Corona Kaal
Author:
Akash MathurPublisher:
Shivna PrakashanLanguage:
HindiCategory:
History-and-politics0 Reviews
Price: ₹ 100
₹
125
Available
This book has no description
ISBN: 9788194656036
Pages: 120
Avg Reading Time: 4 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
Recommended For You
Mera Desh Badal Raha Hai
- Author Name:
Dr. A.P.J. Abdul Kalam
- Book Type:

- Description: आज बड़ी संख्या में भारतीय युवा क्षमतावान, समर्पित, दृढ-संकल्पित, आदर्शवादी और कड़ी मेहनत करनेवाले हैं। उनमें अद्भुत शक्ति, सामर्थ्य और क्षमता है। डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का युवाओं को प्रबुद्ध बनाने के प्रति विशेष आग्रह था। यद्यपि डॉ. कलाम का पूरा ध्यान बच्चों और किशोरों पर ही केंद्रित रहा, लेकिन उन्होंने व्यक्तिगत और सामाजिक स्तर पर वयस्कों के लिए भी खूब काम किया। उन्होंने सभी लोगों को अपनी कमियाँ और कमजोरियाँ पहचानकर उनसे पार पाने का मार्ग दिखाते हुए जीवन में सफल होने के लिए अगले उचित कदम उठाने के लिए आह्वान किया। डॉ. कलाम के प्रेरक विचारों ने समाज में एक नई चेतना, नए उत्साह और नई स्फूर्ति का संचार किया। भारत सशक्त-सबल-समर्थ बने और विश्व में अप्रतिम स्थान बनाए, ऐसी दृष्टि उन्होंने समाज को दी। डॉ. कलाम के 25 भाषणों के माध्यम से यह पुस्तक जीवन के विविध पहलुओं के लिए अच्छी शिक्षक है, जैसे एक परिपूर्ण जीवन के लिए आवश्यक आदर्श रिश्ते कैसे बनाएँ, जीवन के विविध पहलुओं में संतुलन कैसे कायम करें और कैसे एक संतुष्ट, सफल और उत्साहपूर्ण जीवन जिएँ, ताकि स्वस्थ समाज, समर्थ राष्ट्र का निर्माण हो सके।
Pracheen Bharat Ka Samajik Evam Arthik Itihas
- Author Name:
Om Prakash Prasad +1
- Book Type:

-
Description:
परम्परागत इतिहास लेखन राजनीतिक उथल-पुथल तक ही सीमित था। परन्तु पिछले कुछ दशकों से अतीत के समाज में झाँकने की कोशिशें तेज़ हुई हैं। राजा-महाराजाओं की जगह वंचितजनों को केन्द्र में रखकर इतिहास लिखने के जो प्रयत्न इधर हो रहे हैं, उनमें ओम् प्रकाश प्रसाद का योगदान भी उल्लेखनीय है। इस पुस्तक में उन्होंने प्राचीन भारत की सामाजिक स्थिति, आर्थिक दशा और सांस्कृतिक उपलब्धियों पर व्यापक रूप से प्रकाश डाला है। लेखक ने वर्णव्यवस्था और ब्राह्मण-क्षत्रिय संघर्ष के साथ-साथ प्राचीन भारत में शूद्रों की दशा पर भी विचार किया है और नगरीकरण तथा भारत-रोम व्यापार आदि के माध्यम से तत्कालीन आर्थिक हालात को सामने लाने का प्रयत्न किया है।
लेखक ने इतिहास के विपुल स्रोतों और शोध-सन्दर्भों का उपयोग करते हुए ‘प्राचीन भारत का सामाजिक और आर्थिक इतिहास’ को व्यापक जानकारियों वाला बहुपयोगी ग्रन्थ बनाने का प्रयत्न किया है। कोई दो हज़ार वर्षों के भारतीय जनजीवन को जानने-समझने के लिए यह एक ज़रूरी पुस्तक है।
Surgical Strike
- Author Name:
Ish Kumar Gangania
- Book Type:

- Description: "माना जाता है कि कथा-साहित्य का उदय संभवत: कहानी-लेखन से संभव हो सका है। यह भी माना जाता है कि उपन्यास का उदय लंबी कहानियों के लेखन के प्रादुर्भाव के साथ-साथ हुआ है, किंतु कहानी और उपन्यास के बीच जो खास अंतर है, उसे समझने के लिए ज्यादा उलझन का सामना नहीं करना पड़ता। दरअसल कहानी जीवन तथा समाज के किसी विशेष भाग को विश्लेषित करती है, जबकि अर्नेस्ट ए. बेकर ने उपन्यास की परिभाषा देते हुए उसे गद्यबद्ध कथानक के माध्यम द्वारा जीवन तथा समाज की व्याख्या का सर्वोत्तम साधन बताया है। उपन्यास लिखने के पीछे समाज में कुछ ऐसी अप्रिय व हिंसक घटनाओं का बढ़ जाना है, जो लोकतंत्र को सीधे चुनौती देती नजर आती हैं, लेकिन शासन-प्रशासन की गतिविधियाँ इनके निराकरण की अपेक्षा एक प्रकार से प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से इनका समर्थन करती नजर आती हैं। उपन्यास 'सर्जिकल स्ट्राइक' लोकतंत्र और लोकतांत्रिक मूल्यों के समर्थन में एक जज्बाती जंग है। उपन्यास में पुलवामा के आतंकी हमले की पृष्ठभूमि मौजूद है, यह हकीकत है। उपन्यास का घटनाक्रम फरवरी से मई के पूर्वार्ध 2019 तक सिमटा है। बेहद रोमांचक एवं कथारस से भरपूर एक उपन्यास।"
Mithila Ki Ranbhumi
- Author Name:
Sunil Kumar "Bhanu"
- Book Type:

- Description: “मिथिला की चर्चा होते ही यहाँ के ज्ञान की चर्चा शुरू हो जाती है । सैन्य इतिहास पर बौद्धिक इतिहास हावी हो जाता है । जबकि मिथिला एक से बढ़कर एक युद्ध की साक्षी रही है । इसकी कोख से एक से एक वीर-योद्धाओं का जन्म हुआ, जो न केवल मिथिला की सीमा के रक्षार्थ लड़े, अपितु भारत के विभिन्न क्षेत्रों में जाकर अपने मित्र शासकों के लिये अपराजेय युद्ध किया । इन मैथिलों की शौर्य-गाथा की चर्चा शायद ही किसी इतिहासकार ने खुलकर की है। मिथिला में मैथिलों द्वारा लड़े गये युद्ध का मतलब कंदर्पीघाट की लड़ाई या बल्दिबाड़ी की लड़ाई तक सीमित है । मैथिल योद्धाओं को इतिहास लेखन में पूरी तरह हाशिये पर डाल दिया गया है, इनकी शौर्य गाथा समाज की यादों से विलुप्त होती जा रही है । इस पुस्तक उन्ही योद्धाओं के शौर्य गाथा को आप तक लाने का प्रयास है । विदेह से लेकर खण्डवला राजवंश तक के युद्ध इतिहास को इसमें दिखाने का प्रयास किया गया है । यह पुस्तक एक दस्तावेज ही नहीं बल्कि सुधी पाठकों के लिए उनके शक्तिशाली अतीत का एक सम्पूर्ण ज्ञानकोष भी साबित होगा ।”
Hindutva Ka Ganarajya : Sangh Aur Bhartiya Loktantra
- Author Name:
Badri Narayan
- Book Type:

- Description: बद्री नारायण 'हिन्दुत्व का गणराज्य' में लगातार विस्तार करते संघ परिवार के उद्देश्यों और रणनीतियों पर एक विहंगम दृष्टि डालते हैं। वे बताते हैं कि मौजूदा भारत में वह शायद अकेली शक्ति है जो एक व्यापक और सामूहिक नैरेटिव की अहमियत को समझती है। ... जो लोग हिन्दुत्व की राजनीतिक अपील को समझना चाहते हैं, उनको यह किताब जरूर पढ़नी चाहिए। —राजीव भार्गव राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ बर्फ़ की उस चट्टान की तरह है जिसका सिर्फ़ ऊपरी हिस्सा हमें दिखाई देता है, उसका वास्तविक प्रभाव लेकिन उस हिस्से से प्रसरित होता है जो दिखाई नहीं देता। 2014 के आम चुनाव में नरेन्द्र मोदी को नेता के रूप में चुनने से लेकर 2019 के चुनाव अभियान तक राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का प्रभाव निर्णायक रहा है। राष्ट्रीय राजनीति में भाजपा के उत्थान के पीछे भी उन्हीं की ताक़त है। यह जरूरी और आँख खोल देनेवाली किताब बताती है कि आएएसएस के शैक्षिक, सांस्कृतिक और सामाजिक संगठनों का विशाल नेटवर्क भारतीय चेतना में कैसे इतनी गहरी पैठ बना रहा है, और कैसे लामबन्दी की अपनी नई तकनीकों से उसने दलितों, पिछड़ी जातियों, आदिवासियों और हाशिये के अन्य जन-गण को अपने साथ जोड़कर भारत के एक बड़े तबके को हिन्दुत्व की तरफ़ खींचा है। यही वह सामाजिक समीकरण है जिसका लाभ भाजपा चुनावी राजनीति से जाति को बहिष्कृत किए बिना भी उठा पाती है। ज़मीनी स्तर पर किए गए व्यापक शोध-सर्वेक्षण और आरएसएस कार्यकर्ताओं से किए गए साक्षात्कारों की रोशनी में यह अध्ययन बहुत स्पष्ट रूप में बताता है कि कैसे देश में एक नई जनता गढ़ी जा रही है जो भारतीय लोकतंत्र के भविष्य का निर्धारण करनेवाली है।
Chunav 2019 : Kahani Modi 2.0 Ki
- Author Name:
Aaku Shrivastava
- Book Type:

- Description: वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में प्रचार की शुरुआत सब दलों ने विकास की बातों से की, लेकिन प्रचार जब चरम पर पहुँचा तो यह एक-दूसरे पर कीचड़ उछालने पर केंद्रित हो गया। यहाँ तक कि नेताओं के बिगड़े बोलों से आजिज आकर सुप्रीम कोर्ट को चुनाव आयोग को निर्देश देने पड़े। दूसरी ओर चुनाव आयोग की भूमिका पर भी खूब सवाल उठाए गए। ई.वी.एम. की विश्वसनीयता को लेकर भी सवाल खड़े किए गए। चुनाव प्रचार निम्न स्तर पर पहुँच गया था। इस तरह से वर्ष 2019 का चुनाव पिछले सत्तर वर्षों में एक अलग ही तरह का चुनाव देखा गया। इस चुनाव में प्रचार के पारंपरिक तरीके तो गायब हुए ही, जनता के सरोकार भी बहुत पीछे छूट गए। इसके अलावा इस लोकसभा चुनाव में कई ऐसे सवाल खड़े किए, जो 2014 में उठाए गए थे। कुछ के जवाब मिले, कुछ ने और सवालों को जन्म दिया; कुछ भुला दिए गए तो कुछ बहस का मुद्दा बन गए। क्या भविष्य होगा, इन सवालों का और उनके जवाबों का—इसी पर एक गहन चर्चा इस पुस्तक में की गई है।.
Chandragupta Maurya Aur Uska Kaal
- Author Name:
Radhakumud Mukherji
- Rating:
- Book Type:

-
Description:
प्रो. राधाकुमुद मुखर्जी की गणना देश के शीर्षस्थ इतिहासकारों में होती है और परम्परागत दृष्टि से इतिहास लिखनेवालों में उनका महत्त्वपूर्ण स्थान है।
प्रस्तुत पुस्तक में प्रो. मुखर्जी के वे भाषण हैं, जो उन्होंने सर विलियम मेयर भाषणमाला के अन्तर्गत मद्रास विश्वविद्यालय में दिए थे। इन निबन्धों में भारत के प्रथम सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य के जन्म तथा प्रारम्भिक जीवन और उसके विजय-अभियानों की चर्चा करते हुए उन सारे कारकों का गहराई से अध्ययन किया गया है जो एक शक्तिशाली राज्य के निर्माण में और फिर उसे स्थायित्व प्रदान करने में सहायक हुए। चन्द्रगुप्त के कुशल प्रशासन और उसकी सुविचारित आर्थिक नीतियों की परम्परा अशोक के काल तक अक्षुण्ण रहती है। आर्थिक जीवन का राज्य द्वारा नियंत्रण तथा उद्योगों का राष्ट्रीयकरण मौर्यकाल की विशेषता थी।
प्रो. मुखर्जी का यह अध्ययन चौथी शताब्दी ई.पू. की भारतीय सभ्यता के विवेचन-विश्लेषण के लिए अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है। इसमें कौटिल्य के अर्थशास्त्र की बहुत सारी ऐसी सामग्री का समुचित उपयोग किया गया है, जिसके सम्बन्ध में या तो काफ़ी जानकारी नहीं थी या जिसकी तरफ़ काफ़ी ध्यान नहीं दिया गया था। साथ ही, शास्त्रीय रचनाओं—संस्कृत, बौद्ध एवं जैन ग्रन्थों के मूल पाठों और अशोक के शिलालेखों—जैसे विभिन्न स्रोतों से लिए गए प्रमाणों का सम्पादन और तुलनात्मक अध्ययन भी यहाँ मौजूद है। भारतीय सभ्यता तथा संस्कृति के अन्वेषक विद्वानों ने इस पुस्तक को बहुत ऊँचा स्थान दिया है और यह आज तक इतिहास के विद्यार्थियों, शोधार्थियों और प्राध्यापकों के लिए एक मानक ग्रन्थ के रूप में मान्य है।
Adhunik Bharat ka Aitihasik Yatharth
- Author Name:
Hitendra Patel
- Book Type:

-
Description:
साहित्य आमतौर पर जीवन और समय के उन क्षणों को दर्ज करता है जो इतिहास की निगाह में अक्सर नहीं आते, या इतिहास की परम्परागत अवधारणा उन्हें अपने पन्नों पर अंकित करने लायक नहीं मानती। वे क्षण, जो अगर अनचीन्हे ही लुप्त हो जाएँ तो बहुत महत्त्वपूर्ण कुछ हमसे हमेशा के लिए छूट जाता है, साहित्य उन्हें संरक्षित करता है। साथ ही कई बार वह उन आख्यानों, और लोक-स्मृति का हिस्सा बन चुके तथ्यों को भी अपना विषय बनाता है जो प्राथमिक तौर पर इतिहास का विषय होते हैं, और किसी समय-विशेष को जानने में इतिहास के लिए भी उपयोगी होते हैं।
इसीलिए अब इतिहास के अध्ययन में अन्य दस्तावेजों के साथ-साथ साहित्यिक स्रोतों की अहमियत पर भी जोर दिया जाने लगा है जिनसे इतिहास को न सिर्फ किसी एक घटना को अन्य कई पहलुओं से जानने, बल्कि अपनी दृष्टि का विस्तार करने के लिए भी जरूरी सामग्री मिल सकती है।
हिन्दी में उपन्यासों ने यह काम बखूबी किया है। बीसवीं सदी में अनेक ऐसे उपन्यास लिखे गए जिनमें अपने समय की राजनीति को तत्कालीन सामाजिक सन्दर्भों के साथ अंकित किया गया। आधुनिक भारत का ऐतिहासिक यथार्थ में ऐसे ही उपन्यासों को आधार बनाकर 1919 से लेकर 1962 तक की भारतीय राजनीति को समझने की कोशिश की गई है। यह पुस्तक इन तीनों घटकों के अन्तर्सम्बन्धों को जानने की एक प्रविधि भी निर्मित करती चलती है।
इस अध्ययन में उन्हीं उपन्यासों को रखा गया है जिनमें स्वतंत्रता आन्दोलन के इस शिखर-काल, गांधी और आजादी के बाद नेहरू के युग को गम्भीरतापूर्वक देखा, समझा और प्रस्तुत किया गया है। भगवतीचरण वर्मा, अमृतलाल नागर और यशपाल सरीखे लेखकों के साथ इसीलिए यहाँ गुरुदत्त के उपन्यास भी विचारणीय रहे, जिनको पढ़ना हिन्दू-राष्ट्र के नैरेटिव को समझने के लिए आज और जरूरी है।
Bharat Ka Samvidhan : Sankshipt Parichay
- Author Name:
Subhash Kashyap
- Rating:
- Book Type:

-
Description:
लोकतंत्र में हर नागरिक को अपने देश के संविधान को जानना चाहिए और समझना चाहिए कि हम किस प्रकार शासित हो रहे हैं। भारत के संविधान के मूल कर्तव्य सम्बन्धी भाग के अनुसार देश के हर नागरिक का सबसे पहला कर्तव्य है संविधान का पालन करना। परन्तु उसका पालन करने के लिए संविधान को जानना ज़रूरी है। दुर्भाग्यवश भारत में आज भी भयंकर संवैधानिक निरक्षरता है। ऐसी स्थिति में संविधान के बारे में बुनियादी जानकारी प्राप्त करने के लिए यह किताब अत्यन्त उपयोगी है। भारतीय संविधान के विश्वविख्यात विशेषज्ञ डॉ. सुभाष काश्यप ने सरल और सुगम शब्दों में पुस्तक तैयार की है इसका विशेष उद्देश्य यह है कि पाठक को भारतीय संविधान का संक्षिप्त परिचय मिले तथा वह इसकी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, संविधान निर्माण की प्रक्रिया, तथा वह इसकी संविधान की आत्मा का समुचित ज्ञान प्राप्त सकते हैं।
वस्तुत: यह किताब आधुनिक भारत के इतिहास; एक लोकतंत्र के रूप में भारत के निर्माण और विकास तथा भारत के संविधान में दिलचस्पी रखने वाले हरेक छात्र और सामान्य पाठक के लिए समान रूप से उपयोगी है।
Dalit And Minority Empowerment
- Author Name:
Santosh Bhartiya
- Book Type:

