Veer Shivaji
Author:
Manu SharmaPublisher:
Prabhat PrakashanLanguage:
HindiCategory:
Biographies-and-autobiographies0 Reviews
Price: ₹ 340
₹
425
Available
This book does not have any description.
ISBN: 9788193289396
Pages: 240
Avg Reading Time: 8 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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Description:
अप्रतिम व्यक्ति और चित्रकार जगदीश स्वामीनाथन को यह दुनिया छोड़े हुए कोई पच्चीस वर्ष होने को आए, पर दुनिया ने उनको नहीं छोड़ा है। छोड़ेगी भी नहीं। उनका व्यक्तित्व और कामकाज है ही ऐसा कि जब-जब भारतीय कला की बात होगी, बीसवीं शती की कला की विशेष रूप से, वे याद किए जाएँगे। स्वामीनाथन ने बड़ी गम्भीरता से, साहस से, कई मोर्चों पर लड़ाई लड़ी है, इस बात की कि कला-रचना के साथ-साथ, कला-चिन्तन, कला-विमर्श, बेहद महत्त्व के हैं, कि बिना प्रश्नांकनों, विचारों, और बहसों के हम वह रचनात्मक वातावरण बना ही नहीं पाएँगे, जिसमें 'रचना' मात्र के प्रति उत्तेजना हो, अनुसन्धानी भाव हो, और हो वह दृष्टि जो बहुत कुछ को सम्यक् ढंग से परख सकती हो। एक कलाकार और कला चिन्तक तथा अत्यन्त जि़न्दादिल, सरस, व्यंग्य-विनोदी, हँसी-ठट्ठा करनेवाले, सबके बीच जानेवाले, सबके साथ रहनेवाले, सबका साथ चाहनेवाले व्यक्ति की जीवनी लिखने में, स्वामी के इन दोनों रूपों को साधने में, एक बड़ी चुनौती पेश आनी ही थी—क्योंकि दोनों एक-दूसरे में गुँथे हुए भी तो हैं। और उन्हें आसपास रखना ही था—दोनों रूपों को। तो, यथासमय, यथास्थान, उनके इन दोनों रूपों को विन्यस्त किया गया है। और उनके जीवन के ज़रूरी तथ्यों के साथ, उनके विचारों के फलित-प्रतिफलित होने की कथा भी कही गई है। यह स्वामी की पहली जीवनी तो है ही, उन पर आनेवाली पहली पुस्तक भी है। जीवनी को किसी क्रमागत रूप में नहीं लिखा गया—वैसा करना असम्भव भी था, स्वामी के अपने व्यक्तित्व और अपनी ही जीवन शैली के कारण—वे शायद उस रूप में जीवनी का लिखा जाना पसन्द भी न करते। सो, एक 'औपन्यासिक' ढंग से, कथा कहनेवाले अन्दाज़ में, उनके जीवन की बहुत-सी बातें कभी सीधे, कभी 'फ़्लैश बैक' में, कभी जो जहाँ उचित लगे जगह बना ले, वाली शैली में दर्ज हुई हैं। उम्मीद है, जीवनी सुधी पाठकों को रुचिकर लगेगी, और उपयोगी भी।
—प्रस्तावना से
''जगदीश स्वामीनाथन मूलत: तमिलभाषी होते हुए भी उत्तर भारत में पले-बसे एक मूर्धन्य भारतीय चित्रकार थे जिन्होंने चित्र बनाए, हिन्दी में कविताएँ लिखीं, अंग्रेज़ी में कलालोचना लिखी। वे अपने समय के लगभग सबसे प्रश्नवाची कला-चिन्तक थे जिन्होंने कला के बारे में मूल प्रश्न उठाए और सामयिक प्रश्न भी। भारत भवन में उन्होंने 'रूपंकर' कला-संग्रहालय की स्थापना और संचालन किया और समकालीनता को रेडिकल ढंग से पुनर्भाषित किया जिसमें सिर्फ़ शहराती ही समकालीन नहीं थे बल्कि लोक और आदिवासी कलाकार भी उतने ही समकालीन ठहराए गए। स्वामीनाथन का जीवन और कला एक-दूसरे से इस क़दर मिले-जुले थे कि एक को दूसरे के बिना समझा नहीं जा सकता। कवि-कलाप्रेमी प्रयाग शुक्ल ने रज़ा फ़ाउंडेशन के एक विशेष प्रोजेक्ट के अन्तर्गत यह जीवनी लिखी है जिसे प्रस्तुत करते हुए हमें प्रसन्नता है।"
—अशोक वाजपेयी
Sobti Ek Sohbat
- Author Name:
Krishna Sobti
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Description:
हिन्दी साहित्य के समकालीन परिदृश्य पर कृष्णा सोबती एक विशिष्ट रचनाकार के रूप में समादृत हैं। यह कृति उनके बहुचर्चित कथा-साहित्य, संस्मरणों, रेखाचित्रों, साक्षात्कारों और कविताओं से एक चयन है। उनके कुछ विचारोत्तेजक निबन्धों को भी इसमें रखा गया है। इसके साथ ही ‘ज़िन्दगीनामा-2’ से कुछ महत्त्वपूर्ण अंश भी इसमें शामिल हैं, जिसे वे अभी लिख रही हैं।
उल्लेखनीय है कि अपनी विभिन्न कथाकृतियों के माध्यम से कृष्णा सोबती ने संस्कृति, संवेदना और भाषा-शिल्प की दृष्टि से हिन्दी साहित्य को एक नई व्यापकता प्रदान की है। इस सन्दर्भ में उनकी इस मान्यता से सहमत हुआ जा सकता है कि हिन्दी अगर किसी प्रदेश-विशेष या धर्म-वर्ग की भाषा नहीं है तो उसे अपने संस्कार को व्यापक बनाना होगा। वस्तुत: उन्होंने बने-बनाए साँचे, चौखटे और चौहद्दियाँ हर स्तर पर अस्वीकार की हैं तथा रचना के साथ-साथ स्वयं भी एक नया जन्म लिया है। उनके लिए रचनाकार की ही तरह रचना भी एक जीवित सच्चाई है; उसकी भी एक स्वायत्तता है। उन्हीं के शब्दों में कहें तो ‘रचना न बाहर की प्रेरणा से उपजती है, न केवल रचनाकार के मानसिक दबाव और तनाव से। रचना और रचनाकार—दोनों अपनी-अपनी स्वतंत्र सत्ता में एक-दूसरे का अतिक्रमण करते हैं और एक हो जाते हैं। इसी के साथ लेखक पर रचना की शर्तें लागू हो जाती हैं और रचना पर लेखकीय संयम और अनुशासन।’
कहना न होगा कि यह एक ऐसी कृति है जो न सिर्फ़ एक लेखक की बहुआयामी रचनाशीलता को समझने का अवसर जुटाती है, बल्कि समकालीन रचनात्मकता से जुड़े अनेक सवालों को भी हमारी चिन्ताओं में शामिल करती है।
Sudhiyan Kuchh Apni, Kuchh Apanon Ki
- Author Name:
Amritlal Nagar
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
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