Gyanyog
Author:
Swami VivekanandPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
General-non-fiction0 Reviews
Price: ₹ 159.2
₹
199
Available
‘ज्ञानयोग’ में स्वामी विवेकानन्द के वेदान्त पर दिए गए विश्लेषणपरक भाषणों को संकलित किया गया है। इनमें कुछ भाषण लंदन में, कुछ अमेरिका में और कुछ अत्यत्र दिए गए थे।
उनका मानना था कि व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन में वेदान्त निर्णायक रूप में उपयोगी साबित हो सकता है; कि वह मनुष्य के अब तक किए गए चिन्तन का उच्चतम फल है, संसार की समस्त विचार-सरणियों को अन्ततः उसी में विलीन होना है।
अत्यन्त सरल और सुगम भाषा में दिए गए इन वक्तव्यों में उन्होंने माया क्या है, मनुष्य का वास्तविक स्वरूप क्या है, माया और ईश्वर की अवधारणा का विकास किस प्रकार हुआ, संसार क्या है, आत्मा का स्वभाव क्या है, अमरत्व क्या है, आदि विषयों पर विचार किया है। विवेकानन्द के चिन्तन की विशेषता ये है कि दर्शन के गूढ़ प्रश्नों पर वे जो भी विचार करते हैं, उसे हमारे भौतिक और वर्तमान जीवन से जोड़ते हुए, उसकी रोशनी में व्याख्यायित करते हुए करते हैं, यह विशेषता इन आलेखों और वक्तव्यों में भी दृष्टिगोचर होती है।
ISBN: 9789395328456
Pages: 200
Avg Reading Time: 7 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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प्रस्तुत पुस्तक अनुवाद को विशुद्ध भाषा संवाद मानने की प्रचलित मान्यता से प्रस्थान का विमर्श है। यह अनुवाद को दो भाषाभाषी समाजों और सभ्यताओं में भाषिक अपरिचय के बरअक्स परिचय एवं संवाद का सेतु मानने, विकास की दौड़ में पिछड़े समाजों की आवाज़ मानने और सभ्यता संवाद मानने का तार्किक घोषणापत्र है। इसमें अनुवाद को किसी भाषा रचना की दूसरी भाषा में पुनर्रचना मानने और इस तरह उसे रचना का अनश्वर उद्यम मानने की मुकम्मल तर्क-रचना भी है। इस विमर्श में अनुवाद को सृजन का अनुसृजन बनाने की संस्तुति और तर्क का ताप यत्र-तत्र-सर्वत्र है। इस पुस्तक को पढ़ना समय के संघात से रू-बरू होना और अनुवाद के वैभव को समग्रता में समझना है। साथ ही भूमंडलीकरण, सूचना विस्फोट और बाज़ारवाद के दौर में मानवीय आकांक्षा, भाषा एवं राजनीति के रिश्ते तथा सरोकार को समझना और अपनी पक्षधरता को बेबाक व तलस्पर्शी बनाना भी है।
प्रशासनिक तथा तकनीकी अनुवाद को सरल, सहज एवं सर्जनात्मक बनाने के लिए जिरह करती यह पुस्तक, अपने तर्क एवं विमर्श से अनुवादवेत्ताओं, विशेषज्ञों और सुधि अध्येताओं के बीच समान रूप से समादृत होगी।
Nationalism
- Author Name:
Rabindranath Thakur
- Book Type:

- Description: Nationalism By Tagore Yes, this is the logic of the Nation. And it will never heed the voice of truth and goodness. It will go on in its ring-dance of moral corruption, linking steel unto steel, and machine unto machine; trampling under its tread all the sweet flowers of simple faith and the living ideals of man. Nationalism is a cruel epidemic of evil that is sweeping over the human world of the present age. I do not for a moment suggest that Japan should be unmindful of acquiring modern weapons of self-protection. But this should never be allowed to go beyond her instinct of self-preservation. She must know that the real power is not in the weapons themselves, but in the man who wields those weapons.
Bakasht Sangharsh
- Author Name:
Avinash Jha
- Book Type:

- Description: उन अनजाने किसानों के नाम, जिनके संघर्ष की कहानी बड़े बड़े संघर्षों की दास्तान के बीच अनकही रह गई। समय के रेत पर जो अपने जीवन के निशान छोड़कर चले गए, शायद वो उसे हमारे लिए ही बना गये हों, जिनको ढूंढने , सहेजने और किताबों के पन्नों पर स्याही से उकेरने के नाम, यह दास्तान।
The Diary Of Young Girl
- Author Name:
Anne Frank
- Rating:
- Book Type:

- Description: ऐन फ्रैंक की जिन्दगी शायद गुमनाम ही रहती, अगर उसके पिता 1947 में उसकी डायरी प्रकाशित न करते। ऐन की डायरी उसके लिए स्वयं को पूरी ईमानदारी और साफ दिल से अभिव्यक्त करने की जगह थी। उसने निस्संकोच सब कुछ लिखा, कुछ भी नहीं छिपाया और डायरी के पन्नों पर खुद को खोलकर रख दिया। आज ऐन फ्रैंक की डायरी उन सबसे अहम दस्तावेज़ों में से एक है, जो हिटलर के पागलपन के बावजूद बचे रह गए। आधिकारिक अभिलेखों व राजनीतिक भाषणों से अलग केवल पीड़ित व बचे हुए लोगों की आवाज़ों के ज़रिये ही ऐतिहासिक त्रासदियों से मानवीय कथा का ताना-बाना बुना जा सकता है और ऐन की डायरी यही करती है। लिखना शुरू करने के समय वह तेरह साल की थी। होलोकोस्ट यानी यहूदियों के सामूहिक संहार को लेकर हुए विवादों व विचार-विमर्श के बीच ऐन की डायरी पीड़ित के पक्ष की तरफ से बहुत | सतर्कतापूर्वक तैयार किए गए और सारगर्भित दस्तावेज़ों में से एक है। और यह उस संहार का प्रतीकात्मक विषय बन चुका है। उसकी डायरी । | ने होलोकोस्ट के पीड़ितों को गुमनाम होने से बचाए रखा है। उसने | अपने जैसे बाक़ी लोगों को एक चेहरा और एक जिंदगी दी है। यह डायरी होलोकास्ट की विभीषिका का वर्णन न होकर, छिपकर गुप्त | भवन में रह रही एक यहूदी तरुणी की दिनचर्या, परिवार और दोस्तों के साथ सम्बन्ध, उसके डर, सपनों और इच्छाओं का दस्तावेज़ है।
Metamorphosis
- Author Name:
Franz Kafta
- Book Type:

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