Mrinal Pande Ka Rachna Sansar
Author:
Archana ShuklaPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Language-linguistics0 Reviews
Price: ₹ 480
₹
600
Available
हिन्दी की आधुनिक लेखिकाओं में मृणाल पाण्डे अपने विशिष्ट रचना-संसार के कारण अलग पहचान बनाए हुए हैं। उनका लेखन जीवन की समग्रता का प्रस्तुतीकरण लेकर सामने आता है। उन्होंने स्त्री की पहचान, स्त्री की शक्ति, स्त्री के संघर्ष एवं स्त्री से जुड़े हुए अनेक प्रश्नों का विश्लेषण अपनी रचनाओं में किया है। मृणाल पाण्डे का भारतीय जीवन के नए परिवेश पर गम्भीर पकड़ है, जिसमें भारतीय परिवारों की व्यवस्था करती हुई नारी का यथार्थ-चित्रण है। उनके कथा साहित्य में चित्रित नारी परिवेश, स्थिति और विशिष्ट संवेदनाओं को लेकर सामने आती है।</p>
<p>उनकी रचनाओं में स्वाभाविकता एवं सहजता है। अनुभूति की गहराई एवं नवीन मूल्यों को उभारने का प्रयत्न भी उनकी रचनाओं की प्रमुख विशिष्टता है।</p>
<p>नारी का बदलता रूप, उसका आत्मविश्वास एवं विद्रोह, अपनी अस्मिता की पहचान करती नारी के तमाम नवीन रूप उनके कथा साहित्य में दृष्टिगोचर होते हैं। पत्रकारिता के क्षेत्र में भी मृणाल पाण्डे का कोई जवाब नहीं। किसी मंत्री से राजनीति पर बातचीत हो या भाषा-विवाद या महिला मुद्दा सभी पर उनकी प्रस्तुति विचारोत्तेजक होती है। पत्रकारिता का कोई भी क्षेत्र उनसे अछूता नहीं।
ISBN: 9789352211326
Pages: 264
Avg Reading Time: 9 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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Sachchidananda Hirananda Vatsyayan 'Ajneya'
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- Description: यह किताब अज्ञेय के बहुआयामी सर्जक व्यक्तित्व के साथ कई पीढ़ियों का संवाद है। अज्ञेय हमारे देश की एक ऐसी सांस्कृतिक शख्सियत थे जिनके व्यक्तित्व और कृतित्व में भारतीयता के अनेक मायने, अन्तर्विरोध और अन्तर्दृष्टियां निहित हैं। अज्ञेय साहित्य की अलग-अलग 'विधाओं की प्रकृति में अन्तर की गहरी समझ रखते थे। इस पुस्तक में संग्रह किये गये तमाम लेखों में अज्ञेय की रचनाशीलता के विविध आयामों के साथ साक्षात्कार न केवल उनके साहित्य के विशेषज्ञों, बल्कि तमाम युवतर लेखकों द्वारा भी किया गया है। अज्ञेय व्यक्तित्व की अनन्यता, अद्वितीयता, मौलिकता को कितना भी महत्त्व क्यों न देते रहे हों, उनका 'व्यक्तित्ववाद' भी प्रबुद्ध बुर्जुवा व्यक्तिवाद था जिसमें लोकतंत्र, आधुनिकता, धर्मनिरपेक्षता और मानवाधिकार के प्रति प्रतिबद्धता निहित थी। अज्ञेय के काव्य में सतत निजता की सुरक्षा और अहं से निजात पाने का द्वन्द्व चलता रहता है। अज्ञेय उत्तरोत्तर इतिहास से ज़्यादा सनातनता को महत्त्व देते गए। उन्हें एक मूल, सनातन मनुष्य की तलाश थी, अपने भीतर भी और बाहर भी, जो इतिहास (जैसा कि उसे समझा जाता है) के बाहर ही संभव थी। मुक्ति की तलाश में वे अहं को समाज में घुलाने की राह नहीं अपनाते बल्कि अहं से निष्कृति के लिए वे क्रमशः प्रेम, प्रकृति और तथागत (जापानी बौद्ध चिन्तन की रहस्वादी जेन शाखा का प्रत्यय) तथा गैर-धार्मिक आध्यात्म की दूसरी चिन्तन-पद्धतियों की ओर अग्रसर होते दिखाई देते हैं। मुक्ति उनके लिए सत्य की ही तरह वैयक्तिक है जो उन्हें मौन की साधना, सन्नाटे का छन्द बन जाने की ओर ले जाती है। उनसे वाद-विवाद-संवाद का रिश्ता हर पीढ़ी के साहित्यानुरागी का बना रहेगा।
Premchand : Ek Vivechan
- Author Name:
Indranath Madan
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Description:
प्रेमचन्द हिन्दी के ऐसे श्रेष्ठतम उपन्यासकार हैं, जिनके ग्रन्थों में दमन और उत्पीड़न के युग के समाज की अवस्था का यथार्थ चित्रण और प्रतिबिम्ब मिलता है। उन्होंने उन समस्याओं और मान्यताओं का स्पष्ट चित्र अंकित किया है जो मध्यवर्ग, ज़मींदार, पूँजीपति, किसान, मज़दूर, अछूत और समाज से बहिष्कृत व्यक्तियों के जीवन को संचालित करती हैं। उन्होंने किसानों के मानसिक गठन और मध्यवर्ग के दृष्टिकोण को उस समय गम्भीर विश्वास और उत्साह के साथ वाणी दी, जिस समय इस देश के सामाजिक और राजनीतिक जीवन में क्रान्तिकारी परिवर्तन हो रहे थे। जिस वर्ग-संघर्ष को उन्होंने अपने उपन्यासों और कहानियों में स्पष्टता से चित्रित किया है, उसी वर्ग-संघर्ष की दृष्टि से प्रस्तुत पुस्तक में उनकी कला का विवेचन और उनके मस्तिष्क का अध्ययन करने का प्रयास किया गया है। प्रेमचन्द के समस्त उपन्यासों और कुछ प्रतिनिधि कहानियों का अध्ययन प्रस्तुत करनेवाली महत्त्वपूर्ण पुस्तक है यह।
Doosari Duniya
- Author Name:
Nirmal Verma
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Description:
‘दूसरी दुनिया’ निर्मल वर्मा की चर्चित और पाठक-प्रिय रचनाओं का संकलन है। यात्रावृत्त, कहानी, डायरी और चिन्तनपरक निबन्धों का यह चयन स्वयं निर्मल जी ने किया था, जिसमें ज़ाहिर है, उनकी वे रचनाएँ शामिल हैं जो उन्हें स्वयं भी प्रिय थीं।
कहना ग़लत न होगा कि निर्मल जी ने हिन्दी गद्य को जो ऊष्मा दी, वह पाठक को एक जीवित इकाई की तरह आकर्षित करती है। कहानी हो या निबन्ध या फिर यात्रा-कथाएँ, कहीं भी निर्मल वर्मा का पाठक उस आन्तरिक छुअन और साहचर्य से वंचित नहीं रहता, जो उनका गद्य उसे उपलब्ध कराता है।
कई लोग कहते हैं कि आप निर्मल जी का एक वाक्य पढ़ते हैं, और अपनी दुनिया से उठकर उनकी रची हुई दुनिया में चले जाते हैं। कभी पात्रों के साथ जीते हुए, कभी उस परिवेश को महसूस करते हुए जिसकी रचना वे उन्हीं शब्दों और वाक्यों में करते हैं, जिनसे हम हमेशा से परिचित थे, लेकिन जो पहले कभी इतने प्रभावशाली नहीं लगे थे।
यह पुस्तक ऐसी ही रचनाओं का संकलन है; चाहें तो इसे आप उस लेखक की दुनिया में प्रवेश करने का द्वार भी कह सकते हैं, जो आपके स्मृति-तंत्र में हमेशा-हमेशा के लिए बस जानेवाला है। और यह दुनिया दूसरी नहीं है, आपकी अपनी ही है, वहाँ जाकर बस आप दूसरे हो जाते हैं।
Kabeer : Ek Nai Drishti
- Author Name:
Raghuvansh
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- Description: कबीर अपनी वाणी के विभिन्न अंगों के अन्तर्गत व्यक्तिगत जीवन, पारिवारिक-सामाजिक सम्बन्धों, आर्थिक-राजनीतिक परिस्थितियों से धर्म, साधना और अध्यात्म क्षेत्र तक के मूल्य-बोध को अनेक स्तरों पर नाना रूपों तथा विभिन्न आयामों में अभिव्यक्त करते हैं। उन्होंने प्रचलित-परम्परित रूढ़ियों, मान्यताओं, विकृतियों-विडम्बनाओं तथा मूल्यहीनताओं का प्रभावी शैली में खंडन तथा विघटन किया है।
Premchand Ke Shreshth Nibandh
- Author Name:
Premchand
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Description:
इस पुस्तक में संकलित निबन्धों और लेखों से प्रेमचन्द के दृष्टिकोण को समझने में, उनकी रचनाओं को विवेचित करने में न केवल मदद मिलेगी, बल्कि प्रेमचन्द के समय को भी परिभाषित करने में सुविधा होगी।
आज़ादी या स्वाधीनता का क्या अर्थ प्रेमचन्द समझते थे और राजनैतिक हलकों में उन्हें क्या दीख रहा था, इसमें काफ़ी फ़र्क़ है। लेखों को पढ़कर उस फ़र्क़ को पहचाना जा सकता है। उनकी रचनाओं से उनकी तुलना की जा सकती है।
नवजागरणकालीन अन्य रचनाकारों की तरह से वे समग्र चेतना के रचनाकार थे। उनकी भाषा का तेवर और वाक्य-विन्यास अंग्रेज़ी वाक्य-विन्यास का हिन्दी रूपान्तर नहीं है, बल्कि कौम के मानसिक विकास का कायान्तरण है। भाषा रुकी हुई या बाधा डालनेवाली अपारदर्शी नहीं, पारदर्शी है। वे अपरिचित को भी पारिवारिक और परिचित की तरह प्रस्तुत करते हैं। वस्तुपरक, विषय-प्रधान लेखों में भी गहरी आत्मीयता है, अलगाव नहीं है। इसलिए वे हमारे पूर्वज ही नहीं, समकालीन हैं।
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