Hindi Patrakarita : Ek Yatra
Author:
Mrinal PandePublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Media0 Reviews
Price: ₹ 280
₹
350
Available
अरसे तक ‘राष्ट्रीय मीडिया’ मानी जानेवाली अंग्रेजी मीडिया के वर्चस्व को, अपने व्यापक जमीनी जुड़ाव की बदौलत किनारे कर, देश के कोने-कोने तक पहुँच बना चुकी हिन्दी मीडिया का यह ऐतिहासिक सफर अत्यन्त चुनौतीपूर्ण रहा है, जिसका ब्योरा मृणाल पाण्डे ने इस किताब में दर्ज किया है। इसमें औपनिवेशिक काल में बढ़ती राष्ट्रीय भावना से उपजे अखबार और अंग्रेजी की अधीनता से लेकर, आजादी के बाद के दौर में विज्ञापन और निजी कॉरपोरेटों की बढ़ती मौजूदगी से आए उन बदलावों का सूक्ष्म विश्लेषण किया गया है जिन्होंने पत्रकारिता का परिदृश्य आमूल बदल दिया। आगे डिजीटलीकरण, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों के बढ़ते प्रभावों और विज्ञापनों पर भारी निर्भरता ने बदलावों को और तेज किया। और अब, राजनीति, कारपोरेट और मीडिया के बीच स्पष्ट किन्तु जटिल रिश्तों की छाया में यह सवाल सामने है कि एक समय भारतीय लोकतंत्र को आगे बढ़ाने का जरिया बनी हिन्दी मीडिया आज हमारे संविधान प्रदत्त सूचना और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के हक को आगे बढ़ा पाने में किस हद तक सक्षम है? जरूरी जानकारियों से भरी यह किताब पत्रकारिता के छात्रों, प्रोफेसरों और मीडियाकर्मियों के साथ-साथ उन सबके लिए एक विचारोत्तेजक पाठ है जो मीडिया और भारतीय लोकतंत्र के इतिहास, वर्तमान और भविष्य में दिलचस्पी रखते हैं।
ISBN: 9788119989270
Pages: 224
Avg Reading Time: 7 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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दैनिक पत्रकारिता के विविध रूपी रिपोर्टिंग क्षेत्र का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा होता है विदेशी घटना एवं विशिष्ट व्यक्ति की विदेश यात्रा रिपोर्टिंग। विदेश मामलों और राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री जैसे अति विशिष्ट व्यक्तियों की राजकीय विदेश यात्राओं का दैनिक समाचार संकलन (रिपोर्टिंग) जितना आकर्षक है, उससे कहीं अधिक चुनौतीपूर्ण है। सक्रिय पत्रकारिता क्षेत्र से सम्बद्ध औसत पत्रकार की इच्छा रहती है कि वह विदेश रिपोर्टिंग की बीट (क्षेत्र) से जुड़े। वह कूटनीतिक संवाददाता (डिप्लोमेटिक कॉरसपोंडेंट) बने। विशिष्ट व्यक्तियों की राजकीय यात्राओं का कवरेज करे। क्योंकि इससे एक विश्व उद्घाटित (वर्ल्ड एक्सपोजर) होता है। संवाददाता का अद्भुत अनुभवों और विश्व विभूतियों से साक्षात्कार होता है। विश्व स्तरीय घटनाओं (संयुक्त राष्ट्र महासभा अधिवेशन, गुटनिरपेक्ष आनन्द, राष्ट्र मंडलीय सम्मेलन आदि) के दैनिक कवरेज का उसे अवसर प्राप्त होता है। राष्ट्र की राजधानी दिल्ली में रहकर भी कूटनीतिक संवाददाता के रूप में उसे प्रतिदिन भारत सरकार के विदेश मंत्रालय, विदेशी दूतावासों तथा अन्य विदेशी संस्थानों की गतिविधियों की रिपोर्टिंग करनी होती है। सतह पर यह बीट जितनी आसान दिखाई देती है, वास्तव में उतनी है नहीं।
