Vivekanand Tum Laut Aao
Author:
Shubhangi BhadbhadePublisher:
Prabhat PrakashanLanguage:
HindiCategory:
Biographies-and-autobiographies0 Reviews
Price: ₹ 200
₹
250
Available
सरयू नदी के किनारे बैठे हुए विवेकानंद को सभी का स्मरण हो आया। उन्होंने सोचा; कुछ भी हो; अब प्रत्येक स्थान पर मुझे गुरु-महिमा बखाननी ही चाहिए। उसके बिना मैं अधूरा हूँ।
• ‘गुरु—जो संपूर्ण जीवन को पूर्ण ईश्वर तक ले जाता है।’
• ‘गुरु—सकल ज्ञान का; सिद्धि का और इस जन्म का मोक्षदाता।’
• ‘गुरु—स्नेह का सागर; अपरंपार करुणा का आगर।’
• ‘गुरु एक ऐसी कड़ी है; जो आत्मा-परमात्मा को जोड़ती है।’
• ‘गुरु—शुद्ध; सात्त्विक; संयमी; मधुर भाषी व हितैषी भी।’
—इसी पुस्तक से
भारत के आध्यात्मिक व सांस्कृतिक आकाश के सबसे जाज्वल्यमान नक्षत्र स्वामी विवेकानंद का जीवन यद्यपि अल्पायु था; पर अपनी प्रखर वाणी और विचारों के कारण वे भारतीय जनमानस के मन-मस्तिष्क पर गहरे से अंकित हैं। आज की सामाजिक स्थिति में उनकी अंतर्दृष्टि जितनी आवश्यक है उतनी शायद पहले नहीं थी। इसलिए लेखिका ने इस उपन्यास के माध्यम से आह्वान किया है कि भारत के पुनरुत्थान के लिए ‘विवेकानंद; तुम लौट आओ’।
Reconnect with the Wisdom of Swami Vivekananda in 'Vivekanand Tum Laut Aao' by Shubhangi Bhadbhade
Embark on a spiritual journey and rediscover the timeless teachings of Swami Vivekananda in 'Vivekanand Tum Laut Aao' by Shubhangi Bhadbhade. This profound work not only pays homage to the revered spiritual leader but also invites readers to reconnect with his wisdom, bringing forth insights that resonate with the challenges of the contemporary world.
Rekindle the Essence of Swami Vivekananda's Teachings
'Vivekanand Tum Laut Aao' serves as a spiritual beacon, guiding readers back to the teachings of Swami Vivekananda. Shubhangi Bhadbhade skillfully captures the essence of Vivekananda's philosophy, offering a modern perspective on timeless wisdom. As you delve into the pages, you'll find yourself immersed in a journey of self-discovery and spiritual awakening.
Bhadbhade's narrative not only recounts Vivekananda's life but also contextualizes his teachings, making them relevant to the challenges and aspirations of today. Whether you are a spiritual seeker or someone seeking inspiration for personal growth, this book provides a roadmap to navigate the complexities of life through Vivekananda's profound insights.
Experience the Resonance of Vivekananda's Message
'Vivekanand Tum Laut Aao' goes beyond being a mere biography; it is a call to embrace Swami Vivekananda's timeless message. Bhadbhade's writing style ensures that readers resonate deeply with Vivekananda's thoughts and principles. The book serves as a bridge between the past and the present, inviting readers to apply Vivekananda's wisdom in their daily lives.
More than just a literary work, this book becomes a companion on your spiritual journey, offering solace, guidance, and a renewed sense of purpose. Bhadbhade's dedication to Vivekananda's legacy ensures that readers not only understand his teachings but also internalize them for personal transformation.
Why 'Vivekanand Tum Laut Aao' Is a Must-Read Spiritual Guide:
Timeless Wisdom: Reconnect with the timeless wisdom of Swami Vivekananda, presented with clarity and relevance by Shubhangi Bhadbhade.
