Dakhinn Bharat Ki Hindi Patrakarita
Author:
Ravindra KatyayanPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Media0 Reviews
Price: ₹ 160
₹
200
Unavailable
Dakhinn Bharat Ki Hindi Patrakarita
ISBN: 9789392186479
Pages: 209
Avg Reading Time: 7 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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Manikant Bajpai
- Book Type:

- Description: Media
Web Patrikarita : Naya Media Aur Rujhan
- Author Name:
Shalini Joshi +1
- Book Type:

-
Description:
एक ऐसे दौर में जब मीडिया प्रिंट, रेडियो और टीवी से होता हुआ वेब पर उतर आया है और वहाँ भी उसके कई रूप दिखने लगे हैं, ऐसे न्यू मीडिया के दौर में जर्नलिज़्म से जुड़े छात्रों, शोधकर्ताओं और अध्यापकों, पेशेवरों और विशेषज्ञों के सामने कुछ नई चुनौतियाँ और सवाल भी आए हैं। न्यू मीडिया कमोबेश उसी समय प्रकट हुआ जब ग्लोबल विलेज की अवधारणा ज़ोर मार रही थी, भूमंडलीकरण ने आकार ग्रहण कर लिया था और नवउदारवादी शर्तें व्यापक कॉरपोरेट मिज़ाज का निर्माण कर रही थीं।
आधुनिकतम तकनीकी से लैस इस मीडिया सिस्टम में नए सवाल और नई पेचीदगियाँ भी जुड़ती जा रही हैं। उन्हें समझने, उनके हल के औज़ार तैयार करने के लिए एक बिलकुल ही नए तेवर वाले मुस्तैद जर्नलिस्ट की दरकार है। कहने को वे मल्टीमीडिया न्यूज़पर्सन होंगे लेकिन उन्हें सिर्फ़ स्किल्स में ही दक्षता हासिल नहीं करनी होगी बल्कि उन्हें समाचार के बुनियादी मूल्यों और अपने पेशे की बुनियादी नैतिकताओं पर भी फिर से नज़र डालनी होगी। उन्हें नए ढंग से विश्वसनीयता और प्रामाणिकता हासिल करनी होगी जो इधर कॉरपोरेट मीडिया के विभिन्न क़िस्मों के दबावों, स्वार्थों और लालचों में कमज़ोर पड़ गई है या बिखर गई है या मिटा ही दी जा रही है।
न्यू मीडिया सिर्फ़ वेब का ही मीडिया नहीं माना जाना चाहिए, इसे विश्वास का भी न्यू मीडिया समझना चाहिए। ऐसा करते हुए हमें डॉ. शिलर का यह कथन भी नहीं भूलना चाहिए कि कथित विविधता सांस्कृतिक परजीवीपन है। इसे सांस्कृतिक वैविध्य नहीं समझना चाहिए। प्रस्तुत किताब इंटरनेट की इन तात्कालिक कमज़ोरियों और अन्तर्विरोधों की ओर भी इशारा करती है। यह किताब वेब मीडिया के छात्रों और प्रशिक्षुओं को इस माध्यम की बारीकियों के बारे में बताते हुए लिखी गई है। यह उन सहूलियतों का भी विवरण पेश करती है जो न्यू मीडियाकर्मी के लिए हो सकती हैं। और इसमें पत्रकारिता के बुनियादी उसूल, समाचार ज़रूरतें, भाषा और प्रयोग की विविधताओं जैसे पाठ तो स्वाभाविक रूप से शामिल हैं ही।
Media Ki Badalti Bhasha
- Author Name:
Dr. Ajay Kumar Singh
- Book Type:

- Description: हिन्दी भाषा का जो स्वरूप आज हमारे सामने है, उसके निर्माण में लगभग एक हज़ार साल लगे हैं और हम दावे के साथ यह कहने की स्थिति में अब भी नहीं हैं कि यह स्वरूप आख़िरी या स्थिर है। सूचना प्रौद्योगिकी क्रान्ति के कारण मीडिया की हिन्दी भाषा के स्वरूप में निरन्तर परिवर्तन हो रहा है। आज हमें ऐसी हिन्दी भाषा की आवश्यकता है जो संस्कृत शब्दों से अलंकृत भी हो और अन्यान्य देशी-विदेशी भाषाओं के सरल, सहज और प्रचलित शब्दों से समृद्ध हो। पत्रकारिता के क्षेत्र में कार्य कर रहे व्यक्तियों एवं पत्रकारिता का प्रशिक्षण ले रहे विद्यार्थियों को भाषा का ज्ञान होना आवश्यक है। प्रस्तुत पुस्तक में मीडिया की बदलती हिन्दी भाषा का विश्लेषण कर ऐसी हिन्दी भाषा को स्थापित करने का प्रयास किया गया है, जो प्रौद्योगिकी के साथ मिलकर चले और आम जनमानस की भाषा बन सके।
Idea Se Parde Tak : Kaise Sochta Hai Film Ka Lekhak?
- Author Name:
Ramkumar Singh +1
- Book Type:

- Description: यह किताब सिनेमा के एक सहयोगी पेशेवर के रूप में फ़िल्म-लेखक के कामकाज का सिलसिलेवार वृत्तान्त प्रस्तुत करती है। फ़िल्म का अपना तौर-तरीक़ा है, जिसके दायरे में रहकर ही फ़िल्म-लेखक को काम करना पड़ता है। इसलिए एक हद तक अपनी स्वायत भूमिका रखने के बावजूद उसको अपना काम करते हुए निर्माता, निर्देशक, अभिनेता, कैमरा-निर्देशक आदि अनेक सहयोगी पेशेवरों के साथ संगति का ख़याल रखना पड़ता है। ज़ाहिर है, फ़िल्म-लेखन जिस हद तक कला है, उसी हद तक शिल्प और तकनीक भी। एक सफल फ़िल्म लेखक बनने के लिए जितनी ज़रूरत प्रतिभा की है, उतनी ही परिश्रम, कौशल, अनुशासन और समन्वय की। सबसे लोकप्रिय कला के रूप में अपनी जगह बना चुका सिनेमा आज एक महत्त्वपूर्ण इंडस्ट्री भी है जो लाखों-लाख युवाओं के सपनों का केन्द्र बन चुकी है। ऐसे में फ़िल्म-लेखन की दिशा में कदम बढ़ाने वालों के लिए यह किताब एक अपरिहार्य हैण्डबुक की तरह है।
Chand : Phansi Ank
- Author Name:
Nareshchandra Chaturvedi
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
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