Miss You Bruzzo
Author:
Tanishi SharmaPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Biographies-and-autobiographies0 Reviews
Price: ₹ 159.2
₹
199
Available
जी, हाँ...। ब्रूज़ो एक पालतू डॉगी है। किताब इसके इर्द-गिर्द ही घूमती है। दिल्ली की रहने वाली एक छोटी लड़की की ब्रूज़ो से मुलाक़ात हिमाचल प्रदेश के ख़ूबसूरत शहर धर्मशाला में होती है। ब्रूज़ो का साथ उसकी चाहत को पूरा करता है। जब वह दिल्ली में रहती थी, तो अक्सर अपनी माँ से एक डॉगी को घर पर रखने की माँग करती थी। लेकिन उसकी माँ उसकी इस इच्छा को हमेशा नज़रअंदाज़ करती रहीं। कोरोना के पहले दौर में, जब महामारी का भय चरम पर था, तब वह सपरिवार धर्मशाला शिफ्ट हो जाती है। वह जिस घर में रहती है, उसके मकान मालिक के पालतू कुत्ते का नाम ब्रूज़ो है। दस साल की छोटी लड़की ब्रूज़ो के साथ ख़ूब खेलती और उसके साथ काफी समय बिताती। लेकिन यह ख़ुशी थोड़े दिनों के लिए ही रहती है..। यह उपन्यास हिंदी बाल साहित्य की दुनिया में एक नई शुरुआत है।
ISBN: 9789392088186
Pages: 113
Avg Reading Time: 4 hrs
Age : 18+
Country of Origin: India
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- Description: Ten brilliant stories of ten bravehearts who have brought endless glory to India, our motherland, under unbelievable circumstances. Each braveheart has been shot down with obstacles unfathomable yet written their fate rather than letting life write it for them—and their fate has been to hail the Indian tricolour across various sports scenes in various countries. Glory Beyond Dreams is home to these unstoppable para-heroes who have brought success and pride to our country time and again: Yuvraj Singh; Arvind Prabhoo; Palak Kohli; Gaurav Khanna; Pranav Desai; Aryan Joshi; Suyash Jadhav; Ajay Kumar Reddy; Sandeep Singh Dhillon; Rajinder Singh Rahelu, and chronicled in this book is a collection of their jaw-dropping life stories; stories of grit, strength, guts, and glory.
Meri Jail Diary : Vol. 1-2
- Author Name:
Chandrashekhar
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Description:
एक तरफ आज की राजनीतिक संस्कृति है, दूसरी ओर यह डायरी–इसे पढ़ते हुए आप इस तुलना से बच नहीं सकते।
और यही इस डायरी की बहुत सादा, लेकिन निर्णायक उपलब्धि है। इस डायरी के पन्नों से गुजरते हुए आप अनायास ही अपने आपको एक आश्चर्य की दुनिया में पाते हैं, कि क्या राजनेता भी ऐसा होता है ! क्या राजनीति में सक्रिय कोई व्यक्ति गिलहरियों, चींटियों और चिड़ियाओं के दुख-दर्द के बारे में भी सोच सकता है ?और न सिर्फ सोचता ही है, बल्कि बाकायदा चिंतित होकर उनके दुख-दर्दों को अपनी डायरी के पन्नों पर अंकित भी करता है।
जो लोग रोज मन लगाकर अखबार पढ़ते हैं और जो ऊबकर मात्र हेडलाइनों तक सिमट गए हैं, वे दोनों ही यह जानकर आश्चर्यचकित हो सकते हैं कि इस डायरी का लेखक जेल में रहते हुए भी राजनीतिक सक्रियता को ‘मिस’ नहीं कर रहा है, बल्कि अपने विद्रोही तेवरों से मुख्यधारा में उल्लेखनीय लहरें पैदा कर चुकने के बावजूद जेल के अपने कमरे में वह एक चित्रकार होना चाहता है। वह चाहता है कि काश, तूलिका उसका औजार होती ! उसी कमरे में बैठकर वह फाँसी की क्रूर प्रथा पर सिहरता है, कैदियों की विवशता पर शोकाकुल होता है, और होता है वक्त के साथ मुखौटा बदल लेने वाले दोस्तों पर क्रोधित और उदास भी।
यह सब एक अत्यंत संवेदनशील व्यक्ति के पोट्रेट की रेखाएँ हैं, जो अपने शारीरिक कष्ट को इसलिए भी छिपाता रहता है कि कहीं जेल-कर्मचारी परेशान न हों ! ऐसा संवेदनशील व्यक्ति ‘नेता’ के उस फ्रेम में फिट नहीं बैठता, जो इधर जनमानस में नेता की ‘छवि’ बनी है। लेकिन इस डायरी के पन्नों में वह व्यक्ति सुरक्षित है–अपनी पूरी संवेदनाओं के साथ, जिसमें दर्द है, पीड़ा है–उन पीड़ितों के प्रति, जो देश में प्रचुर संसाधनों के बावजूद कष्टमय जीवन जीने के लिए अभिशप्त हैं, और इसीलिए यह डायरी एक विशेष कृति के रूप में पठनीय और संग्रहणीय है।
Main Jahan-Jahan Chala Hun
- Author Name:
Dr. Gyaneshwar Muley
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Description:
मैं जहाँ-जहाँ चला हूँ पारम्परिक अर्थ में न सिर्फ़ यात्रा-वृत्त है, न सिर्फ़ संस्मरण, यह इन दोनों का मिला-जुला रूप है। हम इसे लेखक का प्रवास-वृत्त कह सकते हैं; वे स्वयं इन्हें ‘मेरे पड़ाव’ कहते हैं। गहरी उत्सुकता, जिज्ञासा, सहज ग्रहणशीलता और उत्फुल्ल हास्यबोध के साथ लेखक ने इन संस्मरणात्मक निबन्धों में उन स्थानों का वर्णन किया है, जहाँ-जहाँ उन्हें कुछ समय रहने का मौक़ा मिला जैसे जापान, मॉरीशस व पाकिस्तान और जहाँ-जहाँ उनका मन रुका, जैसे रेलवे स्टेशन, दिल्ली की सड़कें और देश-विदेश के नाई।
ज्ञानेश्वर मुले भारतीय विदेश सेवा में अधिकारी रहे हैं और मराठी के चर्चित लेखक, कवि तथा स्तम्भकार हैं। इस पुस्तक में वे हमें सूचनाओं और संवेदनाओं में सन्तुलित एक सुग्राह्य और आकर्षक गद्य उपलब्ध कराते हैं। जापान के लोगों का ‘साकुरा-प्रेम’ हो, या मॉरीशस के नागरिकों का ‘भारत-प्रेम’, पाकिस्तान के सरकारी तंत्र का सशंक बर्ताव हो या दिल्ली में फैला भारतीय इतिहास, उलझी सड़कें और अपने वंशजों को सीधी चुनौती देने वाले बन्दर, हर चीज़ और स्थान को वे एक रचनात्मक उछाह के साथ देखते हैं और उसी उछाह के साथ उसे पाठक तक पहुँचाते हैं। जहाँ ज़रूरत हो वहाँ व्यंग्य करते हैं, जहाँ ज़रूरत हो वहाँ संवेदना का भीना वितान बुन देते हैं और जहाँ ज़रूरत हो प्राकृतिक दृश्यों के सजीव-सचल चित्र खींच देते हैं।
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