-
Description:
भारत से लेकर सम्पूर्ण विश्व के शक्तिहीन, दबे-कुचले, सामाजिक रूप से पिछड़े और सताए हुए लोग और उनके समूह जब आपस में मिलकर शक्ति सम्पन्न होने का संकल्प लें, तो इसे बड़े बदलाव के भावी संकेत के रूप में लिया जाना चाहिए। इतिहास बनने की शुरुआत ऐसे ही होती है। जो इसकी अगुआई करते हैं, उन्हें इतिहास अपने सिर माथे बैठाता है, क्योंकि अगर वे आगे नहीं बढ़ते तो यात्रा अपने अन्तिम चरण पर पहुँचती ही नहीं। दलित, अल्पसंख्यक सशक्तीकरण की यात्रा शुरू हो चुकी है। इस यात्रा का ध्येय है शक्तिहीन, दबे-कुचले, और सामाजिक रूप से भेदभाव के शिकार दलितों और अल्पसंख्यकों को शक्ति सम्पन्न करना व उनके सामाजिक आधार को मज़बूत करते हुए उन्हें नेतृत्व के लिए तैयार करना।
पुस्तक का महत्त्वपूर्ण अंश है डॉ. मनमोहन सिंह का कथन। भारत के प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने शक्तिहीनों को शक्ति सम्पन्न बनाने तथा दलित, अल्पसंख्यक सशक्तीकरण के प्रयास को अपना पूरा समर्थन देने की घोषणा की। भारत के भूतपूर्व प्रधानमंत्री श्री विश्वनाथ प्रताप सिंह ने साफ़ कहा कि अब सहूलियत देने से काम नहीं चलेगा, वंचितों को शिरकत भी देनी होगी।
बाबा साहेब अम्बेडकर ने ग़रीबों, दलितों, अल्पसंख्यकों के सशक्तीकरण की लड़ाई को वैज्ञानिक विचार का आधार दिया तथा उसे हथियार बनाया। उसी कड़ी में यह एक प्रयास है ताकि आज दलित, अल्पसंख्यक सशक्तीकरण के लिए लड़नेवाले लोग न केवल अपना वैचारिक आधार मज़बूत कर सकें, बल्कि उसे हथियार के रूप में भी इस्तेमाल कर
सकें।यह पुस्तक उन सबके लिए उपयोगी है जो ग़रीबों और वंचितों की लड़ाई में या तो शामिल होना चाहते हैं या उन्हें सहयोग देना चाहते हैं। राजनीति और समाजशास्त्र के विद्यार्थियों के लिए यह पुस्तक भारत के परिवर्तन की इस लड़ाई को समझने का आधार है।
Bhartiya Rajneeti aur Sansad : Vipaksh Ki Bhoomika
- Author Name:
Subhash Kashyap
- Book Type:

-
Description:
संसदीय लोकतंत्रात्मक व्यवस्था में विपक्ष का विशेष महत्त्व है। यदि पता करना हो कि किसी देश में स्वतंत्रता और लोकतंत्र जीवित हैं या नहीं तो यह जानना होगा कि वहीं विपक्ष है या नहीं, और है तो उसकी भूमिका क्या है, कैसी है।
प्रस्तुत पुस्तक में भारतीय संसद में विपक्ष की भूमिका पर ऐतिहासिक और संकल्पनात्मक परिप्रेक्ष्यों में विचार किया गया है। पुस्तक दो भागों में विभक्त है। पहले भाग में लोकतांत्रिक संस्थाओं के उद्भव और विकास, स्वाधीनता से पूर्व विधायिका तथा स्वाधीनता के बाद अस्थायी संसद और प्रथम लोकसभा से लेकर ग्यारहवीं लोकसभा तक विपक्ष की भूमिका की चर्चा की गई है। दूसरे भाग में विपक्ष और नेता विपक्ष के बारे में कुछ संकल्पनात्मक बातें स्पष्ट की गई हैं तथा विपक्ष की भूमिका के कुछ रूमानी आदर्श और यथार्थ स्वरूपों पर रोशनी डाली गई है। विभिन्न अध्यायों में प्रस्तुत विवेचन-विश्लेषण बहुत कुछ व्यक्तिगत अनुभव-अन्वेषण पर आधारित है क्योंकि प्रथम लोकसभा, जवाहरलाल नेहरू और दादा साहेब मावलंकर के समय से लेकर 37 वर्षों से अधिक अवधि तक डी. सुभाष काश्यप संसद से सम्बद्ध रहे और उन्होंने संसद और सांसदों के विभिन्न स्वरूप और आयाम, उतार-चढ़ाव, उत्थान-पतन देखे हैं ।
अपनी राजनीतिक व्यवस्था और प्रातिनिधिक संस्थाओं तथा अपने चुने हुए सांसदों और विधायकों के कार्यकलापों में रुचि रखनेवाले सभी सचेत नागरिकों, शोधकर्ताओं, विद्यार्थियों एवं स्वयं राजनेताओं के लिए यह पुस्तक सर्वथा संग्रहणीय, रोचक और पठनीय सिद्ध होगी ।
Jatiyon Ka Loktantra : Jati Aur Chunav
- Author Name:
Arvind Mohan
- Book Type:

- Description: इस किताब का उद्देश्य भारत के चुनावी लोकतंत्र और उसमें जाति की भूमिका को समझना है। यह एक कठिन काम है, क्योंकि एक सामाजिक शक्ति के रूप में खुद जाति को समझना भी आसान नहीं है। आधुनिकता, शिक्षा और समझदारी के भूमंडलीय विस्तार के बावजूद भारतीय समाज में जाति जहाँ थी, अब भी वहीं है। बल्कि अब वह ज्यादा आत्मविश्वास के साथ सामने आ रही है। चुनावों में अब उसकी निर्णायक स्थिति को हर कोई स्वीकार कर चुका है; जातिवार जनगणना की बातें हो रही हैं; राजनीतिक पार्टियाँ, नेता और मतदाताओं के बीच जातियों के आधार पर नए ध्रुवीकरण हो रहे हैं, टूट भी रहे हैं, फिर बन भी रहे हैं। इसलिए यह जिज्ञासा स्वाभाविक है कि क्या जाति की इस राजनीतिक सक्रियता का कोई पैटर्न भी है, क्या कोई तरीका है यह जानने का कि जातियों की सतत गतिशील चुनावी गोलबन्दियाँ कैसे काम करती हैं। जाहिर है जिस देश में साढ़े चार हजार से ज्यादा समुदाय मौजूद हों, वहाँ इस सवाल को लेकर समाज में उतरना समुद्र में उतरने जैसा है। वरिष्ठ पत्रकार, अरविन्द मोहन ने इस किताब में यही किया है। पत्रकारिता और चुनाव-अध्ययन के लगभग चार दशक के अपने अनुभव के आधार पर उन्होंने इस किताब में पिछले 76 सालों के बदलावों को समझने और कुछ निर्णायक प्रतीत होनेवाली प्रवृत्तियों को रेखांकित करने की कोशिश की है। यह जटिल और सुदीर्घ अध्ययन उन्होंने राज्यवार विश्लेषण के आधार पर किया है। इससे पता चलता है कि यूपी-बिहार ही नहीं, लगभग पूरे देश का चुनावी भूगोल जातियों के आधार पर बनता-बिगड़ता है।
Sarabjit Singh : A Case of Mistaken Identity
- Author Name:
Awaish Sheikh
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Panchatantra Ki Kahaniyan
- Author Name:
Shyamji Verma
- Book Type:

- Description: लोक-गाथाओं से उठाए गए दृष्टातों से भरपूर इस रोचक ग्रंथ का अध्ययन करके तीनों अशिक्षित और उद्दंड राजपुत्र ब्राह्मण की प्रतिज्ञा के अनुसार छह मास में से नीतिशस्त्र मे पारंगत हो गए।
Pracheen Bharat Mein Nagar Tatha Nagar-Jivan
- Author Name:
Uday Narayan Rai
- Book Type:

-
Description:
इस ग्रन्थ में आरम्भ से लेकर बारहवीं शती ई. तक ‘प्राचीन भारत में नगर तथा नगर-जीवन’ विषय का विशद् एवं रोचक ऐतिहासिक परिचय पहली बार प्रस्तुत किया गया
है।इस ग्रन्थ के प्रथम तीन अध्यायों में आज से लगभग साढ़े चार हज़ार वर्षों पूर्व ताम्राश्म-काल में प्रथम नगरीय सभ्यता का स्वदेशी उद्भव एवं प्रारम्भिक विकास, हड़प्पा एवं मोहनजोदड़ो-सदृश प्रथम नगरों के सन्निवेश का मौलिक स्वरूप, पाश्चात्य समकालीन नगरों की तुलना में उनके निर्माण की उत्कृष्टता, कालान्तर में लौह काल में द्वितीय पुर-कान्ति के साथ गांगेय उपत्यका में नगरीकरण की प्रक्रिया का आरम्भ, नगर-सन्निवेश की विकसित शैली तथा नगर-तत्त्वों के नवीन विकास और समावेश के विवरण प्राप्य हैं।
तदुपरान्त चतुर्थ से लेकर ग्यारहवें अध्याय तक देश के लगभग पचास प्रतिनिधि नगरों का तिथिक्रम के अनुसार ऐतिहासिक परिचय, नगर एवं गृह-निर्माण की वैज्ञानिक पद्धति, भारतीय अभियन्ताओं की मौलिक सूझ-बूझ तथा नगर-शासन की विशेषताओं का परिचय उपलब्ध होता है। बारहवें से पन्द्रहवें अध्याय तक नगरों का आर्थिक जीवन एवं संघटन, सामाजिक, भौतिक एवं सांस्कृतिक जीवन की विशेषताओं का विश्लेषण, प्राचीन भारतीय कला में नगरीय रूपांकन तथा समग्र परिशीलन का सारगर्भित निष्कर्ष प्राप्य है।
नवीनतम साक्ष्यों के आधार पर इस रचना को अधिकाधिक सज्य बनाने का प्रयास किया गया है। इसका प्रत्येक अध्याय सम्यक् पठनीय तथा नवीन तथ्यों से भरपूर एवं ऋद्ध है। अद्यतन पुरातत्त्वीय साक्ष्यों से मंडित सटीक चित्रफलक, मानचित्र एवं युक्तियाँ विवेचन को अधिकाधिक प्रामाणिक, रोचक एवं सारगर्भित बनाने के उद्देश्य से यथास्थान संयुक्त हैं।
आशा एवं विश्वास है कि अपने वर्तमान स्वरूप में यह पहले से अधिक उपादेय एवं अपने अभीष्ट की पूर्ति में सफल सिद्ध हो सकेगी।
Congress-Mukt Bharat
- Author Name:
Amit Bagaria
- Book Type:

- Description: अब 80 महीने से भी अधिक का समय बीत चुका है, जब भारतीय राजनीति की ‘वयोवृद्ध पार्टी’, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को 2014 के चुनावों में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली बीजेपी/एनडीए के हाथों करारी हार का सामना करना पड़ा था। पाँच साल बाद 2019 में मोदी ने अपने नेतृत्व में बीजेपी/एनडीए को उससे भी बड़ी जीत दिलाई, भले ही कांग्रेस को इस बार कुछ अधिक सीटें मिलीं। अगस्त 2019 में ‘इंडिया टुडे’ के सर्वे में 57.5 प्रतिशत लोगों ने कहा कि कांग्रेस अपने अंत की ओर बढ़ रही है, 71.4 प्रतिशत ने कहा कि भारतीय मतदाताओं ने निर्णायक रूप से वंशवादी राजनीति को खारिज कर दिया है, और मात्र 32.6 प्रतिशत ने कहा कि सिर्फ एक गांधी ही पार्टी को पुनर्जीवित कर सकता है। जनवरी 2020 में कराए गए ऐसे ही सर्वे में 68.2 प्रतिशत लोगों ने कहा कि कांग्रेस अपने सबसे बड़े नेतृत्व संकट से गुजर रही है। अगस्त 2020 में 55.3 प्रतिशत लोगों ने कहा कि कांग्रेस अपने अंत के करीब है। लेकिन अब तक भी 135 साल पुरानी पार्टी के पुनर्जीवित होने के संकेत नहीं दिखते। 7 अगस्त, 2020 को 23 वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी के अध्यक्ष पद समेत विभिन्न संगठनों के चुनाव कराए जाने की माँग के साथ ही नेहरू-गांधी परिवार के खिलाफ विद्रोह कर दिया। इतने महीने बाद भी पार्टी में नेतृत्व के संकट को दूर करने की दिशा में कोई ठोस कदम उठता नहीं दिखता। ‘बागियों’ और ‘परिवार के तथाकथित वफादारों’ के बीच की दरार कांग्रेस पार्टी को लगातार डरा रही है।
Bharatvarsh ka Brihat Itihas : Vols. 1- 2
- Author Name:
Shrinetra Pandey
- Book Type:

-
Description:
भारतवर्ष का बृहत् इतिहास बड़ा ही लोकप्रिय ग्रन्थ बन गया है। इसकी रचना दशकों पूर्व की गई थी किन्तु इसकी मान्यता तथा लोकप्रियता आज भी पूर्ववत् बनी है। इस नवीन संस्करण का संशोधन तथा परिवर्द्धन उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद् के नवीनतम पाठ्यक्रमानुसार कर दिया गया है जिसके फलस्वरूप कुछ नए प्रकरणों का समावेश हो गया है।
पुस्तक के अन्त में कुछ परिशिष्टियाँ भी जोड़ दी गई हैं। जिससे पुस्तक की अनुकूलता तथा उपयोगिता में वृद्धि हो गई है। आशा है, यह नवीन संस्करण विद्यार्थियों तथा अध्यापकों की आवश्यकताओं को पूर्ण करने में सक्षम होगा।
Nagarikta Sanshodhan Adhiniyam (Tathya Evam Satya : Ek Bauddhik Vimarsh)
- Author Name:
Geeta Singh
- Book Type:

- Description: "भारत सदैव विश्व के सभी सताए हुए लोगों की शरणस्थली रहा, उसी के नागरिकों को उसी की भूमि पर अवसरवाद के इस खेल ने शरणार्थी बना दिया। आज हमें एक मजबूत इच्छाशक्ति वाली मानवतावादी सरकार मिली है, जो इन पीडि़तों एवं शोषितों को सहारा देने के लिए सर्वसम्मति से ‘नागरिकता संशोधन अधिनियम’ को पारित करवाकर लाई, तो अवसरवादी तुच्छ राजनीति करने वाले लोग फिर देश को गुमराह करने में लग गए हैं। समाज में हर तबके के अंदर देश के कोने-कोने में आज सी.ए.ए., एन.पी.आर. एवं एन.आर.सी. पर लोगों के मन में जहर घोलकर तरह-तरह की भ्रांतियाँ बैठा दी गई हैं। उन्हीं भ्रमों के निवारण के लिए तथा इन सभी अधिनियमों के सत्य को सामने लाने के लिए सी.पी.डी.एच.ई. (यू.जी.सी.एच. आर.डी.सी) दिल्ली विश्वविद्यालय के तत्त्वावधान में एक विचार गोष्ठी का आयोजन हुआ, जिसमें राष्ट्र के अग्रणी चिंतक डॉ. इंद्रेश कुमारजी के सान्निध्य एवं संरक्षण में बौद्धिक विमर्श हुआ, जिसमें देश भर के विविध विश्वविद्यालयों से आए विभिन्न चिंतकों, प्राध्यापकों एवं शिक्षाविदों ने गंभीर विचार-विमर्श किया। उस वैचारिक मंथन से प्राप्त ज्ञान-सुधा को जन-जन तक पहुँंचाने के लिए यह पुस्तक प्रकाशित की गई है। केरल के राज्यपाल श्री आरिफ मोहम्मद खान की प्रस्तावना ने इस विषय के महत्त्व को दृढ़ता और प्रामाणिकता से रेखांकित किया है। "
Bogi Number 2003
- Author Name:
Harish Naval
- Book Type:

- Description: "‘बोगी नंबर 2003’ इतिहास का वह हिस्सा है जहाँ संस्कृति, शिक्षा, जन सेवाएँ, राजनीति और समाज केविभिन्न वर्गों के कालापन से उपजी विसंगतियाँ, विडंबनाएँ और विद्रूपताएँ इस उपन्यास में रोचकतापूर्ण मनोरंजन सहित ढली हैं। इस व्यंग्य-उपन्यास में की पीढ़ी उस राजनीतिक काल की पीढ़ी है, जब देश के नियामक रक्षक से भक्षक बनने लगे थे। बहुत से राजनेता धन जमा करने की होड़ में जुटने लगे थे और भ्रष्टाचार जीवन का मूलमंत्र बनने लगा था। ‘काले धन की बैसाखी’ शासन-कर्ताओं को अनिवार्य लगने लगी थी। इन्हीं भ्रष्ट जन का अनुकरण जीवन का व्यवहार बनने लगा था, जिससे बेईमानी का कद बढ़ रहा था। इसके अतिरिक्त इस पीढ़ी पर फिल्मों का प्रभाव बेहद रहा। विवेकानंद, स्वामी दयानंद, सुभाष, भगतसिंह, चंद्रशेखर से कहीं अधिक यह पीढ़ी फिल्मी सितारों को चाहने लगी। महात्मा गांधी तो केवल दो अक्तूबर तक सीमित रह गए, गांधी के नाम पर लूट-खसोट करनेवालों को देख यह पीढ़ी उनकी तरह तुरंत अमीर होना और अय्याशी परस्ती पसंद करने लगी थी। प्रस्तुत कृति में इसका विशद चित्रण आप प्रत्यक्ष भी और परोक्ष भी पाएँगे। "
Rashtranayak Narendra Modi
- Author Name:
Usha Vidhyarthi
- Book Type:

- Description: भारत से लेकर वैश्विक स्तर तक ऐसे मनीषियों की लंबी शृंखला है, जिन्होंने अपने विचार, कर्म और सकारात्मक दृष्टि से मानव सभ्यता को शिखर पर आच्छादित कर दिया, लेकिन कुछ व्यक्तियों के कारण राजनीति को पतितों की अंतिम शरणस्थली तक कहा जाने लगा। इसी पतनोन्मुख व्यवस्था में नरेंद्र मोदी के रूप में एक ऐसे महामानव का उदय हुआ, जिन्होंने राजनीति के मर्म को अपना धर्म समझते हुए मानवमात्र के कल्याण को अपना उद्देश्य बना लिया। अपने स्वहित को राष्ट्रहित और समाजहित में समाहित कर दिया। मानव सेवा को अपने जीवन का सर्वोच्च लक्ष्य बनाते हुए राजनीति के मूलभाव को पुनः स्थापित करने का महान् कार्य किया। श्री नरेंद्र मोदी के व्यक्तित्व और कृतित्व ने राजनीति को पुनः सेवा, श्रम और त्याग का माध्यम बना दिया। सेवा और त्याग की भावना के बिना राजनीति में संवेदना संभव नहीं। संवेदनशील व्यक्ति ही राजनीति के मर्म और धर्म को समझते हुए राष्ट्र के लिए प्राणोत्सर्ग कर सकता है, जो निश्चित रूप से नरेंद्र मोदी के व्यक्तित्व में निहित है। ‘सबका-साथ, सबका-विकास’ सिर्फ नारा नहीं, बल्कि नरेंद्र मोदी का जीवन दर्शन है, जो उन्हें गांधी, आंबेडकर, दीनदयाल, जे.पी. और लोहिया के विचार सागर से निचोड़ के रूप में प्राप्त हुआ है। प्रस्तुत पुस्तक हमारे जनप्रिय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जनोन्मुखी कार्यों को प्रमुखता से चिह्नित करने का एक विनम्र प्रयास है।
Customer Reviews
0 out of 5
Book
Be the first to write a review...