विदेश मामलों और वी.वी.आई.पी. यात्राओं की रिपोर्टिंग के लिए विशेष दक्षता की आवश्यक्ता होती है। क्योंकि अन्तरराष्ट्रीय मामलों, विदेशों के साथ भारत के बहुपक्षीय दौत्य सम्बन्धों और वैश्विक संगठनों की पर्याप्त जानकारी के बिना कूटनीतिक संवाददाता की भूमिका को प्रभावशाली ढंग से निभाना मुश्किल होता है। संक्षेप में, इस बीट का चरित्र काफ़ी संवेदनशील होता है। अन्तरराष्ट्रीय घटनाक्रम की रिपोर्टिंग में तथ्यात्मक त्रुटियों का बहुआयामी प्रभाव पड़ता है। उदाहरण के लिए, भारत-पाक सम्बन्ध, भारत-अमेरिका सम्बन्ध, परमाणु निःशस्त्रीकरण प्रक्रिया जैसे मामलों की रिपोर्टिंग में व्यावसायिक दक्षता के साथ-साथ अतिरिक्त सतर्कता अपेक्षित है। प्रस्तुत पुस्तक में विदेश रिपोर्टिंग और विशिष्ट व्यक्तियों की राजकीय विदेश यात्राओं की कवरेज प्रक्रिया पर व्यावहारिक व तकनीकी दृष्टि से फोकस डाला गया है। विभिन्न उदाहरणों व घटनाओं के माध्यम से यह बतलाया गया है कि एक कूटनीतिक पत्रकार के लिए कौन-सी बातें आवश्यक हैं? वह किस प्रकार अपनी भूमिका को सफलतापूर्वक निभा सकता है? किस प्रकार अन्तराष्ट्रीय विषयों में व्यावसायिक दक्षता अर्जित की जा सकती है? समाचार संकलन की प्रक्रिया के दौरान क्या करना चाहिए, क्या नहीं करना चाहिए—लेखक ने पत्रकारिता के विद्यार्थियों की दृष्टि से इस विधि पर विस्तार से प्रामाणिक प्रकाश डाला है।
लेखक प्रो. रामशरण जोशी स्वयं एक वरिष्ठ पत्रकार व समाजविज्ञानी हैं। अपने दो दशकीय सक्रिय पत्रकारिता जीवन (1980-99) के दौरान उन्होंने देश के श्रेष्ठतम अख़बारों में से एक ‘नई दुनिया’ (इन्दौर) के दिल्ली ब्यूरो प्रमुख के रूप में राष्ट्रीय राजधानी में निरन्तर विदेश रिपोर्टिंग की है। उन्होंने गुटनिरपेक्ष आनन्द, राष्ट्रमंडलीय सम्मेलन, दक्षेस सम्मेलन तथा कई शिखर-वार्ताओं को कवर किया है। इसके अतिरिक्त देश के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री (डॉ. शंकरदयाल शर्मा, राजीव गांधी, इन्द्रकुमार गुजराल, अटल बिहारी वाजपेयी आदि) जैसे अति विशिष्ट व्यक्तियों की सरकारी विदेश यात्राओं की भी व्यापक रिपोर्टिंग की है। लेखक ने नामीबिया को एक ‘स्वतंत्र राष्ट्र’ के रूप में जन्म लेते हुए देखा है। इसके साथ ही लेखक ने अख़बार की ओर से पाकिस्तान, श्रीलंका, अफ़ग़ानिस्तान जैसे संवेदनशील राष्ट्रों की महत्त्वपूर्ण घटनाओं का भी कवरेज किया है। प्रस्तुत पुस्तक में प्रो. जोशी ने अपने प्रामाणिक अनुभवों के आधार पर विदेश रिपोर्टिंग विधि को व्यवहार से जोड़कर अपनी बात कही है। चूँकि लेखक पत्रकारिता अध्यापन (माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय में प्रोफ़ेसर व कार्यपालक निदेशक—1999-2004) से भी सम्बद्ध रहे हैं, अतः उन्होंने इस पुस्तक में विद्यार्थियों की शैक्षणिक अपेक्षाओं को ध्यान में रखा है।
Dizaster : Media And Politics
- Author Name:
Punya Prasun Bajpai
- Book Type:

- Description: based on print and electronic media by punya prasun bajpai
Kasauti Par Media
- Author Name:
Mukesh Kumar
- Book Type:

-
Description:
पूँजी के भूमंडलीकरण और आर्थिक उदारवाद के आगमन के साथ शुरू हुए विस्मयकारी विस्तार ने मीडिया को यदि शक्तिशाली बनाया है तो उसका चरित्र भी बदल डाला है। वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार के ‘हंस’ में लिखे स्तम्भ लेखों का संकलन है—यह पुस्तक। जिसके माध्यम बताया है कि मीडिया में आए इस परिवर्तन की वजहें क्या हैं, कौन से दबाव और प्रभाव इसके पीछे काम कर रहे हैं और इनके उद्देश्य क्या हैं? यह एक बहुत ही ज़रूरी काम था जो हिन्दी में बहुत देर से शुरू हुआ और बहुत कम हुआ। ‘हंस’ और मुकेश कुमार को इसका श्रेय जाता है कि उन्होंने इस ज़िम्मेदारी को पूरी गम्भीरता के साथ निभाया।
