Chhattisgarh Ki Lokkathayen
Author:
Pardeshi Ram VermaPublisher:
Prabhat PrakashanLanguage:
HindiCategory:
Literary-fiction0 Reviews
Price: ₹ 200
₹
250
Available
लोककथा और लोकगाथा का विपुल भंडार है छत्तीसगढ़ के आदिवासी, दलित और पिछड़े समाज के पास।
जीवन के विविध रंगों को भिन्न-भिन्न लोककथाओं में हम देख पाते हैं। मनुष्य की प्रवृत्तियों पर कथाओं में संकेत हैं। मनुष्य और वन-पशु तथा मछली, चूहा, मेढक, साँप, दीपक, खाद्यान्न, पेड़—सभी पशु, नदी, सूर्य, आकाश आदि कथाओं में पात्रों की भूमिका निभाते हैं। छत्तीसगढ़ की लोककथाओं के इस संकलन में ऐसी कथाएँ चुनी गई हैं, जिनमें छत्तीसगढ़ी रंग पूरे प्रभाव के साथ उपस्थित है। इन लोककथाओं में छत्तीसगढ़ की संस्कृति और युगीन परंपराओं का इतिहास झलकता है। यहाँ की संस्कृति, लोक-मान्यता, लोककला, लोकगीत और लोक-परंपराओं को इन लोककथाओं के माध्यम से पाठक जानें-समझें, यह प्रयास किया गया है।
ISBN: 9789355210319
Pages: 160
Avg Reading Time: 5 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
Recommended For You
Ek Sadhvi Ki Satta Katha
- Author Name:
Vijay Manohar Tiwari
- Book Type:

-
Description:
उदयपुरम कहीं दूर एक उजाड़ गाँव है। गाँव के बाहर टीलों के बीच प्रज्ञादेवी का मन्दिर। नवरात्रि में यहाँ मेला लगता है। यहाँ आनेवाला हर श्रद्धालु प्रज्ञादेवी को अपनी कुलदेवी मानता है, जो आश्चर्यजनक है।
शताब्दियों पूर्व यह स्थान राजनीति, शिक्षा, व्यापार और संस्कृति का केन्द्र हुआ करता था। यही महानगर एक ऐतिहासिक सत्ता परिवर्तन का भी साक्षी रहा। जनशक्ति ने एक शासन व्यवस्था को सत्ता के शिखरों से नीचे ला खड़ा किया और यह सब किसी राजनीतिज्ञ के नहीं, एक संन्यासिन के नेतृत्व में हुआ था। जनता से मिली शक्ति से उसने सत्ता-परिवर्तन तो कर दिखाया, लेकिन सत्ता के कुटिल तंत्र को वह नहीं समझ सकी। उसके संगी-साथी सत्ता मिलते ही विलास में डूब गए और उसके विरुद्ध खड़े हो गए।
कहते हैं कि षड्यंत्रपूर्वक संन्यासिन को राजधानी से निष्कासित कर दिया गया। समाजशास्त्रियों का मत है कि वही संन्यासिन अब विभिन्न जातियों और समुदायों की कुलदेवी के रूप में पूजित है। यह उसी साध्वी प्रज्ञादेवी की कथा है, जो एक रूपक का सहारा लेकर आज की दिशाभ्रष्ट राजनीति का एक विस्तृत चित्र उपस्थित करती है।
जनसाधारण को कभी मालूम नहीं होता कि उनसे शक्ति और धन प्राप्त कर उनके प्रतिनिधि राजधर्म के अपने सुरक्षित कक्षों में क्या करते हैं। रोज़-रोज़ पक्ष-परिवर्तन और नित नूतन सन्धियाँ किसके लिए होती हैं। साध्वी के संघर्ष के साथ-साथ यह कथा उनकी भी है, जिन्हें आज हम अलग वेशभूषा में देखते हैं, लेकिन उनका चरित्र अभी भी वही है जैसा इस बृहत् उपन्यास के पृष्ठों पर अंकित है—धूल-धूसरित सड़कों पर रेंग रहे लोगों पर झपट पड़ने को तैयार गिद्धों का और चीलों का।
Facts Fictions Imaginations
- Author Name:
Bhupen N Sarma
- Book Type:

- Description: Truth is that few questions accelerated My beeps of heart are still unanswered. Were those evictions prudent? Why distress come always for most of the innocent commoners after every changing of game?? Are there any remedies??? Who has to take care???? I am still in pursuit and shall remain.
Patiya
- Author Name:
Kedarnath Agrawal
- Book Type:

-
Description:
‘पतिया’ यशस्वी कवि केदारनाथ अग्रवाल का उपन्यास है। अब तक अनुपलब्ध होने के कारण केदार-साहित्य के सहृदय पाठक और आलोचक इस उल्लेखनीय कृति से वंचित रहे। उनके लिए वस्तुत: ‘पतिया’ एक अनमोल उपहार है।
हिन्दी साहित्य में स्त्री-विमर्श की औपचारिक रूप से चर्चा प्रारम्भ होने से बहुत पहले रची गई कृति ‘पतिया’ में स्त्री-जीवन की जाने कितनी विडम्बनाएँ चित्रित हो चुकी थीं। परिवार, दाम्पत्य, यौन स्वातंत्र्य, शोषण और अलगाव आदि से जुड़े प्रसंगों के छायाचित्र ‘पतिया’ को महत्त्वपूर्ण बनाते हैं। उपन्यास की नायिका का जीवन-संघर्ष स्वयं बहुत कुछ कहता है। स्त्री समलैंगिकता की स्थितियाँ भी प्रस्तुत उपन्यास में हैं। इससे सिद्ध होता है कि कोई भी प्रवृत्ति या घटना सामाजिक स्थिति और व्यक्तिगत मन:स्थिति का संयुक्त परिणाम होती है।
इस उपन्यास का गद्य विशिष्ट है...एक कवि का गद्य। छोटे-छोटे वाक्य। बिम्ब, प्रतीक समृद्ध भाषा। संवेदनशील और प्रवाहपूर्ण। यथार्थवादी गद्य का उदाहरण। पतिया की ननद मोहिनी का यह चित्र कितना व्यंजक है, “मैली-सी चौड़े किनारे की धोती पहिने है। हाथ और पैरों में चाँदी के गहने खनक रहे हैं। धोती का पल्ला सिर से उतरकर गरदन पर आ गया है। पीछे से एक बड़ा-सा जूड़ा उठा दिखता है। जूड़ा गोल घेरे में बँधा है। सामने से देखने पर सिर में सिन्दूर भरी चौड़ी-सी माँग दिखती है। कानों में तरकियाँ, नाक में पीतल की फुल्ली और गले में रंगीन काँच और मूँगे के दानों से बनी दुलरी पड़ी है। बड़ी-बड़ी आँखों में काजल खिंचा है। दाहिनी ओर गाल पर एक तिल है। चेहरे पर तेल की चिकनाहट जवानी को चमका रही है। कोई कुरती या सलूका नहीं पहने है। बर्तन माँजते वक़्त, उसके दोनों उरोज, छलक पड़ते हैं। रंग ज़्यादा गोरा नहीं, पर साँवले से कुछ निखरा हुआ है।
Tirohit
- Author Name:
Geetanjali Shree
- Book Type:

-
Description:
गीतांजलि श्री के लेखन में अमूमन, और ‘तिरोहित’ में ख़ास तौर से, सब कुछ ऐसे अप्रकट ढंग से घटता है कि पाठक ठहर–से जाते हैं। जो कुछ मार्के का है, जीवन को बदल देनेवाला है, उपन्यास के फ्रेम के बाहर होता है। ज़िन्दगियाँ चलती–बदलती हैं, नए–नए राग–द्वेष उभरते हैं, प्रतिदान और प्रतिशोध होते हैं, पर चुपके–चुपके। व्यक्त से अधिक मुखर होता है अनकहा। घटनाक्रम के बजाय केन्द्र में रहती हैं चरित्र–चित्रण व पात्रों के आपसी रिश्तों की बारीकियाँ।
पैनी तराशी हुई गद्य शैली, विलक्षण बिम्बसृष्टि और दो चरित्रों—ललना और भतीजा—के परस्पर टकराते स्मृति प्रवाह के सहारे उद्घाटित होते हैं ‘तिरोहित’ के पात्र : उनकी मनोगत इच्छाएँ, वासनाएँ व जीवन से किए गए किन्तु रीते रह गए उनके दावे।
अन्दर–बाहर की अदला–बदली को चरितार्थ करती यहाँ तिरती रहती है एक रहस्यमयी छत। मुहल्ले के तमाम घरों को जोड़ती यह विशाल खुली सार्वजनिक जगह बार–बार भर जाती है चच्चो और ललना के अन्तर्मन के घेरों से। इसी से बनता है कथानक का रूप। जो हमें दिखाता है चच्चो/बहन जी और ललना की इच्छाओं और उनके जीवन की परिस्थितियों के बीच की न पट सकनेवाली दूरी। वैसी ही दूरी रहती है इन स्त्रियों के स्वयं भोगे यथार्थ और समाज द्वारा देखी गई उनकी असलियत में।
निरन्तर तिरोहित होती रहती हैं वे समाज के देखे जाने में। किन्तु चच्चो/बहन जी और ललना अपने अन्तर्द्वन्द्वों और संघर्षों का सामना भी करती हैं। उस अपार सीधे–सच्चे साहस से जो सामान्य ज़िन्दगियों का स्वभाव बन जाता है। गीतांजलि श्री ने इन स्त्रियों के घरेलू जीवन की अनुभूतियों—रोज़मर्रा के स्वाद, स्पर्श, महक, दृश्य—को बड़ी बारीकी से उनकी पूरी सैन्सुअलिटी में उकेरा है।
मौत के तले चलते यादों के सिलसिले में छाया रहता है निविड़ दु:ख। अतीत चूँकि बीतता नहीं, यादों के सहारे अपने जीवन का अर्थ पानेवाले ‘तिरोहित’ के चरित्र—ललना और भतीजा—अविभाज्य हो जाते हैं दिवंगत चच्चो से। और चच्चो स्वयं रूप लेती हैं इन्हीं यादों में।
Sanskar
- Author Name:
U.R. Ananthamurthy +1
- Book Type:

