Vakratund
Author:
Mahendra MadhukarPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Literary-fiction0 Reviews
Price: ₹ 319.2
₹
399
Available
वक्रतुण्ड अर्थात गणपति श्री गणेश के अनेक रूप हैं—विघ्नहर्ता से लेकर विघ्नकर्ता तक। सत्व के प्रति सरस-सदय और तमस के प्रति कठिन-कठोर। उनके इस स्वभाव ने मनुष्यों के हृदय में श्री गणेश के लिए विशेष भक्ति उत्पन्न की है क्योंकि वे उन्हें एकदम अपने लगते हैं—करुणामय, उदार, सहज, समस्त आशा-आकांक्षाओं की पूर्ति करने वाले। ऐसा नहीं कि उन्हें क्रोध नहीं आता किन्तु उनका कोप भक्तों के लिए नहीं होता। उनके लिए तो वे अभय देने वाले हैं। मनुष्य तो मनुष्य, तमाम इतर जीवों के भी वे शरणदाता-त्राता हैं।</p>
<p>विघ्नों से भरे संसार में ऐसे कृपालु श्री गणेश की अगणित लीलाएँ हैं। इन्हीं लीलाओं से ‘वक्रतुण्ड’ में उनका आख्यान रचा गया है जो पाठकों को एक अलग ही आश्वस्ति और त्राण देता है कि यदि आप दूसरों के प्रति सात्विकता से भरे रहेंगे तो वक्रतुण्ड आपकी राह में आने वाली हरेक वक्रता को अनुकूलता में बदल देंगे।</p>
<p>एक अत्यन्त पठनीय पौराणिक उपन्यास।
ISBN: 9789360866327
Pages: 256
Avg Reading Time: 9 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
Recommended For You
Purnmidam
- Author Name:
Saroj Kaushik
- Book Type:

- Description: , ऋचा थी—अतुलनीय, अनिंद्य, उसका हृदय एक छलछलाता हुआ प्रवाह था—प्रेम और निष्ठा के पारदर्शी जल से लबालब। उसकी आत्मा जैसी सहजता, वैसी पवित्रता को आजीवन बनाए रखना सरल नहीं। न वैसा आवेग, न वैसी अकुंठ तत्परता और न दूसरों के प्रति ऐसा नि:संकोच स्वीकार जीवन जीते हुए अक्षुण्ण रखना सम्भव है। जीवन की यात्रा में अक्सर मन और जीवन के पैर मैले हो ही जाते हैं, लेकिन ऋचा के नहीं। और वीरेश्वर जैसे उसी के लिए बना हुआ, उतना ही दृढ़, उसी अनुपात में स्वाभिमानी और ईमानदार। मन और वचन के संकल्पों को लेकर उतना ही गम्भीर और भरोसेमन्द। ऋचा और वीरेश्वर की यह कहानी स्त्री-जीवन के साथ-साथ स्त्री-पुरुष सम्बन्धों के बारे में एक नई दृष्टि देती है। स्त्री यहाँ पूर्णत: एक जिजीविषा का स्वरूप ग्रहण कर लेती है जो अपने आत्म की खोज-यात्रा में जीवन और मूल्यों के नए-नए सोपान चढ़ती चली जाती है। ब्राह्मण होते हुए वह दलित युवक वीरेश्वर से प्रेम करती है और पूरा जीवन उस प्रेम को अपनी आस्था का अवलम्बन बनाए रखती है और स्वयं भी उसके लिए एक स्तम्भ बनी रहती है। इसी रिश्ते से जन्मी उनकी बेटी प्रज्ञा पुन: समाज की रूढ़ियों और स्वयं उनके लिए एक मानक बनकर सामने आती है। नए मूल्यों की स्थापना करता सहज भाषा और शिल्प में अत्यन्त पठनीय उपन्
Main Borishailla
- Author Name:
Mahua Maji
- Book Type:

-
Description:
बांग्लादेश में एक सांस्कृतिक जगह है बोरिशाल। बोरिशाल के रहनेवाले एक पात्र से शुरू हुई यह कथा पूर्वी पाकिस्तान के मुक्ति-संग्राम और बांग्लादेश के रूप में एक नए राष्ट्र के अभ्युदय तक ही सीमित नहीं रहती, बल्कि उन परिस्थितियों की भी पड़ताल करती है, जिनमें साम्प्रदायिक आधार पर भारत का विभाजन हुआ और फिर भाषायी तथा भौगोलिक आधार पर पाकिस्तान से टूटकर बांग्लादेश बना।
समय तथा समाज की तमाम विसंगतियों को अपने भीतर समेटे यह एक ऐसा बहुआयामी उपन्यास है जिसमें प्रेम की अन्त:सलिला भी बहती है तथा एक देश का टूटना और बनना भी शामिल है। यह उपन्यास लेखिका के गम्भीर शोध पर आधारित है और इसमें बांग्लादेश मुक्ति-संग्राम के दौरान पाकिस्तानी सैनिकों तथा उर्दूभाषी नागरिकों द्वारा बांग्लाभाषियों पर किए गए अत्याचारों तथा उसके ज़बर्दस्त प्रतिरोध का बहुत प्रामाणिक चित्रण हुआ है। उपन्यास का एक बड़ा हिस्सा उस दौर के लूट, हत्या, बलात्कार, आगजनी की दारुण दास्तान बयान करता है। उस दौरान मानवीय आधार पर भारतीय सेना द्वारा पहुँचाई गई मदद और मुक्तिवाहिनी को प्रशिक्षण देने के लिए भारतीय सीमा क्षेत्र में बनाए गए प्रशिक्षण शिविरों तथा अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर भारत सरकार द्वारा निभाई गई भूमिका का भी ज़िक्र इसमें है।
युवा लेखिका महुआ माजी का यह पहला उपन्यास है। लेकिन उन्होंने राष्ट्र-राज्य बनाम साम्प्रदायिक राष्ट्र की बहस को बहुत ही गम्भीरता से इसमें उठाया है और मुक्तिकथा को भाषायी राष्ट्रवाद की अवधारणा की पृष्ठभूमि में प्रस्तुत किया है। ज़मीन से जुड़ी कथा-भाषा और स्थानीय प्रकृति तथा घटनाओं के जीवन्त चित्रण की विलक्षण शैली के कारण यह उपन्यास एक गम्भीर मसले को उठाने के बावजूद बेहद रोचक और पठनीय है।
Uday Ravi
- Author Name:
B. Puttaswamayya
- Book Type:

-
Description:
‘उदय-रवि’, ‘क्रान्ति-कल्याण’ उपन्यास मालिका का पहला खंड है। कन्नड़ के विशिष्ट रचनाकार बी. पुट्टस्वामय्या मूलतः नाटक लिखने में रुचि लेते थे।...किन्तु नाटक की कई सीमाएँ होती हैं। नाटक-मंडली के अभिनेताओं की संख्या, संवाद कहने में उनकी क्षमता आदि बातों की ओर नाटककार को ध्यान देना पड़ता है। उपन्यास में इस प्रकार की कोई सीमा नहीं होती। इसलिए एक बड़ा कैनवस का उपयोग करके एक बृहत् उपन्यास की रचना करने की पुट्टस्वामय्या ने जो योजना बनाई, उसी का परिणाम ‘उदय-रवि’, ‘राज्यपाल’, ‘कल्याणेश्वर’, ‘नागबन्ध’, ‘अधूरा सपना’ तथा ‘क्रान्ति-कल्याण’ उपन्यासों का सिलसिला रहा। ये छह के छह अलग-अलग उपन्यास भी हैं और सब मिलाकर एक ही उपन्यास भी।
बसवेश्वर के युग के जनजीवन का चित्रण करनेवाले इन उपन्यासों की मालिका समवेत रूप में एक विशेष प्रकार का ऐतिहासिक उपन्यास है। सामाजिक जीवन को व्यक्त करनेवाले इस उपन्यास के लिए अभिलेख तथा लिखित साहित्य से सन्दर्भों को चुन लिया गया है। चौंकानेवाली बात यह थी कि इस उपन्यास लेखन के लिए पुट्टस्वामय्या ने एक हज़ार अभिलेखों का अध्ययन किया था।
‘उदय-रवि’—ई.सं. 1950—में तैलप (तृतीय) के सिंहासनारोहण से लेकर बसवेश्वर के मंत्री बनने तक की घटनाओं का चित्रण है।
सिद्धहस्त लेखक बी. पुट्टस्वामय्या ने प्रांजल भाषा में एक युग को साकार कर दिया है। भालचन्द्र जयशेट्टी का सतर्क अनुवाद उपन्यास को मूल आस्वाद से अभिन्न रखने में समर्थ सिद्ध हुआ है।
Parchaiyoon Ke Pichee Prarambh
- Author Name:
Harsh Ranjan
- Book Type:

- Description: सामने का मंदिर बिल्कुल निष्पंद है। इधर सौ मीटर का मैदान है और दूसरी तरफ मंदिर की सीढि़यां। इधर हनुमान जी, दूसरे किनारे पर काली माँ, बीच में दुर्गा, बगल में राम और उनके बगल में सपरिवार भोलेनाथ। पुजारी पूजा करा कर जा चुके हैं। रवि और गुंजन समय टिकाकर आये हैं और इस मंदिर में इसलिए उनका आना हुआ है कि ये मंदिर ज्यादातर लोगों से खाली और श्रद्धा से भरा रहता है । श्रद्धा रवि की । बचपन से उसका इस मंदिर में आना-जाना रहा है। उसने गुंजन से पहले ही कह रखा था कि शादी करेंगे तो इसी मंदिर में सुबह के साढ़े सात बज रहे हैं। गुंजन और रवि सादे कपड़ों में यहाँ पहुँचे थे। शादी के नाम पर उन्हें बस दो औपचारिकताएं पूरी करनी थी। जिसमें एक थी सिन्दुर से और दूसरी मंगलसूत्र से क्योंकि शादी का मतलब है इस से ज्यादा कुछ जानते भी नहीं थे। लेकिन क्या शादी का मतलब बस इतना है। हाँ बस इतना है। इससे ज्यादा जो है वह केवल प्रदर्शन है। कभी लोगों को दिखाने के लिए कभी खुद को। जीवन बहुत लंबी यात्रा है और इस लंबे जीवन में दोनों का साथ बना रहे इसी प्रार्थना के साथ दोनों ने पैर रखे। रवि बिल्कुल शांत है और उसी तरह शांत गुंजन। दोनों के मन मे लेकिन दो अलग-अलग बातें चल रही है। रवि का मानना है कि यहा पहुँचकर वो सफर खत्म हुआ जो बरसों पहले शुरू हुआ था, और दूसरी तरफ गुंजन सोच रही थी कि यहाँ एक ऐसा सफर शुरू होने को है जो वर्षों चलेगा। कहें तो जीवन भर .....
Seemant
- Author Name:
Hemangini A. Ranade
- Book Type:

- Description: कौन-सी वह तीव्र अनुभूति है जो मानव-मन को किसी स्थान विशेष की ओर अनजाने ही आकर्षित करती है? यह आकर्षण भौगोलिक हदों तक सीमित नहीं, इसका सम्मोहन देशकाल की सीमाओं से परे है। उपन्यास की नायिका एंजेलिका, जिस देश में जन्मी, पली और बढ़ी है, उस समाज और वातावरण में अपने को सर्वथा अजनबी पाती है, जहाँ हज़ारहा कोशिशों के बावजूद उसे चैन और सुकून हासिल नहीं है। वह नहीं जानती कि इस छटपटाहट के पीछे कारण क्या हैं? माता-पिता की उसके प्रति रही उदासीनता को लेकर आक्रोश या स्वयं अपने स्वभाव में एक अनाम अधूरापन जिसका निर्धारण असम्भव है। अन्ततः जब वह अपने गन्तव्य—भारत आ पहुँचती है, बकौल उसकी जापानी सहेली फ्रुमिको के, अपने भारतीय पति को ‘भारत के एक टिकट के लिए भुनाकर’, तो क्या परिपूर्णता की उसकी खोज वाकई समाप्त हो जाती है? या अभी देशकाल की कई और भौतिक सीमाओं को उलाँघना बाक़ी है? परदेस जाकर बसनेवाले लोग किन-किन कारणों से अपने-अपने देशों का त्याग करते हैं, अपनाए हुए देश से उनकी क्या और कौन-सी अपेक्षाएँ हुआ करती हैं, इस प्रश्न को भी आयरलैंड और भारत की पृष्ठभूमि पर रचित इस उपन्यास में उपस्थित किया गया है।
Shri Shriganesh Mahima
- Author Name:
Mahashweta Devi
- Book Type:

-
Description:
यह बिहार के एक गाँव की कहानी है, जो बीसवीं सदी में नहीं, अभी भी मध्ययुग के बीहड़ अँधेरों में जी रहा है और जहाँ आज भी भारत सरकार का नहीं, बल्कि ऊँची जाति के राजपूत मालिकों का प्रभुत्व चलता है। वही निरंकुश यह तय करते हैं कि नीची जातियों के मर्द–औरतों की भूमिका कब ज़रख़रीद ग़ुलाम, कब बँधुआ मज़दूर, कब उजड़े किसान और कब रखैल की होगी।
भूमि–अधिपति श्री श्री गणेश है, इस बर्बर और हिंस्र व्यवस्था का निरंकुश शासक जिसकी महिमा का बखान जन्म से लेकर उसके पिताश्री की रखैल और उसकी धाय माता लछिमा के हाथों मारे जाने तक बड़ी सशक्त शैली में किया गया है। लेकिन फ़िलहाल हारी जानेवाली इस लड़ाई में शामिल लोगों की चित्र–वीथी में हैं हर जगह और हर युग में अत्याचारी के विरुद्ध चिनगारी फूँकने वालों की परम्परा में राँका दुसाध, गांधीवादी अभय महतो, नक्सली जुगलकरन और बस्तियों से जंगलों में भागकर आई अनाम भीड़।
उपन्यास में हरेक की छवि बड़ी ही सहज और सशक्त रंगों में उभारी गई है। मध्यवर्ग की नई पीढ़ी की यौवन पल्लवी शाह की बौनी सहानुभूति पर किया गया कटाक्ष इस उपन्यास के पाठक कभी भूल नहीं पाएँगे। लेकिन बीहड़ अँधेरे में किरण है सरसतिया की आवाज़, जो अपनी कोख से राँका दुसाध जैसी उद्धत सन्तान को टेर रही है, यही है इस उपन्यास में उपन्यासकार की आस्था का उद्घोष।
Rudra Gufa Ka Swami
- Author Name:
Shiv Vachan Choube
- Book Type:

-
Description:
शिव वचन चौबे लोकगीतों और लोककथाओं में जीवन्तता तलाशनेवाले मिथक प्रेमी, कथाकार प्रेमी मात्र नहीं हैं। वे ग्रामीण जीवन के बदलते चरित्र को उसकी सहजता और चालाकी के साथ रेखांकित करनेवाले संवेदनशील रचनाकार हैं। ‘रुद्रगुफा का स्वामी' आत्मपरक वस्तुपरकता से विकसित आज के गाँवों और नगरों में विद्यमान सम्पत्ति-मोह के भीषण परिणामों का संकेत करनेवाला अत्यन्त रोचक उपन्यास है।
यह उपन्यास लोककथा के रहस्य, रोमांच, जिज्ञासा, कौतूहल आदि तत्त्वों के उपयोग से बना होने के कारण पाठक को अन्त तक बाँधे रहता है। हिन्दी में कौतूहल और रहस्य का सामाजिक यथार्थ के उद्घाटन की दृष्टि से यह महत्त्वपूर्ण प्रयोग है।
देवकीनंदन खत्री के उपन्यासों जैसा यह नाम निम्न जातियों के स्वार्थपरक इस्तेमाल का उद्घाटन करते हुए उनकी उद्बुद्ध विवेकशक्ति को रेखांकित करता है। रुद्रगुफा का स्वामी कौन है? और क्यों बना है? यह प्रश्न यथार्थ के अनेक हेतुओं का उद्घाटन करता है। पाठकों और आलोचकों को अपने स्वरूप और संकेत से आकर्षित करनेवाला एक उल्लेखनीय उपन्यास।
Tirange Ki Gaurav Gatha
- Author Name:
Lt. Cdr. K.V. Singh
- Book Type:

- Description: किसी भी देश का राष्ट्रीय ध्वज उसका सर्वाधिक समादृत प्रतीक होता है। देश का हर व्यक्ति—चाहे राष्ट्रपति हो या प्रधानमंत्री अथवा सामान्य जन—सभी अपने राष्ट्रीय ध्वज को सलामी देते हैं। राष्ट्रीय ध्वज कहा जानेवाला कपडे़ का यह टुकड़ा पूरे राष्ट्र, उसकी गरिमा एवं प्रतिष्ठा का प्रतिनिधित्व करता है। भारत के गौरव का प्रतीक तिरंगा ध्वज अब लगभग साठ वर्ष का होने जा रहा है। यदि हमारे राष्ट्र को कोई एकता के सूत्र में बाँध सकता है तो वह हमारा राष्ट्रीय ध्वज ‘तिरंगा’ ही है, जिसका न कोई अपना धर्म है और न ही कोई देश या प्रदेश। इसलिए आज देश के लिए तिरंगे से अच्छा और सच्चा पे्ररणास्रोत अन्य क्या हो सकता है! एक समय था जब भारतीय नागरिक राष्ट्रीय ध्वज का प्रयोग नहीं कर सकते थे, पर आज हमें संवैधानिक रूप से इसे फहराने का अधिकार प्राप्त है। हमारे देशवासी अब तिरंगे को मात्र 15 अगस्त व 26 जनवरी के दिन ही नहीं, बल्कि प्रतिदिन फहरा सकते हैं और देशप्रेम की अपनी भावना का प्रकटीकरण कर सकते हैं। प्रस्तुत पुस्तक की रचना का उद्देश्य पाठकों को अपने देश के राष्ट्रीय ध्वज का संपूर्ण परिचय देना और विनय भाव से इसके प्रति यथोचित सम्मान प्रकट करने को प्रेरित करना है। विश्वास है, ‘तिरंगे की गौरव गाथा’ पढ़कर पाठकगण भारत के गौरव को पहचानेंगे और इसकी रक्षा के लिए तन-मन-धन से समर्पित होने को सन्नद्ध होंगे।
Hidden From The World
- Author Name:
Ganga
- Book Type:

- Description: Penned thoughts, that travel beyond life and reality…!!! a book made out of few thoughts a young wanderer had and kept to herself, hidden from the world. Hope you will enjoy and like the aftertaste.
Kisi Aur Subah
- Author Name:
Lakshmidhar Malviya
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
I Finally Got It
- Author Name:
Sakib Chowdhury
- Book Type:

- Description: Everyone is searching for true love Saurabh is no different but surprisingly he found it pretty easily but is it true? Did he truly found the love he was looking for? Find out in the book.
Frozen Tears
- Author Name:
Advyth
- Book Type:

- Description: A highly intelligent serial killer is loose in the Metro city in India. His targets are unconnected people from different age groups, the only common element being that he gives his victims a painless death. Dev, a senior police officer who is assigned the case, is struck by the empathetic way in which the killer masterminds his horrific acts. His conventional ways of investigating the case lead nowhere. He is then joined by his daughter, Rudra, who is a psychiatrist and criminologist working for the London police Department. Rudra brings in her novel ways of investigation of getting into the killer mind and has her first breakthrough. As the case proceeds, Rudra is shocked to discover how crimes all over the world are driven by universal passions, and how, with the slight provocation, even seemingly innocent people can be driven to horrendous crimes. But what Rudra does not know is that the killer, who is always one step ahead of her, is much closer to home than she thinks. It takes a terrible tragedy to prove that to her. Join author advyth as he narrates this unique crime investigation thriller that is full of eye-opening insights on the human mind that will shock one and all.
Krishnavtar : Vol. 7 : Yudhishthir
- Author Name:
K. M. Munshi
- Book Type:

-
Description:
सुविख्यात गुजराती उपन्यासकार कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी की बहुचर्चित और बहुपठित उपन्यास-माला ‘कृष्णावतार’ के पूर्वप्रकाशित छह खंडों—‘बंसी की धुन’, ‘रुक्मिणी हरण’, ‘पाँच पाण्डव’, ‘महाबली भीम’, ‘सत्यभामा’ तथा ‘महामुनि व्यास’—के बाद ‘युधिष्ठिर’ नामक यह सातवाँ खंड है। साथ ही आठवाँ, किन्तु अधूरा खंड ‘कुरुक्षेत्र’ भी। मुंशी जी इससे इस ग्रन्थमाला का समापन करनेवाले थे।
‘महाभारत’ में युधिष्ठिर ‘धर्मराज’ के रूप में विख्यात इतिहासपुरुष हैं। अधर्म, अशान्ति और रक्तपात से उन्हें घोर विरक्ति है। उनकी राजनीति धर्म-साधना का माध्यम-भर है—धर्म को उसका साधन नहीं बनाया जा सकता। यह जानते हुए भी कि कौरव उनका और उनके भाइयों का सर्वस्व हड़प जाना चाहते हैं, युद्ध उन्हें स्वीकार्य नहीं। यही कारण है कि दुर्योधन और शकुनि के षड्यंत्र को जानते हुए भी वे द्यूतसभा का बुलावा स्वीकार कर लेते हैं और भाइयों आदि के निषेध के बावजूद लगातार हारते चले जाते हैं। उपन्यास में इस समूचे घटनाक्रम के दौरान युधिष्ठिर के अन्तर्द्वन्द्व और बेचैनी का मार्मिक अंकन हुआ है। वनवास और अज्ञातवास के बावजूद अन्ततः उन्हें ‘कुरुक्षेत्र’ जाना पड़ा।
और ‘कुरुक्षेत्र’ अधूरा है—यहाँ और जीवन, दोनों जगह। पता नहीं, कब से यह कुरुक्षेत्र हमारे बाहर-भीतर अपूर्ण है और कब तक रहेगा? पर शायद मानव-विकास का बीज भी इसी अपूर्णता में निहित है।
The Pocket Love Story
- Author Name:
Ajitabha Bose
- Rating:
- Book Type:

- Description: Love is one of the most beautiful expressions and emotions that humans are blessed with. Everyone has a love story. Some love stories have a happy ending and some doesn�t. Some love stories are known to the entire world and some are left unknown. Come, read some untold love stories.
Socha Na Tha
- Author Name:
Shobha De
- Book Type:

-
Description:
सोचा न था उदासी, ऊब, सपनों और सपनों के नामालूम ढंग से टूट जाने की कहानी है। इस उपन्यास में लेखिका ने एक अत्यन्त सामान्य कथानक के भीतर छिपी असामान्य उत्सुकताओं की खोज की है। माया, जो इस उपन्यास की मुख्य चरित्र है, देखती आँखों उसकी ज़िन्दगी में किसी तरह का कोई अभाव नहीं, कोई दु:ख नहीं—सुन्दर, सुशिक्षित। कलकत्ता जैसे महानगर से बम्बई जैसे महानगर में आई एक संस्कारवान बांग्ला बहू। एक आधुनिक गृहिणी। रंजन मलिक जैसे अमेरिका-पलट बैंक अधिकारी की बीवी। फिर भी माया के दाम्पत्य जीवन में वह कौन-सी कमी थी, जिसे पूरा करने के लिए वह निखिल जैसे युवक की ओर आकर्षित होती है?
अंग्रेज़ी की बहुचर्चित कथाकार शोभा डे अपने इस उपन्यास में स्त्री-जीवन के इसी प्रश्न को उठाती हैं। दाम्पत्य सम्बन्धों के व्यावहारिक पहलुओं और उसकी छोटी-बड़ी बारीकियों को खोलते हुए वे उक्त प्रश्न के सम्भावित उत्तर को भी संकेतित करती हैं। स्पष्टतया कहा जाए तो पति-पत्नी का सम्बन्ध मात्र सामाजिक, औपचारिक ही नहीं, वह एक गहन भावनात्मक और आत्मिक ज़िम्मेदारी भी है। इसका अभाव एक स्त्री को भटकाव का अवसर ही नहीं, तर्क भी देता है। कहने की आवश्यकता नहीं कि इस तर्क को सामने रखते हुए शोभा डे न तो नारी-मनोविज्ञान को अनदेखा करती हैं और न ही हमारे मध्यवर्गीय ढोंग तथा महत्त्वाकांक्षाओं को। ऐसे में स्त्री हो या पुरुष, उसका पाना और खोना जैसे एक-दूसरे का पर्याय बन जाता है।
अपने कथ्य के साथ जीते हुए एक सिद्धहस्त रचनाकार अपने चरित्रों का अंकन किस कुशलता से करता है, यह देखने के लिए इस उपन्यास को पढ़ा जाना अनिवार्य है। छोटे-छोटे, हाशिये पर रहनेवाले पात्र भी आपको कहानी के भूगोल में अपने पूरे स्वायत्त व्यक्तित्व के साथ खड़े मिलेंगे।
Royal Bengal Rahasya
- Author Name:
Satyajit Ray
- Book Type:

-
Description:
'रॉयल बंगाल रहस्य' महान फ़िल्मकार और अनूठे लेखक सत्यजित राय द्वारा रचित लोकप्रिय जासूस किरदार फेलूदा के सर्वाधिक प्रशेसित कारनामों में शुमार है।
अमूमन शहरी परिवेश के रहस्यों को उजागर करते नजर आने वाले फेलूदा इस उपन्यास में एक निपट ग्रामीण इलाके में पहुँच जाते हैं, जहाँ आदमखोर बाघ की गुत्थी सुलझाने के लिए उन्हें जंगल में भी जाना पड़ता है। वहाँ बाघ तो मिलता है, पर वह आदमखोर नहीं होता। इसके साथ ही वहाँ एक ऐसा राज भी उजागर होता है, जिसका अनुमान फेलूदा को कतई नहीं था। और तब स्पष्ट होता है कि जानवरों के मिजाज को समझना उतना मुश्किल नहीं है, जितना इनसानों का!
अपने रहस्य-रोमांच में आखिरी पंक्ति तक बाँधे रखने वाला उपन्यास!
Phool Imartein Aur Bandar
- Author Name:
Govind Mishra
- Book Type:

- Description: रे समय के सबसे बड़े साहित्यकार सोल्ज़ेनित्सिन ने ‘नोबेल पुरस्कार’ लेते समय अपने भाषण में कहा था—“अगर लेखक नहीं तो दूसरे कौन अपने यहाँ की असफल सरकारों को अपराधी ठहराएँगे और लेखकों के अलावा कौन अपने समाज को उसके भीरुताजन्य अपमान अथवा आत्मतुष्ट नपुंसकता के लिए दोषी ठहराएगा?” अपने देश में क्या हुआ कि सरकारें तो बदलीं पर कुछ नहीं बदला? अपने आठवें उपन्यास ‘फूल...इमारतें और बन्दर’ में गोविन्द मिश्र इस प्रश्न से टकराते हुए सरकार के भीतरी ढाँचे में हमें ले जाते हैं, जिसमें फँसा एक संवेदनशील अधिकारी लगातार होते हुए अपने नैतिक पतन को स्वयं देख रहा है। उस व्यक्ति के माध्यम से उपन्यासकार हमें प्रशासन के ऊपरी तंत्र के तिलिस्म के सामने ला खड़ा करता है जो बाहर से रहस्यमय, अबूझ, अभेद्य और साफ़-सुथरा लगता है, पर जो भीतर से उतना ही छिछला, गिजगिजा और भ्रष्ट है। और जो दरअसल उपन्यास का मुख्य पात्र है। उस तिलिस्म के भीतर के चतुर खिलाड़ी कौन हैं, अपने ‘पावर गेम्स’ कैसे खेलते हैं, ‘ग्रीन रूम’ में क्या-क्या और कैसे चलता है...तंत्र को अपने स्वार्थ के लिए नेता और बड़े अफ़सर कैसे और भ्रष्ट करते हैं...इस यथार्थ के कितने आयाम उपन्यास में खुलते चले जाते हैं। उन्हें जीवन के वृहत्तर सवालों से छोड़कर, नियति-न्याय के परिप्रेक्ष्य में रखकर उपन्यासकार जैसे एक सामान्य यथार्थवादी राजनीतिक उपन्यास की सीमाओं को लाँघ एक बड़ी रचना की सृष्टि अनायास ही कर गया है। पाठकों को सोल्ज़ेनित्सिन का एक और कहना याद आएगा—“वह साहित्य जो अपने समय के नैतिक और सामाजिक ख़तरों को व्यक्त नहीं करता, साहित्य कहलाने लायक़ नहीं है।” हिन्दी में अपने क़िस्म का पहला उपन्यास जिसे गोविन्द मिश्र ही लिख सकते थे और उनका ‘देय’ था, एक तरह से
Had-Behad
- Author Name:
Keshav
- Book Type:

-
Description:
‘हद-बेहद’ बहुत ख़ूबसूरत प्रौढ़ प्रेम-उपन्यास है बल्कि इसे प्रेम का दर्शन भी कह सकते हैं। संस्कार और इन्दिरा की यह कहानी प्रेम में कुछ पाने या खोने की कथा नहीं है। यहाँ प्रेम में न देह का नकार है न उसका विकृत अट्टहास। प्रेम यहाँ धीरे-धीरे आकार लेता है और मन को मन से मिलाकर एक सामाजिक दायित्व बन जाता है।
संस्कार दलित समाज से आता है और इन्दिरा सवर्ण समाज से लेकिन दोनों का अनुराग ऐसा है कि जाति आड़े नहीं आती। दोनों साथ पढ़ते हैं। स्कूल में एक लड़का संस्कार को उसकी जाति के बहाने अपमानित करता है पर इन्दिरा संस्कार के साथ खड़ी रहती है। अपने संस्कारों के कारण संस्कार प्रेम में देह को महत्त्व नहीं देता लेकिन इन्दिरा की ऐसी कोई वर्जना नहीं है, उसके लिए निष्ठा और समर्पण ज़्यादा महत्त्वपूर्ण हैं। संस्कार शर्मीला है। इन्दिरा दबंग। वह उसके लिए पहेली की तरह है। ऐसा नहीं कि इससे पहले संस्कार के जीवन में लड़कियाँ नहीं आईं। दो लड़कियों ने उसके सहारे अपने बन्धनों को तोड़ने का प्रयास किया और संस्कार को भी प्रेरित किया लेकिन पिता के ट्रांसफर के बाद संस्कार के रिश्ते टूट गए। तीसरा रिश्ता एक ज़मींदार की बेटी का था जो प्रेम को सिर्फ़ देह की भूख समझती थी। संस्कार ने उससे अपमान पाया। यह गाँठ उसे इन्दिरा के साथ भी सहज नहीं होने देती। एक रात कमरे में साथ पढ़ते हुए इन्दिरा संस्कार की देह से जुड़ने का प्रयास करती है। संस्कार असहज हो जाता है। उसके पिता इस क्षण को देख लेते हैं क्या होता है उसके बाद? लेखक ने बहुत रोचक ढंग से यह सरस कथा बुनी है। इसे पढ़ना एक सुखद और नवीन अनुभूति है।
दरअसल, पूरा उपन्यास प्रेम में स्त्री-पुरुष मुक्ति का दर्शन है।
—शशिभूषण द्विवेदी
Professor Shanku Ke Karname
- Author Name:
Satyajit Ray
- Book Type:

- Description: प्रोफ़ेसर शंकू कौन है? बस, इतना ही पता चलता है कि वे एक वैज्ञानिक हैं, विश्वविख्यात वैज्ञानिक। कुछ लोग कहते हैं कि उन्होंने शायद किसी भीषण प्रयोग में अपने प्राण गँवा दिए हैं। इधर यह भी सुनने में आया है कि वे किसी अपरिचित अंचल में छुपकर अपने काम में लगे हुए हैं, समय आने पर प्रकट हो जाएँगे। प्रोफ़ेसर शंकू की प्रत्येक डायरी में कुछ-न-कुछ ऐसी विचित्र जानकारियाँ अंकित हैं जो हमें रोमांचित करती हैं। ये कहानियाँ सच्ची हैं या झूठी, सम्भव हैं या असम्भव—इसका निर्णय आप स्वयं पढ़कर कर लें। रोचक शैली में लिखा गया सत्यजित राय का बहुचर्चित-बहुप्रशंसित उपन्यास है—‘प्रोफ़ेसर शंकू के कारनामे’।
Dada Kamred
- Author Name:
Yashpal
- Book Type:

-
Description:
‘दादा कामरेड’...यह उपन्यास लेखक की पहली रचना थी जिसने हिन्दी में रोमांस और राजनीति के मिश्रण का आरम्भ किया। यह उपन्यास बांग्ला उपन्यास सम्राट शरत् बाबू के प्रमुख राजनैतिक उपन्यास ‘पथेरदावी’ द्वारा क्रान्तिकारियों के जीवन और आदर्श के सम्बन्ध में उत्पन्न हुई भ्रामक धारणाओं का निराकरण करने के लिए लिखा गया था, परन्तु इतना ही नहीं यह श्री जैनेन्द्र की आदर्श नारी पुरुष की खिलौना ‘सुनीता’ का भी उत्तर है।
यशपाल के इस उपन्यास से चुटिया कर रूढ़िवाद के अन्ध अनुयायियों ने लेखक को क़त्ल की धमकी दी थी, परन्तु देश की प्रगतिशील जनता की रुचि के कारण ‘दादा कामरेड’ के न केवल हिन्दी में कई संस्करण प्रकाशित हो चुके हैं बल्कि गुजराती, मराठी, सिन्धी और मलयालम में भी यह उपन्यास अनुवादित हो चुका है।
Customer Reviews
0 out of 5
Book
Be the first to write a review...