मुकेश कुमार पिछले लगभग चालीस साल से ज़्यादा समय से पत्रकारिता से जुड़े हुए हैं। ‘हंस’ में प्रकाशित उनके लेखों से ज़ाहिर हो जाता है कि इस दौरान पत्रकारिता के सामने आनेवाली चुनौतियों को वे देखते-समझते रहे हैं। साथ ही उन्होंने इन समस्याओं के भीतर झाँककर उनके कारणों को भी जानने की कोशिश की है। मीडिया के सामने खड़ी चुनौतियों का सामना करने के रास्तों पर भी उनकी नज़र रही है। उन्होंने मीडिया उद्योग के हर आयाम को क़रीब से देखा-समझा है, इसलिए वे मीडिया में आए परिवर्तनों को ज़्यादा विश्वसनीय तरीक़े से लिख सके। ऐसा करते हुए उन्होंने अतिरिक्त साहस का परिचय भी दिया, क्योंकि अपने ही पेशे की ख़ामियों को बेबाकी से लिखना सबके लिए आसान नहीं।
मुझे लगता है कि मुकेश कुमार ने इस पूरे दौर में पैदा हुई मीडिया की हर आहट, उसकी हर करवट और हर दिन बदलते उसके पैतरों को अपनी नज़रों से ओझल नहीं होने दिया है। फिर चाहे वह स्टिंग ऑपरेशन की सच्चाई हो, साम्राज्यवाद और बाज़ारवाद का दबदबा हो, फ़िल्मी चकाचौंध हो या क्रिकेट का कारवाँ हो, दंगा-फसाद हो या चमत्कारियों का संसार हो। हर चीज़ को उन्होंने ईमानदारी से परखा है और अपनी साफ़ राय दी है। मीडिया के बदलते रंग-ढंग की परीक्षा करते हुए उनका नज़रिया बहुत ही स्पष्ट रहता है और वे यह काम पूरी जनपक्षधरता के साथ करते हैं। टीआरपी की होड़ से पैदा हुई दुष्प्रवृत्तियों के ख़िलाफ़ सख़्त रुख़ अपनाने से वे कभी पीछे नहीं हटे। उनकी क़लम ने मीडिया के उन्मादी स्वरूप की जमकर चीर-फाड़ की और उसके जातीय तथा साम्प्रदायिक चरित्र को बेनकाब करने में अगुआ रहे।
इन लेखों में एक चिन्ता साफ़ दिखाई देती है कि ख़बर जो भी हो मीडिया अक्सर असल मुद्दे से हटकर, उसे भावुकता की चाशनी में डुबाकर उन्माद पैदा करने की कोशिश करता है। मुकेश कुमार ने इस बात को प्रभावशाली ढंग से रेखांकित किया है कि रामजन्मभूमि विवाद के ज़माने में भी हालात ऐसे ही थे, और गुजरात के दंगे को लेकर विवाद हो या भारत पाक के बीच संकट की स्थिति, मीडिया में उन्माद के सिवा कुछ दिखाई नहीं देता।
Yahan Mukhoute Bikate Hain
- Author Name:
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Itna To Yaad Hai Mujhe
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Bobby Sing
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- Description: क्या आप हिंदी सिनेमा और हिंदी फिल्म संगीत से दीवानगी की हद तक प्रेम करते हैं? यदि हाँ, तो यह पुस्तक आपके लिए ही है। इस पुस्तक के 51 अध्याय तीन भागों में विभाजित किए गए हैं। पहले भाग में नब्बे के दशक से पहले की हिंदी फिल्मों के तथ्यों के बारे में विवरण दिया गया है अर्थात् भारत में केबल टीवी क्रांति से पहले। दूसरा भाग दोनों काल के मध्य की कड़ी/लिंक पर आधारित है और तीसरा नब्बे के दशक के बाद की फिल्मों और हमारे वर्तमान सिनेमा पर। पुस्तक के कुछ खास विषय हैं— ** चिरकालिक ‘गाइड’ और इसका अंग्रेजी संस्करण ** ‘डिस्को डांसर’ की अंतरराष्ट्रीय प्रसिद्धि के बारे में कुछ अनकहे तथ्य ** 1989 में म्यूजिक एलबम ‘लाल दुपट्टा मलमल का’ से लिपटा रहस्य ** उत्पल दत्त—जो सिर्फ एक कॉमेडियन नहीं थे ** ‘सिलसिला’ और ‘रब ने बना दी जोड़ी’ को जोड़नेवाला तथ्य ** हिंदी फिल्म संगीत से पहेली-आधारित गीतों की गुम हो चुकी कला।
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