- Description: यू.आर. अनन्तमूर्ति के इस कन्नड़ उपन्यास को युगान्तरकारी उपन्यास माना गया है। ब्राह्मणवाद, अन्धविश्वासों और रूढ़िगत संस्कारों पर अप्रत्यक्ष लेकिन इतनी पैनी चोट की गई है कि उसे सहना सनातन मान्यताओं के समर्थकों के लिए कहीं–कहीं दूभर होने लगता है। ‘संस्कार’ शब्द से अभिप्राय केवल ब्राह्मणवाद की रूढ़ियों से विद्रोह करनेवाले नारणप्पा के दाह–संस्कार से ही नहीं है। अपने लिए सुरक्षित निवास–स्थान, अग्रहार आदि के ब्राह्मणों के विभिन्न संस्कारों पर भी रोशनी डाली गई है—स्वर्णाभूषणों और सम्पत्ति–लोलुपता जैसे संस्कारों पर भी! ब्राह्मण–श्रेष्ठ और गुरु प्राणेशाचार्य तथा चन्द्री, बेल्ली और पद्मावती जैसे अलग और विपरीत दिखाई देनेवाले पात्रों की आभ्यन्तरिक उथल–पुथल के सारे संस्कार अपने असली और खरे–खोटेपन समेत हमारे सामने उघड़ आते हैं। धर्म क्या है? धर्मशास्त्र क्या है? क्या इनमें निहित आदेशों में मनुष्य की स्वतंत्र सत्ता के हरण की सामर्थ्य है, या होनी चाहिए? ऐसे अनेक सवालों पर यू.आर. अनन्तमूर्ति जैसे सामर्थ्यशील लेखक ने अत्यन्त साहसिकता से विचार किया है, और यही वैचारिक निष्ठा इस उपन्यास को विशिष्ट बनाती है।
Pattakhor
- Author Name:
Madhu Kankariya
- Book Type:

-
Description:
स्वातंत्र्योत्तर भारतीय समाज में हमने जहाँ विकास और प्रगति की कई मंज़िलें तय की हैं, वहीं अनेक व्याधियाँ भी अर्जित की हैं। अनेक समाजार्थिक कारणों से हम ऐसी कुछ बीमारियों से घिरे हैं जिनका कोई सिरा पकड़ में नहीं आता। युवाओं में बढ़ती नशे और ड्रग्स की लत एक ऐसी ही बीमारी है। एक तरफ़ समाज की रग-रग में तनाव, घुटन, कुंठा और असन्तोष व्याप रहा है, युवाओं को हर तरफ़ अंधी और अवरुद्ध गलियाँ नज़र आ रही हैं, लगातार खुलते बाज़ार की चकाचौंध से मध्य और निम्न मध्यवर्ग का युवा स्तब्ध है। नतीजा भटकाव और विकृति। नशे के लिए व्यक्ति ख़ुद ज़िम्मेदार है, नशे के व्यापारी ज़िम्मेदार हैं या हमारी सामाजिक-आर्थिक वास्तविकताएँ, कहना कठिन है। हमारे समय की सजग और सचेत लेखिका मधु कांकरिया इस उपन्यास में इन्हीं सवालों से दो-चार हो रही हैं। यह उपन्यास केवल एक कथा-भर नहीं है, बल्कि एक कथा के चौखटे में इसके ज़रिए नशे के पूरे समाजशास्त्र को समझने की कोशिश की गई है।
A Voice To Wake Up
- Author Name:
Renu Sharma
- Book Type:

- Description: This book generally describes ordinary people in a poetic way, also about the problems they might have faced at some phase of their life. Youth and different sections of society are encouraged or given stimulation to take a vital step against the odds and evils they witness or find around them. While reading this book, The readers would indeed feel a good and fascinating interest in it. Everything expressed inside the book would touch everyone’s heart. Every person with this book in his hands would find it well for the change he would recognise and the boost that he would get on to work for the country to design it better than it is, or it would ever be. I have always believed that- “the Words written for some change are always more immaculate than the ones written for appreciation.” This book is an initiative to stir up every mind, especially the influential youths, to think-“do I have the potential to change My country for the better or the best from the worst.”.
Nakshe Kadam : Naye Purane
- Author Name:
Shyam Krishna Pandey
- Book Type:

-
Description:
यह उपन्यास पूर्व स्वतंत्रता काल से लेकर वर्तमान तक की राजनीतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक स्थिति को इलाहाबाद के पटल पर रखकर बहुत बारीकी के साथ एक विराट कैनवास पर उकेरता है। इसकी कथा-गाथा 'मल्टी डायममेंशनल' है। आज के युवा को उसकी शानदार विरासत से जोड़ने की सार्थक पहल की गई है। युवा एक शक्ति-समूह है। नई 'पीढ़ी के हाथ में ही नया भारत है। उस शक्ति को इस उपन्यास के माध्यम से सकारात्मक मोड़ देने में रचनाकार सफल है।
लेखक ऐसे परिवार से हैं, जिसके पूर्वजों का स्वतंत्रता-संग्राम में पीढ़ी-दर-पीढ़ी योगदान रहा है। इसलिए इस कृति में स्वतंत्रता आन्दोलन की अब तक अनजानी या विस्मृत महत्त्वपूर्ण घटनाओं का प्रामाणिक एवं सजीव दस्तावेज़ीकरण है।
लेखक भारतीय छात्र आन्दोलन की परम्परा से 1960 से 1970 के दशक के दौरान शीर्ष स्तर पर गहराई से जुड़े रहे हैं। इसलिए स्वाधीनता के बाद उपजे युवा आक्रोश और समकालीन राजनीतिक विचारधाराओं की सोच-समझ का इस उपन्यास में अन्तरंग विवरण एवं समालोचन है। भारत के राष्ट्रस्तरीय पर्वों के आयोजन के मूल भाव का विशद वर्णन और उनके ‘सर्व धर्म सद्भाव' के शाश्वत सन्देशों की व्याख्या है। यह उपन्यास राजनीतिक, सामाजिक क्षेत्रों तथा युवा पीढी से जुड़े व्यक्तियों के अतिरिक्त सामान्य पाठकों के लिए भी पठनीय है। इसमें आद्योपान्त रोचकता है, विभिन्न समयकाल की धड़कन है, स्पन्दन है।
A Little Chorus of Love : Love through Ages
- Author Name:
Dipti Menon +4
- Book Type:

- Description: What is love? The question brews a million different answers. Love is not an entity. It is an emotion that embraces several hues and shades within. 'A Little Chorus of Love � Love through Ages' simply follows the same idea and assembles 24 different writers portraying love in a form they acknowledge the best.
Choolaha Aur Chakki
- Author Name:
Omprakash Dutt
- Book Type:

-
Description:
किसी भी देश या समाज की सांस्कृतिक पहचान सिर्फ़ वहाँ जन्मे महापुरुषों से ही नहीं बनती बल्कि संस्कृति के निर्माण में उन अनाम लोगों की भी भागीदारी होती है जो रोज़मर्रा की गतिविधियों में संलग्न रहते हुए भी अपना एक जीवन–सन्देश छोड़ जाते हैं।
शहर चकवाल की भागवन्ती ऐसा ही चरित्र है जिसने अनपढ़ होते हुए भी अपने बच्चों को पढ़ा–लिखाकर न केवल क़ाबिल बनाया बल्कि इंसानियत के गुण भी उनमें विकसित किए। घर–गृहस्थी के चूल्हा, चरखा और चक्की में व्यस्त रहनेवाली भागवन्ती जितनी पारम्परिक है, उतनी ही आधुनिक भी। उसका चरित्र जैसे एक अबूझ पहेली हो। गांधी हत्या के बाद पहले तो वह अपने पति से कहती है कि, ‘‘सोग मनाना है तो मनाओ, तुम्हारे लिए महात्मा होगा या उन लोगों के लिए जो कुर्सियाँ सँभाले बैठे हैं।’’ लेकिन थोड़ी ही देर बाद जब बहू आकर पूछती है कि आज खाना क्या बनेगा तो एक पल रुककर ग़ुस्से में कहती है ‘‘कैसे घर से आई हो तुम, इतना बड़ा आदमी मर गया और तुम पूछ रही हो—खाना क्या पकेगा! शर्म नहीं आती?’’
सुख–दु:ख, हास्य–रुदन, जीवन–मरण, अच्छाई–बुराई की जीवन्त झलकियों का सुन्दर कोलाज है यह लघु औपन्यासिक कृति। इसमें आज़ादी के पूर्व से लेकर गांधी हत्या तक की राजनीतिक हलचलों की अनुगूँज भी सुनाई पड़ेगी। प्रवाहपूर्ण भाषा तथा बतकही के शिल्प में बुना यह उपन्यास बेहद पठनीय बन पड़ा है।
Anaam Prasang
- Author Name:
Meena Sharma
- Book Type:

-
Description:
बहुत भाग्यशाली होते हैं वे लोग, जिन्हें उपयुक्त जीवन साथी मिल जाता है, अन्यथा देखने में तो यही आता है कि दाम्पत्य की गाड़ी को कोई एक ही खींच रहा है, खींचे चला जा रहा है और दूसरा अपनी पारिवारिक ज़िम्मेदारियों के प्रति सर्वथा लापरवाह बना अपने किसी ऐश्वर्यलोक की मीनार पर बाँसुरी बजा रहा है। ऐसी बाँसुरी बजती है तभी ममता जैसी नायिकाओं का जन्म होता है, जो किसी एक व्यक्ति के प्रति ही नहीं, पूरी सृष्टि के प्रति स्त्रियोचित ममता, कर्त्तव्यपरायणता और विवेक से सम्पन्न होती हैं। ऐसी ही नायिकाएँ अपने दाम्पत्य का नरक भुगत रहे नायकों को अपने स्नेहिल स्पर्श का मरहम लगाकर जीने का सम्बल प्रदान करती हैं, वरना वे कब के इस संसार को अलविदा कह चुके होते।
किसी युगल के बीच आई यह दूसरी स्त्री हमेशा से इस संसार में आकर्षण का केन्द्र रही है, विष पीकर इस स्त्री ने प्रायः ही संसार को अमृत और ‘अभय’ प्रदान किया है, मगर समाज इससे अधिकांशतः भयभीत ही हुआ है और ऐसी स्त्री को उसने क्रॉस पर चढ़ा दिया है। ममता और अभय की यह कथा वस्तुतः इसी त्रास और क्रॉस की कथा है, जिसमें आपकी अपनी व्यथा भी समाहित है। विश्वास न हो तो अनाम रह जानेवाले इस कथा-प्रसंग की आग से गुज़र जाइए।
Dhalti Sanjh Ka Suraj
- Author Name:
Madhu Kankariya
- Book Type:

-
Description:
मधु कांकरिया की विशिष्ट पहचान; साहित्य को शोध और समाज के बीहड़ यथार्थ के साथ जोड़कर, मानवीय त्रासदी के अनेक पहलुओं की बारीक जाँच करना है। उपन्यास या कहानी लिखते समय, उनके सामने समाज ही नहीं, मानव कल्याण का अभिप्रेत रहता है। वे साहित्य लेखन को एक अभियान की तरह निभाती हैं। इसका यह मतलब बिलकुल नहीं है कि मधु के यहाँ व्यक्ति ग़ायब है। बल्कि व्यक्ति ही उनकी संवेदना और मानसिक उथल-पुथल का संवाहक बनता है। इसलिए उनके लेखन में तरह-तरह के पात्र हैं और हर पात्र की अपनी विसंगति है, अपने वैयक्तिक राग-विराग हैं, अपने संघर्ष हैं तो अपने अनाचार-दुराचार भी हैं। उनके वैविध्यपूर्ण और सामाजिक सरोकारों से सम्पृक्त लेखन में शोध भी है, तथ्य भी पर सबसे ऊपर है, मानवीय अनुभूति और बुनियादी सवालों रूबरू होने की कूवत।
इस उपन्यास में जो कथ्य है वह एक ऐसे व्यक्ति की कहानी है जो जीवन में कथित सफलता अर्जित करने के बाद उसकी सीमाओं को महसूस करता है। उसमें एक तलाश है, अपनी सार्थकता की, अपनी आत्मा की, अर्थवत्ता की। अपने जीवन के लक्ष्य की। यह सब उसे तब हासिल होता है जब वह पड़ाव-दर-पड़ाव अपनी माँ की तलाश में उन गाँवों में जा पहुँचता है जहाँ क़र्ज़े की नोक पर टँगे, जीवन और व्यवस्था से हारे किसान आत्महत्या करने पर मजबूर हो रहे हैं। ग्रामीण जीवन के किनारे खड़े-खड़े भी वह देख पाता है कि वहाँ कितनी ग़रीबी है, अभाव है। कुरीतियाँ हैं। शोषण है। सत्ता और बाज़ार का जबरदस्त प्रकोप है। असफलता से किसान नहीं डरता, वह हिम्मत हार जाता है जब वह अपनी क्षमता पर विश्वास खो देता है। जब उसे लगता है कि अब वह किसी काम का नहीं रह गया है। हमारा यह सिस्टम किसान को लगातार यही अहसास करवा रहा है। इन्ही गाँवों में उसे अपना लक्ष्य मिलता है। उसे अपना प्राप्य और कर्मक्षेत्र मिलता है। उसे महसूस होता है कि आज ज़रूरत है गाँव की ओर देखने की।
—मृदुला गर्ग
Shubh Sanyog
- Author Name:
Bimal Mitra
- Book Type:

- Description: ...आज बीस साल बाद कहाँ है वह जयसुन्दर बोस और कहाँ है वह वरुणा चौधरी? कहाँ है वह कमला बोस और कहाँ वह राधेश्याम अग्रवाल? अजय बोस और विजय बोस दो भाई भी आज न जाने कहाँ हैं? सुनने में आता है कि एक भाई अमेरिका में है और दूसरा जर्मनी में। एक-एक मेमसाहब से शादी कर दोनों इंडिया को भूल चुके हैं। शायद वे वहाँ सुख-शान्ति से घर-गृहस्थी कर रहे हैं। उनमें से किसी का पता भी याद नहीं है। लेकिन उस सारे इतिहास का साक्षी बना वह मकान आज भी खड़ा है। उस बारह मंज़िले मकान में न जाने कितने दफ़्तर हैं और उन दफ़्तरों में सैकड़ों कर्मचारी काम करते हैं। मकान मालिक को उस मकान से हर महीने लगभग छह लाख रुपए किराए मिलते हैं। —छह लाख रुपए? और वह भी हर महीने? —हाँ। हर महीने नहीं तो क्या हर साल? पूछा—उसका मालिक कौन है? मेरे मित्र ने कहा—वही बताने के लिए तो वह कहानी सुनाई। शायद इसी को संयोग कहते हैं। यह संयोग कभी शुभ होता है तो कभी अशुभ। लेकिन इस मामले में कहना पड़ेगा कि संयोग शुभ ही था। नहीं तो उतना बड़ा मकान और उससे उतनी आमदनी किसके भाग्य में होती है?
Jungle Tantram
- Author Name:
Shrawan Kumar Goswami
- Book Type:

-
Description:
सिंह बनाम राजनेता। मोर बनाम प्रशासक। नाग बनाम पूँजीपति और चूहा बनाम आम आदमी—‘जंगल तंत्रम’ के ये ख़ास घटक हैं। इन्हीं चार जन्तुओं के माध्यम से लेखक ने आज की राजनीति के तहत चलनेवाली लोकतांत्रिक शासन-प्रणाली के जनविरोधी चरित्र को उजागर किया है।
सिंह, मोर और नाग किस तरह अपने-अपने निहित स्वार्थों के लिए पारस्परिक गठजोड़ किए हुए हैं, फ़ैंटेसीनुमा इस उपन्यास से यह बख़ूबी समझ में आ जाता है। चूहा इसे समझता भी है कि इसकी जोड़-तोड़ का असली शिकार तो मैं ही हूँ पर वह इससे उबर नहीं पाता। छोटे-छोटे प्रलोभनों, सुख-सुविधाओं की आस उसे बराबर कमज़ोर बनाए हुए है। संघर्ष के लिए वह खड़ा तो होता है, पर उसी की वर्गीय और परम्परागत दुर्बलताएँ उसकी पीठ का बोझ बनी हुई हैं।
वास्तव में सुपरिचित कथाकार श्रवण कुमार गोस्वामी का यह बहुचर्चित उपन्यास अपनी सार्थक प्रतीकात्मकता और धारदार भाषा-शैली के आद्योपान्त निर्वाह के कारण एक अनूठा प्रभाव छोड़ता है।
Andekhe Anjaan Pul
- Author Name:
Rajendra Yadav
- Book Type:

- Description: भूरे लोगों के इस भारतीय समाज में स्त्री को कई अपमानजनक परीक्षाओं से गुज़रना पड़ता है। विवाह की पहली शर्त है—उसका गोरा होना। लड़की यदि काली, कुरूप हुई तो अस्वीकार का कोड़ा लहराने लगता है। क्या काली लड़की को सपने देखने का हक़ नहीं है? इस उपन्यास की नायिका निन्नी कालापन और कुरूपता के बावजूद सपनों में निकट के सागर को देखती है, लेकिन निन्नी के छूते ही सपने में बनी बर्फ़ की मूर्ति गल जाती है। जबकि दूर का और लगभग अनजाने दर्शन द्वारा समानता और स्नेह से दिया गया चुम्बन एक पुल बन जाता है। प्रख्यात कथाकार का यह उपन्यास स्त्री-जीवन को समानता की गरिमा देने पर बल देता है।
Main Borishailla
- Author Name:
Mahua Maji
- Book Type:

-
Description:
बांग्लादेश में एक सांस्कृतिक जगह है बोरिशाल। बोरिशाल के रहनेवाले एक पात्र से शुरू हुई यह कथा पूर्वी पाकिस्तान के मुक्ति-संग्राम और बांग्लादेश के रूप में एक नए राष्ट्र के अभ्युदय तक ही सीमित नहीं रहती, बल्कि उन परिस्थितियों की भी पड़ताल करती है, जिनमें साम्प्रदायिक आधार पर भारत का विभाजन हुआ और फिर भाषायी तथा भौगोलिक आधार पर पाकिस्तान से टूटकर बांग्लादेश बना।
समय तथा समाज की तमाम विसंगतियों को अपने भीतर समेटे यह एक ऐसा बहुआयामी उपन्यास है जिसमें प्रेम की अन्त:सलिला भी बहती है तथा एक देश का टूटना और बनना भी शामिल है। यह उपन्यास लेखिका के गम्भीर शोध पर आधारित है और इसमें बांग्लादेश मुक्ति-संग्राम के दौरान पाकिस्तानी सैनिकों तथा उर्दूभाषी नागरिकों द्वारा बांग्लाभाषियों पर किए गए अत्याचारों तथा उसके ज़बर्दस्त प्रतिरोध का बहुत प्रामाणिक चित्रण हुआ है। उपन्यास का एक बड़ा हिस्सा उस दौर के लूट, हत्या, बलात्कार, आगजनी की दारुण दास्तान बयान करता है। उस दौरान मानवीय आधार पर भारतीय सेना द्वारा पहुँचाई गई मदद और मुक्तिवाहिनी को प्रशिक्षण देने के लिए भारतीय सीमा क्षेत्र में बनाए गए प्रशिक्षण शिविरों तथा अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर भारत सरकार द्वारा निभाई गई भूमिका का भी ज़िक्र इसमें है।
युवा लेखिका महुआ माजी का यह पहला उपन्यास है। लेकिन उन्होंने राष्ट्र-राज्य बनाम साम्प्रदायिक राष्ट्र की बहस को बहुत ही गम्भीरता से इसमें उठाया है और मुक्तिकथा को भाषायी राष्ट्रवाद की अवधारणा की पृष्ठभूमि में प्रस्तुत किया है। ज़मीन से जुड़ी कथा-भाषा और स्थानीय प्रकृति तथा घटनाओं के जीवन्त चित्रण की विलक्षण शैली के कारण यह उपन्यास एक गम्भीर मसले को उठाने के बावजूद बेहद रोचक और पठनीय है।
When Arc Lights Fade Away
- Author Name:
Megha Gupta
- Book Type:

- Description: Meera is from a middle-class family in Meerut. As a kid, she has always dreamt of becoming an actress and nothing else. After a rigorous struggle of three years in Mumbai, her dream came true when she got cast as the lead of a television show. Her show is an instant hit with highest TRP making her a household name within a few months. There is a twist in her fairy tale that not only threw her out of the industry but also ruined her career. With no godfather in the industry and no money, she was forced to choose one of the two options either to commit suicide or to work as a commoner. With support from her best friend and sister Misha, she chooses the latter. This story documents her journey to find her foothold as a commoner. She discovered that life is not about chasing your dreams, sometimes it could be about finding them. Br>'meera's story is relatable to people from all walks of life. Her story has a message that even in the darkest of times you will find a Ray of light if you are searching for.
Khalnayak
- Author Name:
Yi Mun Yol
- Book Type:

-
Description:
इस उपन्यास की कथा साफ़ तौर से एक रूपक है जो कोरियाई राजनीति से जुड़ी है। यह कोरिया में एक अधिनायकवादी राज्य शैली से अनिश्चित क़िस्म के प्रजातंत्र में बदलने की गाथा है। इसमें ताक़त के भयंकर दुरुपयोग, आम जन के द्वारा उसे स्वीकार कर चुपचाप सहते रहने की मनोदशा, प्रजातंत्र की ओर उन्मुख करनेवाली जागृति को तो साक्षात् किया ही गया है लेकिन बड़ी बात यह है कि अधिनायक की हार के बावजूद अधिनायकवादी प्रवृत्ति के प्रति सदा सावधान बने रहने की ओर सशक्त संकेत भी किया गया है।
इस उपन्यास के दो स्तर हैं : एक सीधा-सादा और दूसरा सांकेतिक। सीधे-सीधे अर्थ के अनुसार यह कक्षा के एक ऐसे बिगड़ैल मॉनीटर की कहानी है जो अपनी ताक़त और अपने साम्राज्य का झंडा बनाए रखने के लिए कितने ही तरह के हथकंडे अपनाता है। सांकेतिक अर्थ के अनुसार यह मनुष्य के भीतर की एक ऐसी प्रवृत्ति को सामने लाता है जो ताक़तवर बनने की भरपूर कोशिश करती है। उपन्यास आत्मकथात्मक शैली में है जिसका ‘विकृत नायक’ अर्थात् ‘खलनायक’ ‘ओम सोकदे’ है।
माना जाता है कि यह उपन्यास 1980 के ग्वांगजू सामूहिक हत्याकांड से प्रेरित होकर लिखा गया था जिसमें प्रजातंत्र के लिए आन्दोलन कर रहे निहत्थे लोगों को दक्षिण कोरियाई सैनिकों (जिन्हें उत्तर कोरिया से लोहा लेने के लिए प्रशिक्षण दिया गया था और जो शायद युद्ध न होने की स्थिति में ऊब चुके थे) ने मौत के घाट उतारा था।
Ekakipan Ke Sau Varsh
- Author Name:
Gabriel Garcia Marquez
- Book Type:

- Description: ‘एकाकीपन के सौ वर्ष’ की कहानी आपको विस्मित करती है; इसकी अतिरंजनाएँ आपको अवाक् और हास्य के आवेग में विह्वल छोड़ देती हैं; आप एक विराट स्मृति-गाथा के अतिमानवीय मायाजाल में धीरे-धीरे यथार्थ और वास्तविकता के कठोर पत्थरों पर पैर रखते हुए आगे बढ़ते हैं; और इस तरह मानव नियति के साथ बिंधे अनन्त अकेलेपन की एक सामूहिक गाथा के दूसरे छोर तक जाते हैं।
Amitav Ghost
- Author Name:
Supriya Deep
- Rating:
- Book Type:

- Description: She is not aware that she is different. Priyakshee, an it professional, could just see flashes of the future In her dreams. Still, she couldn't save her mother; her father was far dead. The cover-faced, self-healer fighter with the aegishjalmur tattoo on his calf, negative, appears in her dreams and soon in real life. He protects her from attacks no one else knows about; tells her about her dead mother residing in his world: midlife-the ghost-world; falls for her against the 'ghost law of protectors'. Together they discover that priyakshee, like her mother, is a member of Jiva, a hidden society with the power of ghost-immortality. To keep her safe from himself, negative pursues her to marry her boss Amit who has developed an interest in her because she could prevision like amit's grandmother. On the seventh day of their engagement, priyakshee is found missing, Amit is convinced of her murder and after reading about negative in her diary, which says that priyakshee is captured in the ghost world, currently in eternal sleep waiting for Amit and negative to come and rescue her, Amit decides to prove her schizophrenic. Is negative really an imagination of priyakshee or she holds a key to power everyone in midlife would like to have? Why does priyakshee go missing? Does Amit get rid of her after knowing about her schizophrenia? Or does he just want Exemption from accusation to go and find priyakshee? 'Amitav ghost' Breaks the stereotype, rediscovers the concept of ghost, swings between psychological realism and fantasy, and keeps the reader guessing whether everything about negative is true or it's priyakshee's imagination.
Customer Reviews
0 out of 5
Book
Be the first to write a review...