Bhimrao Ambedkar : Ek Jeevani
Author:
Christophe JaffrelotPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Biographies-and-autobiographies0 Reviews
Price: ₹ 239.2
₹
299
Available
भीमराव आंबेडकर हिन्दुओं में पहले दलित या निम्न जाति नेता थे जिन्होंने पश्चिम जाकर पीएच-डी. जैसे सर्वोच्च स्तर तक की औपचारिक शिक्षा हासिल की थी। अपनी इस अभूतपूर्व उपलब्धि के बावजूद वह अपनी जड़ों से जुड़े रहे और तमाम उम्र दलित अधिकारों के लिए लड़ते रहे। भारत के सबसे प्रखर और अग्रणी दलित नेता के रूप में आंबेडकर का स्थान निर्विवाद है। निम्न जातियों को एक अलग औपचारिक और क़ानूनी पहचान दिलाने के लिए आंबेडकर सालों तक भारत के सवर्ण हिन्दू वर्चस्व वाले समूचे राजनीतिक प्रतिष्ठान से अकेले लोहा लेते रहे। स्वतंत्र भारत की पहली केन्द्र सरकार में आंबेडकर को क़ानून मंत्री और संविधान का प्रारूप तैयार करनेवाली समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। इन पदों पर रहते हुए उन्हें भारतीय राजनय पर गांधीवादी प्रभावों पर अंकुश लगाने में उल्लेखनीय सफलता मिली।</p>
<p>क्रिस्तोफ़ जाफ़्रलो ने उनके जीवन को समझने के लिए तीन सबसे महत्त्वपूर्ण पहलुओं पर प्रकाश डाला है : एक समाज वैज्ञानिक के रूप में आंबेडकर; एक राजनेता और राजनीतिज्ञ के रूप में आंबेडकर; तथा सवर्ण हिन्दुत्व के विरोधी एवं बौद्धधर्म के एक अनुयायी व प्रचारक के रूप मे आंबेडकर।
ISBN: 9789388753913
Pages: 208
Avg Reading Time: 7 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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Narendra Govil +1
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- Description: "अद्भुत गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन के जीवन और कृतित्व दोनों से परिचय प्राप्त करना किसी को भी मानव प्रतिभा की संभावनाओं के संबंध में चमत्कृत करने के लिए पर्याप्त है। गणित के क्षेत्र में विश्व में कदाचित् ही कोई व्यक्ति रामानुजन के नाम से अपरिचित होगा। रामानुजन का गणित का कार्य सरल नहीं माना जाता है। कुछ गणितज्ञ तो उनके सूत्रों को अत्यंत जटिल मानते हैं। वे हिंदी के माध्यम से उन सूत्रों को प्रस्तुत करके अपने आपको एक बड़ी चुनौती में खरा उतरने का दावा नहीं करते हैं। विश्व की विभिन्न भाषाओं में उनके जीवन पर आधारित अनेक पुस्तकें प्रकाशित हैं, किंतु हिंदी-भाषी पाठकों के लिए रोचक शैली में लिखित यह जानकारीपरक पुस्तक रामानुजन के जीवन को तथा उनके विश्व-विख्यात कृतित्व को प्रस्तुत करने की एक कसौटी है। पुस्तक में आरंभ के अध्यायों में रामानुजन के जीवन तथा परिस्थितियों पर प्रकाश डाला गया है तथा भारतीय संस्कृति एवं परंपरा पर उनकी मान्यताओं को स्थान दिया गया है। प्रथम भाग में कहीं-कहीं गणित के कुछ उद्धरण आए हैं, जिनका उल्लेख करना आवश्यक था। बाद के अध्यायों में उनके द्वारा किए गए गणित के कार्य का संक्षिप्त, रोचक व ज्ञानप्रद प्रस्तुतीकरण है। विश्वास है, प्रस्तुत पुस्तक पढ़कर पाठकगण श्रीनिवास रामानुजन के कृतित्व से न केवल परिचित होंगे, बल्कि प्रेरणा भी ग्रहण करेंगे। "
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