Pikadili Circus
Author:
Nimai BhattacharyaPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Literary-fiction0 Reviews
Price: ₹ 60
₹
75
Available
बहुत बातें सुन चुकी हूँ, बोल चुकी हूँ मगर आज दिल्ली जाने के दौरान लग रहा है, नहीं, कोई बात न बोल सकी हूँ और न ही सुन सकी हूँ। फिर जा क्यों रही हूँ? दूर से संवेदना प्रकट करना या प्यार करना मुश्किल बात नहीं है, लेकिन समाज के अनगिन लोगों की आलोचना अनसुनी कर मुझ जैसी भाग्यहीन युवती को सम्मान के साथ जीवन में स्वीकार कर लेना आसान काम नहीं है। विवेक क्या वह कर सकेगा?</p>
<p>मालूम नहीं। सचमुच मालूम नहीं है। किसी को अच्छी तरह जानने-पहचानने के लिए जितने दिनों तक घनिष्ठता के साथ मिलने-जुलने की आवश्यकता पड़ती है, विवेक से उस रूप में मैं कभी मिल-जुल नहीं सकी हूँ। प्याली को बिना जताए, किसी भी व्यक्ति को समझने का मौक़ा दिए बग़ैर कलकत्ते में विवेक और मैं मिलते-जुलते रहे हैं, साथ-साथ घूमते-फिरते रहे हैं और सिनेमा देखते रहे हैं। अच्छा ज़रूर लगता था मगर उसे अपने निकट पाने के लिए मन में कभी बेचैनी का अहसास नहीं होता था। प्यार सिर्फ़ अच्छा ही नहीं लगता, वह आदमी के जीवन में पूर्णता और तृप्ति ले आता है। प्यार तुच्छता के अँधेरे को बेधकर महान जीवन की ओर ले जाता है। विवेक को अपने निकट पाकर मैंने कभी उस पूर्णता, तृप्ति और तुच्छता की ग्लानि से मुक्त महान जबान का स्वाद नहीं पाया था। पाने की प्रत्याशा भी नहीं की थी।</p>
<p>—इसी पुस्तक से
ISBN: 9788180311437
Pages: 132
Avg Reading Time: 4 hrs
Age : 18+
Country of Origin: India
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क्या जीवन आकाश चम्पा है?
दो-दो बार वसन्त आता है इसमें, दो-दो बार खिलती हैं आकाश चम्पा की कलियाँ–जिन्दगी की तरह। एक बार जो जीवन जिया उसमें कितना कुछ जीने से रह गया, जिस-जिस मोड़ पर मुड़ना था, नहीं मुड़े, जहाँ पलटकर पीछे देखना था नहीं देखे, जहाँ ठहरना था, नहीं ठहरे। सो, आकाश चम्पा उन भूलों को सुधारती है, पहली बार जिन डालों में फूल नहीं आये होते, दूसरी बार उन डालों पर भी फूल खिलते हैं।
गहन अनुभूतियों की बारीक बुनावट से रचा गया संजीव का यह नवीनतम उपन्यास मनुष्य की इस आदिम आकांक्षा का ऐसा मार्मिक आख्यान है, जिसमें व्यक्ति-जीवन के कोण से इतिहास, नियति, रिश्ते और संघर्ष के उन तमाम सवालों की पड़ताल की गई है, जो हमारे समय के विमर्श के केन्द्र में हैं। इन अर्थों में यह उपन्यास महज आख्यान नहीं रह जाता, बल्कि अपने समय से एक दुर्धर्ष टकराहट के रूप में पृष्ठ-दर-पृष्ठ ध्वनित होता है। संजीव ने इस उपन्यास में अपने दिक्काल का ऐसा निर्मम विवर्तन किया है, जिसे अन्यत्र देख पाना कठिन है।
विवर्तन की प्रक्रिया में लेखक की नजर निरन्तर इतिहास के अन्दर विलम्बित और निलम्बित पड़े सवालों और इतिहास के बाहर छूटे हुए लोगों तक जाती है। सामाजिक अवक्षय ने भले ही मनुष्य को हताश कर दिया हो, पर इस स्थिति में भी उसके हृदय के कोने में यह आकांक्षा अपनी पंखुड़ियाँ खोलने से नहीं चूकती कि क्या भूलों का फिर से संशोधन हो सकता है? इस तरह संजीव नियति नहीं नियन्ता की कथा कहते हैं, उस नियन्ता मनुष्य की जिसने अपनी जिजीविषा को आत्मसंघर्ष की ताकत से मूर्त किया है और अपने मुक्तिस्वप्न को एक ही जीवन में दो बार सम्भव किया है। उपन्यास की आनुषंगिक उपलब्धि है एक वर्जित पर मार्मिक प्रेम प्रसंग, जिसकी स्निग्धता और सुरभि उपन्यास में एक नया आयाम जोड़ती है।
Potpakshi