Modern Perspective: This course explores Vivekananda's teachings in a contemporary context, making them accessible and applicable to today's challenges.
Spiritual Awakening: Immerse yourself in a journey of self-discovery and spiritual awakening, guided by Swami Vivekananda's profound insights.
Don't miss the opportunity to reconnect with the spiritual legacy of Swami Vivekananda. Let 'Vivekanand Tum Laut Aao' be your guide to rediscovering timeless wisdom. Secure your copy now and embrace the transformative teachings that continue to inspire and uplift souls.
ISBN: 9789350482995
Pages: 272
Avg Reading Time: 9 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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कुछ लेख मेरे पढ़े हुए थे, कई अन्य पहली बार पढ़े और छात्रों को भी दिए (यद्यपि आज के सामान्य छात्रों से यह आशा रखना प्राय: व्यर्थ सिद्ध होता है कि वे ध्यान दे-देकर कोई किताब या लेख पढ़ेंगे)। आप सहज, पारदर्शी गद्य लिखते हैं। कई सवाल इस तरह उठाते हैं कि नया पाठक भी समझ जाए।
—प्रो. कृष्णकुमार
इन दिनों शिक्षा को बृहत्तर आशयों और आदर्शों से काटकर ‘कौशल विकास’ में बदलने का अभियान ज़ोर-शोर से चल रहा है। सरकारी उपक्रम हों या निजी, हर जगह शिक्षा का लक्ष्य यही मान लिया गया है कि वह इनसानों को व्यावसायिक या तकनीकी कौशल में दक्ष ‘मानव-संसाधन’ में रूपान्तरित कर दे। यह ‘कौशल’ नितान्त प्राथमिक धरातल का है या परम जटिल स्तर का, इससे कोई अन्तर नहीं पड़ता। भाषा, साहित्य, कला और मानविकी आदि इन दिनों, इस शक्तिशाली ‘शिक्षा-दर्शन’ की समझ के चलते, शिक्षा जगत में हर स्तर पर जैसे दूसरे दर्जे के नागरिक हैं। ऐसे समय में
शिवरतन जी के लेखों को पढ़ना शिक्षा के वास्तविक आशय, मूल्य-बोध और व्यावहारिक समस्याओं के निजी अनुभवों पर आधारित आकलन से गुज़रना है।—पुरुषोत्तम अग्रवाल
शिक्षा पर लिखनेवाले अधिकतर लोग या तो किसी विचारधारा को टोहते दिखाई देते हैं या आँकड़ों का पुलिंदा खोलकर अच्छी-बुरी तस्वीर उकेरते हुए। शिक्षा पर सिद्धान्तों की कमी नहीं है। इसलिए उस पर लिखनेवाले लोग इनमें से या तो किसी सिद्धान्त के साथ नत्थी हो जाते हैं, या उसके किसी एक पहलू के आँकड़ों को बटोरकर प्रभावित करने की कोशिश करते हैं। ऐसे लोग कम हैं जो तमाम सिद्धान्तों को पचाकर और शिक्षा की नई-नई बहसों को समझकर, लेकिन उनमें बहे बिना, स्वतंत्र होकर सोच सकें। शिवरतन थानवी ऐसे चुनिन्दा लोगों में ही हैं।
—बनवारी
