Hindu Paramparaon Ka Rashtriyakaran
Author:
Vasudha DalmiyaPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
General-non-fiction0 Reviews
Price: ₹ 396
₹
495
Available
अंग्रेज़ी में आज से उन्नीस साल पहले प्रकाशित यह पुस्तक एक ऐसे ढाँचे की प्रस्तावना करती है जो भारतेन्दु के पारम्परिक और परिवर्तनोन्मुख पहलुओं की एक साथ सुसंगत रूप में व्याख्या कर सके। इस ढाँचे में भारतेन्दु हिन्दुस्तान के उस उदीयमान मध्यवर्ग के नेतृत्वकारी प्रतिनिधि के रूप में सामने आते हैं जो पहले से मौजूद दो मुहावरों के साथ अन्तरक्रिया करते हुए एक तीसरे आधुनिकतावादी मुहावरे को गढ़ रहा था। ये तीन मुहावरे क्या थे, इनकी अन्तरक्रियाओं की क्या पेचीदगियाँ थीं, साम्प्रदायिकता और राष्ट्रवाद के सहविकास में आरम्भिक साम्प्रदायिकता और आरम्भिक राष्ट्रवाद को चिह्नित करनेवाला यह तीसरा मुहावरा किस तरह समावेशन-अपवर्जन की दोहरी प्रक्रिया के बीच हिन्दी भाषा और साहित्य को हिन्दुओं की भाषा और साहित्य के रूप में रच रहा था और इस तरह समेकित रूप से राष्ट्रीय भाषा, साहित्य तथा धर्म की गढ़ंत का ऐतिहासिक किरदार निभा रहा था, किस तरह नई हिन्दू संस्कृति के निर्माण में एक-दूसरे के साथ जुड़ती-भिड़ती तमाम शक्तियों के आपसी सम्बन्धों को भारतेन्दु के विलक्षण व्यक्तित्व और कृतित्व में सबसे मुखर अभिव्यक्ति मिल रही थी—यह किताब इन अन्तस्सम्बन्धित पहलुओं का एक समग्र आकलन है। यहाँ बल एकतरफ़ा फ़ैसले सुनाने के बजाय चीज़ों के ऐतिहासिक प्रकार्य और गतिशास्त्र को समझने पर है। ध्वस्त करने या महिमामंडित करने की जल्दबाज़ी वसुधा डालमिया के लेखन का स्वभाव नहीं है, मामला भारतेन्दु का हो या भारतेन्दु पर विचार करनेवाले विद्वानों का। हिन्दी में इस किताब का आना एकाधिक कारणों से ज़रूरी था। नई सूचनाओं और स्थापनाओं के लिए तो इसे पढ़ा ही जाना चाहिए, साथ ही हर तथ्य को साक्ष्य से पुष्ट करनेवाली शोध-प्रविधि, हर कोण से सवाल उठानेवाली विश्लेषण-विधि और खंडन-मंडन के जेहादी जोश से रहित निर्णय-पद्धति के नमूने के रूप में भी यह पठनीय है।
ISBN: 9788126728404
Pages: 436
Avg Reading Time: 15 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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Prakash Manu
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- Description: साहित्य अकादेमी के पहले बाल साहित्य पुरस्कार से सम्मानित प्रकाश मनु बच्चों के सुविख्यात कथाकार हैं। बच्चे और किशोर पाठक उनकी कहानियों और बाल उपन्यासों को खूब रस ले-लेकर पढ़ते, सराहते और जीवन भर अपनी यादों के पिटारे में सहेजकर रखते हैं। प्रकाश मनु उस्ताद किस्सागो हैं, इसीलिए देश के कोने-कोने में फैले हजारों बच्चे उनके मुरीद हैं, जिन्हें उनकी लिखी कहानी की नई पुस्तकों और उपन्यासों का इंतजार रहता है। मनुजी की कलम का जादू इस कदर बाल पाठकों के मन को बाँध लेता है कि उनके साथ बहते हुए, कब वे देश-दुनिया की नई-नई और रोमांचक जगहों की सैर करके आ गए, उन्हें खुद पता नहीं चलता। ‘चार बाल उपन्यास’ प्रकाश मनुजी के दिलचस्प और भावनापूर्ण बाल उपन्यासों की नई पुस्तक है, जिसे पढ़कर बच्चे रोमांचित हो उठेंगे और खेल-खेल में बहुत कुछ सीखेंगे भी। पुस्तक में मनुजी के चार बड़े ही कौतुकपूर्ण बाल उपन्यास शामिल हैं—‘चिंकू-मिंकू और दो दोस्त गधे’, ‘भोलू पढ़ता नई किताब’, ‘सांताक्लाज का पिटारा’ तथा ‘गोलू भागा घर से’। ये चारों ऐसे उपन्यास हैं, जिनका जादू बाल पाठकों के दिलों पर तारी हो जाएगा, और जब तक वे उन्हें पूरा पढ़ नहीं लेंगे, पुस्तक उनके हाथ से छूटेगी नहीं। निस्संदेह ‘चार बाल उपन्यास’ एक ऐसा बहुरंगी, मनमोहक उपहार है, जिसे बच्चे हमेशा सँजोकर रखेंगे और बार-बार पढ़ना चाहेंगे।
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