Maaran Mantra
Author:
Vimal Chandra PandeyPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Short-story-collections0 Reviews
Price: ₹ 159.2
₹
199
Available
समय के चालाक और कुटिल हेर-फेर के बाद बनारस के घोर-घनघोर जीवन को एक ऐसे किस्सागो की जरूरत थी, जो वक्त के साथ उतनी ही बेहयाई और बेरहमी से पेश आने की कुव्वत रखता हो। विमल चन्द्र पाण्डेय इस जरूरत को पूरा करते हैं। उनकी कहानी ‘जिन्दादिल’ का सिर्फ एक वाक्य ही काफी है—‘उनके घरों में पैसे की कमी थी, लेकिन उनके भीतर जीवन की कमी नहीं थी।’ इस छोटी-सी बनारसी अन्दाज की कहानी में ऊँचे तबके के ब्रांडेड जूतों के साथ निचले तबके के डुप्लीकेट जूतों की सीधी टक्कर है। विमल की कहानियों के पाँव अपने ठेठ लोकेल पर टिके हैं, लेकिन आँखें चारों तरफ देखती हैं। इन कहानियों में गजब का आमादापन है, बेधड़क लड़कपन है लेकिन इनके पात्र लम्पट नहीं हैं। अपनी सारी कमजोरियों और बदमाशियों के बावजूद उनके पास एक तेज और सनसनाती वर्ग चेतना है, धधकती हुई भावनाएँ हैं और सुलगती हुई गहराइयाँ भी जो ‘मारण मंत्र’ जैसी कहानी को सम्भव बनाती हैं। उसकी मार्मिकता जितनी विध्वंसक है उतनी ही आत्मघाती भी। प्रेम, रहस्य, वीभत्स तांत्रिक साधना और कामुकता के इस घातक मिश्रण को जाति और वर्ग भेद के कॉम्पलेक्स और ज्यादा जहरीला बना देते हैं। इन कहानियों में फटीचरों, मुफलिसों और गाँजा-चरस या शराब पीने वाले नशेड़ियों का हुजूम जिस धरातल पर खड़ा है, उस धरातल के तापमान को पहचानने की जरूरत है। ये बिखरे और बिफरे हुए लोग जिस स्थायित्व और सम्मान के हकदार हैं वह उन्हें नहीं मिला तो हमारी पूरी सामाजिक संरचनाएँ तार-तार हो सकती हैं। —मनोज रूपड़ा
ISBN: 9789393603968
Pages: 144
Avg Reading Time: 5 hrs
Age : 18+
Country of Origin: India
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Description:
‘गंगा-स्नान’ डॉ. जगदीश प्रसाद सिंह की महत्त्वपूर्ण पुस्तक है जिसमें उनकी बाईस कहानियाँ संकलित हैं।
संग्रह की सभी कहानियाँ यथार्थवादी परम्परा की हैं और प्रत्येक कहानी में कुछ ऐसे प्रश्न उठाए गए हैं जिनका सम्बन्ध व्यक्ति या समाज या दोनों के वर्तमान और भविष्य से है। लेकिन इनमें प्रश्नों के उत्तर देने का या भविष्य के लिए दिशा-संकेत करने का कोई प्रयास नहीं है। इनका संसार वैश्वीकरण के युग में तेज़ी से बदलते मूल्यों का संसार है, जहाँ उचित और अनुचित के निर्णय का सर्वमान्य मापदंड स्वार्थों की पूर्ति है। ये कहानियाँ पाठक के मस्तिष्क को झकझोरने और इनमें उठे प्रश्नों के उत्तर खोजने के लिए विवश करने का काम करती हैं।
लेखक ने इन कहानियों के माध्यम से मानव-मन की विभिन्न छवियों का जो कोलाज रचा है, वह अनूठा है। शीर्षक कथा ‘गंगा-स्नान’ में एक शहीद की विधवा पत्नी के दु:ख-दर्द और अपने ही परिवार में हो रहे शोषण की मर्मस्पर्शी कथा कही गई है। इस पुस्तक में जातिवाद साम्प्रदायिकता, राजनीतिक विद्रूपता, सामाजिक न्याय, शोषण आदि विषयों के सहारे कहानियों का ताना-बाना बुना गया है।
संग्रह की सभी कहानियाँ रोचक हैं और पाठक का ध्यान अन्त तक बाँधे रहती हैं।
Pratinidhi Kahaniyan : Geetanjali Shree
- Author Name:
Geetanjali Shree
- Book Type:

- Description: यह गीतांजलि श्री की कहानियों का प्रतिनिधि संचयन है। गीतांजलि की लगभग हर कहानी अपनी टोन की कहानी है और विचलन उनके यहाँ लगभग नहीं के बराबर है और यह बात अपने आपमें आश्चर्यजनक है क्योंकि बड़े-से-बड़े लेखक कई बार बाहरी दबावों और वक़्ती ज़रूरतों के चलते अपनी मूल टोन से विचलित हुए हैं। यह अच्छी बात है कि गीतांजलि श्री ने अपनी लगभग हर कहानी में अपनी सिग्नेचर ट्यून को बरकरार रखा है। लेकिन सवाल यह है कि गीतांजलि की कहानियों की यह मूल टोन आख़िर है क्या? एक अजीब तरह का फक्कड़पन, एक अजीब तरह की दार्शनिकता, एक अजीब तरह की भाषा और एक अजीब तरह की रवानी। लेकिन ये सारी अजीबियतें ही उनके कथाकार को एक व्यक्तित्व प्रदान करती हैं। यहाँ यह कहना ज़रूरी है कि यह सब परम्परा से हटकर है और परम्परा में समाहित भी।
Yugaadi
- Author Name:
Vasudhendra
- Book Type:

- Description: ವಸುಧೇಂದ್ರರ ಈ ಕಥಾಸಂಕಲನಕ್ಕೆ ಹಲವು ಪ್ರಶಸ್ತಿಗಳು ಸಂದಿವೆ. ಮುಖ್ಯವಾಗಿ ಡಾ. ಯು ಆರ್ ಅನಂತಮೂರ್ತಿ ಪ್ರಶಸ್ತಿ ಹಾಗೂ ವರ್ಧಮಾನ ಉದಯೋನ್ಮುಖ ಪ್ರಶಸ್ತಿಗಳು ಈ ಸಂಕಲನಕ್ಕೆ ದಕ್ಕಿವೆ.
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