- Author Name:
Shivshankari
- Book Type:

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सुजश। आधुनिक, आत्मनिर्भर, स्वतंत्र और अपने में बेहद सुलझी हुई लड़की। आर्किटेक्चर की दुनिया में एक रचनात्मक मेधा। सुजश। जिसने अपनी माँ के रूढ़िग्रस्त और उत्पीड़क व्यवहार का सामना करते हुए अपनी राह ख़ुद बनाई और नौ साल तक घर की तरफ़ मुड़कर नहीं देखा। वही सुजश अपने से उम्र में काफ़ी बड़े और विवाहित वासुदेव के प्रेम में घिरती हुई धीरे-धीरे पूरी तरह डूबने-डूबने को हो जाती है, लेकिन हठात् एक लहर उसे पुनः किनारे की तरफ़ खींच ले जाती है। वासुदेव को अचानक पता चलता है कि अपनी जिस पत्नी को वे सुजश के लिए तलाक़ देने जा रहे हैं, वह गर्भवती है। फ़ैसला सुजश करती है और लम्बी छुट्टी लेकर सुकून की तलाश में निकल जाती है।
इस उपन्यास में लेखिका किसी पात्र या परिस्थिति पर कोई वेल्यू जजमेंट नहीं देतीं, न यह कहती हैं कि सुजश और वासुदेव का प्रेम ठीक है अथवा ग़लत। वह बस एक कहानी को अपने पूरे प्रवाह के साथ हमारे सामने रख देती हैं। रोचक और पठनीय उपन्यास।
Ek Violin Samandar Ke Kinare
- Author Name:
Krishna Chander
- Book Type:

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इस उपन्यास का नायक—केशव—हज़ारों साल पीछे छूट गई दुनिया से हमारी दुनिया में आया है। आया है एक लड़की से प्रेम करने की अटूट इच्छा लिये। वह लड़की उसे मिलती भी है, लेकिन त्रासदी यह कि वह उसकी हत्या कर डालता है!...
...तो जो व्यक्ति अपनी दुनिया से हमारी दुनिया में प्यार करने आया था, उसने हत्या क्यों की? यही है इस उपन्यास का मुख्य सवाल, जिसका जवाब प्रक्रिया में उनका यह बहुचर्चित उपन्यास वर्तमान सभ्यता के पूँजीवादी जीवन-मूल्यों पर तो प्रहार करता ही है, उन मूल्यों को उजागर करता है, जो मानव सभ्यता को निरन्तर गतिशील बनाए हुए हैं। उनकी मान्यता है कि पुरानी दुनिया के सिद्धान्तों से नई दुनिया को नहीं परखा जा सकता। नई दुनिया की स्त्री भी नई है—प्रेम के कबीलाई और सामन्ती मूल्य उसे स्वीकार नहीं। अब वह स्वतंत्र है। वास्तव में सतत परिवर्तनशील मूल्य-मान्यताओं का अन्त:संघर्ष इस कथाकृति को जो ऊँचाई सौंपता है, वह अपने प्रभाव में आकर्षक भी है और मूल्यवान भी।
Crosshatch of Time
- Author Name:
Aswin T Dev
- Book Type:

- Description: Trust, a simple five letter word but a strong one which plays a major role in everyone life. This story is both a fairy tale and a story that shows the reality that life is not always a fairy tale. This tale is about two people, the coincidences in their life leading to different Phase in life. Their journey reaches an abrupt halt due to the distrust between them leading to an unsuccessful marriage. Trust breaks but the love doesn't. They both meet after ten years for their eldest daughter's marriage, the twin brothers come face to face after ten years and the youngest daughter sees her mother's face in real for the first time. A family reunion. Sweet right?? But not for long. Life starts throwing unexpected twists to their life forcing them to trust each other for survival. Can the "two" Trust each other after everything that had happened?? Love was deep inside them but what was on the surface was the broken trust. Can love build back a broken trust??.
