Wo Satrah Din
Author:
Brajesh RajputPublisher:
Shivna PrakashanLanguage:
HindiCategory:
History-and-politics0 Reviews
Price: ₹ 140
₹
175
Available
राजनीति में जो होता है वो दिखता नहीं और जो दिखता है वो होता नहीं इसलिये पर्दे के पीछे की कहानी बताना एक पत्रकार के लिये बहुत चुनौती भरा काम होता है। इस किताब के जरिये आप ये समझ पायेंगे कि कांग्रेस और बीजेपी की राजनीति में ऐसा क्या हुआ कि ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने पिता की विरासत वाली पार्टी छोड़कर बीजेपी में चले गये और कमलनाथ की सरकार भरभराकर गिर गयी। अभिज्ञान प्रकाश, जाने माने टीवी पत्रकार तेज़ी से घटने वाली राजनीतिक घटनाओं पर नज़र रखना और उनका विश्लेषण दर्शकों तक पहुँचाना हम टीवी पत्रकारों के लिए बेहद चुनौती का काम होता है मगर उन घटनाओं को क़लमबद्ध कर उसे किताब की शक्ल देना उससे भी मुश्किल काम होता है जो ब्रजेश राजपूत ने किया है। रोचक अंदाज़ में लिखी इस किताब को पढ़कर आप कुछ जगहों पर चौंक जाएँगे और कहेंगे ये तो हमें मालूम ही नहीं था। मध्यप्रदेश की पल-पल बदलती राजनीति और रंग बदलते नेताओं पर लिखी गयी एक बेहतर किताब है "वो सत्रह दिन"। -सुमित अवस्थी, एबीपी न्यूज़ "कहते हैं कि ब्रजेश राजपूत का है अंदाज़-ए-बयाँ और..." जी हाँ, राजनीतिक रिपोर्टिंग की आँखों देखी, कानों सुनी, दिलचस्प दास्ताँ ब्रजेश के कलम से कुछ अलग ही रंग रूप रखती है। "वह सत्रह दिन" उसका एक बेहतरीन नमूना है । सत्ता के उतार चढ़ाव में लालसा, प्रतिस्पर्धा, तिरस्कार का भाव, रणनीति, साधन व कुटिलता.... कुछ भी ब्रजेश की नजर व कलम से बच नहीं सकता -रशीद किदवई, वरिष्ठ पत्रकार एवं लेखक
ISBN: 9788194426677
Pages: 120
Avg Reading Time: 4 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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- Description: मृत्युंजय भारत क्या होता है? मृत्युंजय भारत वह वास्तविक रूप से सारे दुनिया को सही दिशा देनेवाला, कभी भी समाप्त न होनेवाला, ऐसा अगर कोई राष्ट्र है तो वह भारत राष्ट्र है। इसका कई प्रकार के शब्दों में वर्णन किया गया है। भारत का चिंतन क्या है, विकास के संदर्भ में हमारी सोच क्या है, एक बात ध्यान में आती है कि सभी ने केंद्र में किसे रखा है? विकास का विचार करते हैं तो सभी ने मनुष्य को केंद्र में रखा है। जब हम सुख-समृद्धि, समाधान की बात करते हैं, तो उसमें व्यक्ति या व्यक्तियों का समूह, यह उसके केंद्र में, उसके चिंतन में मौजूद है। उसके विकास की कोई सीमा ही नहीं है, वह असीमित है। हम भूमि की पूजा करते हैं, हम नदियों की पूजा करते हैं, हम भवायु के रूप में भगवान् की पूजा करते हैं, हम पेड़-पौधों की पूजा करते हैं। यह क्या है सब। पागलपन नहीं है। इस पूजा भाव के साथ हमारे यहाँ संस्कार देने की बात आती है कि इनकी बड़ी कृपा है हमारे ऊपर।
Uttar Taimoorkaleen Bharat : Vol. 1
- Author Name:
Saiyad Athar Abbas Rizvi
- Book Type:

-
Description:
इस पुस्तक में 1399 से 1526 ई. तक के देहली के सुल्तानों के इतिहास से सम्बन्धित समस्त प्रमुख समकालीन एवं बाद के फ़ारसी के ऐतिहासिक ग्रन्थों का हिन्दी अनुवाद प्रस्तुत किया गया है। पहला भाग देहली के सुल्तानों के राज्य से सम्बन्धित है और दूसरा भाग उन प्रान्तीय राज्यों से जिनका प्रादुर्भाव फ़ीरोज़ तुग़लक़ की मृत्यु के उपरान्त ही धीरे-धीरे होने लगा था और जो तैमूर के आक्रमण के उपरान्त पूर्णतः स्वतंत्र हो गए।
सैयद वंश के इतिहास से सम्बन्धित यहया बिन अहमद बिन अब्दुल्लाह सिहरिन्दी की ‘तारीख़े मुबारकशाही’ एवं ख़्वाजा निज़ामुद्दीन अहमद की ‘तबक़ाते अक़बरी’ भाग-1 के उद्धरणों का अनुवाद किया गया है। दूसरे भाग में अफ़ग़ानों के सुल्तानों के इतिहास के अनुवाद सम्मिलित किए गए हैं। इनमें शेख़ रिज़्कुल्लाह मुश्ताक़ी की ‘वाक़ेआते मुश्ताक़ी’, ख़्वाजा निज़ामुद्दीन अहमद की ‘तबक़ाते अकबरी’, अब्दुल्लाह की ‘तारीख़े दाऊदी’, अहमद यादगार की ‘तारीख़े शाही’ एवं मुहम्मद कबीर बिन शेख़ इस्माइल की ‘अफ़सानए-शाहाने हिन्द’ के उद्धरण शामिल हैं।
