Main
Author:
Bimal MitraPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Historical-fiction0 Reviews
Price: ₹ 239.2
₹
299
Available
विमल मित्र का यह प्रयोगधर्मी उपन्यास ‘मैं’ हमारे समय के राजनीतिक एवं सामाजिक यथार्थ को परत-दर-परत सामने लाता है। स्वतंत्रता-पूर्व और पश्चात् की स्थितियों के जो चित्र इस कृति में मौजूद हैं, वे अपने आपमें ऐतिहासिक तथ्य हैं। इसमें एक तरफ़ दिगम्बर व नुटु का जीवन-संघर्ष है तो दूसरी ओर ज्योतिर्मय सेन का अन्तर्द्वन्द्व। यह अन्तर्द्वन्द्व साधारण जन का अन्तर्द्वन्द्व भी है जो सही व ग़लत के बीच अक्सर अनिर्णय का शिकार होकर यथास्थितिवादी बना रहता है।
दो पुरुष और एक इतर प्राणी को केन्द्र मानकर चलती इसकी कथा अपने परिवेश से असंपृक्त नहीं रहती। इसमें एक ओर मानवीय प्रेम, अस्मिता तथा स्वतंत्रता का संघर्ष है तो दूसरी ओर व्यवस्था का निरंकुश अमानवीय चरित्र उद्घाटित होता है। कुल मिलाकर तीन प्राणियों को केन्द्र मानकर चलने के बावजूद यह कृति आत्मकथात्मक न होकर बीसवीं शताब्दी के भारत की महागाथा है। विविध आयामी यथार्थ चरित्रों के माध्यम से विमल मित्र एक ऐसा संसार रचते हैं, जिसमें प्रेम और वितृष्णा एक साथ उत्पन्न होते हैं।
ISBN: 9788126714711
Pages: 262
Avg Reading Time: 9 hrs
Age : 18+
Country of Origin: India
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Dr. Ismail Pathan
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- Description: डॉ. पठाण यांच्या संभाजी चरित्राचे वैशिष्ट्य काय? या प्रश्नाचे उत्तर शोधण्याचा जेव्हा आम्ही प्रयत्न केला तेव्हा आमच्या लक्षात आले की, एका धर्मनिरपेक्षवादी मुस्लीम लेखकाने लिहिलेले हे महाराष्ट्रातील पहिले संभाजी चरित्र आहे. आज समाजातील काही विशिष्ट गट संभाजी महाराजांनी दिलेल्या लढ्यास हिंदू विरुद्ध मुस्लीम असा रंग देऊन तो धार्मिक लढा होता, असे भासवून या राजास ‘धर्मवीर' म्हणून घोषित करीतअसताना या ग्रंथाने या घोषणेला छेद दिला आहे. औरंगजेबाने सुरु केलेले हे युद्ध खऱ्या अर्थाने साम्राज्यवादी होते व त्याला विरोध करून त्याच्याशी लढणाऱ्या मराठ्यांचे युद्ध हे त्याच अर्थाने स्वातंत्र्यवादी होते. इथे हिंदू विरुद्ध मुस्लीम असा धर्माचा काही प्रश्नच निर्माण होत नाही, हे ऐतिहासिक सत्य डॉ. पठाण यांच्या या ग्रंथातून दृग्गोचर होते आहे आणि हेच सत्यकथन या ग्रंथाचे यश आहे असे आम्हांस वाटते. - डॉ. जयसिंगराव पवार ज्येष्ठ इतिहासकार Chhatrapati Sambhaji Maharaj | Dr. Ismail Pathan छत्रपती संभाजी महाराज । डॉ. इस्माईल पठाण
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