Marx Aur Pichhade Huye Samaj

Marx Aur Pichhade Huye Samaj

Authors(s):

Ramvilas Sharma

Language:

Hindi

Pages:

535

Country of Origin:

India

Age Range:

18-100

Average Reading Time

1070 mins

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Book Description

हिन्दी के सुविख्यात समालोचक, भाषाविद् और इतिहासवेत्ता डॉ. रामविलास शर्मा का यह महत्तम ग्रन्थ ‘भूमिका’ और ‘उपसंहार’ के अलावा आठ अध्यायों में नियोजित है। इनमें से पहले में उन्होंने आधुनिक चिन्तन के पुरातन स्रोतों, मार्क्स के ‘व्यक्तित्व-निर्माण’ की दार्शनिक पृष्ठभूमि तथा मार्क्स-एंगेल्स की धर्म विषयक स्थापनाओं के प्रति ध्यान आकर्षित किया है। दूसरे में, सौदागरी पूँजी की विशेषताओं के सन्दर्भ में सम्पत्ति और परिवार-व्यवस्था की कतिपय समस्याओं का विवेचन हुआ है। तीसरे में, मध्यकालीन यूरोपीय ग्राम-समाजों और भारतीय ग्राम-समाजों में भिन्नता को रेखांकित किया गया है। चौथे में, प्राचीन रोमन-यूनानी समाज और प्राचीन भारतीय समाज में श्रम-सम्बन्धी दृष्टिभेद का खुलासा हुआ है। पाँचवें में, मार्क्स-एंगेल्स पर हीगेल के दार्शनिक प्रभाव के बावजूद इतिहास-सम्बन्धी उनकी स्थापनाओं में अन्तर को विस्तार से विेवेचित किया गया है, ताकि हीगेल के यूरोप-केन्द्रित नस्लवादी इतिहास-दर्शन को समझा जा सके। छठा अध्याय मार्क्स, एंगेल्स और लेनिन के जनवादी क्रान्ति-सम्बन्धी विचारों, कार्यों से परिचित कराता है। सातवें में, क्रान्ति-पश्चात् सर्वहारा अधिनायकवाद, राज्यसत्ता में सर्वहारा पार्टी की भूमिका, फासिस्ट तानाशाही से लड़ने की रणनीति तथा राज्यसत्ता के दो रूपों—जनतंत्र एवं तानाशाही—को अलगाकर देखने की माँग है और आठवाँ अध्याय दूसरे विश्वयुद्ध के बाद एशियाई क्रान्ति के सन्दर्भ में लेनिन की स्थापनाओं को गम्भीरता से न लेने के कारण साम्राज्यविरोधी आन्दोलन में विघटन का गम्भीर विश्लेषण करता है।</p> <p>संक्षेप में कहें तो डॉ. शर्मा की यह कृति विश्व पूँजीवाद और उसके सर्वग्रासी आर्थिक साम्राज्यवाद के विरुद्ध मार्क्सवादी समाज-चिन्तन की रोशनी में विश्वव्यापी पिछड़े समाजों के दायित्व पर दूर तक विचार करती है, ताकि समस्त मनुष्य-जाति को विनाश से बचाया जा सके।

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