भाग-2 के इतिहासकारों में ख़्वाजा निज़ामुद्दीन अहमद के अतिरिक्त सभी अफ़ग़ान इतिहासकार हैं। अहमद यादगार का इतिहास 1930 ई. में प्रकाशित हुआ था और ‘तारीख़े दाऊदी’ 1954 ई. में। इनके अतिरिक्त ‘वाक़ेआते मुश्ताक़ी’ और ‘अफ़सानए-शाहाने हिन्द’ अभी तक प्रकाशित नहीं हुए हैं और इनकी हस्तलिखित प्रतियाँ भी भारतवर्ष में उपलब्ध नहीं हैं, अतः आवश्यक अंशों का अनुवाद करते समय तत्सम्बन्धी पूरे-पूरे इतिहासों का अनुवाद कर दिया गया है। इस कारण एक ही घटना की कई बार पुनरावृत्ति अनुपेक्षणीय हो गई है। इतिहासकारों तथा उनकी कृतियों का परिचय अनुवाद के प्रारम्भ में प्रस्तुत किया गया है।
Uttar Pradesh Ka Swatantrata Sangram : Maharajganj
- Author Name:
Dr. Arun Kumar Tripathi
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Description:
19वीं सदी के कांग्रेसकालीन आंदोलनों में महराजगंज जनपद का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है। उस समय यहाँ की अधिकांश भूमि वनाच्छादित थी तथा कृषि-भूमि गोरखपुर के जमींदारों के हाथ में थी। आबादी भी बहुत अधिक नहीं थी फिर भी यहाँ के निवासियों ने अंग्रेजों को चैन की नींद नहीं सोने दिया। गोरखपुर षड्यंत्र कांड के मुख्य आरोपी प्रो. शिब्बन लाल सक्सेना यहाँ के अत्यंत महत्त्वपूर्ण स्वतंत्रता सैनिक थे जिन्हें अंग्रेजी शासन ने दस वर्ष जेल की सजा दी। इसी क्षेत्र के अक्षैवर सिंह 1930 में सनहा आंदोलन का नेतृत्व करने के कारण अंग्रेजों के कोप का शिकार हुए। सुधाबिंदु त्रिपाठी उग्र क्रांतिकारी संगठन हिंदुस्तान सोशलिस्ट आर्मी से जुडे़ रहे जिन्होंने हथियारों की खरीद के लिए धन-संग्रह के आरोप में कई वर्ष जेल में बिताए।
महराजगंज जिले ने इसके अलावा भी आजादी की लड़ाई में लगातार सक्रियता दिखाई जिसका पूरा विवरण लेखक ने गहन अध्ययन एवं चिंतन के उपरांत इस पुस्तक में दिया है।
Rashtriya Swayamsevak Sangh : Swarnim Bharat Ke Disha-Sootra
- Author Name:
Sunil Ambekar
- Book Type:

- Description: यद्यपि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की दीर्घ-यात्रा पर अनेक पुस्तकें लिखी जा चुकी हैं, फिर भी संघ सदैव ही सुर्खियों में रहता है। हाल के दिनों में संघ के कामकाज को लेकर उत्सुकता बढ़ गई है, क्योंकि एक ओर इन दिनों में बहुत से स्वयंसेवक सरकार में शीर्ष पदों पर पहुँचे हैं, वहीं दूसरी ओर संघ के हिंदू-राष्ट्र और एकात्मता के मूल विचार अब हमारे सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्र की मुख्यधारा बन गए हैं। भारत के लिए संघ का दृष्टिकोण क्या है? यदि भारत एक हिंदू-राष्ट्र बन जाता है, तो इसमें मुसलमानों और अन्य धर्मों का क्या स्थान होगा? इतिहास-लेखन की संघ की परियोजना कितनी बड़ी है? क्या हिंदुत्व जाति की राजनीति को खत्म कर देगा? परिवार की बदलती प्रकृति और विभिन्न सामाजिक अधिकारों पसंघ का क्या दृष्टिकोण है? संघ के वरिष्ठ प्रचारक सुनील आंबेकरजी ने इस पुस्तक में इन सवालों का विश्लेषण किया है। आंबेकरजी को तथ्यों की गहरी समझ है, इसी कारण से वे विचार की स्पष्टता और उसके विस्तार, दोनों पर ध्यान केंद्रित करने में सफल हुए हैं। एक स्वयंसेवक के रूप में उन्होंने शाखा पद्धति में कार्य किया है और उसे अपने जीवन में जिया है, उसी के आधार पर संघ की आंतरिक कार्य-प्रणाली, निर्णय-प्रक्रिया और समन्वयक-दृष्टि पर गहराई से दृष्टिपात किया है। वास्तविक जीवन के अनुभवों से भरपूर ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ : स्वर्णिम भारत के दिशा-सूत्र’ उन सभी के लिए एक पठनीय पुस्तक है, जो संघ-शक्ति की कार्यप्रणाली और इसकी भविष्य की योजनाओं को समझने के इच्छुक हैं।
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