Ummid
Author:
Shrikumaran TampiPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Literary-fiction0 Reviews
Price: ₹ 400
₹
500
Available
श्रीकुमारन तम्पी के मूल मलयालम उपन्यास 'कुट्टनाटु' का परम विद्वान डॉ. रंजीत रविशैलम द्वारा किया गया हिन्दी अनुवाद 'उम्मीद' एक मर्मस्पर्शी कृति है। त्याग की भावनाओं को उजागर करता यह उपन्यास केरल के उस परिवेश का सजीव चिंत्राकन करता है, जो आज से लगभग 60 वर्ष पूर्व के गाँव की जीवनशैली को प्रस्तुत करने में सक्षम है। जाति और धर्म को प्राथमिकता देने वाले उस समय के केरलीय परिवेश में एक नायर परिवार कुलीनता के नाम पर अपना सर्वस्व त्यागने का साहस करता है, इस भावपूर्ण और कठिन विषय को सरलता के साथ प्रस्तुत किया गया है। ईसाई, मुसलमान, हिन्दू के बीच समन्वय स्थापित करने के प्रयास का यथावत् चित्रण, साथ ही, दो भाईयों के भिन्न व्यवहार का बहुत सुन्दर चित्रण किया गया है। जहाँ एक ओर, एक भाई के स्वार्थी व्यवहार को दर्शाने के लिए उचित शाब्दिक स्थितियाँ निर्मित की गई हैं, वहीं दूसरी ओर, दूसरे भाई के त्याग की भावना को उजागर करने के लिए उपयुक्त भावुक वातावरण बनाया गया है।
ISBN: 9789392186387
Pages: 192
Avg Reading Time: 6 hrs
Age : 18+
Country of Origin: India
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उपन्यास में मोहन राकेश ने स्वयं ‘पूर्वभूमि’ के तहत इसकी रचना-प्रक्रिया पर रौशनी डाली है, जिससे हमें पता चलता है कि वे स्वयं इस कहानी से भावनात्मक स्तर पर कितना जुड़े हुए थे। इसे पूरा करने के लिए वे महीनों-महीनों कश्मीर में रहे और हाँजी परिवार के साथ हाउसबोट में ही नहीं, बल्कि डूँगों में भी रहकर दरिया का सफ़र करते हुए दूर-दराज़ के इलाक़ों तक गए।
लेकिन फिर भी यह उपन्यास अधूरा ही रहा। राकेश-साहित्य के शोधकर्ता और उनकी साहित्य-चेतना के मर्मज्ञ जयदेव तनेजा की पहल पर एक प्रयोग के तौर पर इसे मीरा कांत ने पूरा किया है जो स्वयं भी कश्मीरी पृष्ठभूमि से अच्छी तरह परिचित हैं, और इस कथा की ज़मीन को पकड़ने के लिए हफ़्तों श्रीनगर में रहकर, हाँजियों, उनके परिवारों और नई-पुरानी पीढ़ियों से मिलती रही हैं।
इस अनूठे कथा-प्रयोग के तहत उपन्यास के पात्रों और कथा-सूत्र का अध्ययन करते हुए उन्हें आगे बढ़ाया गया है। जिस सूझ-बूझ, कल्पनाशीलता और कौशल के साथ उन्होंने इस उपन्यास को एक बहुअर्थगर्भी परिणति तक पहुँचाया है, वह दिलचस्प है। उम्मीद है कि इस प्रयोग के रूप में पाठक एक नया औपन्यासिक आस्वाद पाएँगे। निःसन्देह कश्मीर को, समझने में भी यह उपन्यास एक आधार उपलब्ध कराता है, जो आज एक नए मोड़ पर है।
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