Bhoo-Devta
Author:
Keshav ReddiPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Literary-fiction0 Reviews
Price: ₹ 79.2
₹
99
Available
तेलगू साहित्य में एक वाद के रूप में दलितवाद के स्थापित होने से पहले से ही केशव रेड्डी की कथा-रचनाओं में दलितों की समस्याओं का मार्मिक चित्रण अभिव्यक्त है। प्रस्तुत उपन्यास ‘भू-देवता’ एक किसान की मृत्यु और उसके पुनरुत्थान की गाथा है। उस किसान के प्रयत्न से लेकर उसकी विफलता तक की, असुरक्षा से उन्माद तक की और उन्माद से मृत्यु तक की यात्रा का यहाँ अंकन है। ‘भू-देवता’ का कथाकाल 1950 है। स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद जिस समय भारत नए सिरे से अपना स्वरूप गढ़ रहा था, उस समय की ये घटनाएँ हैं। लगभग 70 वर्ष पहले जिस प्रान्त में रोज़ ही अकाल तांडव करता रहता था, उस प्रान्त की दु:स्थिति का चित्रण केशव रेड्डी ने यहाँ बक्कि रेड्डी के माध्यम से किया है। ज़मीन और किसान का सम्बन्ध वही होता है जो मनुष्य और उसके प्राण का होता है। यह कहने में कोई अतिशयोक्ति नहीं है कि भूमिरहित किसान का जीवन कटी पतंग के समान होता है। भूमि को किसान से अलग करने पर हानि केवल किसान की ही नहीं होती, कृषि पर निर्भर बढ़ई, लोहार, राज-मज़दूर जैसे अनेक पेशों के लोगों की भी हानि होती है। यह समस्या भी केशव रेड्डी के इस उपन्यास में उभरकर आती है। राज्य खो गया, इस व्यथा से कोलंद रेड्डी और भूमि हाथ से छूट गई, इस व्यथा से बक्कि रेड्डी दोनों ही अन्तत: अपने प्राणत्याग करते हैं। निस्सन्देह किसानी जीवन की एक मार्मिक दास्तान है यह उपन्यास ‘भू-देवता’।
ISBN: 9788193969236
Pages: 95
Avg Reading Time: 3 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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- Description: महान बाल-साहित्य ‘सोफीज़ वर्ल्ड’ के रचनाकार यॉस्टेन गेर्डर की यह कृति किशोर वय के पाठकों को ध्यान में रखकर संवेदनशील भाषा में एक परिकथा की तरह रची गई है। ग्योर्ग रोएड को सन्तरोंवाली लड़की की कहानी उसकी लाल रंग की बच्चागाड़ी में मिलती है जिसे उसके पिता ने अपनी मृत्यु से कुछ ही दिन पूर्व उसी के लिए लिखा था। दरअसल यह प्रेम से लिखी गई एक गहन प्रेमकथा है जो संवेदना, धैर्य, उत्कंठा के साथ-साथ नैतिक और प्राकृतिक सौन्दर्य के वैभव से बुनी पहेली जैसी लगती है। यह सहज भाषा में लिखी गई एक असाधारण कथा है जो पाठकों को एक रचनात्मक आस्वाद प्रदान करती है। हिन्दीभाषी पाठकों को यह पुस्तक न केवल पठनीय लगेगी, बल्कि वे इसे वर्षों भुला नहीं पाएँगे।
Andhi Chhalaang
- Author Name:
Mandakranta Sen
- Book Type:

- Description: नाम तिथि। एक मध्यवित्त परिवार की लड़की। चेहरा अति साधारण। बी.ए. की छात्रा। जीवन की धुरी विद्यालय और घरेलू व्यस्तताएँ। अचानक एक दिन किसी की नज़र से नज़र मिली और तिथि के शरीर में बिजली दौड़ गई। लड़के का नाम पार्थ। तिथि की एक सहेली का चचेरा भाई। आयु में उससे बारह साल बड़ा। परिवार के विरोध के बावजूद तिथि पार्थ से विवाह करके निहायत निम्नवर्गीय परिस्थितियों में अपने दाम्पत्य जीवन का आरम्भ करती है। और, किराए के इसी अकेले कमरे में उसके सामने जीवन का वह पक्ष खुलता है जिसकी उसने कभी कल्पना भी नहीं की थी। बांग्ला में एक कवि के रूप में प्रतिष्ठित व चर्चित मन्दाक्रान्ता सेन अपने इस पहले उपन्यास में स्त्री-अस्मिता को एक नया विस्तार और नया चेहरा देने का प्रयास करती हैं; साथ ही अपनी सम्भावनाओं की तरफ़ भी पाठकों का ध्यान आकर्षित कराती हैं।
Goa Ki Lokkathayen
- Author Name:
Dr. Jayanti Naik
- Book Type:

- Description: इस पुस्तक में गोवा की प्रसिद्ध लोककथाओं का हिंदी अनुवाद संकलित है। गोवा की जनजातियों में वाचिक परंपरा से सदियों से कही जा रहीं ये चुनी हुई लोककथाएँ हैं। इनमें राजा-रानी, राक्षस, जिन्न, जानवर, पंछी, मूर्ख, होशियार, साहसी-डरपोक आदि विषयों की लोककथाएँ हैं। गोवा की लोककथाओं की प्राचीनता एवं मूल रूप पाठकों के सामने आ जाए इस उद्देश से, आदिवासी जनजातियों और गाँव-कस्बे में रहनेवाले लोगों में प्रचलित लोककथाओं का विशेष रूप से चयन किया गया है। नीतिकथा, चातुर्यकथा, अद्भुतकथा, शौर्यकथा, हास्यकथा आदि लोककथाओं के जो प्रकार गोवा में पाए जाते हैं, उनके नमूने इसमें समाविष्ट हैं, जिससे गोवा की लोककथा की विविधता का अंदाजा मिल जाता है। गीत रूप में प्रस्तुत होनेवाली लोककथाओं के नमूने भी इस संग्रह में हैं। पुस्तक केप्रारंभ में एक विस्तृत भूमिका है जो गोवा की लोककथाओं के स्वरूप, प्रकार, प्रचार, विशेषता आदि पर प्रकाश डालने के साथ-साथ सांस्कृतिक धरोहर, इतिहास और समाज जीवन की भी मीमांसा करती है।
Aakhiri Kalaam
- Author Name:
Doodhnath Singh
- Book Type:

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Description:
यह कथा-कृति उपन्यास की सारी सीमाओं और लालचों को उलट-पुलट देती है। चरित्रों के टकराव से कथा का विकास—यह जो उपन्यास-लेखन की आदत बन चुकी है, यहाँ इस आदत से लगभग इनकार है। फिर भी यह कथा-कृति एक उपन्यास ही है। इसमें गद्य और वृत्तान्त का एक अजब संयोजन है, जहाँ से ढाँचागत वर्जनाएँ समाप्त होती हैं और कथा का विस्तार और खुलापन बातों और विचारों को आमंत्रित करते-से लगते हैं। गद्य और गल्प का एक नया रसायन तैयार होता है जो अपने रस और सुर से अद्भुत पठनीयता पैदा करता है। इस तरह यह उपन्यास गल्प की एक नई, अबाध निरन्तरता का प्रमाण है।
इस उपन्यास में मिथकीय संस्कृति के विश्लेषण की एक पवित्र और निहत्थी छटपटाहट है। मिथक को इतिहास में बदलने की कोशिशों का पर्दाफाश है; विचार, संरचना और संस्कृति पर एकल बहसों का निर्वेद है। इसी के भीतर कहानी के तार बिखरे पड़े हैं। इन्हीं तकलीफ़ों के भीतर से इतिहास के उन सूत्रों को ढूँढ़ने का प्रयत्न है, जो एक मिले-जुले समाज की बुनियाद हैं और जिनको उलट-पुलट देने की बर्बर आहटें इधर चौतरफ़ा सुनाई दे रही हैं। इसी तरह यह उपन्यास अपने समय के संसार की एक चित्र-रचना बनता है। अपने अतीत, इतिहास, मिथक और साहित्य-संस्कृति को उकेरता-उधेड़ता हुआ उसकी एक विस्फोटक और स्तब्धकारी पुनर्रचना सामने रखता है। उन बातों, अर्थों और व्याख्याओं को सामने लाता है, जो उसी में छुपी थीं लेकिन लोग और समाज, संस्कृति और विचार के धनुर्धर उसकी ओर से अक्सर आखें मूँदे रहते हैं।
अन्तत: यह उपन्यास हमारे अतीत और वर्तमान की एक नई ‘पोलेमिक्स' है। इंसाफ़ की इच्छा का एक दुखद-द्वंद्वात्मक संवाद है, जो अपने लोगों और अपनी जनता को ही सम्बोधित है।
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