Sampradayik Dange Aur Bhartiya Police
Author:
Vibhuti Narayan RaiPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
History-and-politics0 Reviews
Price: ₹ 159.2
₹
199
Available
साम्प्रदायिक दंगों को प्रशासन की एक बड़ी असफलता के रूप में लिया जाना चाहिए। हाल के वर्षों में इस विषय पर एक व्यापक समझ तैयार करने में पूर्व पुलिस अधिकारी व प्रतिष्ठित लेखक विभूति नारायण राय का यह अध्ययन बहुत महत्त्वपूर्ण है। श्री राय ने यह अध्ययन नेशनल पुलिस अकादमी, हैदराबाद के लिए एक वर्ष के गहन परिश्रम के बाद पूरा किया था। दुर्भाग्य से, इसकी कुछ स्थापनाओं को छिपाने–दबाने की कोशिश भी की गई। इसको प्रकाश में लाने का श्रेय नेशनल अकेडमी ऑफ़ एडमिनिस्ट्रेशन, मसूरी को जाता है, जिसने इसे सबसे पहले प्रकाशित किया। मेरी राय है कि प्रशासन और पुलिस के तमाम अधिकारियों के लिए इस पुस्तक का पठन–पाठन अनिवार्य कर दिया जाना चाहिए।
—पदम रोशा, पुलिस महानिदेशक (सेवानिवृत्त)
साम्प्रदायिक दंगों के दौरान पुलिस–व्यवहार पर यह एक ठोस, विश्वसनीय और आधिकारिक अध्ययन है–––लेखक का यह कहना एकदम सही है कि पुलिस में काम करनेवाले लोग उसी समाज से आते हैं जिसमें साम्प्रदायिकता के विषाणु पनपते हैं, उनमें वे सब पूर्वग्रह, घृणा, सन्देह और भय होते हैं जो उनका समुदाय किसी दूसरे समुदाय के प्रति रखता है। पुलिस में भर्ती होने के बावजूद वे ख़ुद को अपने ‘सहधार्मिकों’ के ‘हम’ में शामिल रखते हैं और दूसरे समुदाय को ‘वे’ मानते रहते हैं।
—ए.जी. नूरानी (‘फ़्रंटलाइन’ में)
गृह मंत्रालय और पुलिस ब्यूरो ऑफ़ रिसर्च एंड डेवलपमेंट तथा अपने सर्वेक्षण से प्राप्त आँकड़ों के विस्तृत विश्लेषण पर आधारित यह शोध बताता है कि प्रत्येक दंगे के 80 प्रतिशत शिकार मुस्लिम होते हैं और जो लोग गिरफ़्तार किए जाते हैं, उनमें भी लगभग 90 प्रतिशत अल्पसंख्यक ही होते हैं। श्री राय के अनुसार, ‘‘यह तर्क–विरुद्ध है। अगर 80 प्रतिशत शिकार मुस्लिम हैं तो होना यह चाहिए कि गिरफ़्तार लोगों में 70 प्रतिशत हिन्दू हों। लेकिन ऐसा कभी होता नहीं है।’’
—सिबल चटर्जी (‘आउटलुक’ में)
ISBN: 9788171197217
Pages: 127
Avg Reading Time: 4 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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- Description: इतिहास तीसरी आँख होता है । मनुष्य की दो आँखें आगे देखती हैं, इतिहास की आँख पीछे देखती है। जो समाज जितना पीछे भूतकाल में देख सकता है, वह उतना आगे भविष्य में दूर तक विचार भी कर सकता है। जो धनुर्धर होता है, वह प्रत्यंचा को श्रुति यानी कान तक खींचता है, दूर संधान करने की कोशिश करता है। -धर्म की ग्लानि से इस राष्ट्र का दर्शन क्या है ? हमारे राष्ट्र का इतिहास क्या है? हमारे राष्ट्र की परंपरा क्या है ? हमारे राष्ट्र का वैशिष्ट्य क्या है ? हमारे राष्ट्र का उद्देश्य क्या है? हमारे राष्ट्र की विश्व- जगत् में विशेषता क्या है ? हमारे राष्ट्र का विश्व - दृष्टि से कर्तव्य क्या है ? वैश्विक जागृति में जिम्मेदारी क्या है? -डॉ. हेडगेवार और राष्ट्र दृष्टि से डॉ. अंबेडकर ने धारा 370 का विरोध किया और जब शेख अब्दुल्ला ने डॉ. अंबेडकर जी को कहा कि हमको कश्मीर के लिए कुछ अधिक अधिकार दीजिए तो डॉ. साहब ने शेख अब्दुल्ला से कहा, तुम चाहते हो कि भारत कश्मीर की रक्षा करे, कश्मीरियों को पूरे भारत में समान अधिकार मिले, पर भारत और भारतीयों को तुम कोई अधिकार नहीं देना चाहते। मैं भारत का कानून मंत्री हूँ और मैं अपने देश के साथ इस तरह की धोखाधड़ी और विश्वासघात करने में शामिल नहीं हो सकता । डॉ. भीमराव अंबेडकर : एक असाधारण बहुआयामी व्यक्तित्व से
Rebels Against the Raj
- Author Name:
Ramchandra Guha +1
- Book Type:

- Description: भारतीय स्वातंत्र्यासाठी झालेला संघर्ष आणि लढा यांचा असाधारण इतिहास म्हणजे ‘रिबेल्स अगेन्स्ट द राज' हे पुस्तक होय. जो देश स्वत:चा नाही, त्याच्यासाठी लढणाऱ्या सात वीरांची ही बव्हंशी अपरिचित अशी कहाणी आहे. भारताच्या स्वातंत्र्यलढ्याला हातभार लावण्यासाठी एकोणिसाव्या शतकाच्या अखेरीपासून हे विदेशी वीर देशात दाखल होऊ लागले होते. या सातांपैकी चार ब्रिटिश होते, दोन अमेरिकी होते, तर एक आयरिश होती. त्यांत चार पुरुष आणि तीन स्त्रिया होत्या. कारावास भोगण्याआधी वा हद्दपार केले जाण्याआधी त्यांनी अनेक क्षेत्रांत पायाभूत कार्य केले होते. त्यांत पत्रकारिता, सामाजिक सुधारणा, शिक्षण, सेंद्रीय शेती आणि पर्यावरण यांचा अंतर्भाव होता. हे पुस्तक त्यांच्या कहाण्या सांगते. प्रत्येक बंडखोर आदर्शवाद आणि सच्च्या समर्पणवृत्तीने भारावलेला होता. प्रत्येक या ना त्या प्रकारे गांधींशी जोडला गेलेला होता. त्यांतील काही अनुयायी म्हणून तर काही त्यांच्या दृष्टिकोनाचे संतप्त विरोधक म्हणून. संघर्षाची परिणती तुरुंगवासात होऊ शकते, आणि त्यांचे उर्वरित आयुष्य भारतातच जाऊ शकते वा येथेच त्यांचा मृत्यूही होऊ शकतो, याची खूणगाठही प्रत्येकाने मनाशी बांधलेली होती. आपापल्या कार्यक्षेत्रात प्रत्येकाने आपला अमीट ठसा उमटवला होता आणि त्यांनी उभ्या केलेल्या संस्था तसेच त्यांनी घडविलेल्या पिढ्या व व्यक्ती यांच्या रूपाने त्यांचा वारसा आजही जिवंत आहे. आपसात गुंतलेल्या त्यांच्या जीवन प्रवासाच्या या गोष्टी, जगातील सर्वोत्तम इतिहासकारांमध्ये गणल्या जाणाऱ्या लेखकाने लक्षवेधकपणे मांडल्या आहेत. अर्थात या केवळ गोष्टी नाहीत, तर भारत आणि पाश्चात्त्य जग यांचे संबंध, ब्रिटिश वसाहतवादी सत्तेपलीकडील आपली ओळख तसेच नागरी स्वातंत्र्ये यांचा शोध घेणारे राष्ट्र म्हणून भारताची धडपड, यांविषयीची सखोल अंतर्दृष्टी देणाऱ्या अनोख्या कहाण्या आहेत. Rebels Against The Raj | Ramachandra Guha Translated By : Satish Kamat रिबेल्स अगेन्स्ट द राज | रामचंद्र गुहा अनुवाद : सतीश कामत
Mirror of Fortune
- Author Name:
Dr. A. Shanker
- Book Type:

- Description: This book ‘Mirror of Fortune’ is such an instrument to know the circumstances and conditions of life through astrology that leads to recognizing the signs of favorable and unfavorable circumstances. Those who believe in and practice jyotish, need it at every step. Yet, sometimes when a person with dexterity in this sphere is not found, people have to face serious problems. In today’s life those having insufficient knowledge and who have travelled frequently and stayed in jungles and deserts they too face difficulties. The sphere of astrology is very wide. One should have mastery over its different aspects to comprehend satisfactorily. Unless and until one attains deep knowledge and expertise his sincerity and honesty remain dubious. Meanwhile, whatever I could gain through my study and experience I have put together in this book. I take no pride in doing so as I am not an erudite scholar who is presenting his views to impress readers of his merits and accomplishments. To me there is no difference between fame and the sun of a rainy day.
Rachnatmak Bechaini Mein
- Author Name:
Chandrashekhar
- Book Type:

- Description: इस दूसरे खंड के साक्षात्कारों का दौर वह दौर है जब चन्द्रशेखर भारतीय राजनीति के पटल पर छाए हुए हैं। यह दौर कांग्रेस में रहकर पार्टी नीतियों का विरोध, जेपी आंदोलन और आपातकाल में उनके जबरदस्त हस्तक्षेप तथा जनता पार्टी के गठन और उसके अध्यक्ष बनने का दौर है। पुस्तक में संकलित साक्षात्कारों पर एक नजर डालें तो चन्द्रशेखर एक खास तरह की रचनात्मक बेचैनी और कुछ करने के लिए जल्दबाजी में दिखाई देते हैं। इस दौरान उनका अद्भुत रूप सामने आता है, जिसमें उनकी ऊर्जा और लक्ष्य दोनों साफ-साफ परिलक्षित होते हैं। उनके पास केवल लक्ष्य ही नहीं है, बल्कि उस तक पहुँचने का रास्ता भी है, जिसे वे मौजूदा कठिनाइयों के बीच से ही निकालना चाहते हैं। गत 30 वर्षों के भारतीय राजनीति के घटनाक्रम से साक्षात्कार करानेवाली एक संग्रहणीय पुस्तक।
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