
Ateet Ke Chalchitra
Author:
Mahadevi VermaPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Literary-fiction0 Reviews
Price: ₹ 120
₹
150
Available
‘अतीत के चलचित्र’ हिन्दी गद्य की एक अप्रतिम रचना है। इतने दिनों बाद आज भी संवेदना के वे धरातल अछूते और अपूर्व हैं जिनकी सृष्टि इन रेखाचित्रों द्वारा हुई थी। मानवीय सहानुभूति और संवेगों की गहनता के लिए इन्हें चिरकाल तक हिन्दी साहित्य का शीर्षस्थ पद प्राप्त रहेगा।
ISBN: 9788180313042
Pages: 99
Avg Reading Time: 3 hrs
Age : 18+
Country of Origin: India
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- Description: “वृत्तेन भवति आर्येण विद्यया न कुलेन च के सिद्धान्तानुसार ऋषित्व व महानता कुल तथा विद्या की उच्चता पर नहीं, कर्म एवं आचरण की श्रेष्ठता पर निर्भर करती है; अतः यह प्रश्न नहीं उठता कि किसने किससे जन्म ग्रहण किया, प्रश्न यह आता है कि गुण व कर्म की श्रेष्ठता किसमें कम है और किसमें अधिक है।” इस पौराणिक सिद्धांत को आधार बनाकर तर्कसंगत नया आख्यान रचा है हिंदी के जाने-माने विद्वान रामनाथ नीखरा ने अपनी इस पुस्तक ‘महामुनि अगस्त्य’ में! महामुनि अगस्त्य समाज, राष्ट्र व संसार से पूर्णतः उदासीन निरे वैरागी नहीं थे, वह मंत्र-स्रष्टा तो थे ही, क्रान्ति-द्रष्टा भी थे। वह सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक गरिमा के संवाहक ही नहीं थे; राष्ट्रीय अस्मिता, एकता व अखंडता के संरक्षक भी थे, और वे राष्ट्रहिताय आयोज्य कर्म-यज्ञ के सच्चे अर्थ में प्रणेता, होता व पुरोधा थे। किन्तु पुराणकर्ताओं ने उनकी इस महत्ता को रहस्यात्मक ढंग से प्रस्तुत कर अनुद्घाटित ही रहने दिया है। प्रस्तुत उपन्यास ‘महामुनि अगस्त्य’ उनकी इसी महानता को उद्घाटित करने का तर्कसंगत, सार्थक एवं प्रामाणिक प्रयास है।
Koi Baat Nahin
- Author Name:
Alka Saraogi
- Book Type:
-
Description:
“तभी हवा का एक झोंका न जाने क्या सोचकर एक बड़े से काग़ज़ के टुकड़े को शशांक के पास ले आया। उसने घास से उठाकर उसे पढ़ा—‘आदमी का मन एक गाँव है, जिसमें वही एक अकेला नहीं रहता।’ शशांक ने सोचा, आदमी मन में ही तो अपने को और अपनी सारी बातों को छिपाकर रख सकता है...’’
‘कोई बात नहीं’ जैसे एक मंत्र है—हार न मानने की ज़िद और नई शुरुआतों के नाम। समय के एक ऐसे दौर में जब प्रतियोगिता जीवन का परम मूल्य है और सारे निर्णय ताक़तवर और
समर्थ के हाथ में हैं, वेदना, जिजीविषा और सहयोग का यह आख्यान ऐसे तमाम मूल्यों का प्रत्याख्यान है।
मोटे तौर पर इसे शारीरिक रूप से कुछ अक्षम एक बेटे और उसकी माँ के प्रेम और दु:ख की
साझेदारी की कथा के रूप में देखा जा सकता है, पर इसका मर्म एक सुन्दर और सम्मानपूर्ण जीवन की आकांक्षा है, बल्कि इस हक़ की माँग है। शशांक सत्रह साल का एक लड़का है जो दूसरों से अलग है क्योंकि वह दूसरों की तरह चल और बोल नहीं सकता। कलकत्ता के एक नामी मिशनरी स्कूल में पढ़ते वक़्त अपनी ग़ैरबराबरी को जीते हुए, उसका साबिका उन तरह-
तरह की दूसरी ग़ैरबराबरियों से भी होता रहता है, जो हमारे समाज में आसपास कुलबुलाती रहती है। स्कूल में शशांक का एकमात्र दोस्त है—एक एंग्लो-इंडियन लड़का आर्थर सरकार जो उसी की तरह एक क़िस्म का जाति-बाहर या आउटकास्ट है—अलबत्ता बिलकुल अलग कारणों से।
शशांक का जीवन चारों तरफ़ से तरह-तरह के कथा-क़िस्सों से घिरा है। एक तरफ़ उसकी आरती मौसी है, जिसकी प्रायः खेदपूर्वक वापस लौट आनेवाली कहानियों का अन्त और आरम्भ शशांक को कभी समझ में नहीं आता। दूसरी तरफ़ उसकी दादी की कहानियाँ हैं—दादी के अपने घुटन-भरे बीते जीवन की, बार-बार उन्हीं शब्दों और मुहावरों में दोहराई जाती कहानियाँ, जिनका कोई शब्द कभी अपनी जगह नहीं बदलता। लेकिन सबसे विचित्र कहानियाँ उस तक पहुँचती हैं जतीन दा के मार्फ़त, जिनसे वह बिना किसी और के जाने, हर शनिवार विक्टोरिया मेमोरियल के मैदान में मिलता है। ये सभी कहानियाँ आतंक और हिंसा के जीवन से जुड़ी कहानियाँ हैं जिनके बारे में हर बार शशांक को सन्देह होता है कि वे आत्मकथात्मक हैं, पर इस सन्देह के निराकरण का उसके पास कोई रास्ता नहीं है।
तभी शशांक के जीवन में वह भयानक घटना घटती है जिससे उसके जीवन के परखच्चे उड़ जाते हैं। ऐसे समय में यह कथा-अमृत ही है जो उसे इस आघात से उतारता है; साथ ही उसे संजीवन मिलता है उस सरल, निश्छल, अद् भुत प्रेम और सहयोग से जो सब कुछ के बावजूद दुनिया को बचाए रखता आ रहा है। और तब उसकी अपनी यह कथा, जो आरती मौसी द्वारा लिखी जा रही थी, पुनः जीवित हो उठती है—कथामृत के आस्वादन से जागी कथा।
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