शिक्षक एकबारगी बस हो नहीं जाते हैं, वह होते रहने की एक अन्तहीन और अनवरत प्रक्रिया है। उसके लिए चाहिए ‘प्रयोगशील सत्य’ में यक़ीन, और उसका व्यवहार करने का साहस और कौशल। शिवरतन जी पुरानी काट के शिक्षक हैं; लेकिन यहाँ पुराने का मतलब बीत जाने से, अप्रासंगिक या ग़ैरफ़ैशनेबल होने से नहीं है। उनके निबन्धों में आपको एक उदग्र सजगता मिलेगी, सावधानी और चौकन्नापन। जो कुछ भी नया दिमाग़ सोच रहा है, उससे परिचय की उत्सुकता तो है, लेकिन वे सख़्ती से हर किसी की जाँच करते हैं। ग्रहणशीलता उनका स्वभाव है और वे शिक्षा और समाज के रिश्ते के अलग-अलग पहलू पर विचार करने के लिए जहाँ से मदद मिले, लेने को तैयार हैं। उन्मुक्त रूप से लेने और देने को ही वे शिक्षा मानते हैं।
—अपूर्वानंद
शिवरतन जी पिछले छह दशकों से सक्रिय हैं और लगातार एक विद्यार्थी की निष्ठा से पूरी शिक्षा व्यवस्था को देखते-परखते और उस पर लिखते रहे हैं।...किसी किताब की प्रासंगिकता इस बात में भी होती है कि वह अपने समय के ज्वलन्त प्रश्नों से कितना मुठभेड़ करती है। वह लेखक या शिक्षक ही क्या जो समाज में व्याप्त अन्धविश्वासों, जादू-टोने के ख़िलाफ़ न लिखे; बराबरी, सामाजिक समरसता की बात न कहे।
—प्रेमपाल शर्मा
Sunhu Tat Yah Akath Kahani
- Author Name:
Shivani
- Book Type:

-
Description:
कथाकार और उपन्यासकार के रूप में शिवानी की लेखनी ने स्तरीयता और लोकप्रियता की खाई को पाटते हुए एक नई ज़मीन बनाई थी, जहाँ हर वर्ग और हर रुचि के पाठक सहज भाव से विचरण कर सकते थे। उन्होंने मानवीय संवेदनाओं और सम्बन्धगत भावनाओं की इतने बारीक और महीन ढंग से पुनर्रचना की कि वे अपने समय में सबसे ज़्यादा पढ़े जानेवाले लेखकों में एक होकर रहीं।
कहानी, उपन्यास के अलावा शिवानी ने संस्मरण और रेखाचित्र आदि विधाओं में भी बराबर लेखन किया। अपने सम्पर्क में आए व्यक्तियों को उन्होंने क़रीब से देखा, कभी लेखक की निगाह से तो कभी मनुष्य की निगाह से, और इस तरह उनके भरे-पूरे चित्रों को शब्दों में उकेरा और कलाकृति बना दिया।
इस पुस्तक में शिवानी की आत्मवृत्तात्मक ‘सुनहु तात यह अकथ कहानी’ और ‘सोने दे’ शीर्षक के लेख शामिल हैं। आशा है, शिवानी के कथा-साहित्य के पाठकों को उनकी ये रचनाएँ भी पसन्द आएँगी।
Nicolaus Copernicus
- Author Name:
Vinod Kumar Mishra
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- Description: "19 फरवरी, 1473 को पोलैंड में जनमे निकोलस कोपरनिकस यूरोपिय खगोलशास्त्री व गणितज्ञ थे। उन्होंने यह क्रांतिकारी सूत्र दिया था कि पृथ्वी अंतरिक्ष के केंद्र में नहीं है। 1530 में कोपरनिकस की पुस्तक ‘डी रिवोलूशन्स’ प्रकाशित हुई, जिसमें बताया गया है कि पृथ्वी अपने अक्ष पर घूमती हुई एक दिन में चक्कर पूरा करती है और एक साल में सूर्य का चक्कर पूरा करती है। कोपरनिकस ने तारों की स्थिति ज्ञात करने के लिए प्रूटेनिक टेबिल्स की रचना की, जो अन्य खगोलविदों के बीच काफी लोकप्रिय हुई। खगोलशास्त्री होने के साथ-साथ कोपरनिकस गणितज्ञ, चिकित्सक, अनुवादक, कलाकार, न्यायाधीश, गवर्नर, सैन्य