Urmila
- Author Name:
Asha Prabhat
- Book Type:

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Description:
रामकथा में उर्मिला लगभग उपेक्षित पात्र है। लक्ष्मण के लम्बे विरह और उस दौरान अपने कर्तव्यों का उदात्त भाव से पालन करनेवाली उर्मिला के चरित्र को पर्याप्त विस्तार न तो वाल्मीकि रामायण में मिला है, और न ही तुलसी के मानस में। यह उपन्यास इसी अदीखते-से पात्र के व्यक्तित्व को विभिन्न आयामों से प्रकाशित करने का प्रयास है।
सीता की भाँति उर्मिला को अपने प्रिय के साथ वन जाने का अवसर नहीं मिला, इसलिए स्वाभाविक ही उन्हें जनसाधारण के सम्पर्क में आने, उनके अभावों और प्रसन्नताओं को देखने का अवसर भी नहीं मिला। वे सदैव राजभवनों में रहीं। लेकिन क्या यह कहा जा सकता है कि सुख के उन तथाकथित आगारों में कष्टों और विडम्बनाओं के अनेक रूप देखने को नहीं मिलते! क्या यह सम्भव है कि राम, लक्ष्मण और सीता के प्रस्थान के बाद राजभवन और वहाँ रह गए लोगों की मन:स्थिति में आमूल परिवर्तन नहीं आया होगा? क्या उर्मिला ने सब कुछ सहते हुए, अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए गहन दुख का सामना नहीं किया होगा!
यह उपन्यास इसी दृष्टि से उर्मिला के सम्पूर्ण अनुभव-जगत को अंकित करने का प्रयास करता है। उपन्यासकार के शब्दों में, ‘उर्मिला का तप बहुत कठिन है। विरह का ताप कमोबेश हर स्त्री भोगती है परन्तु उर्मिला का विरह इस मायने में विशिष्ट है कि उसमें अश्रुओं के निकलने की वर्जना भी शामिल है। सन्ताप के घोर पलों में क्या आँसुओं की वर्जना सम्भव है? यदि इसे उर्मिला सम्भव करती हैं तो यह उनके अन्दर की दृढ़ता ही कही जाएगी।’
व्यापक अध्ययन, सम्यक कल्पना और गहरी सहानुभूति के आधार पर रचा गया यह उपन्यास उर्मिला के अन्य गुणों को भी रेखांकित करता है, साथ ही उस युग के सामाजिक-सांस्कृतिक विन्यास को भी स्पष्ट करता है जिसके परिप्रेक्ष्य में हम अपने वर्तमान की परख कर सकते हैं।
Mizoram Ki Lokkathayen
- Author Name:
Prof. Yashwant Singh
- Book Type:

- Description: पूर्वोत्तर भारत में सैकड़ों जनजातियाँ अपनी सामाजिक, सांस्कृतिक एवं भाषाई विविधताओं के साथ लंबे समय से निवास करती आ रही हैं। इन जातियों के रहन-सहन, तौर-तरीके, विश्वासों में उतना ही भेद है, जितना पूर्वोत्तर भारत एवं शेष भारत में। यहाँ की जनजातियों का कोई प्राचीन लिखित साहित्य, लिखित इतिहास एवं लिखित साक्ष्य प्राप्त नहीं होता है। प्राचीन काल से इन जनजातियों के पास लोक-साहित्य सृजन की एक समृद्ध परंपरा रही है। प्राचीन काल से ये लोक-साहित्य सृजित, विकसित, हस्तांतरित होते हुए मौखिक परंपरा में आज तक चले आ रहे हैं। इन जनजातियों के प्राचीन सामाजिक जीवन, सांस्कृतिक तौर-तरीके, रहन-सहन, खान-पान, पहनावा-ओढ़ावा, धार्मिक विश्वासों आदि के बारे में