Faiz Ki Shakhsiyat : Andhere Main Surkh Lau
Publisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Language-linguistics0 Reviews
Price: ₹ 280
₹
350
Unavailable
फ़ैज़ की शख़्सियत के सभी पहलुओं को उजागर करनेवाली यह किताब हिन्दी-उर्दू क्षेत्र के आम पाठकों के लिए ही तैयार की गई है। इसमें फ़ैज़ की आपबीती दास्तान है, तो उसके साथ ही उनकी पत्नी एलिस फ़ैज़ का दिलचस्प और पारदर्शी-सा अन्तरंग संस्मरण भी है।</p>
<p>रावलपिंडी षड्यंत्र केस के तहत चार साल से अधिक पाकिस्तान की भिन्न-भिन्न जेलों में बीती उनकी ज़िन्दगी के मुश्किल दिनों की यादों को लगभग क़िस्सागोई की शक़्ल में पेश करनेवाले मेजर मुहम्मद इस्हाक़ का वृत्तान्त फ़ैज़ की शख़्सियत के भिन्न-भिन्न पहलुओं को रौशन करता है। रावलपिंडी षड्यंत्र केस का पूरा लेखा-जोखा कांतिमोहन ‘सोज़’ ने इतिहास की सिलसिलेवार घटनाओं के सन्दर्भ में पेश किया है। फ़ैज़ के परिवार के भीतर आत्मीय ढंग की पैठ रखनेवाले आफ़ताब अहमद और इन्द्रकुमार गुजराल के संस्मरण पाकिस्तान के सैनिक शासन को बेपर्द करते हैं, और फ़ैज़ के व्यक्तित्व के जानदार रगरेशे से हमें परिचित कराते हैं। इसी तरह ग़घलाम मुस्तफ़ा ‘तबस्सुम’ के संस्मरण में फ़ैज़ के छात्र जीवन की यादें दिलचस्प घटनाओं के माध्यम से बताई गई हैं।</p>
<p>रूसी भाषा में फ़ैज़ की जीवनी लिखनेवाली रूसी विदुषी लुदमिला वेसिलेवा अपने आलेख के द्वारा पाकिस्तान और देश-विदेश की अन्दरूनी राजनीति और फ़ैज़ की साहित्यिक-सांस्कृतिक अन्तर्दृष्टि से हमें रू-ब-रू कराती हैं। रूसी विद्वान सुर्कोफ़ का साहित्यिक संस्मरण फ़ैज़ की अदबी हैसियत पर प्रकाश डालता है। फ़ैज़ के निजी चिकित्सक और पारिवारिक मित्र अय्यूब मिर्ज़ा का संस्मरण फ़ैज़ की ख़ूबियों और कमज़ोरियों का उद्घाटन करता है। लाहौर और लखनऊ के बीच फ़ैज़ की आवाजाही को एक अफ़साने की शक़्ल में अतुल तिवारी ने पेश किया है।</p>
<p>इन लेखों-संस्मरणों के अलावा इस किताब में फ़ैज़ द्वारा दिए गए तीन इंटरव्यू भी संकलित हैं। इंटरव्यू कला समीक्षक सुनीत चोपड़ा, हिन्दी कवि-पत्रकार इब्बार रब्बी और उर्दू के प्रोफ़ेसर और शायर नईम अहमद द्वारा तैयार किए गए हैं। फ़ैज़ को, ख़तों के आईने में ज़हूर सिद्दीक़ी ने पेश किया है जबकि फ़ैज़ और एलिस फ़ैज़ के रिश्ते की छानबीन उनके ख़तों के आधार पर नूर ज़हीर ने की है। शरद दत्त की रिपोर्ट भी फ़ैज़ की शख़्सियत को बारीक रंगों-रेखाओं में प्रस्तुत करती है।</p>
<p>सम्पादक मंडल के छह विद्वानों की टोली ने इस किताब की सामग्री का संचयन-सम्पादन किया है।
ISBN: 9788126721467
Pages: 216
Avg Reading Time: 7 hrs
Age : 18+
Country of Origin: India
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भक्ति आन्दोलन का प्रसार और विकास क्षेत्रीय-प्रान्तीय और अखिल भारतीय दोनों स्तरों पर हुआ। उसके क्षेत्रीय और प्रान्तीय रूप एक समान नहीं हैं। उनके देश-काल, धर्म-संस्कृति, भाषा में अन्तर अवश्य है। यहाँ तक कि उनके विकास के स्वरूप में भी अन्तर है। बावजूद इसके इन क्षेत्रीय और प्रान्तीय रूपों में एक अन्तर्सूत्र मौजूद है और वह अन्तर्सूत्र है भक्ति। वह सारे क्षेत्रीय-प्रान्तीय भक्ति आन्दोलन को जोड़कर रखती है। यही कारण है कि भक्ति आन्दोलन के अखिल भारतीय रूप और उसकी सामान्य विशेषता को जानने-समझने के लिए उसके क्षेत्रीय-प्रान्तीय रूपों का ध्यान रखना जरूरी है। इसी प्रकार क्षेत्रीय-प्रान्तीय रूपों की विशिष्टता को पहचानने के लिए उन्हें अखिल भारतीय भक्ति आन्दोलन के परिप्रेक्ष्य में देखने-समझने की जरूरत है।
असम के वैष्णव भक्ति आन्दोलन के प्रवेश द्वार शंकरदेव हैं। इसलिए उनसे और उनके जीवन कर्म एवं उनकी वैष्णव भक्ति से गुजरे बगैर असम के भक्ति आन्दोलन और भक्ति कविता को ठीक से नहीं समझा जा सकता है।
Hindi Lalit Nibandh : Swarup Vivechan
- Author Name:
Vedvati Rathi
- Book Type:

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प्रस्तुत पुस्तक डॉ. वेदवती राठी के दस वर्षों के अध्यवसाय के फलस्वरूप लिखी गई है। अत: अब तक हिन्दी ललित निबन्ध के विषय में जो धारणाएँ व्यक्त की गई हैं, उनका समावेश तो प्रस्तुत पुस्तक में है ही, विविध प्रश्नों पर मौलिक चिन्तन करके अपना अभिमत देकर विदुषी लेखिका ने भरपूर चेष्टा की है कि ललित निबन्ध के विविध पक्षों पर गहन विश्लेषणाधृत विचार एक पुस्तक में मिल सकें। स्वाभाविक है कि यह पुस्तक हिन्दी ललित निबन्ध विषय पर मील का पत्थर सिद्ध होगी।
प्रस्तुत पुस्तक में अब तक उपलब्ध ज्ञान के विविध पक्षों से सम्बद्ध विषयों पर लेखिका के बेबाक विचार संकलित हैं। इसके निष्कर्ष प्रामाणिक एवं पर्याप्त सूझ-बूझ पर आधारित हैं। विचारों की स्पष्टता एवं भाषाभिव्यंजना की परिपक्वता देखते ही बनती है। लेखिका द्वारा इस पुस्तक के तैयार करने में जो गहन अध्यवसाय एवं असाधारण श्रम किया गया है, इसका अनुमान इस कृति को पढ़कर ही लगाया जा सकता है।
कुल मिलाकर हिन्दी ललित निबन्धों के स्वरूप के विविध पक्षों पर स्पष्ट विचार इस पुस्तक को विशिष्ट बनाते हैं।
—डॉ. श्रीराम शर्मा
Muslim Navjagran Aur Akbar Allahabadi Ka 'Gandhinama'
- Author Name:
Virendra Kumar Baranwal
- Book Type:

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Description:
हिन्दी में सम्भवत: यह पहली किताब है जिसमें अकबर इलाहाबादी के ‘गांधीनामा’ की पृष्ठभूमि में मुस्लिम नवजागरण, उसके विविध पक्षों तथा उसमें योगदान देनेवाले प्रमुख उन्नायकों के अवदान के बारे में इतनी बारीक चर्चा की गई है। इसमें शाह वली उल्लाह से लेकर मौलाना आज़ाद तक जैसे विख्यात युगपुरुषों के अवदान पर विचार तो किया ही गया है, इसके अलावा दो ऐसे विचारकों के योगदान पर भी विस्तारपूर्वक चर्चा की गई है जिनके सम्बन्ध में बहुत कम लोग जानते हैं। मिर्ज़ा अबू तालिब और मौलवी मुमताज़ अली दो ऐसे ही नाम हैं। मिर्ज़ा अबू तालिब को मुस्लिम जगत में आधुनिकता की पहली आहट निरूपित किया गया है और मौलवी मुमताज़ अली को पहले मुस्लिम नारीवादी के रूप में प्रस्तुत किया गया है।
हिन्दू नवजागरण के प्रवर्तक राजा राममोहन राय और मुस्लिम नवजागरण के उन्नायक सर सैयद अहमद ख़ाँ के नेतृत्व वाली अलग-अलग ये दोनों धाराएँ बीसवीं सदी के पूर्वार्द्ध में महात्मा गांधी पर आकर एक बार एक हो जाती हैं। अकबर इलाहाबादी का ‘गांधीनामा’ दोनों पुनर्जागरणों के मिलन-बिन्दु का काव्य है। अकबर को व्यंग्य और विनोद के कवि के रूप में ही प्राय: सीमित कर दिया जाता है, उनकी कविता का प्रबल उपनिवेश विरोधी स्वर अकसर रेखांकित नहीं हो पाता। दरअसल गांधी जी की तरह वह भी पश्चिमी सभ्यता के अन्धाधुन्ध नक़ल और मशीनों के ख़िलाफ़ थे। इस तरह गांधी और अकबर के विचारों में अद्भुत समानता है। ‘गांधीनामा’ में यह स्वर बहुत अच्छी तरह से मुखर है।
Shreshth Lalit Nibandh : Vol. 1
- Author Name:
Krishna Bihari Mishra
- Book Type:

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यह धारणा श्लाघा का अतिरेक नहीं है कि हिन्दी की ललित निबन्ध-विधा समर्थ-समृद्ध विधा है। हिन्दी निबन्ध का चयन इस विवेक से किया गया है कि प्रत्येक विचारसरणि और प्रत्येक पीढ़ी के रचनाकारों की शिल्प-संवेदना का समुचित प्रतिनिधित्व हो सके। समग्रता का दावा मैं नहीं करता, नम्रतापूर्वक इतना ही निवेदन करना चाहता हूँ कि रम्य रचना के रसज्ञों को यह संकलन हिन्दी की व्यक्तिव्यंजक निबन्ध-परम्परा का एक संक्षिप्त किन्तु प्रामाणिक परिचय दे सकेगा।
—कृष्ण बिहारी मिश्र
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