Uthal-Puthal Aur Dhruvikaran Ke Beech
Author:
ChandrashekharPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
History-and-politics0 Reviews
Price: ₹ 636
₹
795
Available
चन्द्रशेखर ऐसे राष्ट्रनायक हैं जिनके अंतरंग से परिचित होने की सहज उत्सुकता देशवासियों में रही है। इसे ध्यान में रखते हुए, सत्तर के दशक से ही देश-विदेश के प्रमुख सम्पादकों-पत्रकारों ने चन्द्रशेखर का साक्षात्कार लेना आरंभ कर दिया था। चन्द्रशेखर के अंतरंग का साक्षात्कार करना और कराना ही सम्पादकों-पत्रकारों को काम्य था। विभिन्न पत्रिकाओं में बिखरे पड़े चन्द्रशेखर के साक्षात्कारों को संकलित करना दुरूह किंतु इसलिए अनिवार्य था क्योंकि इसके बगैर स्वातंत्र्योत्तर भारत की राजनीति को समझना कठिन है। तीन खंडों में प्रकाशित चन्द्रशेखर से हुई भेंटवार्ताओं का यह पहला खंड है। इस पहले खंड में समाजवाद, दोहरी सदस्यता, गरीबों की पीड़ा, राजनीतिक स्थिरता, पार्टी संगठन, राजनीतिक गठजोड़, राजनीतिक ध्रुवीकरण, विपक्षी एकता, अयोध्या-विवाद जैसे राजनीति से जुड़े जज्बाती सवालों पर चन्द्रशेखर के जवाब हैं जो इतिहास के नए गवाक्ष को खोलते हैं।
ISBN: 9788126704651
Pages: 223
Avg Reading Time: 7 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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- Description: झारखंड अलग राज्य तो बन गया, लेकिन राज्य गठन का जो उद्देश्य था, क्या वह पूरा हुआ? 12 सालों में यहाँ आठ सरकारें बनीं, चार मुख्यमंत्री बदले। कोई भी सरकार अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाई। आखिर इस राजनैतिक अस्थिरता की वजह क्या है? विकास की तमाम संभावनाओं के बावजूद विकास की गति ठहरी हुई है तो इसके लिए जिम्मेदार कौन है? झारखंड की आकांक्षाओं-आशाओं की कसौटी पर कसे विचारों का ज्ञानकोश है यह ग्रंथ। झारखंड में विकास के सारे दावे जनता को कागजी और छलावा क्यों लगते हैं? झारखंडी जनता के सपनों को फिर से जीवित करने का रास्ता क्या हो सकता है? विसंगतियों के बावजूद झारखंड विकसित राज्यों की सूची में पहले पायदान पर हो, यह सभी चाहते हैं—पर कैसे? समग्र महाबहस में राजनीति से लेकर सामाजिक स्तर पर एक-दूसरे के धुर विरोधियों ने एक मंच पर विकास प्रक्रिया और अवरोधों का काफी सटीक विश्लेषण किया है। खामी कहाँ रह गई और इसका उपाय क्या है? नाकामी के कारणों का विश्लेषण इतना गहन है कि इसको आधार बनाकर नए झारखंड का नया डेवलपमेंट रोडमैप तैयार किया जा सकता है। झारखंड की विफलता के कारण और उसके इलाज के प्रभावी नुस्खे पर यह पुस्तक पूरी तरह प्रकाश डालती है।
Uttar Pradesh Ka Swatantrata Sangram : Shravasti
- Author Name:
Pawan Bakshi
- Book Type:

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Description:
श्रावस्ती कोसल का प्रमुख नगर था। इसे बुद्धकालीन भारत के छह महानगरों—चंपा, राजगृह, श्रावस्ती, साकेत, कोशांबी और वाराणसी में से एक माना जाता था।
आज से डेढ़ सौ वर्ष पूर्व यह क्षेत्र अत्यंत वनाच्छादित था जिसके चलते स्वतंत्रता आंदोलन में श्रावस्ती एक प्रमुख पड़ाव हुआ करता था और आंदोलनकारियों के लिए विशेष रूप से सुरक्षित माना जाता था। इस कारण और यहाँ के सामान्य जन की स्वातंत्र्य-चेतना के कारण आजादी के आंदोलन में इसकी महती भूमिका रही। 1857 में अंग्रेजों को बहराइच में कड़ा विरोध झेलना पड़ा। यहाँ के सभी छोटे ताल्लुकेदार खुलकर उनके विरुद्ध खड़े हो गए थे। इकौना रियासत का योगदान इतिहास के स्वर्णिम पृष्ठों में दर्ज है। वीरांगना रानी ईश्वरी देवी का संघर्ष भी एक उल्लेखनीय घटना थी।
इस पुस्तक में स्वतंत्रता आंदोलन में श्रावस्ती जिले की भूमिका को तथ्यों के साथ स्पष्ट किया गया है। साथ ही यहाँ के भौगोलिक व सांस्कृतिक महत्त्व को भी रेखांकित किया गया है।
Basics of Tarot
- Author Name:
Manisha Koushik
- Book Type:

- Description: Tarot is a divination tool that not only shows the current situation of the person concerned but also gives an idea of what steps should be taken. This clarity is obtained through the pictorial presentation of the cards. Once the cards are held in the hands and are concentrated upon, the answers appear automatically in the cards. Through this book one can quickly and easily learn the meanings of the cards along with a few spreads that would help in day to day readings. The tarot cards are 56 in number and for ease are divided into 4 suits namely � Wands, Cups, Swords and Coins. Seems Tough? Do not worry! For making it simple, a grid between numerology and the archetypes of the four suits has been provided which would help a novice to easily remember the meanings. Thus instead of 56 cards only 18 cards have to be understood. The tricks and shortcuts further simplify the cards and make it easy to memorize them. The main aim of writing this book is to equip one with a reference book to guide those interested in learning this mystical science. Easy keywords have been given to memorize the cards, and short descriptions provided for reference.
Writing on the Wall: Reflections on the North-East
- Author Name:
Sanjoy Hazarika
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- Book Type:

- Description: Decades of State and non-State violence in PBI – India’s landlocked North-east have taken a heavy toll on livelihoods, incomes, governance, growth and image, besides lives. Despite vast amounts of money being pumped into the region, basic needs and minimum services are yet to be met in terms of connectivity, health, education and power. What are the possible ways forward as the region stands at a crossroads? These fifteen personal essays provide an insider’s take on wide-ranging issues: from the Brahmaputra and the use of natural resources to peace talks in Nagaland; from the Centre’s failure to repeal the hated Armed Forces Special Powers Act, threats to the environment, corruption in government and extortion by armed groups to New Delhi’s Look East Policy and much more. Yet, as these essays make clear, hope, though distant, is not absent or lost. Restoring governance through people-driven development programmes, peace building through civil society initiatives, assuring the pre-eminence of local communities as evident in Hazarika’s conversations with the legendary Naga leader, Th. Muivah, and simple economic interventions through appropriate technologies — boats and health care, community mobilization and micro-credit — hold promise for solutions to the web of violence, poverty and marginalization. Writing on the Wall is a passionate call to all stakeholders in the North-east to embrace dialogue and use given platforms for peace, to go beyond the politics of tolerance to that of mutual respect. Only such multi-disciplinary, innovative approaches, rooted in realism, can bring stability and sustainable change to the region.
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