Vikalp Ka Rasta
Author:
Surendra MohanPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
History-and-politics0 Reviews
Price: ₹ 480
₹
600
Unavailable
1991 में उदारीकरण की शुरुआत के साथ देश के सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक परिदृश्य में जो बदलाव आए हैं, इस पुस्तक में उन्हीं का लेखा-जोखा है।</p>
<p>वरिष्ठ समाजवादी विचारक और राजनीतिज्ञ सुरेन्द्र मोहन ने इन लेखों में आर्थिक सुधारों की जारी प्रक्रिया के हर पहलू पर दृष्टिपात करते हुए अपनी अनुभवी नज़र से इस प्रक्रिया के अन्तर्विरोधों को उजागर किया है और एक समग्र विकल्प की तलाश पर बल दिया है ताकि हर तबक़े, हर व्यक्ति के लिए उपादेय हो।</p>
<p>पुस्तक में केन्द्र सरकारों की आर्थिक नीतियों के विकल्प का उल्लेख करने के साथ ही वायुमंडल की तपन से प्रभावित हो रहे पर्यावरण और मानव सभ्यता पर घिर रहे संकटों के निवारण की तरफ़ भी संकेत किया गया है।</p>
<p>विश्व आर्थिक मन्दी के भयानक दौर से देश कैसे बचा है, और भविष्य में भी इससे अर्थव्यवस्था को कैसे बचाया जा सकता है, इस विषय में वरिष्ठ समाजवादी विचारक हमें अपने विचारों से अवगत कराते हैं।</p>
<p>लेकिन पूरी पुस्तक का ज़ोर है एक वैकल्पिक समान राजनीतिक व्यवस्था की तलाश पर, जिसकी आवश्यकता इधर हर स्तर पर महसूस की जा रही है।
ISBN: 9788126719716
Pages: 400
Avg Reading Time: 13 hrs
Age : 18+
Country of Origin: India
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- Description: महासागर के समक्ष खड़े होने से समझ में आता है कि यही सबसे अधिक अथाह, अनन्त, विशाल जल-संसार है, इसके समानान्तर कुछ नहीं है किन्तु जब कभी कोई पुरुषोत्तम के चरित्र-महासागर के गहरे पानी में पैठता है तब समझ में आता है कि यह विशाल चरित्र-सागर कहीं अधिक अनन्त और उन्नत रत्नाकर है। इसके समक्ष बाहर का दृश्य-महासागर कुछ भी नहीं है। धरतीतल वाले सागर से चरित्र-सागर कई गुना अपरिमेय व अजेय है। यह महान और असीम बहुमूल्य सम्पदाओं का भरा-पूरा, कभी न समाप्त होनेवाला रत्नाकर है। रामचरित्र कुछ ऐसा ही रत्नाकर है। उसे पूर्णता से आज तक कोई नहीं जान पाया है। पृथ्वी के इतिहास में जन्मे मात्र दो अक्षरों के 'राम' के चरित्र-सागर की समानता करनेवाला आज तक कोई नहीं हुआ। इस संसार का गहन-गम्भीर रामाख्यान, लोक में कब से साधारण मनुष्यों से लेकर ज्ञानी ऋषियों, मनीषियों, कवियों द्वारा कहा, सुना गया और लिखा जा रहा है, यह भी किसी को नहीं ज्ञात है। कब यह लेखन पूर्ण होगा, कोई नहीं जानता। ‘रामचरित सतकोटि अपारा’ है जिसे ‘इदमित्थं’ नहीं कहा जा सकता।
Dekho Hamri Kashi
- Author Name:
Hemant Sharma
- Book Type:

- Description: काशी ज्ञान की शलाका है और बनारस औघड़ों का ठहाका है। काशी रहस्यों की गहराई है, बनारस किस्सों की ठंडाई है। काशी दिव्य है, बनारस भव्य है। काशी प्रणम्य है, बनारस रम्य है | काशी मुक्ति है, विरक्ति है; लेकिन बनारस हेमंतजी की परम आसक्ति है। यदि काशी में बनारस की तलाश है तो “देखो हमरी काशी ' की उँगली पकड़िए'''रस-ही- रस। गद्य में पद्य का रस, राग और लय का आनंद इस पुस्तक की हर कथा की प्रत्येक पंक्ति में है। इन कथाओं में तथ्य, तर्क और भाव-प्रवाह भरपूर है। जैसा रस “बैताल पचीसी' की कथाओं में है कि उन्हें कोई सामान्य पाठक भी पढ़े तो उसका मनोरंजन होगा। कोई समझदार व्यक्ति पढ़े तो उसे जहाँ ज्ञान प्राप्त होगा, वहीं उसे जीवन जीने का मार्ग भी मिल सकता है। यही बात हेमंतजी की इन कथाओं में है । इसमें ऐसे पात्र हैं, जो हेमंतजी के या हमारे-आपके अपने रोजमर्रा के जीवन के ताने-बाने में गुँथे हुए हैं । वे इतने अभिन्न हैं कि उन्हें अलग-अलग देखना संभव नहीं हो पाता । यह पुस्तक संस्मरण विधा में एक नवोन्मेष है। यह संस्मरण काशी की संस्कृति और बनारसी जीवन का रंगमंच प्रतीत होता है। इसमें वर्णित व्यक्तियों के जरिए काशी की संस्कृति, परंपरा और जीवनधारा की खोज की गई है। जो सदियों से सामाजिक-सांस्कृतिक जीवन के अपरिहार्य अंग रहे हैं । ऐसे लोगों को केंद्र में रखकर कथा बुनी गई है । इस पुस्तक के पात्र चाहे जो हों, वे सामाजिक जीवन में साधारण भले माने जाते हों, पर कथा में वे असाधारण हैं ।
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