Teen Upanyas
Author:
Qurratul Ain HaiderPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Literary-fiction0 Reviews
Price: ₹ 156
₹
195
Available
‘अगले जनम मोहे बिटिया न कीजो’ मामूली नाचने-गानेवाली दो बहनों की कहानी है जो बार-बार मर्दों के छलावों का शिकार होती हैं। फिर भी यह उपन्यास जागीरदार घराने के आर्थिक ही नहीं, भावनात्मक खोखलेपन को भी जिस तरह उभारकर सामने लाता है, उसकी मिसाल उर्दू साहित्य में मिलना कठिन है। एक जागीरदार घराने के आग़ा फ़रहाद बकौल ख़ुद पच्चीस साल के बाद भी रश्के-क़मर को भूल नहीं पाते और हालात का सितम यह कि उसके लिए बन्दोबस्त करते हैं तो कुछेक ग़ज़लों का ताकि “अगर तुम वापस आओ और मुशायरों में मदऊ (आमंत्रित) किया जाए तो ये ग़ज़लें तुम्हारे काम आएँगी।” आख़िर सब कुछ लुटने के बाद रश्के-क़मर के पास बचता है तो बस यही कि “कुर्तों की तुरपाई फ़ी कुर्ता दस पैसे...” जहाँ उपन्यास का शीर्षक ही हमारे समाज में औरत के हालात पर एक गहरी चोट है, वहीं रश्के-क़मर की छोटी, अपंग बहन जमीलुन्निसा का चरित्र, उसका धीरज, उसका व्यक्तियों को पहचानने का गुण और हालात का सामना करने का हौसला मन को सराबोर भी कर जाता है।</p>
<p>खोखलापन और दिखावा-जागीरदार तबक़े की इस त्रासदी को सामने लाने का काम ‘दिलरुबा’ उपन्यास भी करता है। मगर विरोधाभास यह है कि समाज बदल रहा है और यह तबक़ा भी इस बदलाव से अछूता नहीं रह सकता। यहाँ लेखिका ने प्रतीक इस्तेमाल किया है फ़िल्म उद्योग का, जिसके बारे में इस तबक़े की नौजवान पीढ़ी भी उस विरोध-भावना से मुक्त है जो उनके बुज़ुर्गों में पाई जाती थी। मगर उपन्यास का कथानक कितनी पेचीदगी लिए हुए है, इसे स्पष्ट करता है गुलनार बानो का चरित्र—इसी तबक़े की सताई हुई ख़ातून जो अपना बदला लेने के लिए इस तबक़े की एक लड़की को दिलरुबा बनाती है (इस तरह नज़रिए की इस तब्दीली का माध्यम भी बनती है) और ख़ुदा का शुक्रिया अदा करती है कि उसने “एक तवील मुद्दत के बाद मेरे कलेजे में ठंडक डाली।”</p>
<p>तीसरा उपन्यास ‘एक लड़की की ज़िन्दगी’ है जिसे लेखिका की बेहतरीन तख़लीक़ात में गिना जाता है। यहाँ उन्होंने एक रिफ़्यूजी सिन्धी लड़की के ज़रिए पूरे रिफ़्यूजी तबक़े के दुख-दर्द को उभारा है। उस लड़के की किरदार को लेखिका ने इस तरह पेश किया है कि वह अकेली शख़्सियत न रहकर रिफ़्यूजी औरत का नुमाइंदा किरदार बन जाती है।</p>
<p>इस तरह क़ुर्रतुल ऐन हैदर के ये तीनों उपन्यास उनके फ़न के बेहतरीन नमूनों में गिने जा सकते हैं, साथ ही ये पढ़नेवाले के सामने उर्दू फ़िक्शन के तेवर को बड़े ही कारगर ढंग से पेश करते हैं।
ISBN: 9788126721085
Pages: 237
Avg Reading Time: 8 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
Recommended For You
Nadi Ke Dweep
- Author Name:
Sachchidananda Hirananda Vatsyayan 'Ajneya'
- Rating:
- Book Type:

- Description: व्यक्ति अज्ञेय की चिंतन-धरा का महत्तपूर्ण अंग रहा है, और ‘नदी के द्वीप’ उपन्यास में उन्होंने व्यक्ति के विकसित आत्म को निरुपित करने की सफल कोशिश की है-वह व्यक्ति, जो विराट समाज का अंग होते हुए भी उसी समाज की तीव्रगामी धाराओं, भंवरों और तरंगो के बीच अपने भीतर एक द्वीप की तरह लगातार बनता, बिगड़ता और फिर बनता रहता है । वेदना जिसे मांजती है, पीड़ा जिसे व्यस्क बनाती है, और धीरे-धीरे द्रष्टा । अज्ञेय के प्रसिद्द उपन्यास ‘शेखर : एक जीवनी’ से संरचना में बिलकुल अलग इस उपन्यास की व्यवस्था विकसनशील व्यक्तियों की नहीं, आंतरिक रूप से विकसित व्यक्तियों के इर्द-गिर्द बुनी गई है । उपन्यास में सिर्फ उनके आत्म का उदघाटन होता है । समाज के जिस अल्पसंख्यक हिस्से से इस उपन्यास के पत्रों का सम्बन्ध है, वह अपनी संवेदना की गहराई के चलते आज भी समाज की मुख्यधारा में नहीं है । लेकिन वह है, और ‘नदी के द्वीप’ के चरों पत्र मानव-अनुभूति के सर्वकालिक-सार्वभौमिक आधारभूत तत्त्वों के प्रतिनिधि उस संवेदना-प्रवण वर्ग की इमानदार अभिव्यक्ति करते हैं । ‘नदी के द्वीप’ में एक सामाजिक आदर्श भी है, जिसे अज्ञेय ने अपने किसी वक्तव्य में रेखांकित भी किया था, और वह है-दर्द से मंजकर व्यक्तित्व का स्वतंत्र विकास, ऐसी स्वतंत्रता की उद्भावना जो दूसरे को भी स्वतंत्र करती हो । व्यक्ति और समूह के बीच फैली तमाम विकृतियों से पीड़ित हमारे समाज में ऐसी कृतियाँ सदैव प्रासंगिक रहेंगी ।
Chiwar
- Author Name:
Rangeya Raghav
- Book Type:

-
Description:
उपन्यासकार रांगेय राघव ने ‘सीधा सादा रास्ता’ और ‘कब तक पुकारूँ’ जैसे समकालीन विषय-वस्तु पर आधारित उपन्यासों के साथ ऐतिहासिक उपन्यासों से भी हिन्दी साहित्य को समृद्ध किया है। अपनी मार्क्सवादी विश्व-दृष्टि के आधार पर वे प्रत्येक विषय को अपने ख़ास नज़रिए से चित्रित करते हैं।
‘चीवर’ उनके प्रमुखतम ऐतिहासिक उपन्यासों में से एक है। इसमें उन्होंने हर्षवर्धन काल के पतनशील भारतीय सामन्तवाद को रेखांकित किया है। ब्राह्मण और बौद्ध मतों के परस्पर संघर्ष के साथ-साथ मालव गुप्तों, वर्धनों और मौखरियों के बीच राजनीतिक सत्ता के लिए होनेवाला संघर्ष भी हमें यहाँ दिखाई देता है।
भाषा के स्तर पर यह उपन्यास सिद्ध करता है कि शब्दावली अगर घोर तत्समप्रधान हो तब भी उसमें रस की सर्जना की जा सकती है—बशर्ते लेखनी किसी समर्थ रचनाकार के हाथ में हो। यह इस उपन्यास की प्रवहमान भाषा का ही कमाल है कि इसमें विचरनेवाले पात्र, वह चाहे राज्यश्री हो या हर्षवर्धन या कोई और हमारी स्मृति पर अंकित हो जाते हैं।
Ek Thag Ki Dastan
- Author Name:
Filip Midoz Teilar
- Book Type:

-
Description:
700 से अधिक हत्याएँ करके अपराध के महासिन्धु में डूबा हुआ अमीर अली जेल में सामान्य बन्दियों से पृथक् बड़े ठाट-बाट से रहता था। वह साफ़ कपड़े पहनता, अपनी दाढ़ी सँवारता और पाँचों वक़्त की नमाज़ अदा करता था। उसकी दैनिक क्रियाएँ नियमपूर्वक चलती थीं। अपराधबोध अथवा पश्चात्ताप का कोई चिह्न उसके मुख पर कभी नहीं देखा गया। उसे भवानी की अनुकम्पा और शकुनों पर अटूट विश्वास था। एक प्रश्न के उत्तर में उसने कहा था कि भवानी स्वयं उसका शिकार उसके हाथों में दे देती हैं, इसमें उसका क्या कसूर? और अल्लाह की मर्ज़ी के बिना एक पत्ता भी नहीं हिल सकता। उसका यह भी कहना था कि यदि वह जेल में न होता तो उसके द्वारा शिकार हुए यात्रियों की संख्या हज़ार से अधिक हो सकती थी।
प्रस्तुत पुस्तक ‘एक ठग की दास्तान’ 19वीं शताब्दी के आरम्भ काल में मध्य भारत, महाराष्ट्र तथा निजाम के समस्त इलाक़ों में सड़क-मार्ग से यात्रा करनेवाले यात्रियों के लिए आतंक का पर्याय बने ठगों में सर्वाधिक प्रसिद्ध अमीर अली के विभिन्न रोमांचकारी अभियानों की तथ्यपरक आत्मकथा है। इसे लेखक ने स्वयं जेल में अमीर अली के मुख से सुनकर लिपिबद्ध किया है।
औपन्यासिक शैली में प्रस्तुत अत्यधिक मनोरंजक आत्मकथात्मक पुस्तक।
PT. RAJENDRA ARUN : RAM KAAJ KARIBE KO AATUR
- Author Name:
Dr. Vinod Bala Arun
- Book Type:

- Description: "मॉरीशस के हिंदू समाज के मन में श्री राजेंद्र अरुण के प्रति अत्यंत स्नेह, सम्मान और आत्मीय भाव है। सन् 1974 में वे प्रधानमंत्री सर शिवसागर रामगुलाम के साप्ताहिक पत्र ‘जनता’ के प्रबंध संपादक बने। सन् 1982 में उनके जीवन में एक नया मोड़ आया। एम.बी.सी. रेडियो पर उन्होंने रामायण की व्याख्या पर आधारित साप्ताहिक कार्यक्रम ‘मंथन’ आरंभ किया। लोगों ने इसे खूब सराहा। यह कार्यक्रम अब तक ‘मानस मंथन’ नाम से जारी है। उनके रेडियो कार्यक्रम की लोकप्रियता से ‘रामकथा’ का आरंभ हुआ। सन् 2000 के लगभग से श्री अरुणजी के मन में यह विचार आने लगा कि एक संस्था बनाकर रामकथा का विश्व स्तर पर प्रचार-प्रसार करें। सन् 2001 में उनके इस विचार को ‘रामायण सेंटर’ की स्थापना के साथ ठोस आधार प्राप्त हुआ। जन-मन के हृदय में रामायण गुरु के रूप में प्रतिष्ठित पं. राजेंद्र अरुण के 70वें जन्मदिन पर उन्हें उपहार रूप में भेंट करने के लिए इस पुस्तक के प्रकाशन का विचार हमारे मन में आया। इस पुस्तक में आत्मीय जनों द्वारा अरुणजी पर लिखे गए लेख, अरुणजी द्वारा लिखी गई कविताएँ, उनके चित्र, पत्र-पत्रिकाएँ जिनमें उन पर या उनका कुछ प्रकाशित है, ‘जनता’ समाचार-पत्र की कुछ कतरनें और उनकी कुछ पुस्तकों के अंश तथा एक लंबा साक्षात्कार और अरुणजी को प्राप्त कुछ सम्मान और पुरस्कार आदि संकलित हैं। ‘मॉरीशस के तुलसी’ पं. राजेंद्र अरुण के जीवन, व्यक्तित्व और कृतित्व के सम्यक् रूप का दिग्दर्शन करानेवाला संपूर्ण ग्रंथ। "
Ho Gayi Aadhi Raat
- Author Name:
Amitabh Bagchi
- Book Type:

-
Description:
मनुष्य-मन की महीन पड़ताल और सामाजिक-राजनीतिक व मानवीय परिस्थितियों के बारीक तंतुजाल से जूझती भाषा, वह पहली चीज़ें हैं जो इस उपन्यास को एक यादगार अनुभव बनाती हैं। पात्रों और एक विस्तृत काल-खंड में फैली घटनाओं के सूक्ष्मतम घटकों तक पहुँचने की लेखक की साहसी आकांक्षा जो इस औपन्यासिक वितान की पंक्ति-पंक्ति में न्यस्त है वह इस अनुभव को और घनीभूत करती है। साथ ही आज़ादी के पहले और बाद के भारतीय समाज, और उसकी भावगत-मूल्यगत बनावट की संवेदनशील व सटीक समझ भी जो सहज ही इस पाठ को एक बड़ी रचना के रूप में स्थापित कर देती है।
कहानी लाला मोतीचंद और उसके तीन बेटों की है। बेटों में एक अपने पिता की तरह ही व्यावसायिक बुद्धि का धनी दीनानाथ है, दूसरा धन-संग्रह के प्रति नितांत उदासीन और कविहृदय दीवानचंद है और तीसरा मक्खन लाल जो आगरा में लाला के एजेंट किशोरी की पत्नी से हुआ है और विचारों से मार्क्स और भगतसिंह का अनुयायी है। इनकी कहानी के साथ ही जुड़ी है लाला मोतीचंद के सेवक मांगेराम और उसकी तीन पीढ़ियों की कहानी जिनका पुरुषार्थ लाला, उनकी हवेली और उनकी औलादों की सेवा के संदर्भ में साकार होता है। कथा
के इन दो छोरों के बीच एक कहानी पुरस्कारप्राप्त हिन्दी उपन्यासकार विश्वनाथ की भी है जो छोटे-छोटे टापुओं की तरह इस धारा के बीच-बीच में पत्रों की शक्ल में उभरती रहती है। अनुमान लगाया जा सकता है कि मुख्य कथा और उसके पात्र विश्वनाथ की ही रचना हैं और लेखक के रूप में उनके सफल और महत्वाकांक्षी लेकिन पिता और पति के रूप में उनके पश्चाताप-ग्रस्त जीवन का ही प्रतीकात्मक विस्तार हैं जो हिन्दी-उर्दू कविता के उद्धरणों के साथ इन पत्रों में खुलता चलता है।
इस गझिन परन्तु रोचक कथा-संकुल में हमें अपने समाज और देश का लगभग हर पहलू देखने को मिल जाता है। हमारा परिवार, उसकी सत्ता-संरचना, एक प्राचीन जातीय समूह के रूप में हमारी धार्मिक व नैतिक बुनावट, अलग-अलग तबकों के स्त्री-पुरुषों की नियति, संपत्ति की अवधारणा और उसके प्रति भारतीय मानस के विविधवर्णी और अंतर्विरोधी दृष्टिकोण, औपनिवेशिक भारत में व्यवसाय तथा उद्यमिता के स्वरूप और अंततः मनुष्य की नियति के लोमहर्षक आलेख, इन सबको हम इस उपन्यास के विराट कैनवस पर अपने तमाम संभव शेड्स के साथ चलते-फिरते देख पाते हैं। बिना किसी अतिरंजना के कहा जा सकता है कि यह एक परिपक्व भारतीय उपन्यास है।
Amitav Ghost
- Author Name:
Supriya Deep
- Rating:
- Book Type:

- Description: She is not aware that she is different. Priyakshee, an it professional, could just see flashes of the future In her dreams. Still, she couldn't save her mother; her father was far dead. The cover-faced, self-healer fighter with the aegishjalmur tattoo on his calf, negative, appears in her dreams and soon in real life. He protects her from attacks no one else knows about; tells her about her dead mother residing in his world: midlife-the ghost-world; falls for her against the 'ghost law of protectors'. Together they discover that priyakshee, like her mother, is a member of Jiva, a hidden society with the power of ghost-immortality. To keep her safe from himself, negative pursues her to marry her boss Amit who has developed an interest in her because she could prevision like amit's grandmother. On the seventh day of their engagement, priyakshee is found missing, Amit is convinced of her murder and after reading about negative in her diary, which says that priyakshee is captured in the ghost world, currently in eternal sleep waiting for Amit and negative to come and rescue her, Amit decides to prove her schizophrenic. Is negative really an imagination of priyakshee or she holds a key to power everyone in midlife would like to have? Why does priyakshee go missing? Does Amit get rid of her after knowing about her schizophrenia? Or does he just want Exemption from accusation to go and find priyakshee? 'Amitav ghost' Breaks the stereotype, rediscovers the concept of ghost, swings between psychological realism and fantasy, and keeps the reader guessing whether everything about negative is true or it's priyakshee's imagination.
Sawdhan ! Neeche Aag Hai
- Author Name:
Sanjeev
- Book Type:

-
Description:
चन्दनपुर के नीचे आग धधक रही है। लोगों में आग है, उनकी नसों के बिलकुल क़रीब...आग ही आग...लाल-सुर्ख़...तपती हुई...। यह आग हो सकता है कि कभी किसी बड़े परिवर्तन का सूत्रपात करे लेकिन अभी तो वह सिर्फ़ लोगों को जला रही है। तिल-तिल करके जल रहे हैं वे, अपनी छोटी-छोटी अपूर्ण इच्छाओं के साथ। ज़िन्दगी बीभत्सता की हद तक सड़ी हुई...नर्क...। दलालों, सूदख़ोरों और गुंडों के बीच पिसते, कोयले की गर्द फाँकते, चन्दनपुर के खदान मज़दूर यह अच्छी तरह जानते हैं कि उनके बजाय उनकी औरतों को ही पहले काम क्यों दिया जाता है।
“सच तो यह है कि जिनके हाथ में क़ानून और पावर है, सब चोर हैं। मेहनत, ईमानदारी की कोई क़दर नहीं। जो लूट रहा है, लूट रहा है, जो बिला रहा है, बिला रहा है...यह समूचा इलाक़ा ही बैठ जाएगा एक दिन जल-जलकर—मेवा के इस कथन में आक्रोश के साथ लाचारी है, खीज है।
संजीव की कहानियों में शुगरकोटेड यथार्थ नहीं होता और न ही मनोरंजन। समाज के जिस वर्ग की ज़िन्दगी के बारे में वे लिखते हैं, उसकी पीड़ाओं की तह तक उतर जाते हैं।
अब तक दर्जनों चर्चित कहानियों के लेखक संजीव के इस उपन्यास में विषय की गहराई, उसकी समझ और पकड़, शैली और शिल्प के अतिरिक्त जो प्रतिबद्धता है, हर पाठक को उसका क़ायल होना पड़ेगा।
Ambar Pariyan
- Author Name:
Baljinder Nasrali
- Book Type:

-
Description:
समकालीन पंजाबी साहित्यिक परिदृश्य में, पंजाबी उपन्यास हमारे समय के नए रुझानों को उजागर करने वाली अग्रणी साहित्यिक विधा है। डॉ. बलजिन्दर नसराली का यह उपन्यास इस तथ्य को प्रमाणित करने वाली एक उत्कृष्ट कृति है। इस उपन्यास में अम्बर और ज़ोया दो मुख्य पात्रों की प्रेम कहानी को सामाजिक और पारिवारिक तनावों के साथ बड़ी सूक्ष्मता और सहज ढंग से चित्रित किया गया है। भविष्य में विवाह प्रथा का स्वरूप क्या होगा, इस सवाल को उपन्यास की पृष्ठभूमि में बहुत बारीक ढंग से समाहित किया गया है।
साहित्य लेखन की यथार्थवादी पद्धति के बजाय लेखक ने इस उपन्यास के माध्यम से पंजाबी गल्प साहित्य में जादुई यथार्थवाद की पद्धति को अपनाने की पहल की है। इस कारण इस उपन्यास की सार्थकता, ताज़गी और आकर्षण और भी बढ़ जाता है।
—सुरजीत पातर
‘पद्मश्री’ से सम्मानित पंजाबी कवि
बलजिन्दर सिंह नसराली पंजाबी साहित्य में एक स्थापित नाम हैं। मनुष्य की भाँति ही समाज, संस्कृति और इतिहास की भी मनोदशाएँ होती हैं जिसे जर्मन भाषा में Geistesgeschichte कहा जाता है। ‘अम्बर परियाँ’ इन्हीं दृष्टिकोणों पर आधारित उपन्यास है। यह उपन्यास प्रोफ़ेसर अम्बरदीप के जीवन में आई परियों की आमद का उत्सव/कार्निवल है। बाख़्तिन के अनुसार–उत्सव एक ऐसी दहलीज़ है जहाँ पारम्परिक रीति-रिवाज टूटते हैं।
—डॉ. मनमोहन
‘साहित्य अकादेमी पुरस्कार’ से पुरस्कृत उपन्यासकार
Main Ravindranath ki Patni
- Author Name:
Ranjan bandyopadhyay
- Book Type:

-
Description:
‘मैं रवीन्द्रनाथ की पत्नी’ एक ऐसी पुष्पलता की कहानी है जिसे एक विराटवृक्ष के साहचर्य में आने की कीमत अपने अस्तित्व को ओझल करके चुकानी पड़ी।
गुरुदेव रवीन्द्रनाथ ठाकुर की पत्नी थीं—मृणालिनी देवी। उनका सिर्फ एक ही परिचय था कि वे विश्वकवि की सहधर्मिणी हैं। उनका जीवन मात्र अट्ठाइस वर्षों का रहा, जिनमें से उन्नीस वर्ष उन्होंने रवीन्द्रनाथ की पत्नी के रूप में जिये। रवीन्द्रनाथ की विराट छाया में मृणालिनी का अन्तर्जगत हमेशा अँधेरे में रहने को ही अभिशप्त रहा। रवीन्द्रनाथ से इतर उनका अपना कोई अस्तित्व मानो रहा ही नहीं।
लेकिन क्या सचमुच ऐसा ही था? क्या अपने निजी जीवन में मृणालिनी ने दाम्पत्य का सहज सुख पाया और अपने जीवनसाथी की सच्ची सहधर्मिणी हो पाई थीं? क्या उन्हें रवीन्द्रनाथ की पत्नी के रूप में प्रेमपूर्ण जीवन जीने को मिला था? इन तमाम सवालों का जवाब है यह उपन्यास जिसमें एक स्त्री के सम्पूर्ण मन-प्राण की व्यथा इस तरह अभिव्यक्त हुई है जो इतिहास को नई रोशनी में देखने की माँग करती है।
एक अविस्मरणीय कृति!
Dhuppal
- Author Name:
Bhagwaticharan Verma
- Book Type:

-
Description:
यह एक निर्विवाद तथ्य है कि अपने कथा-कृतित्व में अनेकानेक व्यक्ति-चरित्रों को उकेरनेवाले साधनाशील रचनाकारों का अपना जीवन भी किसी महान कृति से कम महत्त्व नहीं रखता, इसलिए उन विविध जीवनानुभवों को यथार्थतः काग़ज़ पर उतार लाना एक महत्त्वपूर्ण सृजनात्मक उपलब्धि ही माना जाएगा। इस नाते सुविख्यात कृती-व्यक्तित्व भगवतीचरण वर्मा की यह कथाकृति आत्मकथात्मक उपन्यासों में एक उल्लेखनीय स्थान की हक़दार है।
क़स्बे का एक बालक कैसे भगवतीचरण वर्मा के रूप में स्वनामधन्य हुआ, इसे वह स्वयं भी नहीं जानता। जानता है तो सिर्फ़ उस जीवन-संघर्ष को जिसे वह ‘धुप्पल’ करार देता है।
आत्मकथा न लिखकर भगवती बाबू ने यह उपन्यास लिखा, यह बात उनके रचनाशील मन की अनवरत सृजनात्मक सक्रियता की ही सूचक है। ‘धुप्पल’ में जो गम्भीरता है, वह भगवती बाबू के चुटीले भाषा-शिल्प के बावजूद, अपनी तथ्यात्मकता का स्वाभाविक परिणाम है। लेखक के साथ-साथ इसमें एक युग मुखर हुआ है, जिसके अपने अन्तर्विरोध अगर लेखकीय अन्तर्विरोध भी रहे तो उन्होंने उसके सृजन को ही धारदार बनाया। इसलिए ‘धुप्पल’ सिर्फ़ ‘धुप्पल’ ही नहीं, लेखकीय संघर्ष का सार्थक दस्तावेज़ भी है।
Bas Yu Hi
- Author Name:
Parul Tyagi
- Book Type:

- Description: Hindi Poetry Book
Nar Naari
- Author Name:
Krishna Baldev Vaid
- Book Type:

-
Description:
यह उपन्यास कृष्ण बलदेव वैद के सबसे चर्चित और बहस तलब रचनाओं में से एक है। उन्होंने हिन्दी की मुख्यधारा से अकसर दूर ही रहते हुए भाषा को ऐसी कृतियाँ दी हैं जो शिल्प के हमारे साथ सोचने के तरीक़ों को भी विचलित करती रही हैं।
‘नर नारी’ उपन्यास स्त्री की समूची सामाजिक, पारिवारिक और दैहिक इयत्ता को केन्द्र में रखता है, और उनसे जुड़े प्रश्नों पर एक संकुल भावभूमि के परिप्रेक्ष्य में विचार करता है। पितृसत्तात्मक सामाजिक तंत्र में सम्पत्ति के उत्तराधिकार, विवाह-संस्था की वैधता, यौन- शुचिता और इससे जुड़े कई विधि-निषेधों पर अत्यन्त ज़ोर दिया जाता है। पति-पत्नी, बहन-भाई, माँ-बेटे आदि सभी सम्बन्ध अन्तत: इन्हीं सब के सन्दर्भ में परिभाषित होते दिखते हैं।
इनके बीच ही मौजूद है स्त्री-पुरुष का आदिम रिश्ता जो एक दूसरी की उपस्थिति को एक प्राकृतिक और समान भूमि पर परिभाषित करता है। बाँझ माँजी, रसीला, सीमा और मीनू आदि इस उपन्यास के ऐसे स्त्री पात्र हैं जिनका जीवन और दृष्टिकोण इन तमाम प्रश्नों पर अलग-अलग ढंग से प्रकाश डालता है।
संवादों के बीच से ही दृश्यों को साकार करते हुए उपन्यास को पढ़ना जैसे अपने ही मन की भीतरी तहों की यात्रा करने जैसा है। लेखक कहीं पर न पात्रों का बाहरी विवरण देता है, न परिस्थितियों का, फिर भी सब जैसे पाठक की आँखों के सामने साकार होता चलता है। एक पठनीय और विचारणीय उपन्यास।
Shahar Se Das Kilometer
- Author Name:
Neelesh Raghuwanshi
- Book Type:

-
Description:
‘शहर से दस किलोमीटर’ ही वह दुनिया बसती है जो शहरों की न कल्पना का हिस्सा है, न सपनों का। वह अपने दुखों, अपने सुखों, अपनी हरियाली और सूखों के साथ अपने आप में भरी-पूरी है।
वहाँ खेत है, ज़मीन है, कुछ बंजर, कुछ पठार, कुछ उपजाऊ और उनसे जूझते, उनकी वायु में साँसें भरते लोग हैं, उनकी गाएँ भैसें और कुत्ते हैं; और आपस में सबको जोड़नेवाली उनकी रिश्तेदारियाँ हैं, झगड़े हैं, शिकायते हैं, प्यार है!
शहर से सिर्फ़ दस किलोमीटर परे की यह दुनिया हमारी ‘शहरवाली सभ्यता’ से स्वतंत्र हमारे उस देश की दुनिया है जो विकास की अनेक धाराओं में अपने पैर जमाने की कोशिशों में डूबता-उतराता रहता है। इसी जद्दोजहद के कुछ चेहरे और उनकी कहानियाँ शहर के बीचोबीच भी अपने पहियों, अपने पंखों पर तैरती मिल जाती हैं। यह उपन्यास साइकिल के इश्क़ में डूबे एक जोड़ी पैरों की परिक्रमा के साथ खुलता है जो शहर के बीच से शुरू होती है और उसके दस किलोमीटर बाहर तक जाती है। यह शहर है भोपाल। पहाड़ी चढ़ाइयों और उतराइयों को सड़कों की संयत भाषा में व्याख्यायित करता शहर। सड़कों के किनारे अस्थायी टपरों में बसे लोग, तरह-तरह के कामों में लगे वे लोग जो शहरों में रहते हुए भी शहर से बाहर की अपनी पहचान को सँजोए रहते हैं। साइकिल सबका हाल-चाल दर्ज करती हुई घूमती रहती है। एक स्त्री की साइकिल, जिसका अपना एक इतिहास है, जो शहर की आपाधापी से दूर खेतों में, शहर के उन हिस्सों में बरबस निकल जाती है जहाँ शहर तो है लेकिन उसकी कोई ख़ूबी नहीं है। गाँवों की सरहदों का अतिक्रमण करता शहर यहाँ उन लोगों से बहुत बेरहम व्यवहार करता है जो गाँवों की साधनहीनता से भागकर शहर का हिस्सा होने आए हैं।
Jhool
- Author Name:
Bhalchandra Nemade
- Book Type:

-
Description:
झूल उस दारुण परिणति का वृत्तान्त है जहाँ स्वातंत्र्योत्तर भारत की युवा पीढ़ी अपने व्यक्तिगत सपनों तथा जातीय आदर्शों और आकांक्षाओं के बीच के अन्तर को पाटने की कोशिश में पहुँची है। उपन्यास का नायक चांगदेव पाटील अपने अस्तित्व के उद्देश्य और नैतिक आदर्शों को समाज में व्याप्त संकीर्णताओं के बीच एकदम असंगत पाता है। यह अनुभव उस समय और प्रगाढ़ हो जाते हैं जब वह एक नए कॉलेज में प्रोफेसर बनकर आता है। पिछले कॉलेज के कटु अनुभव अभी भी उसके साथ हैं लेकिन जिस भावात्मक औदात्य को उसने अपनी जीवन-दृष्टि का आधार बनाया है, उसे भी उसने छोड़ा नहीं है। अपने एकाकी मन को वह समाज की बड़ी संरचना में विलय कर देना चाहता है लेकिन आसपास के जीवन और लोगों में कोई ऐसी मूल्य-चेतना उसे नहीं दिखती जो उन्हें उनकी तुच्छताओं से ऊपर उठा सके। समाज की यह असफलता उसके व्यक्ति को घोर निराशा से भर देती है। लगातार जगह बदलते हुए उसने जो पाया है, वह यही कि जीवन अन्ततः अर्थहीन ही है।
तीक्ष्ण दृष्टि और उतनी ही तीक्ष्ण शब्दावली के साथ भारतीय समाज की पड़ताल करने वाले नेमाड़े इस उपन्यास में ‘होने’ और ‘नहीं होने’ के द्वन्द्व को इतनी गहराई से अंकित करते हैं कि इस शृंखला के अन्य उपन्यासों की तरह यह उपन्यास भी कथा से अधिक एक अध्ययन हो जाता है।
झूल स्वतंत्र रूप से भी उतना ही दिलचस्प और पूर्ण पाठ है, जितना कि शृंखला की एक कड़ी के रूप में। यह एक बड़ी विशेषता है।
Sanyasi
- Author Name:
Ilachandra Joshi
- Book Type:

-
Description:
इलाचन्द्र जोशी मनोवैज्ञानिक यथार्थवाद को अपने लेखन का विषय बनानेवाले ऐसे प्रमुख लेखक थे, जिनकी कृतियों की लोकप्रियता आज भी बनी हुई है। यह उपन्यास ‘संन्यासी’ इस बात का एक महत्त्वपूर्ण साक्ष्य है। आत्मकथात्मक शैली में लिखा गया यह उपन्यास सामाजिक और प्रगतिशील तत्त्वों की उपादेयता से पूर्ण एक ऐसा चरित्र प्रश्न उपन्यास है जो पुरुष और स्त्री के द्वन्द्व–अन्तर्द्वन्द्व का अपने समय की व्यापकता में विश्लेषण और विवेचन प्रस्तुत करता
है।‘संन्यासी’ युवा प्रेम के अन्तर्लोक का एक अद्भुत आख्यान है, जिसके ज़रिए लेखक का उद्देश्य पितृसत्तात्मक समाज की उस संरचना पर प्रहार भी करना है, जो मनुष्य के निर्माण में अतीत की ख़ामियों के साथ ऐसी भूमिका निभाता है कि कुछ भी अछूता नहीं रह जाता, यहाँ तक कि प्रेम भी। और इसी जटिलता को सुलझाने के लिए लेखक ने उपन्यास में जैसे ख़ुद त्रासदियों को जीते हुए अपना भूगोल पूरी ईमानदारी और निष्पक्षता के साथ रचा है।
अपनी तमाम ख़ूबियों के बीच ‘संन्यासी’ संवेदना, सौन्दर्य और दृढ़ता की प्रतीक अपनी नायिकाओं शान्ति और जयन्ती के कारण सदा अविस्मरणीय बने रहनेवाला उपन्यास है। भाषा में अद्भुत कलात्मक चेतना के साथ रची गई इस कृति की पठनीयता बार–बार एक नए आस्वाद को जन्म देती है।
Majboori
- Author Name:
Jaydeep Khot
- Book Type:

- Description: Hindi Book
Jhootha Sach : Desh Ka Bhavishya : Vol. 2
- Author Name:
Yashpal
- Book Type:

-
Description:
भारत-पाकिस्तान विभाजन भारतीय राज्य के इतिहास का वह अध्याय है जो एक विराट त्रासदी के रूप में अनेक भारतीयों के मन पर आज भी जस-का-तस अंकित है। अपनी ज़मीनों-घरों से विस्थापित, असंख्य लोग जब नक़्शे में खींच दी गई एक रेखा के इधर और उधर की यात्रा पर निकल पड़े थे, यह न सिर्फ़ मनुष्य के जीवट की बल्कि भारतवर्ष के उन शाश्वत मूल्यों की भी परीक्षा थी जिनके दम पर सदियों से हमारी हस्ती मिटती नहीं थी।
यशपाल का यह कालजयी उपन्यास उसी ऐतिहासिक कालखंड का महाआख्यान है। स्वयं यशपाल के शब्दों में यह इतिहास नहीं है, ‘कथानक में कुछ ऐतिहासिक घटनाएँ अथवा प्रसंग अवश्य हैं परन्तु सम्पूर्ण कथानक कल्पना के आधार पर उपन्यास है, इतिहास नहीं।’ अर्थात् यह उस ज़िन्दगी का आख्यान है जो अक्सर इतिहास के स्थूल ब्योरों में कहीं खो जाती है।
‘झूठा सच’ के इस दूसरे भाग ‘देश का भविष्य’ के केन्द्र में पाकिस्तान से आए शरणार्थियों की समस्याएँ और उनके सामने उपस्थित नए सांस्कृतिक, नैतिक, सामाजिक और आर्थिक संकट हैं। नई राजनीतिक परिस्थितियों में कुछ लोग अपने साहस और जीवटता के बल पर जम जाते हैं, तो कुछ टूट भी जाते हैं।
Potpakshi
- Author Name:
Shivshankari
- Book Type:

-
Description:
सुजश। आधुनिक, आत्मनिर्भर, स्वतंत्र और अपने में बेहद सुलझी हुई लड़की। आर्किटेक्चर की दुनिया में एक रचनात्मक मेधा। सुजश। जिसने अपनी माँ के रूढ़िग्रस्त और उत्पीड़क व्यवहार का सामना करते हुए अपनी राह ख़ुद बनाई और नौ साल तक घर की तरफ़ मुड़कर नहीं देखा। वही सुजश अपने से उम्र में काफ़ी बड़े और विवाहित वासुदेव के प्रेम में घिरती हुई धीरे-धीरे पूरी तरह डूबने-डूबने को हो जाती है, लेकिन हठात् एक लहर उसे पुनः किनारे की तरफ़ खींच ले जाती है। वासुदेव को अचानक पता चलता है कि अपनी जिस पत्नी को वे सुजश के लिए तलाक़ देने जा रहे हैं, वह गर्भवती है। फ़ैसला सुजश करती है और लम्बी छुट्टी लेकर सुकून की तलाश में निकल जाती है।
इस उपन्यास में लेखिका किसी पात्र या परिस्थिति पर कोई वेल्यू जजमेंट नहीं देतीं, न यह कहती हैं कि सुजश और वासुदेव का प्रेम ठीक है अथवा ग़लत। वह बस एक कहानी को अपने पूरे प्रवाह के साथ हमारे सामने रख देती हैं। रोचक और पठनीय उपन्यास।
NIRJHARNI
- Author Name:
Usha Shrivastav
- Book Type:

- Description: "चंद्रमा का प्रकाश उसका अपना नहीं, यह तो सूरज का प्रतिबिंब है। लेखिका का मानना है कि इसी तरह उसके व्यक्तित्व में जो चमक है, वह तो उसके आराध्य या मनमीत के व्यक्तित्व का ही प्रतिबिंब है। कवयित्री पॉश कॉलोनी में रहती है, फिर भी उसने एअरकंडीशंड रूम में बैठकर कविताएँ नहीं लिखी हैं। उसने प्रकृति के विविध वर्णी रूपों के बीच अपने को स्थापित किया है। प्रत्येक संग्रह की कविताओं में पीले पत्ते, मलय पवन, कोंपल, कोयल, भ्रमर, सूर्यकिरण, ओसबिंदु, इंद्रधनुष, तितलीपंख, मेहँदी, मृगछौना, धूप, बादल, लैंपपोस्ट, उजड़ा उपवन आदि को प्रतीकों के रूप में स्वीकार किया है। कविताओं में नए प्रतीक, नए बिंब और नए मुहावरों का प्रयोग किया है। उसकी कविताओं में गहरी अनुभूति की सफल अभिव्यक्ति हुई है। जो कुछ कहा गया है, उसका एकएक शब्द सार्थक और सच्चा है, फिजूल का शब्द एक भी नहीं है। कवयित्री ने कविताएँ लिखी नहीं हैं, कविताओं ने अपने को उससे लिखवा लिया है। काव्यरस से सराबोर ये कविताएँ सभी आयु वर्ग के पाठकों को रुचिकर लगेंगी।"
Thoda Sa Khula Asman
- Author Name:
Ram Kathin Singh
- Book Type:

-
Description:
उपन्यास की कहानी पूर्वी जर्मनी की पृष्ठभूमि पर रची गयी है, जिसकी आर्थिक-सामाजिक व्यवस्था मार्क्सवादी सिद्धान्तों पर आधारित थी। साम्यवादी व्यवस्था की स्थापना के प्रयास में दमनकारी नीतियों का पालन हुआ जिससे भय का एक ऐसा वातावरण पैदा हुआ कि लोग डरे-सहमें रहते। गुलामों की तरह जिन्दगी जीते। किन्तु एक दिन जब जन-जन के मन में व्याप्त असन्तोष की आग भभक उठी, तब पूरी व्यवस्था जलकर राख हो गयी। कम्युनिस्ट शासन का अन्त हो गया। लोग स्वतन्त्र हो गये...।
बर्लिन की दीवाल ढहने के बाद मची भगदड़ में हजारों परिवार बिखर गये। आल्फ्रेड की पत्नी का मनोरोग-चिकित्सा-संस्थान पहुँच जाना तथा आजादी की मशाल जलाने वाले जुर्गेन का जहर देकर मार दिया जाना, उस त्रासदी के बस उदाहरण मात्र थे...।
Customer Reviews
0 out of 5
Book
Be the first to write a review...