जानने के आज ये एक सशक्त माध्यम हैं। मिजो जनजातियों के पास भी प्राचीन लोक-साहित्य और लोककथाओं का एक बहुमूल्य खजाना है, जो उनके प्राचीन सामाजिक जीवन, सांस्कृतिक तौर-तरीके, रहन-सहन, खान-पान, पहनावा-ओढ़ावा, धार्मिक विश्वासों आदि के बारे में जानने का आज एक सशक्त माध्यम हैं। इसी उद्देश्य को ध्यान में रखकर इन मिजो लोककथाओं का संकलन प्रस्तुत है, ताकि पाठक वहाँ की लोक-संस्कृति, परंपराओं और मान्यताओं को जान सकें।
Gujrat Pakistan Se Gujrat Hindustan
- Author Name:
Krishna Sobti
- Book Type:

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रक्तरंजित इतिहास के उस हिंस्र और क्रूर अध्याय को क्यों तो याद करें और कैसे उसे भूल जाएँ! सदियों-सदियों के बाद देश में अवतरित होनेवाली आज़ादी हर हिन्दुस्तानी दिल में धड़कती रही थी। इस उमगती विरासत को राजनीतिक शक्तियों ने विभाजित कर देश का नया भूगोल और इतिहास बना दिया। नई सरहदें खींच दीं। सरहदों के आर-पार दौड़ती लाशों से भरी रेलगाडिय़ाँ स्टेशनों के बाहर अँधेरों में खड़ी कर दी जाती रहीं। हज़ारों-हज़ारों की भीड़ वाले क़ाफ़िले अपने ही क़दमों में गुम हो बेनाम ख़ामोशियों की धूल में जा मिले। फिर भी हर हिन्दुस्तानी के दिल में धड़कता यह अहसास था कि विभाजन के अँधेरों में उपजी 'आज़ादी' एक पवित्र शब्द है—हमारी राष्ट्रीय अस्मिता और बरकतों का प्रतीक।
बँटवारे के बाद बना पाकिस्तान उस त्रासदी से पहले जिनके लिए अपना प्यारा हिन्दुस्तान था; वे लोग, अपने ही आज़ाद मुल्क में जिनके क़दम विस्थापित शरणार्थियों के भेस में पड़े, यह उपन्यास उन उखड़े और दर-ब-दर लोगों की रूहों का अक्स है।
यही वह समय था जब भारत की आज़ादी ने एक और कहानी लिखना शुरू की, जिसका मक़सद अपने औपनिवेशिक अतीत को धोना था। ‘रियासतों का विलय’ शुरू हो रहा था। इस उपन्यास का ताल्लुक़ इतिहास के इस अध्याय से भी है।
और सबसे नज़दीकी सम्बन्ध इस कृति का उस शख़्सियत से है जिसे हम कृष्णा सोबती के नाम से जानते हैं। बँटवारे के दौरान अपने जन्म-स्थान गुजरात और लाहौर को यह कहकर कि 'याद रखना, हम यहाँ रह गए हैं', वे दिल्ली पहुँची ही थीं कि यहाँ के गुजरात ने उन्हें आवाज़ दी और अपनी स्मृतियों को सहेजते-सँभालते वे अपनी पहली नौकरी करने सिरोही पहुँच गईं, जहाँ उनमें अपने स्वतंत्र देश का नागरिक होने का अहसास जगा; व्यक्ति की ख़ुद्दारी और आत्मसम्मान को जाँचने-परखने के लिए सामन्ती ताम-झाम का एक बड़ा फलक मिला। और मिले सिरोही रियासत के दत्तक पुत्र महाराज तेज सिंह— एक बच्चा, जो भारत के अतीत, वर्तमान और भविष्य के बीच सहमा खड़ा अपनी शिक्षिका से पूछ रहा था, 'मैम, बेदख़ल का मतलब क्या होता है?’
उल्लेखनीय है कि इस उपन्यास में लगभग सभी घटनाएँ और पात्र वास्तविक हैं।
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