
Antarrashtriya Mudra Kosh (ICWA)
Author:
V. SrinivasPublisher:
Prabhat PrakashanLanguage:
HindiCategory:
General-non-fiction0 Reviews
Price: ₹ 560
₹
700
Unavailable
भारत के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी द्वारा भारत के आर्थिक इतिहास में महत्त्वपूर्ण पलों का व्यावहारिक विश्लेषण और भावी वैश्विक संकट के समाधान का निर्णय कर सकनेवाले अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष में बहुपक्षीयता का भविष्य।
यह पुस्तक वी. श्रीनिवास भारत सरकार के विशिष्ट अपर सचिव, कार्यकारी निदेशक, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के पूर्व सलाहकार और भारत के वित्तमंत्री के निजी सचिव द्वारा 17 माह के शोध और साक्षात्कार के आधार पर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के साथ भारत के संबंधों की अनेक बड़ी घटनाओं का व्यापक विश्लेषण है।
इसमें अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के संस्थापक सदस्य के रूप में भारत की भूमिका का परिदृश्य है। यह भारत के 1966, 1981 और 1991 अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष कार्यक्रमों, 2010 में आई.एम.एफ. से भारत द्वारा स्वर्ण क्रय, जी20 के उदय और विश्व में तीव्र गति से बढ़ती अर्थव्यवस्था के रूप में भारत के उद्भव के बारे में अंतर्दृष्टि प्रदान करती है। वी. श्रीनिवास ने अंतिम ऋणदाता के रूप में आई.एम.एफ. की भूमिका, सदस्य देशों के साथ निपटने में असीमित शक्ति की एक संस्था के रूप में आई.एम.एफ. 2008 के बाद वैश्विक वित्तीय संकट में आई.एम.एफ. की वृहत्तर भूमिका और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा में चीन के उदय पर अंतर्दृष्टि प्रदान की है।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के साथ भारत के संबंध के परिप्रेक्ष्य में पहले 25 वर्षों पर व्यापक शोध है, जिसके बारे में गहन अध्ययन और शोध करके समस्त जानकारियाँ संकलित की गई हैं, जिन्होंने वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
ISBN: 9789390366095
Pages: 264
Avg Reading Time: 9 hrs
Age : 18+
Country of Origin: India
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Description:
‘‘वह जंगल जो दण्डकारण्य के नाम से जाना जाता था और जो पश्चिम बंगाल, झारखंड, उड़ीसा, छत्तीसगढ़ से लेकर आन्ध्र प्रदेश के कुछ हिस्सों को समेटता हुआ महाराष्ट्र तक फैला है, लाखों आदिवासियों का घर है। मीडिया ने इसे ‘लाल गलियारा’ या ‘माओवादी गलियारा’ कहना शुरू कर दिया है। लेकिन इसे उतने ही सटीक ढंग से ‘अनुबन्ध गलियारा’ कहा जा सकता है। इससे रत्ती-भर फ़र्क़ नहीं पड़ता कि संविधान की पाँचवीं सूची में आदिवासी लोगों के संरक्षण का प्रावधान है और उनकी भूमि के अधिग्रहण पर पाबन्दी लगाई गई है। लगता यही है कि वह धारा वहाँ महज़ संविधान की शोभा बढ़ाने के लिए रखी गई है—थोड़ा-सा मिस्सी-ग़ाज़ा, लिपस्टिक-काजल। अनगिनत निगम, छोटे अनजाने व्यापारी ही नहीं, दुनिया के दैत्याकार-से-दैत्याकार इस्पात और खनन निगम—मित्तल, जिन्दल, टाटा, एस्सार, पॉस्को, रिओ टिंटो, बीएचपी बिलिटन और हाँ, वेदान्त भी—आदिवासियों के घर-बार को हड़पने की फ़िराक़ में हैं।
हर पहाड़ी, हर नदी और हर जंगल के लिए समझौता हो गया है। हम अकल्पनीय स्तर पर व्यापक सामाजिक और पर्यावरणीय कायाकल्प की बात कर रहे हैं। और इसमें से ज़्यादातर गुप्त है। मुझे क़तई नहीं लगता कि दुनिया के सबसे पुराने और दिव्य जंगल, परिवेश और आदिम समुदाय को नष्ट करने के लिए जो परियोजनाएँ शुरू हुई हैं, उनकी चर्चा भी कोपेनहेगेन में होनेवाले ‘जलवायु परिवर्तन सम्मेलन’ में होगी। माओवादी हिंसा की भयावह कहानियाँ खोजनेवाले (और न मिलने पर उन्हें गढ़ लेनेवाले) ख़बरिया चैनल लगता है, क़िस्से के इस पक्ष में बिलकुल दिलचस्पी नहीं रखते। मुझे अचरज है, ऐसा क्यों?’’
