Narendra Modi Ke Panch Prana
Author:
Himanshu Kumar C.A.Publisher:
Prabhat PrakashanLanguage:
HindiCategory:
History-and-politics0 Reviews
Price: ₹ 280
₹
350
Available
15 अगस्त, 2022 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को विकास की चतुर्दिक ऊँचाइयों पर ले जाने के लिए देशवासियों के बीच ‘पाँच प्रण’ का बिगुल फूँका।
ये पाँच प्रण हैं—बड़े संकल्प के साथ आगे बढऩा है और वह बड़ा संकल्प एक ‘विकसित भारत’ का है।
दूसरा प्रण है, हमारे अस्तित्व के किसी भी हिस्से में, हमारे मन या आदतों के किसी कोने में ‘गुलामी का कोई अंश नहीं होना चाहिए।’
तीसरा प्रण है, हमें अपनी ‘विरासत’ पर गर्व अनुभव करना चाहिए, क्योंकि यह वही विरासत है, जिसने भारत को अतीत में स्वर्णिम काल दिया था।
चौथा प्रण है—‘एकता और एकजुटता’। 135 करोड़ देशवासियों के बीच जब सद्भाव और सौहार्द होता है तो एकता उसका सबसे मजबूत गुण बन जाती है।
पाँचवाँ प्रण ‘नागरिकों का कर्तव्य’ है, जिससे प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री भी विमुख नहीं हो सकते, क्योंकि वे भी जिम्मेदार नागरिक हैं और राष्ट्र के प्रति उनका कर्तव्य है। यदि हम अगले 25 वर्षों के लिए अपने सपनों को साकार करना चाहते हैं तो यह गुण महत्त्वपूर्ण जीवन-शक्ति बनने जा रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इन्हीं पाँच प्रणों को विस्तार देती एक रोचक, प्रेरक और संग्रहणीय पुस्तक। इसके अध्ययन से हम भारतवर्ष के अमृतकाल में यशस्विता प्राप्ïत कर पाएँगे और पुन: विश्वगुरु बनकर पूरे विश्व का मार्गदर्शन कर सकेंगे।
ISBN: 9789395386661
Pages: 168
Avg Reading Time: 6 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
Recommended For You
Karmayogi Sannyasi Yogi Adityanath
- Author Name:
Rahees Singh
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Tughluq Kaleen Bharat : Vol. 1
- Author Name:
Saiyad Athar Abbas Rizvi
- Book Type:

-
Description:
यह ग्रन्थ तुग़लक़ बादशाहों के महत्त्वपूर्ण कालखंड सन् 1320 से 1351 ई. पर केन्द्रित है। इस दौर में शासन की बागडोर सुल्तान ग़यासुद्दीन और मुहम्मद बिन तुग़लक़ जैसे बादशाहों के हाथों में थी। यह ग्रन्थ उस युग की अत्यन्त महत्त्वपूर्ण और प्रामाणिक जानकारी उपलब्ध कराता है।
फ़ारसी, अरबी, अंग्रेज़ी और हिन्दी के विद्वान और इतिहासकार डॉ. सैयद अतहर अब्बास रिज़वी ने इस ग्रन्थ का सम्पादन-अनुवाद किया है। उन्होंने इस ग्रन्थ में तत्सम्बन्धी अरबी और फ़ारसी में उपलब्ध तमाम ऐतिहासिक दस्तावेज़ों और सामग्रियों का उपयोग किया है जिनमें ज़ियाउद्दीन बरनी, एसामी, बद्रे चाच, अमीर ख़ुर्द, इब्ने बतूता, शिहाबुद्दीन अल उमरी, यहया, मुहम्मद बिहामद ख़ानी, निज़ामुद्दीन अहमद, अब्दुल क़ादिर बदायूँनी, अली बिन अज़ीज़ुल्लाह तबातबा, मीर मुहम्मद मासूम और फ़िरिश्ता जैसे विद्वान लेखकों, इतिहासकारों के ग्रन्थ शामिल हैं।
अनुवाद में फ़ारसी, अरबी के प्रचलित नियमों को, जिनका पालन इतिहासकार करते रहे हैं, ध्यान में रखा गया है। साथ ही आवश्यक टिप्पणियाँ भी जगह-जगह दर्ज कर दी गई हैं ताकि पाठकों को विषय को समझने में सुविधा हो।
इतिहास के छात्रों, शिक्षकों, शोधार्थियों और इतिहासकारों के साथ-साथ इतिहास में रुचि रखनेवाले आम पाठकों के लिए भी ग्रन्थ संग्रहणीय है।
Agnipath Se Nyaypath
- Author Name:
Deokinandan Gautam
- Book Type:

- Description: यह पुस्तक उस बालक की कहानी है, जिसने जीवन में संघर्ष को उत्सव और उत्कर्ष का सोपान बनाने का प्रयत्न किया। बुंदेलखंड के पिछड़े क्षेत्र में साधारण किसान परिवार में जनमे इस बालक ने अभावों में अपनी भाव-भंगिमा को ईश्वर के सहारे सार्थकता से युक्त रखा। श्रीमद्भगवद्गीता, उसमें दिए गए ध्यान के प्रयोग उसके पाथेय रहे। पढ़-लिखकर पुलिस सेवा को एक मिशन के तौर पर लिया और यथाशक्त निर्वाह किया। थपेड़े खाए, पर न्यायपथ पर डटा रहा। भगवान श्रीकृष्ण की कृपा से पुलिस विभाग के शीर्षस्थ पद से कुछ बड़े परिवर्तनों का वाहक बनने का निमित्त बना। जीवन में अनेक महान् विभूतियों के दर्शनों का सौभाग्य उसे मिला। पुस्तक के आकार की मर्यादा का ध्यान रखते हुए लेखक ने विभिन्न प्रकरण संक्षेप में दिए गए हैं। अनेक को स्थान नहीं मिल पाया है। बहुत से प्रकरण इसलिए भी छोड़ने पड़े कि उनमें आत्मश्लाघा की बू आने लगती अथवा ऐसे गंभीर ऑपरेशनल मैटर्स एवं विभागीय कमियों का ब्योरा आ जाता जिसका लाभ देश-विरोधी ताकतों को मिल जाता। जीवनमूल्यों की स्थापना करते हुए कर्तव्य के अग्निपयध पर सतत चलकर न्यायपथ की विस्तीर्ण यात्रा है यह पुस्तक
Bhajpa Hinduttva Aur Musalman
- Author Name:
Vedpratap Vaidik
- Book Type:

-
Description:
‘भाजपा, हिन्दुत्व और मुसलमान’ अपने ढंग की अनूठी कृति है। इस विषय का यह पहला मौलिक और विचारोत्तेजक ग्रन्थ है। उक्त तीनों मुद्दों और उनके आपसी सम्बन्धों पर जितनी गहराई और जितने कोणों से विद्वान लेखक ने विचार किया है, अब तक किसी भी ग्रन्थ में नहीं किया गया है। भाजपा का असली संकट क्या है, उसका समाधान क्या है, उसका भविष्य कैसा है, वह कहीं कांग्रेस की कार्बन-कॉपी तो नहीं बन गई है, संघ और भाजपा के बीच अन्तर्द्वन्द्व के मुद्दे कौन-कौन से हैं, आदि अनेक प्रश्नों पर डॉ. वेदप्रताप वैदिक ने गहन विश्लेषण प्रस्तुत किया है।
सावरकर का हिन्दुत्व अब कितना प्रासंगिक रह गया है? उसमें से क्या घटाया और क्या जोड़ा जाए, इस जटिल और विवादास्पद विषय पर डॉ. वैदिक ने जो मौलिक विचार प्रस्तुत किए हैं, वे भाजपा ही नहीं, 21वीं सदी के भारत के लिए भी ध्यातव्य हैं। हिन्दुत्व और इस्लाम के नाम पर चले अभियानों पर लेखक के जिन बेबाक निबन्धों ने देश की तत्कालीन राजनीति पर सीधा असर डाला था, वे भी इस ग्रन्थ में संकलित किए गए हैं। इस ग्रन्थ में कुछ निबन्ध ऐसे भी हैं, जिनके बारे में आपको लगेगा कि वे अपने आप में एक-एक ग्रन्थ के बराबर हैं। मुस्लिम राजनीति और मुसलमानों के प्रति भाजपा के रवैए पर भी लेखक ने अपनी दो-टूक राय ज़ाहिर की है। मुसलमान भारतीय इतिहास को कैसे देखें और शेष भारत मुसलमानों को कैसे देखे, आदि अत्यन्त पेचीदा और नाजुक मुद्दों पर भी लेखक ने अपने निर्भीक विचार प्रस्तुत किए हैं। डॉ. वैदिक के ये निबन्ध राजनेताओं, विद्वानों, पत्रकारों और प्रबुद्ध पाठकों के लिए दिशा-बोधक और उपयोगी हैं।
Communist China : Avaidh Astitva
- Author Name:
Prof. Kusumlata Kedia
- Book Type:

- Description: यह अल्पज्ञात तथ्य है कि चीन का ‘चीन’ नाम भारत का दिया हुआ है। चीन तो स्वयं को झुआंगहुआ कहता है। इससे भी अल्पज्ञात तथ्य यह है कि महाभारत काल में चीन भारत के सैकड़ों जनपदों में से एक था। प्रशांत महासागर के तट पर पीत नदी के पास यह लघु राज्य भारत से हजारों किलोमीटर दूरस्थ था। पाठकों को यह जानकर आश्चर्य होगा कि अपने इतिहास के अधिकांश में चीन भरतवंशी शासकों के अधीन अर्थात् परतंत्र रहा है। आज के विशाल चीन का निर्माण तत्कालीन सोवियत संघ, ब्रिटेन, संयुक्त राज्य अमरीका आदि के अनुग्रह, हस्तक्षेप और प्रत्यक्ष-परोक्ष सहयोग से ही संभव हुआ है। अन्यथा पुराने चीन को कभी भी बाहरी शक्तियों से ऐसी व्यापक एवं प्रभावकारी सहायता नहीं मिलती। इसलिए यह चीन न होकर, विस्तारवादी और उपनिवेशवादी कम्युनिस्ट चीन है और इस प्रकार यह नैसर्गिक राष्ट्र न होकर कृत्रिम देश है। कम्युनिस्ट चीन के आततायी और दमनकारी साम्राज्यवाद से तिब्बतियों, मंगोलों, मांचुओं, तुर्कों और हानों की मुक्ति आवश्यक है और इसमें भारत की महती भूमिका हो सकती है। यह वैसे भी भारत का कर्तव्य है कि सदा से हमारे अभिन्न तथा आत्मीय रहे तिब्बत पर चीन का बलात् कब्जा कराने में मुख्य भूमिका भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री की ही रही। उन्होंने ही इतिहास में पहली बार चीन को भारत का पड़ोसी बनाया। अत: इस भयंकर भूल को सुधारना भारत का नैतिक दायित्व है। इन सभी दृष्टियों से यह पुस्तक महत्त्वपूर्ण पथ-प्रदर्शक तथा अवश्य पठनीय है।
Bharat Mein Sampradayik Dange Aur Aatankvad
- Author Name:
Prateep K. Lahari
- Book Type:

-
Description:
भारत में जहाँ दोनों समुदायों का समान इतिहास और एक समान संस्कृति की साझेदारी है, उनकी राष्ट्रीयता एक है। कुछ मुसलमान हैं और कुछ हिन्दू हैं किन्तु दोनों भारतीय हैं। न्यस्त स्वार्थों या धार्मिक नेताओं द्वारा इनके बीच जानबूझकर अलगाव पैदा किया जाता है और फिर उसे बढ़ावा दिया जाता है जिससे कि चुनावी तथा अन्य कारणों के लिए दोनों समुदायों को एक-दूसरे से दूर रखा जाए। यह अलगाव पूर्वग्रह और धर्मान्धता का पोषण करता है।
एक विख्यात प्रशासनिक शासकीय अधिकारी पी.के. लाहिरी ने जो महत्त्वपूर्ण कार्य किया है, उसके समक्ष मेरी अच्छी-से-अच्छी कोशिश भी तुच्छ लगेगी। उन्होंने अनेक हिन्दू-मुसलमान दंगों को क़रीब से देखा है और उनके कारणों और प्रभावों का विश्लेषण करने का उत्कृष्ट कार्य किया है। उन्होंने दंगों का जो विवरण दिया है, उसमें छोटी-से-छोटी बात भी शामिल है, उससे मैं मंत्रमुग्ध हो गया हूँ।
मैं श्री लाहिरी से सहमत हूँ कि हिन्दू-मुसलमान दंगों की तुलना सभ्यताओं के संघर्ष से नहीं की जा सकती है और न ही उनका सम्बन्ध नस्लवाद के प्रश्न से है। इसका ज़्यादा सम्बन्ध पहचान को लेकर है, उस भय से कि बहुसंख्यक लोग कम संख्या वाले लोगों का नाश कर देंगे। शेष बात पूर्वग्रह या पक्षपात की है। धर्मान्ध और धार्मिकता के प्रति रूझान वाले राजनीतिक दल इसके लिए ज़िम्मेवार हैं। लाहिरी की पुस्तक ने मेरे ज्ञान को बढ़ाया है। पाठको, आपके साथ भी यही होगा। आपको भी यही अनुभव होगा। इस विद्वत्तापूर्ण कार्य को करने के लिए लाहिरी डॉक्टरेट के हक़दार हैं। मैं उम्मीद करता हूँ कि कोई विश्वविद्यालय उन्हें यह सम्मान देगा।
—कुलदीप नैयर
1965 Bharat-Pak Yuddha Ki Anakahi Kahani
- Author Name:
R.D. Pradhan
- Book Type:

- Description: 1965 भारत-पाक युद्ध की अनकही कहानी 1965 का युद्ध वर्ष 1947 में हुए विभाजन के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच पहला पूर्ण युद्ध था। भारत के तत्कालीन रक्षा मंत्री वाई.बी. चह्वाण ने 22 दिन तक चले इस युद्ध का विवरण स्वयं अपनी डायरी में दर्ज किया था। इस पुस्तक में बताई गई अंदरूनी बातों से पता चलता है— • पाकिस्तानी हमले के समय का पता करने में भारत का खुफिया विभाग बिलकुल विफल रहा। • कैसे और क्यों चह्वाण ने प्रधानमंत्री को सूचित किए बिना ही वायुसेना को हमला करने का आदेश दे दिया। • कैसे एक डिवीजन कमांडर को अभियान से अलग कर दिया गया। • कैसे एक सेना कमांडर ने अपनी ‘रेजीमेंट के महान् गौरव’ के लिए 300 से अधिक लोगों को कुरबान कर दिया। • भारतीय सेना ने लाहौर के अंदर कूच क्यों नहीं किया? • कैसे प्रधानमंत्री ने अपना धैर्य बनाए रखा और युद्ध के समय एक महान् नेता बनकर उभरे। • क्या यह युद्ध निरर्थक था, भारत ने युद्ध के मोर्चे पर जो कुछ जीता था, क्या वह सब ताशकंद में गँवा दिया था? और अंत में, राजनीतिक नेतृत्व ने कैसे रक्षा बलों के नेतृत्व के साथ फिर से अपने समुचित संबंध बहाल कर लिये और 1962 के भारत-चीन युद्ध के समय पैदा हुई कड़वाहट को मिटा दिया। यह पुस्तक वायुसेना के सम्मान में लिखी गई है, जिसे स्वतंत्रता के बाद पहली बार युद्ध में लगाया गया था। यह उन बख्तरबंद रेजीमेंटों को भी श्रद्धांजलि है, जो इस युद्ध में बड़ी वीरता से लड़ीं और पैटन टैंकों के सर्वश्रेष्ठ होने के मिथक को तोड़ दिया।
Kautilya Ka Arthashastra
- Author Name:
Om Prakash Prasad
- Book Type:

-
Description:
अर्थशास्त्र मात्र राजनीतिशास्त्र की पुस्तक नहीं, इसमें राजतंत्रात्मक शासन–पद्धतियों का ऐतिहासिक अध्ययन भी होता है। कौटिल्य ने अर्थशास्त्र के तमाम पहलुओं पर विचार करते हुए इसे राजनीतिविज्ञान भी माना है। इसीलिए कौटिल्य का सारा ज़ोर राजा, राजकोष, प्रजा और शासन के केन्द्रीकरण पर था।
‘कौटिल्य का अर्थशास्त्र : एक ऐतिहासिक अध्ययन’ इस अर्थ में महत्त्वपूर्ण है कि भारत के इस पहले अर्थशास्त्र ग्रन्थ को सदियों के मत–मतान्तरों के परिप्रेक्ष्य में समकालीनता की नई दृष्टि के साथ गहराई और गम्भीरता से देखा–परखा गया है, ताकि अर्थशास्त्र के मूल को मूलत: परिभाषित और आत्मसात् किया जा सके।
यह पुस्तक ऐतिहासिक अध्ययन के साथ–साथ यह विमर्श भी खड़ा करती है कि इतिहास–प्रदत्त किसी भी प्रकार के सामाजिक, राजनीतिक एवं धार्मिक बदलाव में आर्थिक कारण को सर्वाधिक ठोस कारण मानने का सिलसिला अभी भी जारी है। नए शोधकार्यों ने अब यह प्रश्न खड़ा किया है कि सामाजिक, राजनीतिक और धार्मिक बदलाव का अगर प्रधान कारण आर्थिक परिवेश होता है तो आर्थिक बदलाव किस तथ्य पर आधारित है? 21वीं सदी में अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर इस तथ्य को स्वीकृति मिली है कि आर्थिक बदलाव का सबसे ठोस आधार होता है—विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी। पूरा विश्व इस तथ्य को स्वीकारने लगा है कि जिस देश में जिस समय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की जैसी स्थिति रही, वैसी ही उसकी आर्थिक स्थिति रही और जैसी आर्थिक स्थिति रही, वैसी ही सामाजिक और राजनीतिक दशा।
इससे स्पष्ट है कि कौटिल्य की निरंकुश नीतियों के मूल में वैज्ञानिकता अपनी अहम भूमिका में थी कि बग़ैर इसके सशक्त और विशाल साम्राज्य की स्थापना सम्भव नहीं, और इसके लिए राजा प्रजा की सुख–सुविधाओं एवं उसकी भलाई की व्यवस्था करनेवाला एक व्यवस्थापक मात्र है, जिसकी अवहेलना कर सभ्यता की उच्च अवस्था सम्भव नहीं।
यह पुस्तक विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, नगरीकरण, कृषि एवं कृषक, शिल्पकार एवं कर्मकार, प्रशासन तथा स्त्रियों के बारे में विस्तृत एवं महत्त्वपूर्ण प्रकाश डालती है, जो इतिहास और अब तक के अँधेरे से बाहर निकल एक नई दिशा में क़दम बढ़ाने जैसा है।
Constitution Of India : Brief Introduction
- Author Name:
Subhash Kashyap
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Nai Dunia Ki Ore
- Author Name:
V.K. Singh
- Book Type:

-
Description:
बीसवीं सदी के अन्तिम दशक में, नवउदारवाद के पैरोकारों ने इतिहास और विचारधारा के अन्त की घोषणा की थी। समाजवाद के सोवियत प्रयोगों के विफल होने के बाद की गई वह घोषणा पूँजीवाद की ‘अपराजेयता’ का दावा था कि उसका कोई विकल्प नहीं है। लेकिन उसी समय दुनिया के विभिन्न हिस्सों से प्रतिरोध की नई-नई आवाजें सुनाई देने लगीं और नए-नए आन्दोलन उठने लगे। यह इस बात का स्पष्ट संकेत था कि पूरी दुनिया में ऐसे लोग हैं जो ‘इतिहास और विचारधारा के अन्त’ के उदारवादी झाँसे में नहीं आए हैं और पूँजीवादी उत्पादन, उत्पादक शक्तियों के रिश्तों और सामाजिक सम्बन्धों की संस्थानिकताओं के विकल्पों की तलाश और मौजूदा शोषक व्यवस्था के विरुद्ध संघर्ष कर रहे हैं। वस्तुत: प्रतिरोध की ये शक्तियाँ पूँजीवाद के परे एक नई दुनिया के सपने को साकार करने के लिए प्रयत्नशील हैं और यथार्थ के ठोस धरातल पर विकल्प के सपने देख रही हैं।
‘नई दुनिया की ओर’ उन्हीं शक्तियों के स्वप्न और संघर्ष का बयान और विश्लेषण करती है। यह पुस्तक किसी अकादमिक अथवा बौद्धिक पांडित्य का दावा किए बगैर समाज के एक सामान्य श्रमशील सदस्य की नजर और नजरिये से पूँजी और श्रम के जटिल रिश्तों को दिखाने समझाने का प्रयास करती है। लेखक आजकल जोरशोर से प्रचारित ‘प्रतिबद्धतामुक्त’, ‘गैर-राजनीतिक’ अथवा ‘निरपेक्ष-तटस्थ’ रहने की कथित समझदारी के निहितार्थों को रेखांकित करते हुए बतलाता है कि ऐसा करना वास्तव में यथास्थिति का समर्थन करना है जबकि नव-प्रतिरोध के नए संकल्प, नई परियोजनाएँ और नई प्रयोगधर्मिताएँ संघर्ष और प्रतिरोध की नई भाषा रच रहे हैं। यह वह भाषा है, जो नए वैकल्पिक संकल्पों, नई पहलकदमियों, नई परियोजनाओं और एक बेहतर समतामूलक-न्यायपूर्ण समाज की दृष्टि के साथ नए प्रयोगों को जन्म देगी।
एक बेहतर समाज और संसार का सपना देखने वाले हरेक व्यक्ति के लिए अवश्य पठनीय और विचारोत्तेजक पुस्तक।
Gandhi-Drishti Ke Vividh Aayam
- Author Name:
Shambhu Joshi
- Book Type:

-
Description:
जब गांधी जी बर्बरीकरण की बात करते हैं तो वह केवल स्थूल हिंसा तक सीमित नहीं है। उसमें हिंसा के वे सब रूप और आयाम शामिल हैं, जिन्हें संरचनागत हिंसा, सांस्कृतिक हिंसा और पीड़ितोन्मुख अप्रत्यक्ष हिंसा कहते हैं। प्रत्यक्ष हिंसा भी इस संरचनागत हिंसा का ही प्रतिफलन होती है, जिसे सांस्कृतिक हिंसा एक वैधता प्रदान करने की कोशिश करती है।
महात्मा गांधी के विचार-सूत्रों में यदि इस प्रकार की सभी समस्याओं के प्रति एक अद्भुत जागरूकता तथा एक नैतिक-तार्किक संगति दिखाई देती है तो इसका कारण शायद यही है कि उनका सारा जीवन और चिन्तन अहिंसा-प्रेम के नियम से प्रेरित रहा है। विस्मय इस बात का होता है कि उनके नैतिक आग्रहों में कहीं भी अर्थशास्त्रीय सवालों की अनदेखी नहीं है। वह यह मानते हैं कि 'सच्चा अर्थशास्त्र कभी उच्चतम नैतिक मानकों का विरोधी नहीं होता, ठीक उसी प्रकार सच्चा नीतिशास्त्र वही माना जा सकता है, जो नीतिशास्त्र होने के साथ-साथ एक अच्छा अर्थशास्त्र भी हो...।
अब तो मेजारोस, लेबो विट्ज और टेरी इगल्टन जैसे नए मार्क्सवादी विचारक भी विकेन्द्रीकृत प्रौद्योगिकी और उत्पादन की बात करने लगे हैं, जिस पर न कॉरपोरेट का नियंत्रण हो, न राज्य का। यह उन उत्पादन-शक्तियों के विकल्प से ही हो सकता है, जो उत्पादन के साथ-साथ मुनाफ़े के वितरण की समस्या का भी समाधान अन्तर्निहित किए हैं। लेकिन विकेन्द्रीकृत तकनीक पर ही, जिसे गांधी जी 'स्वदेशी' कहते हैं, विकेन्द्रीकृत स्वामित्व का विकास हो सकता है। राष्ट्रीय अथवा बहुराष्ट्रीय, किसी भी प्रकार के पूँजीवाद और उसके अनिवार्य प्रतिफलन साम्राज्यवाद का विकल्प इसलिए 'स्वदेशी' तकनीकी और उत्पादन-व्यवस्था ही हो सकती है, जिसके अन्तर्गत मानवीय स्वातंत्र्य और व्यक्तित्व भी पोषित होता है और प्राकृतिक विनाश का ख़तरा भी नहीं रहता।
इस पुस्तक की प्रमुख विशेषता यह है कि इसमें गांधी-दृष्टि के विविध आयामों को उनके साध्य सत्य तथा साधन अहिंसा अर्थात प्रेम के बीज से पल्लवित सिद्ध करने का स्तुत्य प्रयास किया गया है।...यह पुस्तक जहाँ सामान्य पाठकों को गांधी-विचार की प्रामाणिक जानकारी दे सकेगी, वहीं अध्येताओं, छात्रों और अध्यापकों के लिए भी अतीव उपयोगी साबित होगी।
—नन्दकिशोर आचार्य
The Hero of Kargil & Other Stories
- Author Name:
Lt. Gen. Yashwant Mande
- Book Type:

- Description: The stories in this book pertain to the wars, which India has fought since its Independence in 1962, 65, 71 and 99. The war stories have always aroused the curiosity of the readers. Although many books have been written on conflicts between India and its neighbours, no author has attempted to write stories. This book is therefore unique, the only one of its kind, a book of fiction on events and characters, in the background of war. The wars have topical interest and as time passes, one forgets them and gets engrossed in current issues. This is natural. However, certain events such as missile attack on Karachi, shattering of enemy offensive by Hunter aircraft at Longewala, the role played by the aircraft carrier INS VIKRANT and the heroics of men in uniform have a lasting value, an element of permanence. These stories provide insight into ethos, culture and lifestyle of the armed forces, their values, hardships and character. The stories narrate the account of war and unfold its conduct in easy and interesting manner. The stories have been written in simple and endearing style. It is a book, which ought to be read by all, the old and young.
Prachin Bharat Mein Nagar Tatha Nagar Jivan
- Author Name:
Uday Narayan Rai
- Book Type:

-
Description:
इस ग्रन्थ में आरम्भ से लेकर बारहवीं शती ई. तक ‘प्राचीन भारत में नगर तथा नगर-जीवन’ विषय का विशद् एवं रोचक ऐतिहासिक परिचय पहली बार प्रस्तुत किया गया है।
इस ग्रन्थ के प्रथम तीन अध्यायों में आज से लगभग साढ़े चार हज़ार वर्षों पूर्व ताम्राश्म-काल में प्रथम नगरीय सभ्यता का स्वदेशी उद्भव एवं प्रारम्भिक विकास, हड़प्पा एवं मोहनजोदड़ो-सदृश प्रथम नगरों के सन्निवेश का मौलिक स्वरूप, पाश्चात्य समकालीन नगरों की तुलना में उनके निर्माण की उत्कृष्टता, कालान्तर में लौह काल में द्वितीय पुर-कान्ति के साथ गांगेय उपत्यका में नगरीकरण की प्रक्रिया का आरम्भ, नगर-सन्निवेश की विकसित शैली तथा नगर-तत्त्वों के नवीन विकास और समावेश के विवरण प्राप्य हैं।
तदुपरान्त चतुर्थ से लेकर ग्यारहवें अध्याय तक देश के लगभग पचास प्रतिनिधि नगरों का तिथिक्रम के अनुसार ऐतिहासिक परिचय, नगर एवं गृह-निर्माण की वैज्ञानिक पद्धति, भारतीय अभियन्ताओं की मौलिक सूझ-बूझ तथा नगर-शासन की विशेषताओं का परिचय उपलब्ध होता है। बारहवें से पन्द्रहवें अध्याय तक नगरों का आर्थिक जीवन एवं संघटन, सामाजिक, भौतिक एवं सांस्कृतिक जीवन की विशेषताओं का विश्लेषण, प्राचीन भारतीय कला में नगरीय रूपांकन तथा समग्र परिशीलन का सारगर्भित निष्कर्ष प्राप्य है।
नवीनतम साक्ष्यों के आधार पर इस रचना को अधिकाधिक सज्य बनाने का प्रयास किया गया है। इसका प्रत्येक अध्याय सम्यक् पठनीय तथा नवीन तथ्यों से भरपूर एवं ऋद्ध है। अद्यतन पुरातत्त्वीय साक्ष्यों से मंडित सटीक चित्रफलक, मानचित्र एवं युक्तियाँ विवेचन को अधिकाधिक प्रामाणिक, रोचक एवं सारगर्भित बनाने के उद्देश्य से यथास्थान संयुक्त हैं।
आशा एवं विश्वास है कि अपने वर्तमान स्वरूप में यह ग्रन्थ पहले से अधिक उपादेय एवं अपने अभीष्ट की पूर्ति में सफल सिद्ध हो सकेगा।
Bharat : Itihas, Sanskriti aur Vigyan
- Author Name:
Gunakar Muley
- Book Type:

-
Description:
पिछले चार-पाँच दशकों से नए स्वस्थ दृष्टिकोण से भारतीय इतिहास व संस्कृति का अध्ययन करने के प्रयास हो रहे हैं। ऐसे प्रयासों में अग्रणी रहे डॉ. दामोदर कोसंबी। अनेक विद्वानों ने भारतीय इतिहास व संस्कृति के विविध अंगों को आधुनिक एवं वैज्ञानिक दृष्टिकोण से प्रस्तुत करने का प्रयास किया है। लेकिन वे पुस्तकें गम्भीर पाठकों और अध्येताओं के लिए हैं।
इस पुस्तक में आदिम काल से लेकर आज तक के भारतीय इतिहास की रूपरेखा प्रस्तुत की गई है। यह पुस्तक मुख्यतः विद्यार्थियों और सामान्य पाठकों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर लिखी गई है। चूँकि यह पुस्तक नए ढंग से, वैज्ञानिक दृष्टिकोण से लिखी गई है, इसलिए इसे स्कूलों के अध्यापक भी उपयोगी पाएँगे।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से लिखा गया भारत का इतिहास विद्यार्थियों के हाथों में पहुँचे, इसी उद्देश्य से गुणाकर मुळे ने यह पुस्तक लिखी है। इतिहास के प्रति उनका दृष्टिकोण क्या है, इसकी जानकारी उन्होंने प्रथम अध्याय में दे दी है। पुस्तक में राजा-महाराजाओं के क़िस्से कम हैं, संस्कृति के बारे में अधिक जानकारी दी गई है। तिथियों की भी भरमार नहीं है, राजवंशों की तालिकाएँ और प्रमुख घटनाओं की तिथियाँ पुस्तक के अन्त में दी गई हैं।
Krishna Ki Leelabhumi : 21vin Sadi Mein Vrindavan
- Author Name:
John Stratton Hawley
- Book Type:

-
Description:
कृष्ण की लीलाभूमि : 21वीं सदी में वृन्दावन एक अत्यन्त प्यारे स्थान के बारे में है—कई लोग इसे भारत की आध्यात्मिक राजधानी भी कहते हैं। दिल्ली से कोई सौ मील की दूरी पर यमुना नदी के एक नाटकीय मोड़ पर स्थित वृन्दावन वह स्थान है जहाँ माना जाता है कि भगवान कृष्ण ने अपना बचपन और युवावस्था बिताई थी। हिन्दुओं के लिए यह युवावस्था का प्रतीक रहा है—प्रेम और सुन्दरता का एक क्षेत्र जो दुनिया के बोझ और कठोरता को त्यागने में सक्षम बनाता है। हालाँकि, अब दुनिया वृन्दावन को निगल रही है। दिल्ली का महानगरीय फैलाव दिन-ब-दिन करीब आ रहा है—आधा शहर एक विशाल अचल सम्पत्ति के रूप में विकसित हो चुका है—और यमुना का पानी पीने तो क्या नहाने के लिए भी सुरक्षित नहीं है। मन्दिर अब खुद को थीम पार्क के रूप में बदल रहे हैं और कृष्ण के स्वर्गिक चरागाह में दुनिया की सबसे ऊँची धार्मिक इमारत निर्माणाधीन है।
क्या होता है जब एंथ्रोपोसीन युग हर चीज को वर्चुअल बना देता है? क्या होता है जब स्वर्ग को जोता जाता है? हमारे इस पूरे दौर की तरह, वृन्दावन शक्तिशाली ऊर्जा से सराबोर है, लेकिन क्या खतरे के संकेत धीरे-धीरे सामने नहीं आ रहे?
Bundelkhand Ke Agradoot
- Author Name:
Rakesh Kumar Agrawal
- Book Type:

- Description: "आज हर क्षेत्र में इज्जत, शोहरत और पैसा है लेकिन अतीत में ऐसा नहीं था। फिर भी ऐसे समय में भी कुछ लोगों ने साहित्य, कला और खेल के क्षेत्र में पूर्ण निष्ठा से जी-जान लगाकर काम किया। यह उनका जुनून समझ लें या उनकी लगन, जिसकी वजह से उन्होंने अपनी आखिरी साँस तक मिट्टी के लगाव को वृद्ध नहीं होने दिया। आजकल सोशल मीडिया और इलैक्ट्रॉनिक मीडिया के जमाने में कोई भी बात या खबर बिजली की रफ्तार से फैलती है। लेकिन हम कल्पना कर सकते हैं कि उस दौर में कैसे बुंदेलखंड के अग्रदूतों—मुंशी प्रेमचंद, मैथिलीशरण गुप्त, बाबू केदारनाथ अग्रवाल, वृंदावनलाल वर्मा, हॉकी के जादूगर दद्दा ध्यानचंद, बाबू श्यामलाल ‘इंदीवर’, महारानी लक्ष्मीबाई, मिर्जा गालिब, रायप्रवीण और मस्तानी ने अपनी यशकीर्ति की पताका पूरी दुनिया में फहराई होगी? हर क्षेत्र का अपना एक एवरेस्ट होता है। स्टार और सुपरस्टार केवल सिनेमा में ही नहीं होते। वर्तमान समय में हर क्षेत्र में काम करनेवाले लोगों के पास अकूत संपत्तियाँ हैं। लेकिन उन लोगों के कला प्रेम का कोई मूल्य नहीं लगाया जा सकता जिन्होंने जिंदगी के उतार-चढ़ाव और फाकाकशी के चलते भी अपने कर्म से समझौता नहीं किया। इसलिए लेखक को अपनी जन्मभूमि बुंदेलखंड के ये अग्रदूत मिथकीय पात्रों से बिल्कुल भी कम नहीं लगते। बुंदेलखंड की प्रमुख महान् विभूतियों को एक पुस्तक में सहेजने का यह पहला अभिनव प्रयास है। निश्चित तौर पर छात्रों, शोधार्थियों एवं अन्य पाठकों को यह पुस्तक लाभान्वित करेगी। "
Indira Files
- Author Name:
Vishnu Sharma
- Rating:
- Book Type:

- Description: लेकिन इंदिरा गांधी ही क्यों? आजाद भारत में इंदिरा गांधी वंशवाद का सबसे बड़ा और पहला उदाहरण हैं। वंशवाद का एक ऐसा उत्पाद, जिसको लौह महिला भी कहा जाता है और दूसरी तरफ आपातकाल थोपने के लिए हर साल उनकी तानाशाही को श्रद्धांजलि भी दी जाती है। एक तरफ पाकिस्तान के दो टुकड़े करके इंदिरा गांधी ने भारतीय इतिहास में अपना नाम स्वर्णिम अक्षरों में लिखवा लिया, तो दूसरी तरफ गांधारी की तरह बेटे को अंधा प्रेम कर ‘संजय की मम्मी, बड़ी निकम्मी’ जैसा नारा भी झेला। एक तरफ सिक्किम विलय में अहम भूमिका निभाई तो दूसरी तरफ ‘ऑपरेशन ब्लू स्टार’ का दाग उनकी मौत भी नहीं मिटा पाई। एक तरफ परमाणु परीक्षण कर भारत की ताकत और हिम्मत को पर लगा दिए तो दूसरी तरफ पहली ऐसी प्रधानमंत्री बनीं, जिनको हाई कोर्ट ने प्रधानमंत्री पद से ही हटने का आदेश जारी कर दिया। यह पुस्तक किसी भी जागरूक पाठक, शोधार्थी, पत्रकार, नेता, प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे युवाओं के लिए काफी तथ्यात्मक हो सकती है। कुछ मुद्दे जो इस पुस्तक में लिखे गए हैं, वे और ज्यादा जगह माँगते थे, लेकिन ज्यादा विषयों को लेने की रणनीति के चलते उन्हें सीमित जगह ही दी गई। शोधार्थी इसको आधार बनाकर और गहन अध्ययन कर सकते हैं।
Bharat Ke Shashak
- Author Name:
Rammanohar Lohia
- Book Type:

-
Description:
राममनोहर लोहिया द्वारा गोवा हाईकोर्ट के चीफ़ जज को लिखे एक ख़त को ‘हरिजन सेवक’ के अक्टूबर, ’46 के एक अंक में पुनर्प्रकाशित करते हुए गांधी ने लिखा था कि ‘डॉ. लोहिया कोई मामूली आदमी नहीं’। यह तत्कालीन राजनीतिक परिदृश्य में लोहिया की महत्ता को रेखांकित करता है। लोहिया उन दिनों गोवा में आज़ादी की पैरवी कर रहे थे और गिरफ़्तार भी हुए थे।
इस पुस्तक में लोहिया के वे आलेख संकलित किए गए हैं जो उन्होंने समय-समय पर राजनीति, समाज, संस्कृति और भाषा आदि विषयों पर विचार करते हुए लिखे। भाषा और शब्दावली के लिहाज से उनका लेखन एक ऐसे व्यक्ति का लेखन है जिसके विचार उसके व्यवहार से पुष्ट होकर आते हैं और इसलिए अत्यन्त स्पष्ट रूप में व्यक्त होते हैं।
यहाँ संकलित लेखों में सबसे ध्यानाकर्षक हिन्दुस्तान और पाकिस्तान की एकता की इच्छा को लेकर लिखे गए उनके लेख हैं जो उन्होंने बँटवारे के मात्र तीन-चार साल बाद लिखे थे। उनकी कामना थी कि अगर दोनों देशों के लोग थोड़ी भी विद्या-बुद्धि से काम करते चले गए तो दस-पाँच बरस में फिर से एक होकर रहेंगे। लेकिन दुखद है कि यह विद्या-बुद्धि प्रयोग में नहीं लाई जा सकी। इस सकारात्मक दृष्टि की हमें आज और ज़्यादा ज़रूरत है।
इसके अलावा भारत में शासक-परम्परा, समाजवाद, गांधीवाद और समाजवाद, जाति, स्त्री-पुरुष समानता, मातृभाषा की स्थिति, छुआछूत और मन्दिर प्रवेश जैसे विषयों पर भी आप यहाँ (उनके विचार) पढ़ सकेंगे। यह पुस्तक चिन्तक लोहिया के समग्र का एक प्रतिनिधि संकलन है।
Gandhi aur Nehru
- Author Name:
Deepak Malik
- Rating:
- Book Type:

-
Description:
भारत का राष्ट्रीय आन्दोलन वस्तुत: आम सहमतियों और व्यापक संयुक्त मोर्चों एवं सम्मिलित जन-आन्दोलन को लेकर राजनीतिशास्त्र की दुनिया में एक ‘नई गतिकी’ को निर्मित करता है, यह विश्व इतिहास में एक नई कड़ी है।
गांधी विमर्श तो न केवल भारत में अपितु पूरे विश्व में बड़े दमख़म के साथ चल रहा है, पर जवाहरलाल के बारे में इस दौर में कुछ ही पुस्तकें बाज़ार में आ रही हैं, गांधी-नेहरू साझा विमर्श एक देर से ही सही लेकिन निहायत ही मौज़ूँ सिलसिला है।
वैश्वीकरण के आक्रामक दौर में नेहरू जो एक स्वतंत्र वैकल्पिक अर्थतंत्र और राज्य सत्ता के स्थपति थे, उन्हें भुला देना अस्वाभाविक नहीं लगता है। इस दौर में मौजूदा राज्य सत्ता से लेकर प्रमुख विपक्ष तक ने वैश्वीकरण और उदारीकरण को स्वीकार कर लिया है। साम्प्रदायिकता की तस्वीर में भी 1992 और 2002 के बाद शताब्दियों से चल रही मुश्तरका संस्कृति में दीमक लग गई है। गांधी को तो वैश्वीकरण के स्टीमरोलर ने बेरहमी से ज़मींदोज़ कर दिया है। ऐसे दौर में गांधी-नेहरू के ऐतिहासिक साझा और उनके कृतित्व पर पुन: रोशनी पड़नी चाहिए।
प्रस्तुत पुस्तक दो महान स्वप्नद्रष्टाओं की यथार्थसम्मत विचारधारा को सप्रमाण रेखांकित करती है।
Uttar Pradesh Ka Swatantrata Sangram : Siddharthnagar
- Author Name:
Dr. Arun Kumar Tripathi
- Book Type:

-
Description:
यह पुस्तक आजादी के आंदोलन में सिद्धार्थनगर जनपद के योगदान को रेखांकित करती है। विद्वान लेखक ने सम्यक् अध्ययन एवं शोध के उपरांत इस पुस्तक को लेखनीबद्ध किया है। मुगल आक्रांताओं से लोहा लेने के लिए सतासी राज्य के इतिहास से लेकर 1857 में हुई देशव्यापी ब्रिटिश विरोधी क्रांति तक इस जनपद के जन-गण ने अपनी भूमि और अपने देश के लिए जान हथेली पर रखकर संघर्ष किया।
19वीं सदी के आंदोलनों में यहाँ के लोगों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। चौरी-चौरा जनक्रांति के पश्चात् इस जनपद के लोगों के आंदोलित होने पर तत्कालीन अधिकारियों ने शोहरतगढ़ के कांग्रेस कार्यालय को जला दिया था।
पं. परमेश्वर दत्त को कोड़ों से पीटा गया। शहीद बुधई की जान भी ऐसे ही अत्याचार के कारण गई। शहीद हबीबुल्लाह ने जेल में अनशन करके अपने प्राण त्याग दिए। ऐसी तमाम घटनाएँ इस जनपद के इतिहास में आज अपनी अलग ही चेतना से जगमगा रही हैं जिन्हें इस पुस्तक के माध्यम से देशभक्त जन के सामने लाया जा रहा है।
Customer Reviews
0 out of 5
Book
Be the first to write a review...