Arjun Singh : Ek Sahayatri Itihaas ka
Author:
Ramsharan JoshiPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Biographies-and-autobiographies0 Reviews
Price: ₹ 200
₹
250
Unavailable
जीवनी : चुरहट से दिल्ली तक देश के किसी विख्यात व जीवित राजनेता की जीवनी लिखना जोखिम-भरा काम है। जब जीवनी का नायक अर्जुन सिंह जैसा राष्ट्रीय नेता रहे, तब खंडन-मंडन की सम्भावना सतत रहेगी। केन्द्र व मध्य प्रदेश के विभिन्न मंत्री पदों और पंजाब के राज्यपाल पद पर रहनेवाले सिंह नेहरू-इन्दिरा काल के उन चन्द नेताओं में से एक थे जिनकी धर्मनिरपेक्षता, बहुलतावाद और समाजवाद में अभेद्य आस्था थी। वैश्वीकरण व एकलध्रुवीय व्यवस्था के दबावों के बावजूद सिंह ने राष्ट्रीय सम्प्रभुता को सर्वोच्च प्राथमिकता पर रखा। उन्होंने अपनी प्रतिबद्धताओं की राजनीतिक क़ीमत भी चुकाई।
वे विवादों और उपेक्षाओं के भी शिकार हुए लेकिन अपने संकल्प-पथ से डिगे नहीं। सिंह ने अपनी विफलताओं व उपलब्धियों के साथ अपना जीवन जिया। यह जीवनी चुरहट से दिल्ली तक की यात्रा तय करनेवाले पथिक अर्जुन सिंह के राजनीतिक बसन्त व पतझड़ की यथार्थपरक कहानी है।
ISBN: 9788126719501
Pages: 480
Avg Reading Time: 16 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
Recommended For You
Sifar Se Shikhar Tak
- Author Name:
A. P. Mishra
- Book Type:

-
Description:
अपने चेहरे पर अवध के देहातों की मासूमियत और होंठों पर हर वक़्त एक मेहमाननवाज मुस्कुराहट लिये, आँखों में हमेशा इन्तज़ार के चिराग़ जलाए, दोस्तों के क़दमों पर कान लगाए और कविता तथा शायरी को सीने से लगाए हुए शख़्स का नाम है ए.पी. मिश्र।
'सिफ़र से शिखर तक’ एक ऐसे शख़्स की कहानी है जो अपनी तहज़ीबी विरासत, संस्कारों और जद्दोजहद के बल पर अब एक शख़्सियत बन चुका है।
गाँव की धूप-छाँव ने उनके चेहरे की शरीफ़ाना मासूमियत को बरकरार रखा है। ब्यूटीपार्लर कितनी ही तरक़्क़ी क्यों न कर जाए, लेकिन गाँव का अल्हड़पन और सादा-मिज़ाजी उसका मुक़द्दर नहीं बन सकती।
महात्मा-मिज़ाज शायर अंगद जी महाराज की क़ुरबत और सोहबत ने उन्हें उस मासूम बच्चे जैसा बना दिया, जो कभी कुंभ के मेले में खो जाता है और कभी महाकुंभ में मिल जाता है। लेकिन उस बच्चे के हाथ में खिलौने नहीं होते, उसके हाथों में होती है मीर, कबीर, तुलसी और ग़ालिब की अमानत।
अपनी बेपनाह मसरूफ़ियतों के बावजूद ताज़ादम रहना, पराए ग़मों की चादर ओढ़े हुए मुस्कुराते रहना दुश्वार है, लेकिन ‘सिफ़र से शिखर तक’ के शिल्पकार का यही तो हुनर है कि वह जंगली फूलों से शहर को आबाद करना जानता है। अँधेरे से जंग करते हुए उसे कई दहाइयाँ गुज़र गई हैं, लेकिन आज तक न तो उसके हाथों में कँपकँपाहट है और न चेहरे पर थकान। यूँ तो कुछ लोग किताबें लिखते हैं और कुछ ख़ुद किताब होते हैं। उनके जीवन का हर दिन एक वरक़ होता है और हर बरस एक दास्तान।
ऐसे ही लोगों को दुनिया सूफ़ी, सन्त और कलन्दर मान लेती है। ऐसे लोग दूसरों पर अहसान करके भी आँखें नीची रखते हैं। 'सिफ़र से शिखर तक’ एक सन्त-मिज़ाज की जीवनी है, लेकिन इस जीवनी के ढेर सारे पन्नों में ऐसे बहुत से चेहरे शामिल हैं, जो ए.पी. मिश्र को संजीवनी मान लेते हैं। काश, इसी क़तार में कहीं हम भी खड़े दिखाई दे जाएँ—
तेरे अहसान की ईंटें लगी हैं इस इमारत में,
हमारा घर तेरे घर से कभी ऊँचा नहीं होगा।
—मुनव्वर राना
Kaghazi Hain Pairahan
- Author Name:
Ismat Chugtai
- Book Type:

- Description: उर्दू की विद्रोहिणी लेखिका इस्मत चुग़ताई हिन्दी पाठकों के लिए भी उर्दू जितनी ही आत्मीय रही हैं। भारतीय समाज के रूढ़िवादी जीवन-मूल्यों और घिसी–पिटी परम्पराओं पर इस्मत चुग़ताई ने अपनी कहानियों से जितनी चोट की है और इसे एक अधिक मानवीय समाज बनाने में जितना बड़ा योगदान किया है, उसकी बराबरी कर पानेवाले लोग बिरले ही हैं। पाठकों के मन में सहज ही यह सवाल उठता रहा है कि इतनी पैनी नज़र से अपने परिवेश को टटोलनेवाली और इतने जीते–जागते पात्र रचनेवाली इस लेखिका की ख़ुद अपनी बनावट क्या है, किस प्रक्रिया में उसका निर्माण हुआ है। इस्मत आपा ने शायद अपने पाठकों की इस जिज्ञासा को ध्यान में रखते हुए ही अपनी आत्मकथा ‘काग़ज़ी है पैरहन’ शीर्षक से क़लमबंद की। कहने को ही यह पुस्तक आत्मकथा है। पढ़ने में यह बाक़ायदा उपन्यास और उपन्यास से भी ज़्यादा कुछ है। एक पूरे समय और समाज का इतना जीवन्त, इतना प्रामाणिक वर्णन मुश्किल से ही मिल सकता है। तॉल्स्ताय ने गोर्की के बारे में कहा था कि उनकी कहानियाँ दिलचस्प हैं, लेकिन उनका जीवन और भी दिलचस्प है। यही बात इस्मत चुग़ताई के बारे में भी शब्दश: कही जा सकती है। तीस के दशक में पर्देदार कुलीन मुस्लिम परिवार में एक लड़की के पढ़ने–लिखने में कितनी मुश्किलें आती होंगी, इसकी सहज ही कल्पना की जा सकती है। ये मुश्किलें ‘काग़ज़ी है पैरहन’ की मुख्य कथावस्तु बनी हैं। लेकिन जो पीड़ा ये मुश्किलें एक ज़िद्दी लड़की के भीतर पैदा करती रही होंगी, उसका अन्दाज़ा पाठक को ख़ुद ही लगाना होगा, क्योंकि अपने दु:खों को बयान करना, आत्म–दया दिखाना इस्मत चुग़ताई की फ़ितरत ही नहीं रही है। गद्य की लय क्या होती है, कितनी सहजता से यह लय ज़िन्दगी की घनघोर उलझनों का बयान करा ले जाती है, इसका अप्रतिम उदाहरण यह पुस्तक है। ख़ुद इस्मत आपा के शब्दों में : “लिखते हुए मुझे ऐसा लगता है जैसे पढ़नेवाले मेरे सामने बैठे हैं, उनसे बातें कर रही हूँ और वो सुन रहे हैं। कुछ मेरे हमख़याल हैं, कुछ मोतरिज़ हैं, कुछ मुस्कुरा रहे हैं, कुछ ग़ुस्सा हो रहे हैं। कुछ का वाक़ई जी जल रहा है। अब भी मैं लिखती हूँ तो यही एहसास छाया रहता है कि बातें कर रही हूँ।”
Dr. Bhimrao Ambedkar : Vyaktitva ke Kuchh Pahlu
- Author Name:
Mohan Singh
- Book Type:

- Description: डॉ. भीमराव अम्बेडकर का नाम भारत के परिवर्तनवादी आन्दोलनों के इतिहास में सदैव स्मरणीय रहेगा वे भारत के दलित समाज के उद्धारक तथा पुरुषार्थ के प्रतीक थे भारतीय समाज, जो अनन्त काल से जाति, वर्ण-विभाजन के कारण हज़ारों भागों में विभक्त था, उसके स्वीकरण का जो सराहनीय प्रयास डॉ. अम्बेडकर ने किया, वह भारतीय इतिहास का सुनहरा अध्याय है जाति-प्रथा पर आधारित भारतीय समाज में जन्म-आधारित विषमता थी रोज़ी-रोज़गार में भयंकर अन्तराल था प्रगति के अवसर जन्मना जाति के आधार पर कुछ हिस्सों के लिए विशेष अवसर प्रदान करते थे और बहुसंख्यक वर्ग के लिए आगे बढ़ने के दरवाज़े बन्द थे—द्विजवादी उच्चता के शिकार, अनन्तकाल से जन्म के अभिशाप से अभिशप्त बहुसंख्यक वर्ग को डॉ. अम्बेडकर ने अपने साहसिक नेतृत्व से आगे बढ़ने की अदम्य शक्ति दी डॉ. भीमराव अम्बेडकर के व्यक्तित्व से साक्षात्कार करनेवाली पठनीय पुस्तक
Uttaryogi Shri Arvind
- Author Name:
Shivprasad Singh
- Book Type:

-
Description:
अरविन्द बंगाल की धरती की उपज थे, पर विचारधारा में वे तिलक, दयानन्द आदि के अधिक निकट प्रतीत होते हैं। बंगाल के विषय में स्वभावतः उनके मन में अनुराग था, पर वे जिस प्रकार का ‘मिशन’ लेकर आए थे, उसकी संसिद्धि शायद बंगाल में रहकर नहीं हो सकती थी। वे अनेक रूपों में बंगाली व्यक्तित्व के अतिरेकों से, अर्थात् स्वप्निल भावुकता आदि से बिलकुल अछूते थे। श्री अरविन्द का पांडिचेरी-गमन क्षेत्रीयता की संकुचित सीमाओं के ध्वंस का प्रतीक है।
वे देशकाल में बँधी खंडशः विभक्त मानवता के प्रतिनिधि बनने नहीं, बल्कि परस्पर सहयोग से पृथ्वी पर अवतरित होनेवाले दिव्य जीवन के निदेशक थे, इसलिए उनका प्रत्येक कार्य मनुष्य को विभाजित करनेवाली आसुरी शक्तियों के षड्यंत्र को असफल बनाने के उद्देश्य से परिचालित रहा। श्री अरविन्द ने राजनेता के रूप में ‘पूर्ण स्वराज्य’ की माँग की। श्री गांधी के दक्षिण अफ़्रीका से भारत आगमन के काफ़ी पहले ‘असहयोग आन्दोलन’ का सूत्रपात किया। कलकत्ते के नेशनल कॉलेज के प्रिंसिपल के रूप में एक नई शिक्षा-पद्धति की बात कही। ‘वन्देमातरम्’ और ‘कर्मयोगी’ के सम्पादक के रूप में भारतीय आत्मा को स्पष्ट करनेवाली नई पत्रकारिता का सूत्रपात किया। उग्रपन्थी विचारधारा को स्वीकार करते हुए भी विरोधी के प्रति सदाशय रहने का आग्रह किया। सत्य तो यह है कि स्वतंत्रता-पूर्व भारतीय राजनीति के सभी मूलभूत आदर्श, राष्ट्रीयता, स्वदेशी प्रेम, विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार, जनसंगठन और राष्ट्रीय शिक्षा-प्रणाली का आग्रह जैसे तत्त्व, जो बाद में गांधी जी के नेतृत्व में कांग्रेस के प्रेरणास्रोत बने, श्री अरविन्द के महान् व्यक्तित्व की देन हैं।
जवाहरलाल नेहरू ने ठीक ही लिखा है—“बंग-भंग के विरुद्ध उत्पन्न आन्दोलन ने अपने सभी सिद्धान्त और उद्देश्य श्री अरविन्द से प्राप्त किए और इसने महात्मा गांधी के नेतृत्व में होनेवाले महान आन्दोलनों के लिए आधार तैयार किया।”
The Life and Times of Jayaprakash Narayan
- Author Name:
Pankaj Kishor
- Book Type:

- Description: Among some of the most amazingly inspiring personality is India’s great freedom fighter, Loknayak Jayaprakash Narayan. He is someone who will continue to inspire generations to come as a man who wielded no power or authority, but made the most powerful people bow before him. In fact, the whole world saluted him for his honesty, integrity, compassion and frankness. This biography of Loknayak Jayaprakash Narayan makes interesting reading for the young and the old alike as it awakens our conscience, forcing us into soul-searching as citizens of the world’s most vibrant democracy.
Rameswaram Se Rashtrapati Bhavan Tak
- Author Name:
Dr. Ranjit Kumar Singh
- Book Type:

- Description: यह पुस्तक भारत के राष्ट्रपति के रूप में कलाम के समय पर भी प्रकाश डालती है, एक ऐसी अवधि, जिसके दौरान उन्होंने एक विकसित और समृद्ध भारत के अपने दृष्टिकोण से राष्ट्र को प्रेरित करना जारी रखा। पूरी पुस्तक द्वारा पाठकों को कलाम के व्यक्तित्व, उनके मूल्यों और उनकी मान्यताओं के बारे में अंतर्दृष्टि प्राप्त होती है। यह पुस्तक उन लोगों के व्यापक शोध और साक्षात्कार पर आधारित है, जो कलाम को व्यक्तिगत रूप से जानते थे, जिनमें उनके परिवार, दोस्तों और सहयोगियों को शामिल किया गया था। हमें आशा है कि यह पुस्तक पाठकों को कलाम के पदचिन्हों पर चलने और एक बेहतर, अधिक समृद्ध और अधिक समावेशी भारत बनाने की दिशा में काम करने के लिए प्रेरित करेगी। हम यह भी उम्मीद करते हैं कि यह भारत के महानतम सपूतों में से एक और एक सच्चेदूरदर्शी के लिए उपयुक्त श्रद्धांजलि होगी।
Jag Darshan Ka Mela
- Author Name:
Shivratan Thanvi
- Book Type:

-
Description:
कुछ लेख मेरे पढ़े हुए थे, कई अन्य पहली बार पढ़े और छात्रों को भी दिए (यद्यपि आज के सामान्य छात्रों से यह आशा रखना प्राय: व्यर्थ सिद्ध होता है कि वे ध्यान दे-देकर कोई किताब या लेख पढ़ेंगे)। आप सहज, पारदर्शी गद्य लिखते हैं। कई सवाल इस तरह उठाते हैं कि नया पाठक भी समझ जाए।
—प्रो. कृष्णकुमार
इन दिनों शिक्षा को बृहत्तर आशयों और आदर्शों से काटकर ‘कौशल विकास’ में बदलने का अभियान ज़ोर-शोर से चल रहा है। सरकारी उपक्रम हों या निजी, हर जगह शिक्षा का लक्ष्य यही मान लिया गया है कि वह इनसानों को व्यावसायिक या तकनीकी कौशल में दक्ष ‘मानव-संसाधन’ में रूपान्तरित कर दे। यह ‘कौशल’ नितान्त प्राथमिक धरातल का है या परम जटिल स्तर का, इससे कोई अन्तर नहीं पड़ता। भाषा, साहित्य, कला और मानविकी आदि इन दिनों, इस शक्तिशाली ‘शिक्षा-दर्शन’ की समझ के चलते, शिक्षा जगत में हर स्तर पर जैसे दूसरे दर्जे के नागरिक हैं। ऐसे समय में
शिवरतन जी के लेखों को पढ़ना शिक्षा के वास्तविक आशय, मूल्य-बोध और व्यावहारिक समस्याओं के निजी अनुभवों पर आधारित आकलन से गुज़रना है।—पुरुषोत्तम अग्रवाल
शिक्षा पर लिखनेवाले अधिकतर लोग या तो किसी विचारधारा को टोहते दिखाई देते हैं या आँकड़ों का पुलिंदा खोलकर अच्छी-बुरी तस्वीर उकेरते हुए। शिक्षा पर सिद्धान्तों की कमी नहीं है। इसलिए उस पर लिखनेवाले लोग इनमें से या तो किसी सिद्धान्त के साथ नत्थी हो जाते हैं, या उसके किसी एक पहलू के आँकड़ों को बटोरकर प्रभावित करने की कोशिश करते हैं। ऐसे लोग कम हैं जो तमाम सिद्धान्तों को पचाकर और शिक्षा की नई-नई बहसों को समझकर, लेकिन उनमें बहे बिना, स्वतंत्र होकर सोच सकें। शिवरतन थानवी ऐसे चुनिन्दा लोगों में ही हैं।
—बनवारी
शिक्षक एकबारगी बस हो नहीं जाते हैं, वह होते रहने की एक अन्तहीन और अनवरत प्रक्रिया है। उसके लिए चाहिए ‘प्रयोगशील सत्य’ में यक़ीन, और उसका व्यवहार करने का साहस और कौशल। शिवरतन जी पुरानी काट के शिक्षक हैं; लेकिन यहाँ पुराने का मतलब बीत जाने से, अप्रासंगिक या ग़ैरफ़ैशनेबल होने से नहीं है। उनके निबन्धों में आपको एक उदग्र सजगता मिलेगी, सावधानी और चौकन्नापन। जो कुछ भी नया दिमाग़ सोच रहा है, उससे परिचय की उत्सुकता तो है, लेकिन वे सख़्ती से हर किसी की जाँच करते हैं। ग्रहणशीलता उनका स्वभाव है और वे शिक्षा और समाज के रिश्ते के अलग-अलग पहलू पर विचार करने के लिए जहाँ से मदद मिले, लेने को तैयार हैं। उन्मुक्त रूप से लेने और देने को ही वे शिक्षा मानते हैं।
—अपूर्वानंद
शिवरतन जी पिछले छह दशकों से सक्रिय हैं और लगातार एक विद्यार्थी की निष्ठा से पूरी शिक्षा व्यवस्था को देखते-परखते और उस पर लिखते रहे हैं।...किसी किताब की प्रासंगिकता इस बात में भी होती है कि वह अपने समय के ज्वलन्त प्रश्नों से कितना मुठभेड़ करती है। वह लेखक या शिक्षक ही क्या जो समाज में व्याप्त अन्धविश्वासों, जादू-टोने के ख़िलाफ़ न लिखे; बराबरी, सामाजिक समरसता की बात न कहे।
—प्रेमपाल शर्मा
Aachaarya Badarinath Verma
- Author Name:
Kunal Kumar
- Book Type:

- Description: आचार्य बदरीनाथ वर्मा ऐसे महापुरुष थे, जो अपनी आख़िरी साँस तक राष्ट्र और राष्ट्रभाषा का सौभाग्य सँवारने के लिए सतत समुद्यत और सचेष्ट रहे। गांधी-युग के हिन्दी-सेवी देशभक्तों में बदरी बाबू का स्थान बहुत ऊँचा है। उनका निरहंकार व्यक्तित्व, उनकी सदाशयता, सहृदयता, सादगी और सर्व-हित-कामना सचमुच मनुष्य-जाति के लिए गौरव का विषय है। राष्ट्रीय एकता की उद्बोधिका राष्ट्रभाषा हिन्दी की जो आकार-कल्पना की गई है, बदरी बाबू मनसा-वाचा-कर्मणा उसके मूर्त रूप थे। गांधीवाद के अनन्य आग्रही बदरी बाबू हिन्दी के लिए ही जिए और हिन्दी के लिए ही मरे। वे गहन सात्त्विकता के साधु-पुरुष थे। विकट व्यस्तताओं में भी वे तुलसी के 'रामचरितमानस' और वेदव्यास की 'गीता' के पारायण तथा भक्ति-संगीत के श्रवण का समय निकाल ही लेते थे। संस्कृत, हिन्दी, बांग्ला, उर्दू और अंग्रेज़ी के गम्भीर ज्ञाता बदरी बाबू को सम्पूर्ण 'गीता' कंठस्थ थी। निस्सन्देह, जो कोई भी बदरी बाबू के जीवन-वृत्त का अनुशीलन करेगा, उसे उसमें सरलता, स्वच्छता, सच्चरित्रता, साहस और परम सत्ता के प्रति प्रपन्नता के उदात्त उदहारण उपलब्ध होंगे। जब महापुरुषों की बातें आती हैं, तब हमारा चित्त उनके उन जीवनादर्शों की ओर हठात् उन्मुख हो उठता है, जो मनुष्य के यथार्थ उत्थान के आधारभूत उपादान हैं। उनके वे गुण सामने आ जाते हैं जिनके मनन से लोक-जीवन सार्थक और समुन्नत होने को कटिबद्ध होता है। उनके उन सत्कर्मों के दर्शन होते हैं जो हमारे भीतर साहस, स्वस्थता, शान्ति, प्रकाश, प्राण तथा शक्ति का संचार करते है।
Sant Raidas
- Author Name:
Yogendra Singh
- Book Type:

-
Description:
सन्त रैदास का मध्यकालीन हिन्दी भक्ति साहित्य के सर्वाधिक ख्यातिप्राप्त शीर्ष कवियों में महत्त्वपूर्ण स्थान रहा है। सन्त प्रवर की रचनाओं में जो स्फुट पद, साखियाँ तथा एक प्रबन्धात्मक रचना ‘प्रह्लाद चरित’ उपलब्ध हुए हैं, उन्हें पुस्तक में देने की चेष्टा की गई है।
सन्त रैदास को अपने समय में पर्याप्त सम्मान तथा ख्याति मिली, किन्तु उनका अन्त्यज वर्ग में जन्म लेना उनको लगातार सामाजिक यातना भी देता रहा। उनके जन्म के समय कुछ दन्तकथाएँ प्रचलित करके उनको पूर्व जन्म में ब्राह्मण सिद्ध करने की चेष्टा की गई। यह प्रयास भी उनके मूल कर्तव्य तथा सम्पूर्ण विचारधारा का प्रत्यावर्त्तन ही था। प्रस्तुत ग्रन्थ में लेखक ने इन सम्पूर्ण बिन्दुओं पर विचार प्रस्तुत करते हुए जहाँ सन्त रैदास के साहित्य की समाजेतिहासिक सन्दर्भों में समीक्षा प्रस्तुत की है वहीं इस ग्रन्थ में सन्त रैदास का साहित्यिक दृष्टि से मूल्यांकन भी प्रस्तुत किया है।
सामग्री को संकलित करने में लेखक को विभिन्न मठों, सम्बन्धित सम्प्रदाय के स्थलों, पुस्तकालयों तथा हस्तलिखित प्रतियों के संकलनकर्ताओं से सम्पर्क करना पड़ा और अनेक पाठ–भेद भी मिले। पाठ–भेदों को यथाशक्ति पाद–टिप्पणियों में देने की चेष्टा की गई है। छात्रों, अध्येताओं के लिए एक ज़रूरी पुस्तक।
Jeevan Yauvan
- Author Name:
Anndashankar Roy
- Book Type:

-
Description:
‘जीवन यौवन’ अन्नदाशंकर राय की आत्मस्मृति है। इसमें उनका व्यक्तिचित्र अंकित है। उनकी आशा-आकांक्षा, उनकी चिरन्तन नारी को खोजने की प्यास, उनकी सत्य को पाने की ललक, प्रशासनिक कामों में व्यस्त रहने के बाद भी अपनी लेखकीय सत्ता को बनाए रखने की प्रवृत्ति, उनका बचपन, उनकी छात्रावस्था, पढ़ने की निरन्तर ललक, अपनी भाषा की खोज, उसके लिए अपने पूर्वपुरुषों और समकालीन साहित्यिक दाय को आत्मसात् करने का प्रयास, निरन्तर प्रश्नाकुलता, जिज्ञासाएँ, उनके दिगन्तरों की खोज—ये
सब दिशाएँ उनके इस ‘जीवन यौवन’ का आधार बनी हैं।
इसमें लेखक ने अपनी सत्ता को, अपनी निजता को खोला है। इसमें ‘पथे-प्रवासे’ भी है और चिरन्तन पथ भी है, पथिक भी है, उसकी चिर-यात्रा भी है, जीवन भी है, जीवन को पार करता दूसरा छोर भी है। सरला की ओर उनका खिंचाव, प्रायः उसे नित्य पत्र लिखना, इसी पत्राचार के क्रम में उनकी गद्यभाषा में निखार आना, फिर और एक विदेशिनी के साथ लम्बे-लम्बे प्रवास, यूरोप को निकट से जानना, उन प्रश्नों को, जिज्ञासाओं को जिनसे यूरोप परिचालित हो रहा है—इन सब तरंगाघातों को इस पुस्तक में देखा जा सकता है।
सत्य और स्वप्न के आकर्षण-विकर्षण से ही अन्नदाशंकर राय के व्यक्तित्व का निर्माण हुआ है जिसकी बहुविध झाँकी इस पुस्तक में मिलती है।
Sangharsh Ka Sukh
- Author Name:
Abhishek Saurabh
- Book Type:

-
Description:
‘संघर्ष का सुख’ प्रेरक और कर्मठ व्यक्तित्व के धनी उदय शंकर अवस्थी के उदात्त जीवन का प्रामाणिक लेखा है जिन्हें दुनिया उर्वरक क्षेत्र की सबसे बड़ी सहकारी संस्था इफको के प्रबन्ध निदेशक और सीईओ के रूप में अधिक जानती है। पुस्तक से गुज़रते हुए अवस्थी का जो व्यक्तित्व सामने आता है उसमें साधारण की असाधारणता और असाधारण की सादगी का दुर्लभ संयोग सहज ही लक्षित किया जा सकता है।
उनके जीवन के खट्टे-मीठे अनुभवों के साथ-साथ उर्वरक उद्योग की प्रौद्योगिकी और प्रबंधन कौशल की बारीकियों के ब्योरे पुस्तक को एक व्यापक परिप्रेक्ष्य प्रदान करते हैं। इसमें सार्वजनिक, सहकारी और निजी क्षेत्र की कार्यप्रणाली, उनके अन्तर्सम्बन्ध और अन्तर्विरोध सहित प्रबंधन के विविध पहलू शामिल हैं। अपने बहुआयामी अनुभव तथा अन्तरराष्ट्रीय वाणिज्य और व्यापार की गहरी समझ के साथ किस प्रकार अवस्थी इफको को एक छोटी सहकारी समिति से वैश्विक कारोबारी समूह में परिवर्तित करने में कामयाब हुए, इसकी पूरी कहानी पुस्तक में विस्तार से दी गई है। अपने दूरदर्शी नेतृत्व में अवस्थी ने इफको के कारोबार का विविधीकरण करते हुए देश और देश से बाहर अत्याधुनिक उर्वरक संयंत्रों की स्थापना से लेकर नैनो यूरिया और नैनो डीएपी जैसे क्रांतिकारी उर्वरक विकसित कर विश्व मंच पर भारत और भारतीय सहकारिता का परचम लहराया है।
उत्तर प्रदेश के एक छोटे-से गाँव से निकला एक बालक आरंभिक दौर से ही जीवन की जटिलताओं और संघर्षों के बीच से सर्जनात्मक ऊर्जा अर्जित करता हुआ कामयाबी के नित नए-नए कीर्तिमान स्थापित करता है। इस अर्थ में अवस्थी एक प्रेरणास्रोत बनकर सामने आते हैं। देश के किसानों को सशक्त और समृद्ध बनाने के उद्देश्य से अत्याधुनिक प्रौद्योगिकीयुक्त नूतन और नवोन्मेषी उत्पाद विकसित करने की अवस्थी की इच्छा और क्षमता उन्हें ‘जनता का सीईओ’ बनाती है।
यह पुस्तक अवस्थी के साथ-साथ इफको के विकास की भी कहानी है। सही मायने में वे इफको की सफलता के सूत्रधार हैं।
Chaitanya Mahaprabhu
- Author Name:
Amritlal Nagar
- Book Type:

-
Description:
चैतन्य महाप्रभु का आविर्भाव वैष्णव धर्म के विकास में एक चमत्कारी घटना है। एक गहरे आवेश और भावनात्मकता के साथ सारे जनसामान्य तक वैष्णव धर्म को पहुँचाने का काम पहले बंगाल में और बाद में सम्पूर्ण देश में, चैतन्य महाप्रभु ने किया। मधुर भाव की नाम–संकीर्तन पद्धति चैतन्य की देन है। इसी के साथ वैष्णव धर्म ने एक नए युग में प्रवेश किया। प्रस्तुत पुस्तक में पहली बार चैतन्य के व्यक्तित्व के इस योगदान को सम्पूर्णता के साथ उजागर किया गया है।
लेकिन इस पुस्तक का उद्देश्य मात्र इतना ही नहीं है। विद्वान लेखक ने चैतन्य के व्यक्तित्व को तत्कालीन राजनैतिक परिस्थितियों में भी रखकर देखा है। अपने समय के इतिहास में चैतन्य का व्यक्तित्व एक चुनौती की तरह उभरा और पराजित हिन्दू जाति को एक नई आस्था और नए आलोक से संयुक्त करने का काम भी चैतन्य ने किया।
उपन्यासकार नागर जी की लेखनी से प्रस्तुत चैतन्य की यह जीवनी पढ़ने पर एक उपन्यास का मज़ा तो देती है, साथ ही वैष्णव धर्म के उदार पथ के विकास में उनका महत्त्वपूर्ण और अद्वितीय योगदान भी सामने लाती है।
Auron Ke Bahane
- Author Name:
Rajendra Yadav
- Book Type:

-
Description:
यदि डॉ. रामविलास शर्मा के एक वाक्य का संशोधित इस्तेमाल करें तो कह सकते हैं, ‘राजेन्द्र यादव सीमित अर्थ में साहित्यकार न थे। अपने लम्बे रचनात्मक जीवन में राजेन्द्र यादव ने कहानी व उपन्यास के अतिरिक्त अन्य विधाओं में भी अपनी छाप छोड़ी। विमर्श, आलोचना, संस्मरण आदि के क्ष्रेत्र में उनकी मौलिकता का अनुभव किया जा सकता है।
‘औरों के बहाने’ संस्मरण और संश्लेषण की पुस्तक है। रांगेय राघव, अश्क, कृष्णा सोबती, कमलेश्वर, मन्नू भंडारी, अमरकान्त, पदमसिंह शर्मा कमलेश, ओमप्रकाश जी पर राजेन्द्र यादव के संस्मरण हैं। प्रेमचन्द व काफ़्का की आत्मीय चर्चा हैं। चेख़व का ऐसा काल्पनिक साक्षात्कार है, जिसको पढ़कर चेख़व के व्यक्तित्व-कृतित्व को देखने की दृष्टि बदल जाती है। पुस्तक में एक विशेष आलेख है ‘डार्करूम में बन्द आदमी : राजेन्द्र यादव’। इसे राजेन्द्र यादव की पत्नी और सुप्रतिष्ठित कथाकार मन्नू भंडारी ने ‘आलोचनात्मक आत्मीयता’ के साथ लिखा है।
‘औरों के बहाने’ की पृष्ठभूमि स्पष्ट करते हुए राजेन्द्र यादव ने लिखा है, “मेरी चेतना और मानसिकता के हिस्से बनकर भी कुछ लोग बढ़े और उगे हैं, कुछ समकालीनता की नियति से बँधे हैं और कुछ को देशकाल की सरहदों से खींचकर मैंने अपने बोध का हिस्सा बनाया है। वे भी मेरे अपने ‘होने’ के साथ ही हैं। इन सबको ‘देखना’ मुझे ‘आत्मसाक्षात्कार’ का ही एक आयाम लगता है।”
संस्मरण, विश्लेषण और संश्लेषण की एक अनूठी पुस्तक।
Kisne Mera Bhagya Likha
- Author Name:
Sushil Kumar Shinde
- Book Type:

-
Description:
यह केवल किताब नहीं है, हीरों का पुंज है। जितना आप कसोगे, उतना ही ये खरा उतरेगा।
— वाई.एस. राजशेखर रेड्डी (पूर्व मुख्यमंत्री, आन्ध्र प्रदेश)
यह अवरोध के ख़िलाफ़ शिंदे की लगातार लड़ने की जीवनगाथा है। कठिन और विषम परिस्थितियों में भी अपने आपको आगे ले जाने का उनका आशावादी दृष्टिकोण यहाँ दिखाई देता है।
—‘द हिन्दू’, दैनिक समाचार-पत्र
एक राष्ट्रीय नायक की यह जुझारू जीवनगाथा है, जिसको पढ़ने से हर एक को आगे बढ़ने की अदम्य इच्छा स्वतः ही प्राप्त होती है। शिंदे का यह व्यक्तित्व भारत के हर ग़रीब के व्यक्तित्व का प्रतिनिधित्व करता है। किन्तु सब लाचार और ग़रीब बच्चे शिंदे की ऊँचाई तक उड़ नहीं पाते। लेकिन यह पुस्तक पढ़ने के बाद उनमें इस ऊँचाई तक उड़ने की अदम्य इच्छा जाग्रत् होती है।
—आर.आर. गिरीश कुमार (आई.पी.एस. डायरेक्टर जनरल ऑफ़ पुलिस, आन्ध्र प्रदेश)
Goswami Tulsidas Ki Jiwangatha
- Author Name:
Yogendra Pratap Singh
- Book Type:

-
Description:
गोस्वामी तुलसीदास का जीवन-चरित प्राय: उनके जीवनकाल से ही लिखा जाता रहा है। इसमें सन्देह नहीं कि उन्होंने अपनी दीर्घायु के बीच पर्याप्त ख्याति अर्जित कर ली थी और मुग़ल सम्राट अकबर, राजा मानसिंह, अछल रहीम खानखाना, मीराँबाई, राजा टोडर आदि ने उनकी श्रीरामभक्ति के प्रति पर्याप्त श्रद्धा और सम्मान अर्पित किया था। साहित्य की परम्परा में उनकी कालजयी कृति श्रीरामचरितमानस की चर्चा भक्ति एवं रीतिकाल से ही बराबर होती चली रही है।
गोस्वामी तुलसीदास की जीवनगाथा की मूल समस्या है कि इन पाँच सौ वर्षों के अवशेषों में बाबा को कहाँ खोजा जाए? यहाँ बाबा तुलसीदास की खोज का आधार उनकी कृतियाँ तथा पाठ हैं। प्रत्येक सर्जक अपनी कृति के पाठ में वर्ण से लेकर उसकी समग्र प्रबन्ध रचना तक व्याप्त रहता है—कण-कण में व्याप्त निर्गुण ब्रह्म की भाँति। साधक के लिए, अणु-अणु में व्याप्त ब्रह्म से आत्मसाक्षात्कार करके, उसे समाधि चित्त में उतारना बड़ी दुर्लभ समस्या है। ठीक उसी प्रकार, तुलसी की कृतियों में सर्वत्र व्याप्त महात्मा तुलसीदास का आत्मसाक्षात्कार करके उन्हें स्वानुभूति एवं सृजन के स्तर पर उतारना लेखक की वर्षपर्यन्त तक की चेष्टा रही है। इसे औपन्यासिक कृति का रूप देने के लिए ‘क्वचिदन्यतोपुपि’ का भी उसे आधार लेना पड़ा है—किन्तु चेष्टा यही रही है कि कृतियों का सृजन करके उन्हीं में विलीन गोस्वामी तुलसीदास को शब्दों से कैसे रेखांकित किया जाए। जो बन पड़ा, वह सामने है।
इस कृति के प्रकाशन में आर्थिक सहायता प्रदान करने के लिए अयोध्या शोध-संस्थान, अयोध्या-फ़ैज़ाबाद के निदेशक डॉ. योगेन्द्र प्रताप सिंह तथा रजिस्ट्रीकरण अधिकारी व विशेष कार्याधिकारी डी.ए.पी. गौड़ का प्रकाशक हृदय से आभार व्यक्त करता है।
Aaine Ke Samne
- Author Name:
Atia Dawood
- Book Type:

-
Description:
अतिया दाउद पाकिस्तान की मशहूर लेखिका एवं एक्टिविस्ट हैं और यह किताब ‘आईने के सामने’ उनकी आपबीती है।
सच है कि ज़िन्दगी गुज़ारने से ज़्यादा तकलीफ़देह गुज़री हुई ज़िन्दगी को दोहराना होता है। स्वयं अतिया के शब्दों में—‘‘वो सब लिखते ही उसके बारे में सोचने में ख़ुद अपने जिस्म से निकलकर माज़ी के उस मंज़र में आकर ठहर जाती थी।...हर अज़ीयतनाक मंज़र इसी तरह से मुझ पर बीता फिर से...और मैं फूट-फूटकर रोई हूँ, तड़पी हूँ, जुदाई की आग में जली हूँ।’’
यह किताब गाँव की उस छोटी-सी बच्ची की कहानी है जो फ़क़ीरों और भिखारियों की मदद करने के लिए धूप में धूल के पीछे भागती है और जिसे उस मासूम उम्र में ही सुनना पड़ता है—‘‘मेरी मासूम यतीम बेटी, अपने बाप की शक्ल आख़िरी बार देख लो।’’ जो कम उम्र में ही अपनी माँ की ममता से भी महरूम हो जाती है लेकिन ज़िन्दगी चलती रहती है और कहानी जारी रहती है। यह किताब उस औरत की कहानी है जो पारम्परिक, दकियानूसी और ख़स्ताहाल समाज में जन्म लेती है और क़दम-क़दम पर ठोकरें खाती हुई गिरती-सँभलती अपनी मर्ज़ी से अपनी ज़िन्दगी जीने का फ़ैसला लेती है।
बचपन की मस्ती, खेल, भाई-बहन, ख़ानदान, शिक्षा-दीक्षा, नौकरी, मोहब्बत और निकाह, अदबी संगत, एक्टिविस्टिक गतिविधियाँ और डब्ल्यू.ए.एफ़. से वाबस्तगी आदि की कई संवेदनशील यादें इस किताब में क़लमबंद हैं। दरअसल यादों का एक बड़ा क़ब्रिस्तान है यहाँ और बहुत सन्नाटा है, गूँजता हुआ। यादों की क़ब्रें हद्देनज़र तक फैली हुई हैं और अतिया की झोली में ढेर सारे फूल हैं और यह वाजिब चिंता भी कि कट्टरपंथियों के वहशी दौर में एक बच्ची को आसानी से अपना जीवन जीने का हौसला रखनेवाली औरत बनने के लिए कितना दर्द सहना पड़ेगा एवं कितना दौड़ना पड़ेगा और यह दुआ भी कि ये लड़की, काश, कभी मंज़र से ओझल हो।
Paigambar Hazrat Muhammad : Jivan Aur Mission
- Author Name:
Iqbal Ahmed
- Book Type:

- Description: अत्यन्त हर्ष का विषय है कि डॉ. इक़बाल अहमद ने ‘पैग़म्बर हजरत मुहम्मद (सल्ल.) : जीवन और मिशन’ शीर्षक से एक संक्षिप्त मगर अत्यन्त रोचक पुस्तक हिन्दी भाषा में लिखकर सराहनीय कार्य किया है। डॉ. इक़बाल ने इस पुस्तक में इस बात का विशेष ध्यान रखा है कि हजरत मुहम्मद (सल्ल.) के जीवन का कोई पहलू छूट न जाए तथा तत्कालीन इस्लाम धर्म की सामाजिक व्यवस्था का चित्रण भली प्रकार हो सके।
Smritiyon ke Indradhanush
- Author Name:
Sharda Shukla
- Book Type:

- Description: अतीत बड़ा सम्मोहक होता है, और अगर अतीत की यादें अपने पिता की हों तो वह उनकी उंगली पकड़कर गुजरे वक्त को दोबारा जीने जैसा होता है। इस पुस्तक पर काम करते हुए मैंने कुछ ऐसा ही अनुभव किया। हर एक संस्मरण के साथ अनेक छोटी-बड़ी कहानियाँ मेरे आगे परत-दर-परत खुलती चली गईं। इन कहानियों से जुड़े पात्र मेरे जेहन में अनायास ही जीवंत हो उठते। इनके जरिए मैंने उस कालखंड को जिया, उस वक्त के इतिहास, भूगोल, सामाजिक परिदृश्य और राजनीति को समझा। वैसे तो प्रत्येक व्यक्ति का जीवन एक उपन्यास की तरह होता है, जिसका हीरो वह स्वयं होता है। शेष सभी रिश्ते-नाते सहायक पात्रों की तरह आते और जाते रहते हैं। मेरे इस चरितात्मक उपन्यास के हीरो मेरे पापा हैं। हीरो भले ही एक हों पर नजरिए दो हैं। वो जो उन्होंने बताया या लिखा, दूसरा वो जो मैंने समझा या पाया। इस तरह यह पुस्तक एक सह प्रयास भी है। (इसी पुस्तक से)
Bhimrao Ambedkar : Ek Jeevani
- Author Name:
Christophe Jaffrelot
- Book Type:

-
Description:
भीमराव आंबेडकर हिन्दुओं में पहले दलित या निम्न जाति नेता थे जिन्होंने पश्चिम जाकर पीएच-डी. जैसे सर्वोच्च स्तर तक की औपचारिक शिक्षा हासिल की थी। अपनी इस अभूतपूर्व उपलब्धि के बावजूद वह अपनी जड़ों से जुड़े रहे और तमाम उम्र दलित अधिकारों के लिए लड़ते रहे। भारत के सबसे प्रखर और अग्रणी दलित नेता के रूप में आंबेडकर का स्थान निर्विवाद है। निम्न जातियों को एक अलग औपचारिक और क़ानूनी पहचान दिलाने के लिए आंबेडकर सालों तक भारत के सवर्ण हिन्दू वर्चस्व वाले समूचे राजनीतिक प्रतिष्ठान से अकेले लोहा लेते रहे। स्वतंत्र भारत की पहली केन्द्र सरकार में आंबेडकर को क़ानून मंत्री और संविधान का प्रारूप तैयार करनेवाली समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। इन पदों पर रहते हुए उन्हें भारतीय राजनय पर गांधीवादी प्रभावों पर अंकुश लगाने में उल्लेखनीय सफलता मिली।
क्रिस्तोफ़ जाफ़्रलो ने उनके जीवन को समझने के लिए तीन सबसे महत्त्वपूर्ण पहलुओं पर प्रकाश डाला है : एक समाज वैज्ञानिक के रूप में आंबेडकर; एक राजनेता और राजनीतिज्ञ के रूप में आंबेडकर; तथा सवर्ण हिन्दुत्व के विरोधी एवं बौद्धधर्म के एक अनुयायी व प्रचारक के रूप मे आंबेडकर।
Stephen Hawking : Anant-Yatri
- Author Name:
Chandramani Singh
- Book Type:

- Description: ‘स्टीफेन हॉकिंग : अनन्त-यात्री’ महान वैज्ञानिक स्टीफेन हॉकिंग का वैज्ञानिक जीवनवृत्त है जिसमें उनकी वैज्ञानिक उपलब्धियों के साथ-साथ उनके जीवन के छुए-अनछुए पहलुओं की चर्चा की गयी है। अपने परिजनों एवं समाज के प्रति उनकी संवेदनशीलता एवं सम्पूर्ण मानवता की रक्षा के लिए दिये गये उनके सुझावों की संजीदगी उन्हें अन्य से पृथक कर महानतम बना देती है और ऐसे लोग कभी-कभी इस धरती पर जन्म लेते हैं।
Customer Reviews
0 out of 5
Book
Be the first to write a review...