युद्ध, भारत की सीमाओं से चलकर देश के हृदय-स्थल में मौजूद जंगलों तक फैल चुका है। भारत की सर्वाधिक प्रतिष्ठासम्पन्न लेखिका द्वारा लिखित यह पुस्तक ‘आहत देश’ कुशाग्र विश्लेषण और रिपोर्टों के संयोजन द्वारा उभरती हुई वैश्विक महाशक्तियों के समय में प्रगति और विकास का परीक्षण करती है और आधुनिक सभ्यता को लेकर कुछ मूलभूत सवाल उठाती है।
MBA: May The Boom Be Avoided
- Author Name:
Pratyush Bhatt
- Book Type:
- Description: “Undergraduate degree isn’t enough for good employment, existential crisis is killing me, I lack funds for my start-up plans, my job sucks…DAMN IT!” These are some of the very common and natural concerns among the youths. However, if you too are considering an MBA to overcome any of them, you might want to know everything about the career decision that will create a huge impact in your life. Needless to say, it will demand considerable time and effort to get aware of its ins & outs with a guarantee of authenticity. It is indeed loads of work, but there is nothing to worry about. Why so? Because this book takes care of all of it. It reveals almost every detail about the Indian MBA scenario through insights from some of the most prominent management professionals in this country. Motivated by millions of youths facing the challenges of massive unemployment and personal crisis even after an MBA, this book is a one-stop-shop for all your concerns spanning across:- •job market •packages •work-life balance •entrepreneurship prospects •education •Solution •and much more... 'Hold on. Everything seems straightforward except 'Solution.' What is it?' This book goes beyond sharing the rarely known reality to its readers. Once you're done with the read, be it any career choice you make (even if an MBA), you'll be much clear about your final decision than you might have ever been...so clear that you will hold no regrets for it, and that too, forever. Sounds like an unrealistic commitment? Try giving it a shot as the Solution has already been proven to work for many! P.S. It isn't the typical 'follow your passion' or 'chase your dreams.'
Born A Crime
- Author Name:
Trevor Noah +1
- Book Type:
- Description: भिन्न वंशाच्या-वर्गाच्या स्त्री-पुरुषांमध्ये घडणाऱ्या शरीर-संबंधांवर प्रतिबंध घालणारा एक कायदा एकेकाळी दक्षिण अफ्रिकेत अंमलात आणला होता. परिणामी अशा जोडप्यांची मुलं या कायद्यामुळे गुन्हेगार म्हणूनच जन्माला यायची. अशा परिस्थितीत एका आग्रही, व्यवस्थेला फाट्यावर मारणाऱ्या कृष्णवर्णीय तरुणीने आपल्या युरोपियन गोऱ्या प्रियकरासोबत एक निर्णय घेतला... मुलाला जन्म देण्याचा आणि ते मूल एकटीने वाढवायचा. तिने जाणतेपणी, ठरवून हा गुन्हा केला आणि त्यातून ‘ट्रेवर नोआ' जन्माला आला. अशा परिस्थितीत वाढतानाचे ट्रेवर नोआचे अनुभव आणि असं मूल पदरी असताना, त्याला वाढवतानाची त्याच्या आईची उडणारी त्रेधातिरपिट याची भेदक, मजेशीर, स्पष्ट कथा म्हणजे ‘बॉर्न अ क्राइम' हे हृदयस्पर्शी आत्मचरित्र होय. मुख्य म्हणजे दक्षिण आफ्रिकेतलं वातावरण कितीही क्रूर असलं तरी या दोघांच्या नात्यामुळे ही गोष्ट एका उंचीवर पोहोचते. वर्ग, वर्ण, लिंग याबद्दलची आपली समज अधिक गहिरी होते. म्हणूनच हे आत्मचरित्र प्रत्येकाने वाचलंच पाहिजे... Born A Crime | Trevor Noah Translated By : Aabha Patwardhan बॉर्न अ क्राइम | ट्रेवर नोआ | अनुवाद : आभा पटवर्धन
Kirtishesh : Mohan Rakesh
- Author Name:
Jaidev Taneja
- Rating:
- Book Type:
- Description: मोहन राकेश के समृद्ध और बहुआयामी व्यक्तित्व के अनेक पक्ष थे, जो शायद किसी एक मित्र के साथ पूरी तरह शेयर नहीं किये जा सकते थे। लेकिन यह भी सच है कि उन्होंने जिस मित्र के साथ जो पहलू शेयर किया, वह पूरी ईमानदारी के साथ किया। फिर भी, आज इतने समय के बाद भी उनके दोस्त और दुश्मन, प्रशंसक और आलोचक, दर्शक, पाठक और इतिहासकार यही तय नहीं कर पाए कि वह व्यक्ति वास्तव में था क्या? उसके कृतित्व का मूल्य और महत्त्व क्या और कितना है? वह असीम भावुक था या चरम बौद्धिक? अत्यन्त महत्त्वाकांक्षी अवसरवादी था या तमाम उपलब्धियों के मोहपाश को पल-भर में काटकर किसी नये, अज्ञात और बड़े लक्ष्य की ओर निर्भय आगे बढ़ जानेवाला निरासक्त संन्यासी? मोहन राकेश के अन्तर्विरोधी एवं चौंकानेवाले अप्रत्याशित-अनपेक्षित कारनामों को लेकर उनके दोस्त और दुश्मन समान रूप से सच्चे-झूठे किन्तु चकित करनेवाले क़िस्से, प्रसंग, लतीफ़े, कथा-कहानियाँ, ख़बरें और अफ़वाहें रचते रहे हैं। सत्य और कल्पना तथा हक़ीक़त और फ़सानों से उपजी इस धुंध ने राकेश के जीवनकाल में ही उन्हें एक जीवित किंवदन्ती बना दिया था। ‘कीर्तिशेष : मोहन राकेश’ पुस्तक उन्हें, उनके जटिल व्यक्तित्व को एक नये सिरे से समझने का रास्ता खोलती है। यहाँ आप उनके समकालीनों, सहकर्मियों, मित्रों, सम्पादकों, प्रकाशकों, नाट्य-निर्देशकों, अभिनेताओं, फ़िल्मकारों, आलोचकों, मीडिया-कर्मियों और शिष्यों के संस्मरण पढ़ेंगे। उम्मीद है कि इनसे हम मोहन राकेश के व्यक्तित्व को कुछ बेहतर समझ सकेंगे।
Manushya Shasak Hai
- Author Name:
James Allen
- Book Type:
- Description: जेम्स एलन का जन्म 1864 में लीसेस्टर, इंग्लैंड में हुआ। अपनी पहली किताब, ‘फ्रॉम पॉवर्टी टू पॉवर’ पूरी करने के बाद वे इल्फ्राकूम्ब में रहने चले गए। जहाँ उन्होंने अपनी यह अमर कृति ‘जैसा मनुष्य सोचता है (As a Man Thinketh)’ लिखी जो कि उनकी कालजयी रचना है। यह पुस्तक 1902 में प्रकाशित हुई और इसे सेल्फ हेल्प किताबों की क्लासिक माना जाता है। इस पुस्तक को जेम्स एलन की पत्नी लिली ने प्रकाशित करवाया था। एलन का लेखक जीवन काफी छोटा रहा सिर्फ़ 9 साल का। 1912 में 48 वर्ष की उम्र में एलन इस दुनिया को छोड़ कर चले गए।
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