Prabhat Khabar : Prayog Ki Kahani
Author:
Anuj Kumar SinhaPublisher:
Prabhat PrakashanLanguage:
HindiCategory:
General-non-fiction0 Reviews
Price: ₹ 320
₹
400
Available
इस पुस्तक के जरिए यह बताने का प्रयास किया गया है कि दुनिया में कुछ भी असंभव नहीं है। अगर टीमवर्क हो, वर्क कल्चर हो, विजन हो, बेहतर लीडरशिप हो और लोगों में काम करने का जज्बा हो तो मृतप्राय संस्था को भी पुनर्जीवित किया जा सकता है, उसे एक बेहतरीन संस्था बनाया जा सकता है। ‘प्रभातखबर’अखबार की 30 वर्षों की यात्रा के संदर्भ में लिखी इस पुस्तक में इसी बात का उल्लेख है कि वे कौन से कारण हैं, जिनके बल पर एक समय बंद होता प्रभात खबर (स्थानीय/क्षेत्रीय अखबार) देश के शीर्ष हिंदी अखबारों में शामिल हो गया। पुस्तक में इस बात का जिक्र है कि कैसे एक संस्था को खड़ा किया जा सकता है। इसके लिए प्रभात खबर में क्या-क्या प्रयोग किए गए। चाहे वह संपादकीय प्रयोग हो या गैर-संपादकीय प्रयोग। प्रभात खबर की यात्रा में साधन के अभाव में अनेक मौके आए, जब लगा कि अखबार आज बंद हो गया कल, लेकिन ये सभी आशंकाएँ गलत निकलीं। पूरी किताब में उदाहरणों के बल पर यह बताने का प्रयास किया गया है कि एक स्थानीय और क्षेत्रीय अखबार भी अपने कंटेंट और अनूठे प्रयोग केबल पर राष्ट्रीय स्तर पर चर्चित हो सकता है।
ISBN: 9789351861683
Pages: 368
Avg Reading Time: 12 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
Recommended For You
Meghdoot : Ek Antaryatra
- Author Name:
Prabhakar Shrotriya
- Book Type:

- Description: ‘मेघदूत’ एक कालजयी कृति ही नहीं प्रेम, प्रकृति और निसर्ग के प्रति कालिदास की अनन्य प्रपत्ति भी है। अपने विशिष्ट स्वर, स्वरूप और न्यास में यह काव्य एक अप्रतिम एवं इन्द्रधनुषी भाव-वितान है, जिसमें कृतिकार की अपूर्व परिकल्पना, मौलिक उद्भावना तथा बिम्बों और वर्णों की जीवन्त छवियाँ सहज ही देखी जा सकती हैं। कालिदास ने अपनी यशस्वी कृति ‘मेघदूत’ के द्वारा जिस रूपक-राज्य का निर्माण किया था—पिछली दो सहस्राब्दियों से उसका निरन्तर विकास और विस्तार होता रहा है। विरही यक्ष के मनोजगत में विद्यमान एक आर्तप्रेमी के प्रणयोत्सुक प्रार्थी भाव को अनुषंग बनाकर—अपनी प्राण-प्रियतमा को भेजे जानेवाले विरहातुर सन्देश को कई रचनाकारों, भाष्यकारों और रूपान्तरकारों और चित्रकारों ने अपने-अपने ढंग से, अलग-अलग शैलियों में निरूपित किया है। प्रसंगानुरूप और प्रसंगान्तर परिदृश्य को अपने विरहकातर निवेदन से मुखर करनेवाली इस कालातीत रचना का अनुगायन और अनुकीर्तन न केवल सदियों से होता रहा है, बल्कि आधुनिक और समकालीन पीढ़ियाँ भी इसमें अपनी रचनात्मक भावांजलि लिए खड़ी रही हैं। अपनी सर्जनात्मक समग्रता के नाते और ‘क्लासिकी’ के गुणों से समृद्ध एवं समादृत ‘मेघदूत’ ने काव्य और काव्येतर माध्मयों के द्वारा सहृदय पाठकों, प्रेक्षकों, गायकों और समीक्षकों की क्षमता और आकांक्षाओं के अनुरूप सुदीर्घ रचना-प्रकिया एवं परम्परा को जीवित रखा है। इसी अनुक्रम में हिन्दी के सुपरिचित विद्वान, आलोचक, कवि एवं रचनाकार प्रभाकर श्रोत्रिय ने ‘मेघदूत’ के मार्मिक प्रसंगों, अछूते अनुषंगों—और सबसे बढ़कर—रचनाकार की विराट मनोभूमि का स्पर्श एवं अनुभावन अपनी विदग्ध रचना मनीषा के द्वारा किया है। ‘मेघदूत : एक अन्तर्यात्रा’ पुस्तक प्रेमी और प्रकृति के शाश्वत एवं चिरन्तन आधान को सुललित और सर्जनात्मक आयाम प्रदान करेगी—इसमें सन्देह नहीं।
Animal Farm
- Author Name:
George Orwell
- Book Type:

- Description: सभी जानवर बराबर हैं किन्तु कुछ जानवर अन्य जानवरों से ज़्यादा बराबर हैं। चार पैर अच्छे, दो पैर बुरे। अच्छा मनुष्य केवल वह है, जो मर चुका हो। यह कार्य पूर्णतयः स्वैच्छिक है, लेकिन जो पशु अनुपस्थित पाया गया, उसका राशन घटाकर आधा कर दिया जायेगा। मनुष्य अपने सिवा किसी प्राणी के हित के लिये काम नहीं करता है।
Padchihna Bulate Hain
- Author Name:
Devendra Swarup
- Book Type:

- Description: प्रो. देवेंद्र स्वरूप—इतिहासकार, पत्रकार, अध्यापक, चिंतक, लेखक—72 वर्ष के सार्वजनिक जीवन में हजारों लोगों से संपर्क; सभी से आत्मीय संबंध पर उनमें से कुछ से अधिक प्रभावित। उनके द्वारा लिखे गए कुछ संस्मरणों में किसी व्यक्ति पर ही नहीं, वरन् तात्कालिक परिस्थितियों एवं कालखंड पर भी टिप्पणी होती हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की व्यक्तित्व-निर्माण की पद्धति की झलक और इस निर्माणशाला से निकले लोगों द्वारा खड़े किए गए कुछ प्रकल्पों की जानकारी। सामाजिक एवं राष्ट्रीय कार्यों में जीवन खपाने वाली कुछ विभूतियों का परिचय। पठनीय ग्रंथ।
Antarrashtriya Mudra Kosh (ICWA)
- Author Name:
V. Srinivas
- Book Type:

- Description: भारत के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी द्वारा भारत के आर्थिक इतिहास में महत्त्वपूर्ण पलों का व्यावहारिक विश्लेषण और भावी वैश्विक संकट के समाधान का निर्णय कर सकनेवाले अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष में बहुपक्षीयता का भविष्य। यह पुस्तक वी. श्रीनिवास भारत सरकार के विशिष्ट अपर सचिव, कार्यकारी निदेशक, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के पूर्व सलाहकार और भारत के वित्तमंत्री के निजी सचिव द्वारा 17 माह के शोध और साक्षात्कार के आधार पर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के साथ भारत के संबंधों की अनेक बड़ी घटनाओं का व्यापक विश्लेषण है। इसमें अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के संस्थापक सदस्य के रूप में भारत की भूमिका का परिदृश्य है। यह भारत के 1966, 1981 और 1991 अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष कार्यक्रमों, 2010 में आई.एम.एफ. से भारत द्वारा स्वर्ण क्रय, जी20 के उदय और विश्व में तीव्र गति से बढ़ती अर्थव्यवस्था के रूप में भारत के उद्भव के बारे में अंतर्दृष्टि प्रदान करती है। वी. श्रीनिवास ने अंतिम ऋणदाता के रूप में आई.एम.एफ. की भूमिका, सदस्य देशों के साथ निपटने में असीमित शक्ति की एक संस्था के रूप में आई.एम.एफ. 2008 के बाद वैश्विक वित्तीय संकट में आई.एम.एफ. की वृहत्तर भूमिका और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा में चीन के उदय पर अंतर्दृष्टि प्रदान की है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के साथ भारत के संबंध के परिप्रेक्ष्य में पहले 25 वर्षों पर व्यापक शोध है, जिसके बारे में गहन अध्ययन और शोध करके समस्त जानकारियाँ संकलित की गई हैं, जिन्होंने वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
Anubhootiyon Ka Ghanatva
- Author Name:
Yogendra Mohan
- Book Type:

- Description: जंगल-जंगल ढूँढ़ रहा है मृग अपनी कस्तूरी कितना मुश्किल है तय करना खुद से खुद की दूरी। भीतर शून्य बाहर शून्य शून्य चारों ओर है मैं नहीं हूँ मुझमें फिर भी मैं-मैं का शोर है। मौत का बेरहम इतिहास बदल सकते हो पाप का पुण्य में विश्वास बदल सकते हो अपनी बाँहों पे भरोसा अगर हो जाए तो धरा तो धरा है, आकाश बदल सकते हो। अब डूबने का भी क्या डर प्रभु! जब नाव भी तेरी नदी भी तेरी लहरें भी तेरी और मैं भी तेरा। समय को शान पर चढ़ बुद्धि कुंदन की भाँति चमक उठती है विवेक जाग्रतू होने लगता है विवेक-बुद्धि का संयोग और प्रयोग ही सफल जीवन का रहस्य है। सब भूल सहज भाव अपनाएँ साक्षी भाव में खो जाएँ प्रतिज्ञा करना छोड़ें आडंबरों से ऊपर उठ मन को कर्म से जोड़ें। जीवन स्वयं उत्सव बन जाएगा स्वर्ग बन जाएगा। --इसी संग्रह से
IKKISVIN SEERHI
- Author Name:
Ravindra Kumar
- Book Type:

- Description: ‘‘रविन्द्र कुमार जी की कविताओं में जीवन के विविध रंग मिले हुए हैं। ‘इक्कीसवीं सीढ़ी’, ‘चौराहा’, ‘जड़ से जूझना, लहर से नहीं’, ‘ये चीख’, ‘सियार से भेड़ तक’, ‘सीमित-जीवन’, ‘मन’, ‘बढ़ते चंगुल’ तथा ‘धरती की कोख में’ आदि कविताएँ इन्हीं विविध रंगों की बानगी हैं। कवि के पास जीवन का व्यापक अनुभव है और सच पूछा जाए तो कविता की व्यापकता जीवन की व्यापकता के समानांतर ही चलती है; और चलनी भी चाहिए। रविन्द्र कुमारजी की कविताएँ किसी वाद या विचारधारा की गुलाम न होकर एक शुद्ध झरने की तरह हैं।’’ ‘‘संग्रह की कविता ‘एक सपना’ में कवि के शब्द—‘‘एक सपना/जो मुझे बार-बार कचोटता/मेरे मन को मरोड़ता/जल की सतह के ऊपर नीचे डुबोता’’ और ‘‘कोई ध्वनि घनघनाकर धुएँ सा देता/और अंत में/एक हल्की/छोटी सी ज्वाला दे/खत्म हो जाता/ ...कितना अच्छा होता/ जो तू रहता अभी तक!’’—देश के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. अब्दुल कलामजी के उन शब्दों की याद दिलाती है कि सपने वे नहीं होते, जो सोते हुए देखते हैं वरन् सपने वे होते हैं, जो आपको सोने नहीं देते। इसलिए कवि हमेशा सपनों के साथ रहना चाहता है। पाठक को थोड़ी गहराई में जाकर ही ऐसी कविताओं का भावार्थ समझ में आएगा। जीवन की जटिलताओं के बीच भी उम्मीद की कुछ हरियाली सदा मौजूद रहती है और जीवन में कुछ हासिल करने का, सपनों को पाने का यही रास्ता है। व्यक्ति के लिए भी, समाज के लिए भी और देश के लिए भी।’’ —प्रेमपाल शर्मा वरिष्ठ साहित्यकार, पूर्व संयुक्त सचिव, रेल मंत्रालय, नई दिल्ली
Sagar Vigyan
- Author Name:
Shyam Sunder Sharma
- Book Type:

- Description: पढ़ने या सुनने में यह बात भले ही अटपटी लगे, पर यह सत्य है कि अब वह समय आ गया है जब हमें खाद्य, आवास, ऊर्जा, प्रदूषण आदि की बढ़ती हुई समस्याओं के समाधान के लिए थल के सीमित संसाधनों से हटकर सागर की ओर उन्मुख होना चाहिए। सागर पृथ्वी के केवल 71% भाग को ही घेरे हुए नहीं है, उसमें कुल जल का 97% भाग ही नहीं हैं, वरन् उसमें अपार खनिज संपदा, असंख्य जीव-जंतु और ऊर्जा का असीम भंडार भी है।
Aadi Dharam : Bhartiya Aadivasiyon Ki Dharmik aastayen
- Author Name:
Ratan Singh Manki +1
- Book Type:

- Description: भारतीय संविधान ने देश के क़रीब 10 करोड़ आदिवासियों को अनुसूचित जनजाति (Scheduled Tribe) के रूप में एक सामाजिक, आर्थिक पहचान दी है किन्तु जनगणना प्रक्रिया में आदिवासी आस्थाओं को प्रतिबिम्बित करनेवाले किसी निश्चित ‘कोड’ के अभाव में इस आबादी के बहुलांश को ‘हिन्दू जैसा’ मानकर हिन्दू घोषित कर दिया गया है। एक अनिश्चित कोड ज़रूर है ‘अन्य’, किन्तु भूले-भटकों के इस विकल्प में कोई जानबूझकर सम्मिलित होना नहीं चाहता। सभी धर्मों के साथ वृहत्तर दायरे में अल्पांश में मेल रहते हुए और सतही तौर पर आपसी वैभिन्न्य के रहते हुए भी आदिवासी आस्थाएँ अन्दर से जुड़ी हुई हैं। यह पुस्तक आदिवासी आस्थाओं की इन्हीं विशिष्टताओं को उजागर करती है और उन्हें ‘आदि धरम’ के अन्तर्गत चिन्हित करने और क़ानूनी मान्यता देने का प्रस्ताव करती है। वे विशिष्टताएँ हैं— परमेश्वर के ‘घर’ के रूप में किन्हीं कृत्रिम संरचनाओं पर ज़ोर न देकर प्रकृति के अवयवों (पहाड़, जंगल, नदियों) को ही प्राथमिकता देना। मृत्यु के बाद मनुष्य का अपने समाज में ही वापस आना और अपने पूर्वजों के साथ हमेशा रहना। इसलिए समाज सम्मत जीवन बिताकर पुण्य का भागी होना सर्वोत्तम आदर्श। समाज विरोधी होने को पापकर्म समझना। इसलिए स्वर्ग-नरक इसी पृथ्वी पर ही। अन्यत्र नहीं। आदि धरम सृष्टि के साथ ही स्वतःस्फूर्त है, किसी अवतार, मसीहा या पैगम्बर द्वारा चलाया हुआ नहीं। समुदाय की पूर्व आत्माओं के सामूहिक नेतृत्व द्वारा समाज का दिशा-निर्देश। आदि धरम व्यवस्था में परमेश्वर के साथ सीधे जुड़ने की स्वतंत्रता होना। किसी मध्यस्थ पुरोहित, पादरी की अनिवार्यता नहीं। सृष्टि के अन्य अवदानों के साथ पारस्परिक सम्पोषण (Symbiotic) सम्बन्ध का होना। आखेट एवं कृषि आधारित सामुदायिक जीवन के पर्व-त्योहारों के अनुष्ठानों एवं व्यक्ति संस्कार के अनुष्ठान मंत्रों द्वारा पुस्तक में इन्हीं आशयों का सत्यापन हुआ है। पुस्तक में इन अवसरों पर उच्चरित होनेवाले मंत्रों पर विशेष ज़ोर है क्योंकि वर्णनात्मक सूचनाएँ तो पूर्ववर्ती स्रोतों में मिल जाती हैं किन्तु भाषागत तथ्य बिरले ही मिलते हैं।
Shiksha Ka Adhikar
- Author Name:
Mamta Mehrotra +1
- Book Type:

- Description: "शिक्षा का अधिकार—ममता मल्होत्रा/महेश शर्मा भारत में अब ‘शिक्षा का अधिकार अधिनियम’ संसद् में पारित होकर कानून का रूप ले चुका है। इसके अंतर्गत छह से चौदह की आयु के बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा प्रदान करने की व्यवस्था की गई है। इस अधिनियम में बच्चों की शिक्षा के प्रति अध्यापकों, स्कूलों और सरकार—सभी के कर्तव्य निश्चित कर दिए गए हैं। अब नि:शुल्क शिक्षा प्राप्त करना सभी बच्चों का अधिकार है। सरल शब्दों में इसका अर्थ यह है कि सरकार छह से चौदह वर्ष तक की आयु के सभी बच्चों की नि:शुल्क पढ़ाई के लिए जिम्मेदार होगी। इस प्रकार इस कानून ने देश के बच्चों को मजबूत, साक्षर और अधिकार-संपन्न बनाने का मार्ग प्रशस्त कर दिया है। लेखकद्वय ने पुस्तक में ‘शिक्षा का अधिकार अधिनियम’ के बारे में विस्तार से पूरी जानकारी प्रस्तुत की है। साथ ही इस अधिनियम से जुड़े अनेक सवालों के जवाब समझाकर दिए गए हैं। इस दृष्टि से यह पुस्तक न केवल आमजन के लिए, बल्कि जिज्ञासु पाठकों के लिए भी उपयोगी सिद्ध होगी। "
Mahadevi : Naya Mulyankan
- Author Name:
Ganpatichandra Gupt
- Book Type:

- Description: प्रस्तुत पुस्तक में कवयित्री महादेवी के व्यक्तित्व, दर्शन, जीवन-दर्शन, काव्य-दर्शन, युग-बोध आदि का पहली बार गम्भीरता से विवेचन-विश्लेषण हुआ है। साथ ही महादेवी के काव्य के विभिन्न पक्षों पर भी गम्भीरता से विचार किया गया है। कवयित्री महादेवी के जीवनवृत्त एवं व्यक्तित्व, काव्य-दर्शन, दार्शनिक मान्यताएँ, जीवन-दर्शन, युग- बोध, छायावाद और महादेवी, रहस्यवाद और महादेवी काव्य में वेदना (दुःखवाद), काव्य में प्रकृति, काव्य का शैली पक्ष, काव्य रूप : गीति काव्य का मूल्यांकन, सौन्दर्यशास्त्रीय दृष्टि से, काव्यशास्त्रीय दृष्टि से, वैज्ञानिक दृष्टि से आदि कतिपय महत्त्वपूर्ण बिन्दुओं का संकेत पुस्तक में मिलता है। वस्तुत: महादेवी काव्य पर लिखा गया एक सर्वश्रेष्ठ आलोचनात्मक एवं गवेशणात्मक ग्रन्थ है जिसमें महादेवी काव्य के सभी पक्षों पर पूरी गम्भीरता से विचार किया गया है।
School Ki Hindi
- Author Name:
Krishna Kumar
- Book Type:

- Description: कृष्ण कुमार का यह नया निबन्ध-चयन उनके शैक्षिक लेखन को एक वृहत्तर सांस्कृतिक सन्दर्भ देता है। बच्चों के लालन-पालन और उनकी शिक्षा से जुड़े सवालों की पड़ताल यहाँ बीसवीं सदी के अन्तिम वर्षों में बदलती-बनती नागरिक संस्कृति की परिधि में की गई है। खिलौनों और पाठ्य-पुस्तकों की भाषा से लेकर धार्मिक अलगाववाद की राजनीति और सामाजिक विषमता तक एक लम्बी प्रश्न-शृंखला है, जिसमें कृष्ण कुमार अपनी सुपरिचित चिन्ताएँ पिरोते हैं। इन चिन्ताओं में साहित्य की परख, स्त्री की असुरक्षा और भाषा के भविष्य जैसे विविध प्रसंग शामिल हैं। अपनी व्यंजनापरक शैली और चीज़ों को रुककर देखने की ज़िद से कृष्ण कुमार ने एक बड़ा पाठक-वृत्त बनाया है। अध्यापन और लेखन के बीच कृष्ण कुमार एक व्यक्तिगत पुल बनाने में सफल हुए हैं। यह पुल उनके शैक्षिक सरोकारों को खोजी यात्राओं पर ले जाता है और उनके पाठकों को स्कूल की चारदीवारी और बच्चों के मनोजगत में प्रवेश कराता है।
Manch Pravesh
- Author Name:
Feisal Alkazi
- Book Type:

- Description: अलक़ाज़ी और पद्मसी परिवारों की इस कहानी को समकालीन रंगमंच के संक्षिप्त इतिहास की तरह पढ़ा जा सकता है, लेकिन फ़ैसल अलक़ाज़ी इसमें कुछ ऐसे अफ़साने जोड़ते हैं जिन्हें कोई ‘इनसाइडर’ ही जान सकता है। मसलन—उनकी दादी, ‘कुलसुम टेरेस’ की कुलसुमबाई ने 20 वर्ष तक अपने पति से एक लफ़्ज़ भी क्यों नहीं बोला, एलेक और पर्ल पद्मसी की मुलाक़ात कैसे हुई, और फिर क्या हुआ; किस तरह अलक़ाज़ी और निस्सिम इज़ेकियल लंदन के एक फ़्लैट में एक ही बिस्तर साझा करने लगे; और वह नायाब रिश्ता जो इब्राहिम साहब और रोशन अलक़ाज़ी के बीच था और उनके जीवन की ‘दूसरी औरत’ भी। मुम्बई में शुरू हुए अंग्रेज़ी थिएटर को इब्राहिम अलक़ाज़ी उसे राष्ट्रीय-अन्तरराष्ट्रीय ख्याति तक लेकर गए। इसमें 1950 के दशक में इडिपस रेक्स, मर्डर इन कैथेड्रल और मैकबेथ से लेकर 60 और 70 के दशक में आषाढ़ का एक दिन, अंधा युग और तुग़लक़ जैसे सौ से ज्यादा नाटकों का निर्देशन और अभिनय शामिल था। उनकी जीवन और कर्म-संगिनी, जिनका ताल्लुक़ पद्मसी परिवार से था, उनकी सभी प्रस्तुतियों की मुख्य वेश-भूषा परिकल्पक रहीं। पचास से ज़्यादा दुर्लभ तस्वीरों से सुसज्जित ‘मंच प्रवेश भारतीय रंगमंच की अनूठी दास्तान है’ जिसे इस तरह से पहले कभी नहीं लिखा गया। रंगप्रेमी इसे सँजो कर रखना चाहेंगे और अच्छी कहानी पसन्द करने वाले पाठक भी।
Darshanshastra Ke Srot
- Author Name:
Deviprasad Chattopadhyay
- Book Type:

-
Description:
विश्व-दर्शन की मुख्य धारा में विभिन्न कालों के विभिन्न लोगों ने सकारात्मक या नकारात्मक, अपने-अपने तरीक़े से योगदान किया है। इस मुख्य धारा में अनेक धाराएँ मिली हुई हैं, जिनसे सामान्य पाठकों का परिचय कराने के लिए आठ पुस्तकों की यह शृंखला तैयार की गई है। प्रो. देवीप्रसाद चट्टोपाध्याय की प्रस्तुत पुस्तक इसी शृंखला की पहली कड़ी है।
श्री चट्टोपाध्याय इस पुस्तकमाला के प्रधान सम्पादक हैं और साथ ही ‘दर्शनशास्त्र के स्रोत’ शीर्षक प्रस्तुत पुस्तक के लेखक भी। अत: उनकी यह पुस्तक एक प्रकार से पूरी शृंखला की पूर्व-पीठिका है। इस पुस्तक में उन्होंने, जैसा कि शीर्षक से स्पष्ट है, दर्शन के स्रोतों की खोज की है, और शृंखला की अगली पुस्तकों को पढ़ने-समझने का संस्कार पैदा करने की आधारशिला का निर्माण भी किया है। ‘दर्शनशास्त्र की आवश्यकता क्यों है’ से प्रारम्भ करके वे आदि-मानव के क्रमिक विकास पर विचार करते हैं और फिर समाज में कर्म-विभाजन की शुरुआत, नगर क्रान्ति, जीवन में धर्म की भूमिका आदि को रेखांकित करते हुए इस प्रश्न पर विचार करते हैं कि दर्शन का जन्म और विकास कैसे हुआ। इस समस्त विवेचन के क्रम में विश्व की प्राचीन चिन्तन-पद्धतियों का संक्षिप्त परिचय भी पाठकों को मिल जाता है।
प्रो. चट्टोपाध्याय ने यहाँ थेल्स के बारे में किए गए इस दावे पर प्रश्न-चिह्न लगाया है कि वह पहला वैज्ञानिक था। ऐसा उन्होंने ‘छान्दोग्य उपनिषद’ के उद्दालक आरुणि से सम्बन्धित अंश का विवेचन करते हुए किया है। उनके अनुसार, उद्दालक आरुणि के विज्ञान के प्रति सुस्पष्ट रुझान को देखते हुए विश्व विज्ञान के इतिहास का गम्भीर पुनरीक्षण आवश्यक है।
कहना न होगा कि प्रो. चट्टोपाध्याय की सामाजिक दृष्टि और बौद्धिक तटस्थता से अनुप्राणित यह पुस्तक दर्शन के अध्येताओं के साथ-साथ उन पाठकों के लिए भी रुचिकर होगी, जो दर्शन के अध्ययन की शुरुआत ही कर रहे हैं।
Na Teen Mein, Na Teraha Mein, Mradang Bajaye Dere Mein
- Author Name:
Dr. Anand Prakash Maheshwari +1
- Book Type:

- Description: एक साधारण व्यक्ति के जीवन से उभरा यह वृत्तांत अपरोक्ष रूप से हमें आईना ही नहीं दिखाता, अपितु जीवन में हमारी विभिन्न गतिविधियों की सार्थकता की ओर हमें सोचने को मजबूर करता है बाहर क्या है घट में देख। हर पथ का है पथिक एक॥ ‘घट’ में भी हम क्या लख पाएँगे; यह भी निर्भर करता है कि हम किस घाट पर हैं। नीचे के घाट पर शून्य होंगे तो ही ऊपर के घाट में समाएँगे। शून्य मृत्यु से आध्यात्मिक लखाव का यह सातत्य बोध इस पुस्तक के पात्र ने किस प्रकार प्राप्त किया, कदाचित् आप पढ़ना चाहें।
Rajendra Yadav Ke Upanyason Mein Madhyavargiya Jeewan
- Author Name:
Arjun Chavhan
- Book Type:

- Description: प्रेमचंदोत्तर हिंदी कथा-साहित्य अनेक प्रकार के वाद-विवादों के बावजूद विकास करता रहा है। प्रेमचंद के बाद उसका रिश्ता ग्रामीण जीवन से तो प्रायः विच्छिन्न हुआ ही, अपने शहरी मध्यवर्गीय चरित्र में भी वह सहज विश्वसनीय नहीं हो पाया। ऐसे में उसे फिर से सप्राण और विश्वसनीय बनाने का कार्य जिन लेखकों ने किया, राजेंद्र यादव उनमें प्रमुख हैं। अर्जुन चव्हाण का यह शोध प्रबंध राजेंद्र यादव के उपन्यासों में मध्यवर्गीय जीवन का अनुशीलन करते हुए उनके इसी महत्त्व को रेखांकित करता है। समूची शोधकृति दस अध्यायों में विभक्त है। पहले में राजेंद्र यादव का विस्तृत परिचय दिया गया है; दूसरे में उनके उपन्यासों के रचना-परिवेश की चर्चा है; तीसरे में भारतीय मध्यवर्ग और राजेंद्र यादव के कथा साहित्य में चित्रित मध्यवर्ग का विवेचन हुआ है। चौथे अध्याय में मध्यवर्गीय जीवन की सामाजिकता का विवेचन है। छठा अध्याय मध्यवर्गीय जीवन के राजनैतिक पक्ष पर केंद्रित है; सातवें में विवेच्य उपन्यासों में चित्रित मध्यवर्ग के धार्मिक जीवन को रूपायित किया गया है। आठवाँ अध्याय मध्यवर्ग के मनोविज्ञान का विवेचन करता है तो नौवाँ उसके सांस्कृतिक जीवन की विवेचना। दसवाँ अध्याय हिंदी उपन्यासों में मध्यवर्गीय जीवन चित्रण परम्परा को प्रस्तुत करते हुए उसमें राजेंद्र यादव के रचनात्मक अवदान को व्याख्यायित करता है| कहना न होगा कि एक शोध-प्रबंध की शर्तों का निर्वाह करते हुए भी यह ग्रंथ राजेंद्र यादव के कथा-साहित्य के बहाने समूचे हिंदी उपन्यास में आये मध्यवर्गीय जीवन का मूल्यवान अध्ययन है।
Bhartiya Sikkon Ka Itihas
- Author Name:
Gunakar Muley
- Book Type:

- Description: 'विश्व संस्कृति को भारत की एक महानतम देन है–दस अंक-संकेतों पर आधारित स्थानमान अंक-पद्धति। आज सारे सभ्य संसार में इसी दशमिक स्थानमान अंक-पद्धति का इस्तेमाल होता है। न केवल यह अंक-पद्धति बल्कि इसके साथ संसार के अनेक देशों में प्रयुक्त होने वाले 1, 2, 3, 9...और शून्य संकेत भी, जिन्हें आज हम ‘भारतीय अन्तरराष्ट्रीय अंक’ कहते हैं, भारतीय उत्पत्ति के हैं। देवनागरी अंकों की तरह इनकी व्युत्पत्ति भी पुराने ब्राह्मी अंकों से हुई है। भारतीय अंक-पद्धति की कहानी में भारतीय प्रतिभा की इस महान उपलब्धि के उद्गम और देश-विदेश में इसके प्रचार-प्रसार का लेखा-जोखा प्रस्तुत किया गया है। साथ ही, अपने तथा दूसरे देशों में प्रचलित पुरानी अंक-पद्धतियों का भी संक्षिप्त परिचय दिया गया है। अन्त में, आजकल के इलेक्ट्रॉनिक गणक-यंत्रों में प्रयुक्त होनेवाली द्वि-आधारी अंक-पद्धति को भी समझाया गया है। इस प्रकार, इस पुस्तक में आदिम समाज से लेकर आधुनिक काल तक की सभी प्रमुख गणना-पद्धतियों की जानकारी मिल जाती है। विभिन्न अंक-पद्धतियों के स्वरूप को भली-भाँति समझने के लिए पुस्तक में लगभग चालीस चित्र हैं। न केवल विज्ञान के, विशेषतः गणित के विद्यार्थी, बल्कि भारतीय संस्कृति के अध्येता भी इस पुस्तक को उपयोगी पाएँगे। हमारे शासन ने ‘भारतीय अन्तरराष्ट्रीय अंकों’ को ‘राष्ट्रीय अंकों’ के रूप में स्वीकार किया है। फिर भी, कइयों के दिमाग़ में इन ‘अन्तरराष्ट्रीय अंकों’ के बारे में आज भी काफ़ी भ्रम है–विशेषतः हिन्दी-जगत में। इस भ्रम को सही ढंग से दूर करने के लिए हमारे शासन की ओर से अभी तक कोई पुस्तक प्रकाशित नहीं हुई है। ‘भारतीय अन्तरराष्ट्रीय अंकों’ की उत्पत्ति एवं विकास को वैज्ञानिक ढंग से प्रस्तुत करनेवाली यह हिन्दी में, सम्भवतः भारतीय भाषाओं में, पहली पुस्तक है। भारतीय अंक-पद्धति की कहानी एक प्रकार से लेखक की इस माला में प्रकाशित भारतीय लिपियों की कहानी की परिपूरक कृति है। अतः इसे भारतीय इतिहास और पुरालिपि-शास्त्र के पाठक भी उपयोगी पाएँगे।
1000 Rasayan Vigyan Prashnottari
- Author Name:
Sitaram Singh
- Book Type:

- Description: "वस्तुतः रसायन विज्ञान प्रकृति, पर्यावरण और जीवन से अभिन्न रूप से जुड़ा हुआ है। और तो और पृथ्वी पर जीवन का प्रादुर्भाव भी जटिल रासायनिक प्रतिक्रियाओं का ही परिणाम है। यहाँ तक कि जीवन की प्रत्येक गतिविधि में रासायनिक क्रिया-प्रतिक्रिया छिपी है। रासायनिक प्रतिक्रियाओं के बिना जीवन संभव नहीं है। प्रस्तुत पुस्तक में रसायन विज्ञान के महत्त्वपूर्ण अध्यायों, जैसे कि परमाणु संरचना, कार्बन और उसके यौगिक, धातुएँ और अधातुएँ, विलयन, नाभिकीय रसायन इत्यादि के अंतर्गत उपयोगी वस्तुनिष्ठ प्रश्नों का समावेश किया गया है। छात्र-छात्राओं, प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे विद्यार्थियों एवं सामान्य वर्ग के पाठकों के लिए यह पुस्तक निश्चित ही अत्यंत उपयोगी साबित होगी। "
India's Most Fearless
- Author Name:
Shiv Aroor +1
- Book Type:

- Description: भारतीय लष्करी दलांमधील शौर्याच्या सत्यकथा एल.ओ.सी.च्या पलीकडे जाऊन सप्टेंबर 2016मध्ये पाकिस्तानी अतिरेक्यांच्या ठाण्यांवरच्या यशस्वी हल्ल्याचे नेतृत्व करणारे मेजर, 11 दिवसांत 10 अतिरेक्यांना ठार मारणारा सैनिक, कुठल्याही क्षणी युद्ध सुरू होणार्या भूमीवरून शेकडो लोकांची सुटका करण्यासाठी, भयावह वातावरणातल्या बंदरावर जहाज घेऊन जाणारे नौदलातले अधिकारी आणि रक्तबंबाळ स्थितीतही जळतं जेट विमान चालवणारा हवाई दलाचा पायलट! ह्या सगळ्यांच्या शौर्याचा कस लावणार्या घटनांचं हे कथन! काही त्यात प्रत्यक्ष सहभागी असणार्यांनी दिलेल्या माहितीवर आधारित, तर काही त्यांच्याबरोबरच्या मोहिमेत त्यांना अखेरपर्यंत साथ देणार्या इतरांनी सांगितलेल्या माहितीवर आधारलेल्या, अशा ह्या कथा! ‘इंडियाज मोस्ट फिअरलेस’ हे पुस्तक असामान्य शौर्य आणि कमालीची निर्भयता, ह्यांचं दर्शन वाचकांना घडवतं. अत्यंत विपरीत परिस्थितीत आणि गंभीर आव्हानं समोर असतानाही, भारताच्या ह्या शूरवीरांनी ज्या धाडसाने त्यांच्यावर मात केली आहे, त्याच्या खिळवून ठेवणार्या हकिगती लेखकांनी ह्यात पुस्तकातून वाचकांपुढे ठेवल्या आहेत. India's Most Fearless - Shiv Aroor, Rahul Singh इंडियाज मोस्ट फिअरलेस - शिव अरूर, राहुल सिंग
Ink, Saffron & Freedom
- Author Name:
Kedar Nath Gupta
- Book Type:

- Description: How does one capture a lifetime of memories, a city's soul, and the tides of history in mere words? In Ink, Saffron & Freedom, veteran journalist Kedar Nath Gupta takes readers on a spellbinding journey through his life and times, offering a deeply personal yet panoramic view of Bharat's transformation in the last hundred years. From the vibrant fairs of Garhmukteshwar to the hallowed halls of journalism, from the communal riots of 1946 to the corridors of power, the 94-year old author has lived through some of Bharat's most defining moments. As a young boy, he witnessed the upheavals of Partition. As a journalist, he reported on the country's changing political landscape, rubbing shoulders with leaders and ideologues who shaped modern Bharat. And, as a devoted Swayamsevak, he remained steadfast in his vision of 'Akhand Bharat. Rich with nostalgia, wit, and historical insight, this memoir of a Dilliwala is not just an autobiography-it is a love letter to the city where he was born, to journalism which is his passion, and to a life lived with conviction. Gupta's storytelling is both evocative and unflinching, blending personal anecdotes with incisive commentary on Bharat's socio-political evolution. For those who long to understand our country beyond its monuments, who cherish the ideals of fearless journalism, or who seek an intimate account of a life intertwined with history, this book is an unmissable read. As Gupta himself writes, This is as much my story as it is the story of my city, my country, and my times. Turn the pages and step into the world of resilience, nostalgia, and undying passion for the truth
Lachhami Jaggar
- Author Name:
Harihar Vaishnav
- Book Type:

-
Description:
‘लछमी जगार’ की कथा की भाव-भूमि का सम्बन्ध धान उत्पादन-प्रक्रिया के विस्तारित प्रसंग से है, अत: इसका गठन उसी के अनुरूप है। पाठक इस तथ्य की स्वत: पड़ताल के लिए आमंत्रित हैं। निम्न प्रतीकों की जानकारी जो हल्बी भाषी समुदाय के लिए तो स्पष्ट है, किन्तु उनसे इतर पाठकों के लिए इस कथा के सामान्य परिदृश्य को समझने हेतु आवश्यक जान पड़ती है : मेंग का अर्थ वर्षा है तो माहालखी हैं धान और इक्कीस रानियाँ हैं विभिन्न दलहनी-तिलहनी और अन्य मोटे अनाज। इसी तरह गोपपुर है खेत। इस कथा के नायक नरायन राजा की तुलना सूर्य से की जा सकती है जबकि माहादेव (शिव) को बीज-पुरुष के रूप में देखना चाहिए।
यहाँ यह जानना भी आवश्यक होगा कि दण्डकारण्य का पठार धान उत्पादक पूर्व एवं गौण अन्न उत्पादक पश्चिम की सीमा पर स्थित है। गौण अन्न का उत्पादन पहाड़ी भूमि पर तो किया जा सकता है, किन्तु धान के उत्पादन के लिए सम एवं सिंचित भू-भाग का होना आवश्यक है। इसलिए धान उत्पादन ने अपने-आपको मुख्य भूमि में स्थापित किया, जबकि गौण अन्न गाँव की सीमा पर चले गए। नरायन राजा का विवाह पहले गौण खाद्यान्नों (इक्कीस रानियों) के साथ हुआ और उसके बाद धान (माहालखी) के साथ। मिथकीय दृष्टि से यह कथा इस क्षेत्र का जनपदीय इतिहास सिद्ध होती है। और जैसे ही हम कथा के इस बिन्दु को आत्मसात् कर लेते हैं, वैसे ही इस कथा में आए पत्नी-पीड़क प्रसंगों और धान की मिंजाई के प्रसंग के बीच के अन्तर्सम्बन्धों को भी पकड़ने में सफल हो सकते हैं।
इस महाकाव्य का आयोजन बस्तर की महिलाओं के लिए एक पवित्र अनुष्ठान है। वस्तुत: ‘लछमी जगार’ चर्चा की नहीं अपितु महसूस करने की चीज़ है। यह महसूसना इसके भीतर के विभिन्न संस्कारों और उनसे जुड़े विश्वास, जो विभिन्न संस्कारों में सन्निहित भिन्न-भिन्न भूमिकाओं में देखे जा सकते हैं, के साथ एकात्म होकर सहभागी होने में है। कथा में वर्णित कुछ एक घटनाओं का सजीव चित्रण उनकी अभिनय प्रस्तुति के साथ किया जाता है, जिनकी मुख्य भूमिकाओं में स्वयं आयोजक ही होते हैं। इन अनुष्ठानों/संस्कारों को मुख्य एवं गौण, दो श्रेणियों में बाँटकर देखा जा सकता है। भिमा-विवाह (अध्याय 16), आम-विवाह (अध्याय 21) एवं माहालखी का विवाह। (अध्याय 32) इस महाकाव्य की प्रमुख घटनाएँ हैं जो विपुल जन-समुदाय को आकर्षित करती हैं।
Customer Reviews
0 out of 5
Book
Be the first to write a review...