नेता और अर्थशास्त्री भी थे। उन्होंने मुद्रा पर शोध कर ग्रेशम के प्रसिद्ध नियम को स्थापित किया, जिसके अनुसार खराब मुद्रा अच्छी मुद्रा को चलन से बाहर कर देती है। कोपरनिकस के अंतरिक्ष के बारे में सात नियम बड़े प्रसिद्ध हैं। वह घंटों नंगी आँखों से अंतरिक्ष को निहारते रहते थे और गणितीय गणनाओं द्वारा सही निष्कर्ष प्राप्त करने की कोशिश करते रहते थे। 24 मई, 1543 को इस महान् खगोलविज्ञानी का निधन हो गया। "
Kisne Mera Bhagya Likha
- Author Name:
Sushil Kumar Shinde
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Description:
यह केवल किताब नहीं है, हीरों का पुंज है। जितना आप कसोगे, उतना ही ये खरा उतरेगा।
— वाई.एस. राजशेखर रेड्डी (पूर्व मुख्यमंत्री, आन्ध्र प्रदेश)
यह अवरोध के ख़िलाफ़ शिंदे की लगातार लड़ने की जीवनगाथा है। कठिन और विषम परिस्थितियों में भी अपने आपको आगे ले जाने का उनका आशावादी दृष्टिकोण यहाँ दिखाई देता है।
—‘द हिन्दू’, दैनिक समाचार-पत्र
एक राष्ट्रीय नायक की यह जुझारू जीवनगाथा है, जिसको पढ़ने से हर एक को आगे बढ़ने की अदम्य इच्छा स्वतः ही प्राप्त होती है। शिंदे का यह व्यक्तित्व भारत के हर ग़रीब के व्यक्तित्व का प्रतिनिधित्व करता है। किन्तु सब लाचार और ग़रीब बच्चे शिंदे की ऊँचाई तक उड़ नहीं पाते। लेकिन यह पुस्तक पढ़ने के बाद उनमें इस ऊँचाई तक उड़ने की अदम्य इच्छा जाग्रत् होती है।
—आर.आर. गिरीश कुमार (आई.पी.एस. डायरेक्टर जनरल ऑफ़ पुलिस, आन्ध्र प्रदेश)
Kal Ke Hastakshar
- Author Name:
Shivani
- Book Type:

- Description: कथाकार और उपन्यासकार के रूप में शिवानी की लेखनी ने स्तरीयता और लोकप्रियता की खाई को पाटते हुए एक नई जमीन बनाई थी जहाँ हर वर्ग और हर रुचि के पठक सहज भाव से विचरण कर सकते थे। उन्होंने मानवीय संवेदनाओं और सम्बन्धगत भावनाओं की इतने बारीक और महीन ढंग से पुनर्रचना की कि वे अपने समय में सबसे ज्यादा पढ़े जानेवाले लेखकों में एक होकर रहीं। कहानी, उपन्यास के अलावा शिवानी ने संस्मरण और रेखाचित्र आदि विधाओं में भी बराबर लेखन कियाक। अपने संपर्क में आए व्यक्तियों को उन्होंने करीब से देखा, कभी लेखक की निगाह से तो कभी मनुष्य की निगाह से, और इस तरह उनके भूरे-पूरे चित्रों को शब्दों में उकेरा और कलाकृति बना दिया। इस पुस्तक में कोयलिया मत कर पुकार, बांधीश ना आर मायार डोरे, ताजमहल, अमरूद या भाभी ललिता, काल के हस्ताक्षर, सीमन्तेर सिन्दूर, एक अनाघ्रात पुष्प, आपबीती, कीर्ति-स्तम्भ, बिन्नू, आमि जे बनलता, भूली कहाँ हूँ, शुचि स्मिता, अरुंधती सुशीला, वह जीवन-भर कविता ही तो लिखती रही आदि रचनाएँ शामिल हैं। आशा है, शिवानी के कथा-साहित्य के पाठकों की उनकी ये रचनाएँ भी पसंद आएँगी।
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