Bisaat : Teen Bahanen Teen Aakhyan
Author:
Manjul Bhagat, Mridula GargPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Literary-fiction0 Reviews
Price: ₹ 156
₹
195
Available
‘बिसात : तीन बहनें तीन आख्यान’ एक अनूठी कथा-कृति है। कथा-साहित्य में विख्यात मंजुल भगत, मृदुला गर्ग और अचला बंसल तीनों सगी बहनें हैं। मंजुल भगत अब हमारे बीच नहीं हैं। मृदुला गर्ग व अचला बंसल निरन्तर सक्रिय हैं। तीनों के लेखन की पृथक् पहचान होने के बावजूद कुछ सूत्र ऐसे हैं जिन पर साझा अनुभवों के विविध रंग दिख जाते हैं। मृदुला गर्ग के शब्दों में, ‘तीनों के काफ़ी अनुभव साझा रहे। ज़िन्दगी में कितने ऐसे किरदार थे, जिनसे तीनों का साबका पड़ा। कितने ऐसे हालात थे, जिनका तीनों ने नज़ारा किया! साझा अनुभवों, किरदारों और अहसास ने हमारे भावबोध को गढ़ा और अन्य अनुभवों की तरह, वे भी कभी-न-कभी, किसी-न-किसी रूप में हमारी रचना के आधार बने। रचना जब-जब हुई, निजी अहसास से गढ़ी, मौलिक थी। हर लेखक का नज़रिया अपना अलग था। फिर भी साझा अहसास और अनुभव की गूँज, उसमें साफ़ ध्वनित होती थी। कह सकते हैं, हमने एक ही विषय पर आधारित रचना की पर रचना के दौरान, रचनात्मकता के दबाव में, रचना ने अपना विषय, कुछ हद तक बदल लिया।’ इन तीनों बहनों के बीच नाना की उपस्थिति एक ऐसा ही बहुअर्थपूर्ण अनुभव था। इस अनुभव से तीन रचनाओं ने आकार लिया। मृदुला गर्ग ने ‘वंशज’ उपन्यास रचा। मंजुल भगत ने ‘बेगाने घर में’ और अचला बंसल ने ‘कैरम की गोटियाँ’ कहानियाँ लिखीं। तीनों रचनाओं में अलग-अलग तरह से महसूस किया गया यथार्थ रचनाकारों की निजता के साथ व्यक्त हुआ। ‘बिसात : तीन बहनें तीन आख्यान’<br /> में वंशज, ‘बेगाने घर में’ और ‘कैरम की गोटियाँ’ एक साथ उपस्थित हैं। तीनों को एक साथ पढ़ना वस्तुतः प्रीतिकर और विचारोत्तेजक हैं। जैसे एक ही जीवन-सत्य के तीन आयाम।
ISBN: 9788126725724
Pages: 212
Avg Reading Time: 7 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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- Description: भाषा, जाति, धर्म, नस्ल और क्षेत्र को दरकिनार करके किया गया प्रेम एक ताजी, भव्य, सम्मोहक और रोशन दुनिया की कोंपल अपने भीतर रखता है, पर जब हम भीतर और बाहर रोशनी से भर रहे होते हैं तो ठीक हमारे पीछे अँधेरा अपने ज़ंग लगे नाख़ूनों में धार दे रहा होता है। रोशनी और अँधेरे के बीच का यह आदिम खेल सभ्यता के कथित विकास के साथ और भी बर्बर होता गया है। ‘रोमियो जूलियट और अँधेरा’ पढ़ते हुए हम जानते हैं कि हमारे कोमलतम और सपनीले दिनों में बर्बरता सबसे अधिक हमारी ताक में रहती है। यहाँ दो युवा दिलों की मुहब्बत पर तमाम हत्यारी साज़िशों की भुतहा छायाएँ गिर रही हैं। यहाँ भाषा, नस्ल और स्थानीय बनाम बाहरी के द्वन्द्व हैं जिनकी शतरंजी बिसात पर राजनीतिक गोटियाँ सेंकी जा रही हैं, जिनकी गिरफ़्त में आने के बाद पीड़ित लोग अपने ही जैसे दूसरे पीड़ितों के प्रति ज़हर से भर रहे हैं। यहीं, इसी जगह से उपन्यास में अँधेरा प्रवेश करता है। असम की राजनीति में जो ताक़तें और तत्व आज निर्णायक होकर राज कर रहे हैं, उन सबकी गहरी पदचापें इस उपन्यास में सुनी और देखी जा सकती हैं। और यह सब यहाँ एक ऐसी सम्पन्न भाषा में दर्ज हो रहा है जो स्वाद, रंग, गन्ध, ध्वनियाँ, मौसम, रोशनी और अँधेरा सब कुछ को साकार कर देती है। जिसमें आप किसी कली का चटकना या फूल का मुरझाना सुन और देख सकते हैं। जिसमें असम की धरती का ताप दर्ज हुआ है। पढ़ते हुए एक भीषण आह के साथ हम जानते हैं कि हर भाषा के अपने दुख, मातम और अँधेरे हुआ करते हैं।
Madhvi ki Dehgatha
- Author Name:
Shachi Mishra
- Book Type:

- Description: 'माधवी की देहगाथा' उपन्यास स्त्री शोषण की एक ऐसी पौराणिक गाथा है जिसका दृष्टांत अन्यत्र दिखाई नहीं पड़ता है। यह उस युग की गाथा है जब पुरुषों ने मातृसत्ता को समाप्त करके पितृसत्ता की स्थापना की और समस्त स्वी जाति को अपने अधीन कर लिया, जहाँ उसका दान या विनिमय किया जा सकता था। मुनि कुमार (गालव) गुरु (विश्वामित्र) द्वारा माँगी गयी श्यामकर्णी श्वेत आठ सौ अश्वों की दुर्लभ गुरु दक्षिणा की पूर्ति के लिए एक राजा (ययाति) के समक्ष याचक बन कर खड़ा हुआ और नरेश ने याचना पूर्ति में असमर्थ होने पर बिना कुछ सोचे विचारे उसकी गुरुदक्षिणा प्राप्ति के माध्यम के लिए अपनी दिव्य वरदान में लिपटी पुत्री (माधवी) को प्रदान कर दिया और उस मुनि कुमार गालव ने उसे अपनी गुरुदक्षिणा एकत्र करने के लिए तीन राजाओं और अंत में अपने गुरु को समर्पित कर दिया। ययाति को महादानी कहलाने का यश मिला, विश्वामित्र को दुर्लभ गुरुदक्षिणा मिली और गालव को दुर्लभ गुरुदक्षिणा देने का गौरव प्राप्त हुआ पर इस मान-सम्मान की गाथा में माधवी को क्या मिला?
Dus Baras Ka Bhanwar
- Author Name:
Ravindra Verma
- Book Type:

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Description:
बाबरी मस्जिद विध्वंस (1992) और गुजरात नरसंहार (2002) के बीच फैले दस वर्ष हमारे समकालीन इतिहास का ऐसा समय रचते हैं, जिसकी प्रतिध्वनियाँ देर और दूर तक जाएँगी। इस दशक में केवल साम्प्रदायिकता ही परवान नहीं चढ़ी, बल्कि नव-उदारवाद ने भी हमारे समाज में जड़ें पकड़ीं—जैसे दोनों सगी बहनें हों। उपभोक्तावाद मूल्य बना। सामाजिक सरोकार तिरोहित होने लगे। यह उपन्यास इसी आरोह-अवरोह को एक परिवार की कहानी द्वारा पकड़ने की कोशिश है, जिसके केन्द्र में रतन का तथाकथित ‘शिज़ोफ्रिनिया’ है और उसका सामना करते बाँके बिहारी
हैं। रतन के भाइयों की संवेदनहीनता जाने-अनजाने एक चक्रव्यूह की रचना करती है, जिससे बाँके बिहारी अपने छोटे बेटे को निकालते हैं। रतन अपने उन्माद में अपनी प्रेमिका का बलात्कार करता है। पत्रकार बाँके बिहारी के लिए यह ‘गुजरात’ का रूपक बन जाता है। इन्हीं कथा-सूत्रों के इर्द-गिर्द लेखकीय चिन्ताएँ बिखरी हैं, जो समकालीनता का अतिक्रमण करती हुई मनुष्य की नियति की पड़ताल करती हैं। यह प्रकृतिवाद से परहेज़ करती हुई क़िस्सागोई है, जो नए यथार्थ के मुहावरे को रचने का प्रयास करती है। उपन्यास में समय और शिल्प का लचीलापन इसी मुहावरे की तलाश है।
Mein Prem Tere Ka Deewana
- Author Name:
Manish Raosahab
- Book Type:

- Description: ये बादल, बारिश, ये बूंदे, ये मिट्टी की ख़ुशबू, है कुछ और नही, जो माने दिल br>तेरा, तो पैगाम सही, ना माने तो है कुछ और नही, ये हवा, जो लहरा जाती जुल्फ़े br>तेरी, धड़का दिल को जाती, इशारा है गर तू पहचाने, ना पहचाने तो है कुछ और नही। बस इसी तरहा, ये किताब उन जज़्बातों को समेटे हुए है जो प्रेम के दोनों पहलुओं को एक साथ जोड़े हुए है। जब दिल प्रसन्न हो तो भव्य सागर की खामोशी से विशालकाय आसमान की गर्जन तक सब लुभावना प्रतीत होता है और कभी जब दिल को उदासी का अनुभव हो, पीड़ा का एहसास हो, तो वह भी उसी प्रेम का हिस्सा है जो किसी का नाम भर लेने से हमारे चेहरे को एक सरल व मीठी मुस्कान से अलंकृत कर देता है। भले ही ये कविताये कल्पना की स्याही से लिखी गयी हो, मगर जिस रंग से लिखी गयी है वह प्रेम का रंग है और जो खुशबू है वो वही जज़्बात है जो अक्सर हम प्रेम के मार्ग में अनुभव करते है। जितना मुझे लिख कर मिला, उम्मीद है, उतना ही आनंद आपको पढ़ने में मिलेगा।.
Zindagi - Story of Life
- Author Name:
Vastvik Amera
- Rating:
- Book Type:

- Description: Some stories are untold, some are buried deep, but every story deserves to be elicited. Authors' Ink Publications bring to you; a compendium of some unheard thoughts, some untouched emotions,some life changing stories.
Surkh Aur Syah
- Author Name:
Standhal
- Book Type:

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Description:
इस उपन्यास की शुरुआत में स्तान्धाल ने दांते की इस उक्ति को आदर्श वाक्य के रूप में दिया है, “सच; बस तल अपने पूरे तीखेपन के साथ...।” और फिर पूरा उपन्यास मानो इस पुरालेख का औचित्य सिद्ध करने में लगा दिया है। किसानी धूर्तता से भरा हुआ, नायक जुलिएं सोरेल का लालची बाप, भरे-पेट और चैन-भरे जीवन की चाहत रखनेवाले मठवासी, अपने ही देश पर हमले का षड्यंत्र रच रहे प्रतिक्रान्तिकारी अभिजात, अपने फ़ायदे के लिए पूणित अवसरवादी ढंग से राजनीतिक दल बदलते रहनेवाले रेनाल और वलेनो जैसे लोग उत्तर-नेपोलियनकालीन फ़्रांस में जारी घिनौने नाटक के लगभग सभी केन्द्रीय पात्र यहाँ मौजूद हैं।
आम तौर पर पूरा परिदृश्य नितान्त निराशाजनक है। इसके साथ ही वेरियेरे का औद्योगीकरण, मुद्रा की बढ़ती सर्वग्रासी शक्ति, बुर्जुआ नवधनिकों द्वारा पुराने अभिजातों की नक़ल की भौंडी कोशिशें, बे-ल-होत में मठ के पुनर्निर्माण के पीछे निहित प्रचारवादी उद्देश्य, जानसेनाइटों और जेसुइटों के झगड़े, जेसुइटों की गूँज सोसाइटी का सर्वव्यापी प्रभाव और धर्म सभा आदि के ब्योरों से स्तान्धाल ने इस उपन्यास में तत्कालीन फ़्रांस की तस्वीर को व्यापक फलक पर उपस्थित किया है।
जुलिएं सोरेल अपने ऐतिहासिक युग का एक विश्वसनीय प्रातिनिधिक चरित्र है जिसमें एक ही साथ, नायक और प्रतिनायक—दोनों ही के गुण निहित हैं। अपनी महत्त्वाकांक्षाओं के लिए और उद्देश्यपूर्ति के लिए वह नैतिकता-अनैतिकता का ख़्याल किए बग़ैर कुछ भी करने को तैयार रहता है। यह खोखले और दम्भी-पाखंडी बुर्जुआ समाज के ऊँचे लोगों के प्रति उसके उस सक्रिय-ऊर्जस्वी व्यक्तिवादी व्यक्तित्व की नैसर्गिक प्रतिक्रिया है जो महज सामान्य परिवार में पैदा होने के चलते एक गुमनाम, मामूली और ढर्रे से बँधी ज़िन्दगी जीने के लिए तैयार नहीं है। वह उस समाज के विरुद्ध हर तरीक़े से संघर्ष करता है जहाँ महज कु़ल और सम्पत्ति के आधार पर पद, सम्मान और विशिष्टता हासिल हुआ करती है।
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