला कर लिया कि वह भी नाटककार बनेंगे। उनका सपना वर्ष 1592 में साकार हुआ, जब वह लंदन में थिएटर से जुड़े और जल्दी ही एक सफल अभिनेता व कलाकार के रूप में लोकप्रिय हो गए। उन्होंने दुखांत, सुखांत, मजाकिया—हर तरह के नाटक किए। उनके प्रसिद्ध नाटकों में ‘द कॉमेडी ऑफ एरर’,‘ रोमियो एंड जूलियट’, ‘द मर्चेंट ऑफ वेनिस’, ‘एज यू लाइक इट’, ‘हैमलेट’, ‘जूलियस सीजर’ इत्यादि शामिल हैं। आज लगभग 400 साल बाद भी उनके नाटकों के प्रति लोगों का जुनून बरकरार है। प्रस्तुत जीवनी उन्हीं महान् नाटककार के जीवन की घटनाओं से हमें परिचित कराती है। "
Chandrashekhar Ke Bare Mein
- Author Name:
Harivansh
- Book Type:

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Description:
‘चन्द्रशेखर के बारे में’ पुस्तक अपने समय के महत्त्वपूर्ण लेखकों-पत्रकारों, राजनीतिज्ञों और समाज-विज्ञानियों द्वारा किए गए आत्मीय और तटस्थ विश्लेषणों का एक संकलन है। यह संकलन इसलिए भी महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि यह चन्द्रशेखर की राजनीतिक और रचनात्मक यात्रा के विभिन्न पड़ावों का एक विश्वसनीय लेखा-जोखा है। इन लेखों को पढ़ते हुए आजादी के बाद की भारतीय राजनीति का संक्षिप्त सफरनामा और उसमें चन्द्रशेखर के जरूरी योगदान से हमारा परिचय होता जाता है।
संकलित आलेखों के क्रम में भले ही हमें कथासूत्र की तरह का कोई संयोजन नहीं मिलता है, मगर यही इस संकलन की खासियत भी है। हम कह सकते हैं कि भारतीय राजनीति के विविध-रंगी चित्रों और उसमें चन्द्रशेखर के राजनीतिक, सामाजिक व रचनात्मक सरोकारों का एक कोलाज है यह संकलन–और इसलिए इसकी सिर्फ राजनीतिक और सामयिक ही नहीं, रचनात्मक और साहित्यिक महत्ता भी है।
नामवर सिंह, भोला चटर्जी, प्रभाष जोशी, केदारनाथ सिंह, उदयन शर्मा, तवलीन सिंह और एम.जे. अकबर सहित अनेक सुविख्यात कलमकारों ने चन्द्रशेखर के बारे में समय-समय पर लिखा। गांधी और जयप्रकाश नारायण के बाद शायद चन्द्रशेखर ही ऐसे राजनेता हैं, जिनके बारे में सभी धाराओं के अग्रणी लोगों ने सृजनात्मक राय रखी। युवा तुर्क की हैसियत के जमाने में और इमर्जेंसी के बाद चन्द्रशेखर के बारे में काफी कुछ लिखा गया। यह पुस्तक इस लेखन का एक प्रतिनिधि संकलन है।
Deshaj Buddha
- Author Name:
Lalit Aditya
- Book Type:

- Description: बौद्ध धर्म का आदिवासी संस्कृति और झारखंड से क्या रिश्ता है? क्या बौद्ध सिद्धान्तों के निर्माण में आदिवासी संस्कृति का भी योग रहा है? क्या अतीत ने हमारे लिए ऐसे साक्ष्य छोड़े हैं जो बौद्ध धर्म और आदिवासी संस्कृति के संयोग का संकेत करते हैं? ‘देशज बुद्ध’ ऐसे कई प्रश्नों का तथ्याधारित उत्तर प्रस्तुत करते हुए भारत के प्राचीन इतिहास और संस्कृति की लगभग अज्ञात एक कड़ी को बखूबी हमारे संज्ञान में लाती है। यह एक तथ्य है कि श्रमण-संस्कृतियाँ व्रात्यक्षेत्र में ही पुष्पित-पल्लवित हुई थीं। बौद्ध धर्म भी इसका अपवाद नहीं है। राजकुमार सिद्धार्थ ने इसी वन-प्रान्तर में स्वयं को प्रकृति के प्रति समर्पित किया था और प्रकृति के सन्देश–मध्यम मार्ग–को ज्ञान के रूप में ग्रहण कर सम्बुद्ध हुए। अकारण नहीं कि झारखंड के इटखोरी (चतरा) में राजकुमार सिद्धार्थ के आने की किंवदन्ती के साथ-साथ सन्ताल परगना से लेकर उत्तरी छोटानागपुर, पलामू और कोल्हान तक हर प्रमंडल में बौद्ध धर्म से जुड़े पुरातात्विक स्थल और अवशेष मिलते हैं। इन सब का उल्लेख करने वाले पहले के कतिपय अध्ययनों के विपरीत इस पुस्तक में झारखंड के बौद्ध स्थलों और अवशेषों का व्यापक सर्वेक्षण और दस्तावेजीकरण किया गया है, जिससे प्रदेश में बौद्ध धर्म के मार्ग और प्रभावों की व्यवस्थित जानकारी मिलती है। पुस्तक का एक महत्वपूर्ण पक्ष है—बौद्ध धर्म पर आदिवासी संस्कृति-परम्पराओं के आरम्भिक प्रभावों का विश्लेषण। इसमें कहा गया है कि बौद्ध धर्म की दीक्षा-प्रक्रिया से लेकर प्रव्रज्या और उपसम्पदा तक पर आदिवासी परम्परा का प्रभाव है। इसी तरह बौद्ध संघ की आचार-संहिता स्पष्टतः आदिवासी जीवनशैली से अभिप्रेरित है। बौद्ध धर्म के सन्दर्भ में आदिवासी संस्कृति के एक महत्तर योगदान को रेखांकित करने वाली एक विचारोत्तेजक कृति!
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