Vivek Ki Pratibaddhata

Vivek Ki Pratibaddhata

Language:

Hindi

Category:

Society-social-sciences

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वैज्ञानिक दृष्टिकोण अर्थात् कार्यकारण भाव। चमत्कार अर्थात् वैज्ञानिक दृष्टिकोण का अभाव। यह सम्बन्ध प्रकाश और अँधेरे के समान है। एक का होना याने अनिवार्यतः दूसरे का ना होना। विज्ञान में चमत्कार नहीं होते। चमत्कार या तो रासायनिक, भौतिक प्रक्रिया होती है या हाथ की सफ़ाई होती है। बदमाशी भी हो सकती है और प्रसंग के अनुसार प्रकृति की अनसुलझी पहेली भी चमत्कार में शामिल होती है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण जीवन में स्वीकारने का अर्थ है, आज या कल समझ में आनेवाली वैज्ञानिक विचार-पद्धति पर समाज का विश्वास होना।</p>
<p>चमत्कारों को चुनौती देने की भूमिका को ठीक से समझना चाहिए। संविधान ने हर व्यक्ति को उपासना, अलौकिक जीवन, आध्यात्मिक कल्याण की आज़ादी दी है, इसका सम्मान करना चाहिए। लेकिन चमत्कार पर विश्वास करना, उसकी जाँच-पड़ताल का विरोध और ऐसे चमत्कारों का प्रसार करते रहना, यह धर्म का हिस्सा नहीं हो सकता। भारतीय समाज बहुत जल्द भयग्रस्त हो जाता है। दैववादी मानसिकता के कारण लोग संकट को भाग्य का परिणाम मानते हैं। कई लोगों को लगता है कि दैवी-शक्ति प्राप्त कोई बाबा या कोई धार्मिक तीर्थ उन्हें कठिनाई से उबार लेगा। इस मानसिकता में रहनेवाला समाज स्वाभिमानशून्य, भगौड़ा, डरपोक और बुद्धि को रेहन पर रखनेवाला होता है। स्वाभिमानी, प्रयत्नवादी और निर्भय समाज बनाने के लिए चमत्कार का विरोध आवश्यक है।</p>
<p>मानसिक ग़ुलामी की सबसे बड़ी भयानकता यह है कि उस अवस्था में व्यक्ति की बुद्धि से प्रश्न पूछना तो दूर की बात है, व्यक्ति की बुद्धि, निर्णय-शक्ति, सम्पूर्ण विचार-क्षमता ये सभी बातें चमत्कार के आगे शून्य हो जाती हैं। व्यक्ति दासता में चला जाता है और फिर परिवर्तन की लड़ाई अधिक कठिन हो जाती है।</p>
<p>इस किताब में दाभोलकर जी के 2003 से 08 के दौरान लिखे आलेख शामिल हैं जो उन्होंने अन्धविश्वास और अवैज्ञानिकता के विरोध में विभिन्न मोर्चों और आन्दोलनों में काम करते हुए लिखे। उनके आन्दोलन का एकमात्र उद्देश्य एक विवेकशील मन का निर्माण था ताकि भारतीय लोग अपनी भौतिक लाचारगी और लिप्साओं के कारण धन्धेबाजों का शिकार न हों। उनके लेखन को पढ़ते हुए हम इक्कीसवीं सदी के भारत की धार्मिक-आध्यात्मिक-आर्थिक-सामाजिक विडम्बनाओं से भी परिचित होते हैं।

ISBN: 9789389598506

Pages: 160

Avg Reading Time: 5 hrs

Age : 18+

Country of Origin: India

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