Yunan Mein Darshanshastra
Author:
Ras Bihari DuttaPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
General-non-fiction0 Reviews
Price: ₹ 200
₹
250
Available
Awating description for this book
ISBN: 9789394902954
Pages: 100
Avg Reading Time: 3 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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Description:
भारत के वर्तमान सामाजिक-राजनीतिक परिदृश्य में दलित एक बड़ी चुनावी ताक़त के रूप में उभरकर आए हैं और लगभग सभी राजनीतिक दलों के लिए यह अनिवार्य हो गया है कि वे उन्हें अपने पाले में लाने की कोशिश करें।
‘हिन्दुत्व का मोहिनी मंत्र’ पुस्तक हिन्दुत्ववादी शक्तियों द्वारा दलितों को अपनी तरफ़ खींचने की मोहक रणनीतियों का विखंडन दिखाती है कि कैसे ये ताक़तें दलित जातियों के लोकप्रिय मिथकों, स्मृतियों और किंवदन्तियों को खोजकर उनकी हिन्दुत्ववादी व्याख्या करती हैं। उत्तर प्रदेश और बिहार में किए गए मौलिक शोध पर आधारित इस पुस्तक में बताया गया है कि दलित नायकों को मुस्लिम आक्रान्ताओं के विरुद्ध लडऩेवाले योद्धाओं के रूप में प्रस्तुत करते हुए हिन्दुत्ववादी शक्तियाँ उन्हें हिन्दू धर्म और संस्कृति के रक्षकों के रूप में पुनर्व्याख्यायित करती हैं, या फिर उन्हें राम का अवतार बताकर दलित मिथकों को एक बड़े और एकीकृत हिन्दू महावृत्तान्त से जोड़ने का प्रयास करती हैं। लेखक ने पुस्तक में उत्तर भारत के ग्रामीण समाज में ‘पॉपुलर’ की संरचना और उसमें पिरोए गए साम्प्रदायिक तत्त्वों को भी समझने की कोशिश की है। सबसे दिलचस्प तथ्य पुस्तक में यह निकलकर आता है कि दलितों के अतीत की हिन्दुत्ववादी पुनर्व्याख्या को दलित समुदाय एक शक्तिशाली पूँजी के रूप में लेते हैं जिसे वे एक तरफ़ ऊपरी जातियों में अपनी स्वीकार्यता बढ़ाने और दूसरी तरफ़ सवर्ण प्रभुत्व को क्षीण करने के लिए साथ-साथ इस्तेमाल करते हैं। इतिहास, राजनीति, नृतत्त्वशास्त्र और दलित अध्ययन में रुचि रखनेवाले छात्रों, शोधार्थियों और राजनीतिक कार्यकर्ताओं के लिए समान रूप से उपयोगी पुस्तक।
General Knowledge Encyclopedia
- Author Name:
Dr. Sheo Gopal Mishra
- Book Type:

- Description: "यह कोश सामाजिक विज्ञानों—मानव विज्ञान, समाज विज्ञान, मनोविज्ञान, धर्मशास्त्र, अर्थशास्त्र, इतिहास एवं कला को अपने में समेटे हुए है। (विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी को अलग खंड के रूप में प्रस्तुत किया गया है।) इसमें हमने उन कतिपय महापुरुषों का संक्षिप्त जीवन-परिचय भी सम्मिलित किया है, जिन्होंने इतिहास तथा समाज को गति प्रदान की है। धार्मिक संप्रदायों, उनके मान्य ग्रंथों एवं उनके प्रवर्तकों के विषय में भी संक्षिप्त विवरण दिए गए हैं। इसमें आदि से अंत तक भारतीय योगदान को दृष्टि से ओझल नहीं होने दिया गया है। यह ‘सचित्र सामाजिक विज्ञान विश्वकोश’ कोशों की शैली और विषय-वस्तु से कुछ हटकर लगे तो कोई आश्चर्य की बात न होगी। हम उन अनेक पुस्तकों एवं संदर्भ ग्रंथों के लेखकों और संपादकों के प्रति अपना आभार व्यक्त करना चाहेंगे जिनसे प्रेरणा प्राप्त करके सामग्री का चयन, संकलन एवं लेखन पूरा किया गया है। आशा है, यह ‘सचित्र सामाजिक विज्ञान विश्वकोश’ इक्कीसवीं सदी के आबालवृद्ध-वनिताओं को ज्ञानवर्धक लगेगा। यदि इसमें यत्र-तत्र त्रुटियाँ मिलें तो पाठक जन उन्हें सुधारने की सदाशयता बरतेंगे। "
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